आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार



आप ने गत अगस्त में राज्यसभा सभापति के चुनाव का बहिष्कार किया था और कहा था कि वह इसको लेकर निराश है कि कांग्रेस ने अपनी ओर से खड़े किये गए संयुक्त विपक्षी उम्मीदवार के लिए उससे समर्थन नहीं मांगा। सूत्रों का कहना है कि दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन में पेंच दिल्ली में लोकसभा की सीटों की संख्या हैं जिन पर कांग्रेस चुनाव लड़ना चाहती है। दिल्ली की सात सीटों में से आप कांग्रेस को दो से अधिक सीटें देने को तैयार नहीं है।
दिल्ली में लोकसभा की सात सीटों में से आप छह पर पहले से ही अपने प्रभारी घोषित कर चुकी है। बाद में इन प्रभारियों को ही पार्टी उम्मीदवार घोषित कर दिया जाएगा। इसका मतलब है कि आप को अपने एक या दो उम्मीदवार को मैदान से हटने के लिए कहना होगा जो पहले ही प्रचार शुरू कर चुके हैं।
दिलचस्प है कि कांग्रेस का स्थानीय नेतृत्व आप के साथ गठबंधन नहीं चाहता, लेकिन माना जाता है कि शीर्ष नेतृत्व इस विचार के खिलाफ नहीं है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में कांग्रेस और आप का जनाधार लगभग समान माना जा रहा है। 2013 में दिल्ली विधानसभा चुनाव के बाद आप और कांग्रेस का वोट शेयर ऊपर नीचे हुआ है लेकिन भाजपा का समान बना हुआ है।
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