
आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
सवर्ण आरक्षण पर बीएसपी प्रमुख मायावती ने कहा, उनकी पार्टी आरक्षण पर संविधान संशोधन बिल का समर्थन करेगी। साथ ही उन्होंने कहा, ये मोदी सरकार का छलावा है। सरकार ने पहले ये फैसला क्यों नहीं लिया। मायावती ने कहा, बीएसपी चीफ ने एएनआई से कहा, लोकसभा चुनाव से पहले लिया गया ये फैसला हमें सही नीयत से लिया गया फैसला नहीं लगता है। चुनावी स्टंट लगता है। राजनीतिक छलावा लगता है। अच्छा होता अगर बीजेपी अपना कार्यकाल खत्म होने से ठीक पहले नहीं बल्कि और पहले ले लेती।
केंद्रीय कैबिनेट ने आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्णो को सरकारी नौकरियों और शैक्षिक संस्थानों में 10% आरक्षण देने को जनवरी 7 को मंजूरी दे दी। सूत्रों ने बताया कि कैबिनेट ने ईसाइयों व मुस्लिमों सहित 'अनारक्षित श्रेणी' के लोगों को नौकरियों व शिक्षा में 10% आरक्षण देने का फैसला लिया। इसका फायदा 8 लाख रुपए वार्षिक आय सीमा और करीब 5 एकड़ भूमि की जोत वाले गरीब सवर्णो को मिलेगा।
BSP chief Mayawati to ANI: Lok Sabha chunaav se pehle liya gaya ye faisla humein sahi niyat se liya gaya faisla nahi lagta hai, chunavi stunt lagta hai, rajnitik chalaava lagta hai, acha hota agar BJP apna karyakaal khatam hone se thik pehle nahi balki aur pehle le leti.
कांग्रेस ने आरक्षण की मंजूरी देने के पीछे के इरादे पर सवाल उठाया और जानना चाहा कि नौकरियां कहां हैं। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि इस फैसले के पीछे का इरादा जनता का वास्तव में कल्याण करने के बदले राजनीति ज्यादा है।
नेता समाज समझता है की जनता पागल और मुर्ख है। लेकिन सवर्ण इतना मुर्ख नहीं, जितना समझा जा रहा है। मतदान में NOTA का प्रयोग पहले से अधिक होगा, क्योकि केवल10% आरक्षण देकर जिस आग को बुझाने का प्रयास किया गया है, वह और अधिक भड़केगी। देखिए आयकर की क्या सीमा है, और 8 लाख वार्षिक आय वालों को आरक्षण? है ना कितना हास्यप्रद? अभी सम्पन्न हुए राज्यों में मिली हार से सरकार इतनी विचलित हो गयी है की उचित अथवा अनुचित का चिंतन करने का भी समय नहीं।
लोकसभा चुनावों से पहले सरकार का बड़ा दांव, गरीब सवर्णों को 10% आरक्षण देने का प्रस्ताव
लोकसभा चुनाव में अब 100 दिन से भी कम बचे हैं। ऐसे में केंद्र सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है। कैबिनेट ने सामान्य श्रेणी में आर्थिक रूप से पिछड़ों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण को मंजूरी दे दी है। सामान्य श्रेणी में आर्थिक रूप से पिछड़ों के लिए कोटा मौजूदा 50 प्रतिशत आरक्षण से ऊपर और अधिक होगा। सरकार आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए कोटा पर संविधान संशोधन विधेयक कल संसद में ला सकती है। ऐसे में आरक्षण का कोटा 50% से बढ़कर 60% हो सकता है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार 50% से अधिक आरक्षण नहीं किया जा सकता। अभी तक 22.5% अनुसूचित जाति (दलित) और अनुसूचित जनजाति (आदिवासी) के छात्रों के लिए आरक्षित हैं (अनुसूचित जातियों के लिए 15%, अनुसूचित जनजातियों के लिए 7.5%), ओबीसी के लिए अतिरिक्त 27% आरक्षण को शामिल करके आरक्षण का यह प्रतिशत 49.5% है।
अवलोकन करें:--
मोदी सरकार का यह फैसला 2019 के लोकसभा चुनावों में उसके लिए गेमचेंजर साबित हो सकता है। मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनावों में मिली भाजपा की हार की एक वजह एससी-एसटी एक्ट के खिलाफ सवर्णों की नाराजगी भी बताई जा रही है। समझा जाता है कि सरकार आरक्षण का मरहम लगा गरीब सवर्णों को अपने पाले में करने का दांव खेला है। भाजपा सांसद एवं दलित नेता उदित राज ने गरीब सवर्णों को आरक्षण देने के सरकार के फैसले का स्वागत किया है।
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