आर.बी.एल.निगम, फिल्म समीक्षक
70's की खूबसूरत एक्ट्रेसेस में से एक आशा सचदेव ने उस दौर के हर पॉपुलर एक्टर और डायरेक्टर के साथ काम किया था। यहां तक कि महेश भट्ट भी उनके साथ काम करना चाहते थे। लेकिन सिर्फ एक बी-ग्रेड फिल्म में काम करने की वजह से आशा के बढ़ते करियर पर ब्रेक लग गया। इसके बाद उन्हें काम मिलना ही बंद हो गया। हालत ये हो गई कि जो डायरेक्टर उन्हें जानते थे, उन्होंने भी आशा के साथ काम करने से मना कर दिया था।
दरअसल, 1972 में आशा ने एक लो बजट बी-ग्रेड फिल्म 'बिंदिया और बंदूक' में काम किया था। इसमें उनके साथ किरण कुमार, हेलन, रजा मुराद, केस्टो मुखर्जी और जोगिंदर शैली जैसे कलाकार थे।
फिल्म में आशा की एक्टिंग की तारीफ भी हुई, लेकिन करियर की शुरुआत में ही बी-ग्रेड फिल्मों में काम करने की वजह से ए-लिस्ट डायरेक्टर्स में आशा की नेगेटिव इमेज बन गई। इसी फिल्म के बाद उनकी जिंदगी काफी बदल गई।
इसके बाद किसी भी बड़े डायरेक्टर ने आशा के साथ फिल्म में काम करने से मना कर दिया, जिससे कई बड़े बजट की फिल्में भी उनके हाथ से निकल गईं। इतना ही नहीं, मजबूरी में उन्हें छोटे बजट की फिल्मों में काम करना पड़ा।
उस दौर में उन्हें बॉलीवुड में सिर्फ बहन के रोल ही ऑफर हो रहे थे। इसके अलावा कोई भी फिल्म डायेरक्टर उन्हें अपनी फिल्म में बतौर एक्ट्रेस साइन नहीं करते थे। जी हां, इस एक्ट्रेस का नाम है आशा सचदेव जो 70 के दशक में उन हिरोईनों में से एक थी, जिनकी खूबसूरती और एक्टिंग के सभी दीवाने थे। आशा सचदेव 70 के दशक की काफी पॉपुलर एक्ट्रेस थी। आशा सचदेव सभी निर्देशकों और एक्टर्स के साथ काम चुकीं थीं।
70's की खूबसूरत एक्ट्रेसेस में से एक आशा सचदेव ने उस दौर के हर पॉपुलर एक्टर और डायरेक्टर के साथ काम किया था। यहां तक कि महेश भट्ट भी उनके साथ काम करना चाहते थे। लेकिन सिर्फ एक बी-ग्रेड फिल्म में काम करने की वजह से आशा के बढ़ते करियर पर ब्रेक लग गया। इसके बाद उन्हें काम मिलना ही बंद हो गया। हालत ये हो गई कि जो डायरेक्टर उन्हें जानते थे, उन्होंने भी आशा के साथ काम करने से मना कर दिया था।
राकेश रोशन के साथ |
फिल्म दो चट्टानें |
फिल्म में आशा की एक्टिंग की तारीफ भी हुई, लेकिन करियर की शुरुआत में ही बी-ग्रेड फिल्मों में काम करने की वजह से ए-लिस्ट डायरेक्टर्स में आशा की नेगेटिव इमेज बन गई। इसी फिल्म के बाद उनकी जिंदगी काफी बदल गई।
इसके बाद किसी भी बड़े डायरेक्टर ने आशा के साथ फिल्म में काम करने से मना कर दिया, जिससे कई बड़े बजट की फिल्में भी उनके हाथ से निकल गईं। इतना ही नहीं, मजबूरी में उन्हें छोटे बजट की फिल्मों में काम करना पड़ा।
लीड हीरोइन बनने आईं आशा सचदेव को कोई भी डायरेक्टर बड़े रोल में लेने के लिए तैयार नहीं था। ऐसे में आशा सचदेव को सपोर्टिंग एक्ट्रेस के किरदार निभाने पड़े। किसी फिल्म में वो हीरोइन की बहन के रोल में रहतीं तो किसी में कुछ और। बाद में आशा को इक्की-दुक्की फिल्मों में महज सपोर्टिंग एक्ट्रेस के रोल ही मिलते थे।
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रेखा के साथ आई बोल्ड फिल्म से भी नहीं मिला सहारा
दीपक पाराशर के साथ आशा सचदेव |
बाद में 1974 में डायरेक्टर मोहन सेगल की फिल्म 'वो मैं नहीं' में आशा सचदेव एक्ट्रेस रेखा के साथ नजर आईं। इस फिल्म में आशा के बोल्ड रोल की भी काफी तारीफ हुई, लेकिन बावजूद इसके उन्हें इस रोल से भी कोई खास फायदा नहीं मिला।
मुंबई के नेपियन सी रोड इलाके में बीता बचपन
एक पॉपुलर फैशन मैगजीन को दिए इंटरव्यू में आशा ने बताया था कि उनका बचपन मुंबई के नेपियन सी रोड इलाके में बीता। उन दिनों जैकी श्रॉफ भी वहीं तीन बत्ती पर रहा करते थे और वो उन्हें 'नेपियन सी रोड की रानी' कहकर बुलाते थे। मैंने 14 साल की उम्र में रोशन तनेजा एक्टिंग स्कूल ज्वाइन किया था। इसके बाद मैंने पुणे के एफटीआईआई में एडमिशन लिया।
साड़ी पहनकर ऑडिशन देने गई थीं आशा
मुझे याद है कि जब मैं स्क्रीन टेस्ट के लिए गई तो उस वक्त मैंने ब्लैक लहरिया स्ट्रिप वाली बॉटल ग्रीन कलर की साड़ी पहनी थी। मैं ऑडिशन के वक्त काफी चिल्ला रही थी कि अगर मैं इसमें फेल हो गई तो घर लौटकर सिर्फ पढ़ाई पर ध्यान दूंगी। उस वक्त असरानी साहब ने मेरी मदद की थी।
फिल्म 'द बर्निंग ट्रेन' के एक सीन में |
वैसे तो आशा के पास कई लोगों के मैरिज प्रपोजल आए, लेकिन उनके पहले प्यार की बात करें तो वो था किशनलाल। वो एक बिजनेस मैनेजमेंट कंसल्टेंट थे। दोनों शादी करने वाले थे, लेकिन इससे पहले ही गोवा में एक समुद्री हादसे में किशनलाल की मौत हो गई। वो उस वक्त सिर्फ 30 साल के थे। आशा का कहना था कि यह उनकी लाइफ का सबसे डरावना एक्सपीरियंस था।
इन फिल्मों में आशा ने किया काम
डबल क्रॉस (1972), हिफाजत (1973), कश्मकश (1973), लफंगे (1974), महबूबा (1977), प्रियतमा (1978), द बर्निंग ट्रेन (1980), सत्ते पे सत्ता (1982), पड़ोसी की बीवी (1988), अग्निपथ (1990), चंद्रमुखी (1993), कर्तव्य (1995) और फिजा (2000)।
वैसे बॉलीवुड की चर्चित अभिनेत्री मुमताज़ ने भी अपना फ़िल्मी सफर सी-क्लास की फिल्मों से ही शुरू किया था, लेकिन किस्मत ने आशा को कहीं और ही धकेल दिया, जबकि अभिनय में आशा भी कम नहीं है।
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