मायावती सरकार में हुये छात्रवृत्ति घोटाले की जांच पूरी, प्रिंसिपल समेत 154 पर केस

EOW lodged FIR in etawah scholarship scam
अभी जनता ने भ्रष्टाचार की जाँच करने पर जो हंगामा कोलकत्ता में देखा, शायद ऐसा ही हंगामा उत्तर प्रदेश में भी दिखने की सम्भावना है। वास्तव में गैर-भाजपाइयों को मोदी-योगी से सबसे समस्या उनसे पूर्व हुए घोटालों को उजागर कर जनता के समक्ष उनकी जनविरोधी कामों को प्रस्तुत किया जा रहा है। 
जनता समझती थी कि सपा, बसपा, या कांग्रेस या अन्य दल जनहित में कितने काम कर रही थी और मोदी-योगी कुछ नहीं कर रहे। सोंचने एवं समझने की बात यह है कि इन लोगों ने योजनाएँ तो बनाई, लेकिन उन योजनाओं के लिए निर्धारित धन योजनाओं को किर्याविन्त करने के बहाने कहीं और जा रहा था।  
इटावा में वर्ष 2009 में बसपा शासनकाल में हुए छात्रवृत्ति घोटाले की जांच पूरी होने के बाद आईओडब्ल्यू आर्थिक अपराध शाखा ने 154 लोगों के खिलाफ संगीन धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है। इनमें तत्कालीन समाज कल्याण अधिकारी इन्द्रा सिंह और बीएसए समेत 14 सहायक बीएसए और स्कूल प्रबंधकों को नामजद किया गया है। ईओडब्ल्यू की इस कार्यवाही से शिक्षा विभाग और शिक्षा माफियाओ में हडकंप मच गया है। वर्ष 2009 में निजी मान्यता प्राप्त स्कूलों ने छात्रों को मिलने वाले 14 करोड़ 61 लाख रुपये के वजीफे का गबन किया था।
प्रबंधक, प्रिंसिपल समेत 20 अधिकारी जांच में दोषी
वर्तमान बीएसए अजय कुमार सिंह ने बताया कि वर्ष 2009 में 116 विद्यालयों में वजीफे के गबन की जांच बैठी थी, जिनमें 86 विद्यालय जांच में दोषी पाए गए और 64 विद्यालयों के प्रबंधक, प्रिंसिपल समेत 20 अधिकारी जांच में दोषी पाए जाने पर मुकदमे में नामजद किये गए हैं। इनके खिलाफ आईओडब्ल्यू ने आर्थिक अपराध शाखा में कई धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है।खुलेआम चल रहा था खेल 
EOW lodged FIR in etawah scholarship scamघर के एक कमरे में मान्यता प्राप्त स्कूल चला रहे स्कूल के प्रबंधक रविन्द्र सिंह तोमर ने बताया कि उस समय तत्कालीन समाज कल्याण अधिकारी और बीएसए खुलेआम स्कूल प्रबंधकों से सांठगांठ कर वजीफे की बंदरबांट करवा रहे थे।
अभिभावकों ने कहा- सख्त कार्रवाई होनी चाहिए 

बच्चों के अभिभावकों ने बताया कि इस तरीके से बच्चों के वजीफे पर डाका डालने वाले अधिकारियों और स्कूल प्रबंधकों के खिलाफ सरकार को कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए । इस तरीके से उनके बच्चो को भी कई वर्षों से वजीफा नहीं मिला है। बता दें, जब मान्यता प्राप्त निजी विद्यालयों का रियल्टी चेक किया तो कोई स्कूल तो केवल कागजों में दर्ज मिला तो कोई खंडहर हो चुके भवनों में तब्दील मिला।

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