जब तक अखिलेश मायावती की हां में हां मिलाएंगे और घुटने टेकते रहेंगे, तभी तक चलेगा गठबंधन: सपा विधायक

Hariom Yadav
आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार 
लोकसभा चुनाव के लिए समाजवादी पार्टी (SP) तथा बहुजन समाज पार्टी (BSP) के बीच हुए गठबंधन (BSP-SP Alliance) को लेकर अब सपा के अंदर से अंसतोष के स्वर उठने लगे हैं। फिरोजाबाद के सिरसागंज से समाजवादी पार्टी के विधायक और मुलायम सिंह यादव के समधी हरिओम यादव ने अखिलेश को निशाने पर लेते हुए कहा है कि यह गठबंधन नहीं चल सकता है।  उन्होंने कहा, 'सपा-बसपा का गठबंधन फिरोजाबाद में काम नहीं करेगा। ये यहां सफल नहीं हो सकता है। ये गठबंधन तभी तक चल सकता है जब तक हमारे राष्ट्रीय अध्यक्षजी बहनजी की हां में हां मिलाते रहेंगे और घुटने टेकते रहेंगे।' 
दरअसल हरिओम यादव पहले भी रामगोपाल यादव की खिलाफत करते रहे हैं। कुछ समय पहले उन्होंने कहा था कि रामगोपाल यादव भाजपा से मिले हुए हैं। आपको बता दें कि जनवरी 12 को 23 साल पुरानी शत्रुता को भुलाते हुए सपा और बसपा ने एक दूसरे से हाथ मिलाते हुए लोकसभा चुनाव के लिए गठबंधन की घोषणा की थी।
80 लोकसभा सीटों वाले उत्तर प्रदेश में दोनों दल 38-38 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे कांग्रेस के लिए अमेठी और रायबरेली की सीटें छोड़ी गई हैं जबकि दो सीटें छोटे दलों के लिए आरक्षित की गई हैं। माना जा रहा है कि दो सीटें निषाद पार्टी और पीस पार्टी के लिए छोड़ी गई हैं।
SP MLA Hariom Yadav on SP-BSP alliance, yesterday: SP-BSP alliance will not work in Firozabad. It won't be successful here. Yeh gathbandhan tabhi tak chal sakta hai jab tak humare rashtriya adhyakshji Behenji ki haan mein haan milate rahenge aur ghutne tekte rahenge. pic.twitter.com/cvLLfagJcC
इससे पहले सुहेलदेव बहुजन समाज पार्टी (Suheldev Bahujan Samaj Party) के अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार में कैबिनेट मंत्री ओम प्रकाश राजभर (OP Rajbhar) ने भी  जनवरी 12 को कहा कि फिलहाल हम भारतीय जनता पार्टी (BJP) के साथ हैं, अगर बीजेपी हमें साथ रखना चाहती है तो हम उनके साथ रहेंगे, अगर वो हमें साथ नहीं रखना चाहते हैं, तो नहीं रहेंगे।
SP-BSP गठबंधन होने के बीच दलित नेता चंद्रशेखर आजाद ने BJP के लिए कही बड़ी बात
SP-BSP गठबंधन पर दलित नेता चंद्रशेखर ने कही बड़ी बात
सपा-बसपा गठबंधन के बाद भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर आजाद ने जनवरी 13 को एक कार्यक्रम में मौजूद लोगों से कहा कि यदि भाजपा ने किसी दलित को भी पार्टी से टिकट दिया तो भी उसे वोट मत देना। चंद्रशेखर ने कहा कि बीजेपी को हराने के लिए भीम आर्मी सपा-बसपा गठबंधन का समर्थन करेगी। चंद्रशेखर आजाद सहारनपुर में संत रविदास छात्रावास में आयोजित एक समारोह को संबोधित कर रहे थे 
वीडियो देखिये आज़म खान का, जिसमे बसपा को वोट देने की बजाए भाजपा को वोट देने की अपील कर रहे हैं:-

https://www.facebook.com/BjpKhargoneBarwani/videos/2313836378847052/
उन्होंने कहा कि वह चाहते थे कि उतर प्रदेश में भाजपा को हराने के लिये एक सामाजिक गठबंधन बने। सपा-बसपा के गठबंधन से उनका यह सपना पूरा हुआ है। यह गठबंधन बीजेपी को उतर प्रदेश मे रोकने का काम करेगा 
जबकि सत्ता के गलियारों में चर्चा है की इस गठबंधन से मायावती ने समाजवादी पार्टी द्वारा गेस्ट हाउस काण्ड का बदला ले लिया है, जिससे अखिलेश यादव बिलकुल अनजान हैं। इस गठबंधन से मायावती उत्तर प्रदेश में अपनी खोई ज़मीन प्राप्त कर, समाजवादी पार्टी को धरातल पर ला देंगी। मुलायमसिंह ने जिस परिश्रम से पार्टी को खड़ा किया था, उसे पुत्र अखिलेश मिट्टी में मिलाने जा रहा है। कहते है ना जब खून ही दुश्मन बने,फिर दोष किसे दिया जा सकता है। अखिलेश यादव स्वयं अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारने को लालायित हैं। 
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गेस्ट हाउस कांड के दौरान मायावती को बीजेपी के तत्कालीन विधायक ब्रह्मदत्त द्विवेदी ने बचाया था आर.बी.एल.निगम, वरिष्...

सपा-बसपा गठबंधन से गदगद तेजस्वी
गठबंधन का ऐलान होने के बाद पड़ोसी राज्य बिहार में सक्रिय राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के नेता तेजस्वी यादव ने बीएसपी प्रमुख मायावती से मुलाकात करके इस गठबंधन को बनाने के लिए शुक्रिया कहा बीएसपी सुप्रीमो से उनके आवास पर मुलाकात के बाद तेजस्वी यादव ने कहा कि इस गठबंधन के बनने के बाद भारतीय जनता पार्टी का पूरे उत्तर प्रदेश में सफाया हो जाएगा और वे कभी सत्ता में वापस नहीं आ पाएंगे 
चित्र में ये शामिल हो सकता है: एक या अधिक लोग
तेजस्वी ने आरोप लगाया कि बीजेपी बाबा साहेब आंबेडकर के बनाए संविधान को खत्म कर नागपुर का कानून लागू करने में जुटी है जनता मायावती और अखिलेश की दोस्ती का स्वागत कर रही है बिहार और उत्तर प्रदेश से बीजेपी का सफाया हो जाएगा उत्तर प्रदेश में बीजेपी एक भी सीट नहीं जीतेगी सभी सीटों पर सपा-बसपा गठबंधन के प्रत्याशी जीतेंगे 
तेजस्वी यादव ने कहा कि मेरे पिता ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान ही सपा और बसपा को एक साथ मिलकर लड़ने की नसीहत दी थी उन्हें उम्मीद थी कि अगर उस वक्त ऐसा होता तो तभी उत्तर प्रदेश से बीजेपी का सफाया हो गया होता हालांकि अभी भी लालू यादव इस सपा-बसपा के गठबंधन से काफी खुश हैं  आरजेडी नेता ने कहा कि नरेंद्र मोदी की सरकार ने देश में अघोषित इमरजेंसी लागू कर रखा है 
तेजस्वी ने कहा कि बीजेपी सरकारी मशीनरी को दुरुपयोग करके विपक्षी नेताओं को परेशान कर रही हैसरकार ने झूठे मुकदमों में लालू यादव को फंसाकर उन्हें जेल भेज दिया है जब मैं 13-14 साल का था तभी मेरे ऊपर भ्रष्टाचार के मुकदमें दर्ज कर दिए गए इस प्रपंच में मेरे नीतीश चाचा उनकी मदद कर रहे हैंनीतीश कुमार ने हमारे साथ मिलकर चुनाव जीत लिया फिर वे बीजेपी के साथ जाकर मिल गए लोकसभा चुनाव नजदीक आते ही सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के पीछे सीबीआई को लगा दिया गया है 
गठबंधन में तय हुआ था कि सपा-बसपा 38-38 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे राहुल गांधी और सोनिया गांधी के लिए रायबरेली और अमेठी सीट पर दोनों दल कोई प्रत्याशी नहीं उतारेंगे साथ दो सीटें अन्य सहयोगी दलों के लिए छोड़ दी जाएंगी मायावती ने स्पष्ट रूप से कहा था कि इस गठबंधन में कांग्रेस को शामिल नहीं किया जा रहा है, क्योंकि पुराने अनुभव बताते हैं कि कांग्रेस के वोट सपा-बसपा को ट्रांसफर नहीं होते हैं 
सरकारी संस्थानों के अस्तित्व पर खतरा 
समस्त भाजपा विरोधियों द्वारा सरकार पर सरकारी संस्थानों जैसे सीबीआई आदि संस्थानों की स्वतन्त्रता पर अंकुश लगा दिया है, लेकिन भूल गए कि इन्ही के कार्यकाल में इसी सीबीआई को सरकारी तोता के नाम से पुकारा जा रहा था। तुष्टिकरण पुजारी अपनी कुर्सी को बचाने हिन्दू साधु, सन्त एवं साध्वियों को झूठे केसों में जेलों में भर रहे थे। बेकसूर स्वामी असीमानंद, कर्नल पुरोहित, साध्वी प्रज्ञा को अमानवीय रूप से प्रताड़ित किया गया था? आतंकवादियों को खूब बिरयानी खिलाई जा रही थी और इन बेकसूरों को अभद्र एवं अमानवीय प्रताड़ना दी जा रही थी, किस तरह जाँच एजेंसियों द्वारा दबाव डाला जा रहा था, है किसी के पास कोई जवाब ! इन एजेंसियों का दुरूपयोग पिछली सरकार द्वारा किया जा रहा था। एनकाउंटर में आतंकवादियों के मारे जाने पर किस तरह जाँच एजेंसियों को आपस में ही भिड़वा दिया था। आंतकवादियों के मारे जाने पर आँसू भी बहाते देखा गया। 
संविधान खतरे में 
इस गठबंधन द्वारा संविधान को खतरे की बात भी बड़े जोर-शोर के साथ उछाली जा रही है। अगर इनके सहयोग से चल रही पिछली यूपीए सरकार के कार्यकाल में संविधान के विरुद्ध क्या नहीं किया? प्रधानमन्त्री के सम्मुख उन्ही के अध्यादेश को फाड़ना क्या संविधान के अनुरूप था? क्या प्रधानमंत्री को अपने आप किसी काम को करने की इजाजत थी? जिसका विस्तार से संजय बरुआ ने अपनी पुस्तक The Accidental Prime Minister में लिखा है और अब इसी पुस्तक पर फिल्म भी प्रदर्शित हो गयी है। जिस पर कांग्रेस चीख-चिल्ला रही है। फिल्म किस्सा कुर्सी का, आँधी, चर्चित गायक किशोर कुमार के गीतों का रेडियो पर प्रसारण पर रोक, फिल्म रोटी, कपडा और मकान के गीत हाय महंगाई तू कहाँ से आयी, मोहम्मद यूनुस की पुस्तक पर प्रतिबन्ध, रामजन्मभूमि का समाधान होते देख राजीव गाँधी ने कौन से संविधान के आधार पर चंद्रशेखर की सरकार को गिराया था? आदि एक लम्बी सूची है, जो पिछली सरकारों द्वारा संविधान को ताक पर रख दिया गया था। 
अब सोशल मीडिया पर प्रकाशित निम्न लेख को भी देखिये, जिसे बिना संपादन के प्रस्तुत किया जा रहा है :-

पोस्ट लंबी है पर तथ्यपरक है, अवश्य पढ़ें।
अभी ताजा ताजा चर्चित दो ब्यूरोक्रेट्स से शुरू करता हूँ।
एक हैं बी चंद्रकला, तेलंगाना से,2008 बैच की IAS यूपी काडर मिला। चार साल बाद यूपी शासन ने डीएम का पद दे दिया, उसके बाद मैडम का जलवा शुरू हुआ, अचानक कहीं पहुँचना, काम में कोताही बरतने वाले अफसरों, ठेकेदारों, शिक्षकों की सरेआम जलालत, मलामत। एक पत्रकार ने फोन पर कुछ जानना चाहा, उसकी माँ-बहन एक कर दी, भेजूँ तेरी बहनिया के पास एक गैर मर्द को। जनता अभिभूत थी, हमें चाहिए भी ऐसे ही कड़क, दमदार, इमानदार और निष्पक्ष अफसर जो जनता के पैसे जाया न होने दें, सही काम हो। लोग लहालोट थे यह डायनामिज्म देखकर, प्रसिद्धि ऐसी फैली कि रातोंरात सोशल मीडिया की तारिका बन गयीं। फेसबुक पर 86 लाख फालोवर, ट्वीटर पर 8 लाख फैन क्लब्स।
फिर एकाएक एक न्यूज आती है, सीबीआई ने उनकी रिहायशों सहित 12 जगहों पर छापेमारी की। लोग आवाक थे, इतनी ईमानदार और कड़क आफिसर के विरूद्ध छापेमारी, फिर खबरें छनकर आने लगीं, रेत खनन के पट्टों के आबंटन गलत तरीके से, नियमों को ताक पर रखकर। मामला इतना गंभीर की तत्कालीन सीएम अखिलेश तक आँच पहुँच रही है। एफआईआर दर्ज हो गयी, बी चंद्रकला के अवैध आय का भी मामला बना।
आलोक वर्मा, सीबीआई डायरेक्टर, सांवैधानिक पद, जबरदस्त पावर, सीबीआई का नाम सुनते ही रूह कांप जाती है। एकदिन न्यूज आयी, सरकार ने जबरिया छुट्टी पर भेज दिया, उनके नायब राकेश अस्थाना सहित। बहुत बड़ी न्यूज थी, सीबीआई डायरेक्टर को छुट्टी पर भेजना। राजनीति शुरू हुई, मामला न्यायालय में, न्यायनिर्णय हुआ सेलेक्ट कमिटी ही हटा सकती है। सेलेक्ट कमिटी ने हटा दिया। भन्नाए आलोक वर्मा ने कहा वे आलरेडी रिटायर्ड पर्सन हैं, सो रिटायर समझा जाय। खबरें छनकर आयीं दिल्ली की 5 पाश कालोनियों में साहब की पाँच अट्टालिकाएं हैं। 10 कंपनियाँ हैं इनकी मिल्कियत, शराब का कारोबार है।
सवाल है ये दो ब्यूरोक्रेट्स कौन हैं ! बेशक ये भारतीय शासन व्यवस्था में सिस्टम के दो महत्वपूर्ण पद हैं जिनपर सरकार के नीतियों के कार्यावन्यवन की महती जिम्मेवारी है। एकदम झक सफेद टाइट कालर, चेहरे से रूआब बरसता हुआ, सामने देख लोग भय से रास्ता छोड़ देते हैं। पर वास्तविकता क्या है, ये सफेदपोश अंदर से बिल्कुल काले, भ्रष्ट, कानून की धज्जियां उड़ाते। चंद्रकला तो वंचित वर्ग से हैं, उन्हें जनता का दर्द शिद्दत से महसूस होना चाहिए था। ऐसा क्यों नहीं हुआ ? इसका कारण है कि हम भारतीयों में एक नयी संस्कृति विकसित हुई है, #आप_सुखी_तो_जग_सुखी
इन कार्रवाइयों पर राजनीति क्या कहती है, यूपी के दो भूतपूर्व सीएम का कहना है कि सीबीआई का मिसयूज किया जा रहा ब्लैकमेल करने को, डराने को। तो फिर क्यों नहीं नियम दिखाकर साबित कर देते कि पट्टे देने में निर्धारित प्रक्रिया का पालन हुआ है। इ टेंडर करना था, नहीं किया। जिले के दो दबंगों को ही जिले के सारे पट्टे मिल गये, मतलब एजेंसियां अंधी हैं।
आलोक वर्मा के लिए तो पूरी कांग्रेस, पूरा विपक्ष, दलाल मीडिया उनके बचाव में उतरी हुई है।खड़गे दहाड़ रहा था, यार साबित कर दो न कि वेतन की कमाई से आलोक वर्मा ने ये सारी संपत्ति बनायी है,दे दो जवाब। अभी वर्मा की और कितनी परिसंपत्तियां हैं इसकी जाँच होनी है। ये दो उदाहरण बताते हैं कि सफेदपोश कितने बड़े दोगले हैं, जितना बड़ा ओहदा उतनी बड़ी लूट करते हैं।
ये दो उठाये गये सैंपल हैं टाप ब्यूरोक्रेट्स के जिनके जिम्मे सिस्टम में बहुत बड़ी जिम्मेवारी है सरकार के संपत्ति के रक्षा करने की। दोषियों को पकड़ने की,और ये खुद उसी दुष्कृत्य में संलिप्त हैं। इनका टेस्ट रिजल्ट नेगेटिव आया है। पूरी भारतीय जनता आश्वस्त है कि पूरे सिस्टम में कम से कम 70% आधिकारियों, कर्मियों के टेस्ट रिजल्ट नेगेटिव ही आयेंगे। आप कल्पना कीजिए कि जनता की कितनी धनराशि सिर्फ सरकारी कर्मी लूट रहे।
मैं ये क्यों लिख रहा हूँ , ये तो सब जानते हैं, मुश्किल से दस पाँच लोग ये पोस्ट पढ़ेंगे। निरर्थक मेहनत है, लेकिन मैं आश्वस्त हूँ कि यह मेहनत निरर्थक नहीं है।
1947 से 2014 तक यह सिस्टम विकसित और मजबूत होता आया है। 80 के दशक में समाजवादी भारत में प्रभावी हुए कांग्रेस का प्रबल प्रतिरोध कर के। समाजवाद की परिणति देश ने देखी। घरानों के उदय हुए, चारा घोटाला, मधुकोड़ा की लूट, मुलायम और मायावती का एम्पायर, ये समाज को न्याय देने अंतिम पायदान तक सरकारी लाभ पहुँचाने का वादा करके आये थे। इनका नकाब उतर गया, जल्दी ही इनके वास्तविक चेहरे सामने आ गये। पर तबतक ये जनता के पचासों हजार करोड़ डकार चुके थे। अंततः इन सबों ने कांग्रेस से गलबहियां कर लीं क्योंकि इनका मूल उद्देश्य भी यही था कि जनता की लूट का सुख #कांग्रेस अकेले क्यों भोगे। हमें भी राजनीति आती है, हम उससे क्यों #महरूम रहें। गले मिले और एका हो गया कि भाई हम #एक_होकर लूटें।
कांग्रेस बहुत पुरानी पार्टी है। उसमें एक से एक शातिर रणनीतिकार हैं। वह समझ चुकी थी कि जनता के बीच में से जबतक कुछ दलाल नहीं चुने जायेंगे हो हल्ला मचेगा, जो हानिकारक भी हो सकता है सो जनता को करप्ट बनाने का खेल शुरू हुआ। हर नेता अपने क्षेत्र में दलाल बनाने लगे जो प्रखंड से लेकर जिले तक लोगों का काम कराते, दलाली लेते, नेताजी का गुणगान करते, जनता को बताते नेताजी कितने त्यागी और महान हैं। यूपी बोर्ड की परीक्षा में कड़ाई होने पर 10 लाख छात्रों द्वारा परीक्षा का वहिष्कार और बिहार के इंटर टापर का पोलिटिकल साइंस को पोरोडिकल साईंस उच्चारित करना ये सिर्फ सरकारी भ्रष्टाचार नहीं बल्कि जनता का भी इस भ्रष्टाचार में कदम से कदम मिलाकर चलने का ज्वलंत उदाहरण है।
2004 से 2014 के बीच कांग्रेस ने भ्रष्टाचार के नये रिकार्ड कायम किए, बैंकिंग व्यवस्था को ध्वस्त कर दिया गया। आँख मूँदकर ऋण बाँटे गये, बैंकों का एनपीए बढ़कर 84 % हो गया। यूपीए सरकार बखूबी उसे 34 % प्रचारित करती रही, बैंक डूबने के कगार पर आ गये।
इसी राजनैतिक, आर्थिक और सामरिक परिदृश्य में आगमन हुआ मोदी का। कार्यभार संभालते ही दिमाग की चूलें हिल गयीं। डूबती अर्थव्यवस्था, सिस्टम में लूट का वर्चस्व, सामरिक रूप से कमजोर भारत, आतंकवाद अपनी चरम सीमा पर, पाकिस्तान और चीन जैसे दो पारंपरिक दुश्मन दोनों तरफ से हमले को तैयार। कोई दूसरा होता तो चुपचाप सिस्टम के आगे सरेंडर कर देता, हालातों के आगे विवश। पर बंदा जिगरवाला है। राष्ट्रप्रेम हिलोरें ले रहा था दिल में, चैलेंज एक्सेप्ट किया और साथ मिला एक माहिर रणनीतिकार अजीत डोवाल का। चीजों की सच्चाई समझी और सबसे पहले पड़ोसी छोटे देशों भूटान, नेपाल, जापान की यात्रा कर चीन के विरूद्ध रणनीति तैयार की। फिर दौरा शुरू किया महाशक्तियों का। आतंकवाद के विरूद्ध लड़ने का अटल निश्चय दिखाकर पाकिस्तान को विश्व से अलग थलग किया और उनसे व्यापारिक तथा सामरिक रिश्ते प्रगाढ़ किये। फिर भारतीय वित्तीय संस्थानों की तरफ निगाह की और एक झटके में #नोटबंदी का एक ऐसा अभूतपूर्ल निर्णय लिया जो आत्मघाती था। इसके पूर्व भी इंदिरा जी के समय में इसकी बात उठी थी तो उन्होंने अपने वित्तमंत्री को झिड़के हुए कहा था : क्यों ? क्या आगे चुनाव नहीं लड़ना। एक कदम और जमाखोरों की कमर टूट गयी। आतंकियों और माओवादियों का शिराजा बिखर गया। बड़े बड़े राजनेता कंगाल हो गये लेकिन यह दुख ऐसा था कि #आपन_हारल_मेहरी_के_मारल इ दुख केहू से कहलो ना जाला। पर आज भी उनकी चीख जनता के नाम पर सुनाई देती है, उनकी व्यथा आप समझ सकते हैं। फिर एक और अभूतपूर्व निर्णय लिया #सर्जिकल_स्ट्राइक का और इसबार पाकिस्तान के हौसले तोड़ दिये। फिर #डोकलाम_विवाद पर चायना को तारे दिखाये। अब मोदी का ताप देख बैंक लुटेरों ने भागना शुरू किया। पर मोदी मोदी है, अब लुटेरे विदेश में बैठे कराह रहे हैं। मैं तो लौटाना चाहता हूँ। देश में तीस तीस साल से लंबित परियोजनाओं को मोदीराज में पूरा किया जा रहा है।
बिहार के लोग जानते हैं जब हमारे यहाँ कहा गया था : सड़क तुम गरीब का करेगा, बस त सब बड़ आदमी का चलता है, बढ़िया सड़क पर रेस बस चलायेगा त तुमलोग का बाल बच्चा पिचा जायेगा। पुलिस भी फट से तुम्हारे दुआरी पर पहुँच जायगी, और जनता ने जय जयकार किया था।
आज 6 लेन, 8 लेन, एक्सप्रेस वे, सुपर एक्सप्रेस वे बन रहीं। क्या रेलवे प्लेटफार्म पर की सफाई भी हमें नहीं दिखती।
गोरखपुर क्षेत्र में पिछले चालीस वर्षों से हर साल दसियों हजार बच्चे इन्सेफेलाइटिस से मरते थे और उसी बीमारी के नाम पर सरकारी लोग भारी माल लूटते थे। इस साल मौत की बात सुनी क्या ? योगी ने मौत की जड़ ही उखाड़ दी। यह साधारण अचीवमेंट है ?
कांग्रेस सहित तमाम विपक्ष #सेलेक्टिव_विकास चाहते हैं, अपना और अपने दलालों का। मोदीजी देश को #सेट करना चाहते हैं। यह आपकी च्वाईस है कि आप अकेले खुश रहना चाहते हैं या पड़ोसी की भी खुशी चाहते हैं। एक बात जान लें अगर आपका पड़ोसी भूखे मर रहा, बेहाल है, त्रस्त है तो आप भी सुरक्षित नहीं, मरता क्या नहीं करता। हमारे हक में है कि पूरा भारत खुशहाल हो जिसके लिए मोदी अहर्निश मेहनत कर रहे। हमारा देश समृद्ध, स्वस्थ और सबल होगा तो हम भी समृद्ध और सबल होंगे। इसलिए यह हमारे आपके आत्ममंथन का दौर है कि हम लुटेरों को सत्ता सौंपे या एक नि:स्पृह कर्मयोगी को।
वंदे मातरम्, जयहिंद।
विश्राम त्रिपाठी , अधिवक्ता ।"
देश में जातिवाद 
वर्तमान मोदी सरकार पर एक आरोप देश में जातिवाद फ़ैलाने का भी लग रहा है। डॉ भीमराव आंबेडकर ने संविधान बनाने के बाद अपनी जाति के लिए 10 वर्ष का आरक्षण माँगा, जिसे स्वीकार कर लिया गया, लेकिन उसका दुरूपयोग होता देख, समय पूर्व इसे समाप्त करने को कहा था, क्यों नहीं माना गया? जातिवाद देश में किसने फैलाया? एक तरफ डॉ आंबेडकर का गुणगान किया जाता है, उसके विपरीत आज तक आरक्षण को लागू रख देश में जातिवाद को फ़ैलाने वाला कौन है? अपने वंश के लालन-पालन के लिए जाति के नाम पर पार्टियाँ बनाकर जातिवाद का जहर कौन फैला रहा है? 
अब देखिए अपने आपको जनेऊधारी हिन्दू कहने वाले    
राहुल  S/O राजीव गांधी
राजीव S/O फिरोज गांधी
फिरोज S/O जाहागीर खान
जहाँगीर S/Oजब्बार खान
जब्बार  S/O मोहम्मदनाशिर.खान
अब बताओ कौन से गोत्र के ब्राह्मण हुए ???
धर्म बदला....
जाती बदली....
बदल दिया है गौत्र....
दादा दबे ज़मीन में....
पंडित हो गए पौत्र....

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