घिरता जा रहा पाकिस्तान, 200 दिनों में नहीं की कार्रवाई तो 'ब्लैक लिस्ट' में डाल देगा FATF

FATF Pakistan
आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार 
भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा पाकिस्तान को अनेकों अवसर दिए जाने पर भी नवाज़ शरीफ से लेकर वर्तमान प्रधानमंत्री इमरान खान ने पाकिस्तान में पल रहे आतंकवाद को समाप्त करने की कोई कार्यवाही न किए जाने पर मोदी ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आतंकवाद के मुद्दे को उछाल कर दुनियां को सोंचने के मजबूर कर दिया। आज उसी का परिणाम है कि पाकिस्तान अपने ही खेत की पतवार में जलने को मजबूर हो गया है। पाकिस्तान को छोड़, समस्त विश्व मोदी के दिमाग को पढ़ रहा है। मोदी की हर कार्यशैली पर मन्थन कर रहा है। परन्तु पाकिस्तान के आका इस मुगालते में बैठे रहे कि पिछली सरकारों की भाँति वर्तमान मोदी सरकार भी बस जनता का बहराने के लिए बस दो-चार दिन बोल कर चुप हो जाएंगे। 
कारगिल युद्ध के बाद तत्कालीन अटल बिहारी सरकार द्वारा लगाए प्रतिबन्धों का इतना प्रभाव पाकिस्तान पर नहीं पड़ा था, जितना की आज। बल्कि दूसरे अर्थों में कहा जाए कि विश्व की निगाहों में ही गिर गया है। क्योकि पाकिस्तान में चुनाव प्रक्रिया तो मात्र एक छलावा है, सरकार कोई भी पार्टी बनाए, लेकिन चलना उसे केवल फौज के इशारे पर ही है। स्कूलों में भारत के विरुद्ध पढ़ाना, भारत के विरुद्ध शुरू से ही बच्चों के खून में भारत के विरुद्ध जहर घोलना, जो व्यस्क होना तो दूर, उससे पूर्व ही भारत को बड़ी कटुताई से देखते हैं। 
भारत से मैच हारने पर खिलाडियों पर हमले किये जाते हैं, बेचारे भयभीत होकर सुरक्षा के घेरे में अपने परिवार तक पहुँच पाते हैं। जबकि भारत में पाकिस्तान से कोई भी मैच हारने पर किसी खिलाडी के साथ दुर्व्यवहार नहीं किया जाता। पाकिस्तान में ही ऐसा क्यों होता है, कारण स्पष्ट है। सरकार का फौज के इशारे पर काम करना। वहां क जनता ने भी आज तक किसी नेता से यह पूछने का साहस नहीं किया, कि वोट देती जनता है, और काम सेना के इशारे पर क्यों करते हो? विश्व में इतना अपमानित होने पर भी अगर पाकिस्तान के नेता और पार्टियाँ सचेत नहीं हुई, फिर शायद दुनियां की कोई ताकत उन्हें समझा नहीं सकती। आतंकवादी सरगनाओं को तुरन्त जेलों में डाल, उनके ठिकानो को नेस्ताबूत किए जाएँ।     
पुलवामा आतंकवादी हमले के बाद भारत के साथ-साथ अतंरराष्ट्रीय संस्थाएं पाकिस्तान पर दबाव बना रही हैं। भारत ने फाइनेंशियल एक्शन टॉस्क फोर्स (एफएटीएफ) से पाकिस्तान को 'काली सूची' में डालने की पहल की थी लेकिन इस संस्था ने इमरान खान की सरकार को आतंकवादी फंडिंग के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए अक्टूबर तक का समय दिया है। एफएटीएफ ने कहा है कि पाकिस्तान यदि आतंकियों की वित्तीय मदद रोकने के लिए समुचित एवं पर्याप्त कदम नहीं उठाता है तो उसे 'काली सूची' में डाल दिया जाएगा। इस तरह पाकिस्तान को एफएटीएफ से सात महीने करीब 200 दिनों का समय मिल गया है। पाकिस्तान पहले से ही इस संस्था की 'ग्रे सूची' में मौजूद है।
पाकिस्तान को 'ग्रे सूची' में रखने का फैसला पेरिस में सप्ताह भर चली बैठक के बाद शुक्रवार को लिया गया। पुलवामा में आतंकवादी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान को 'काली सूची' में रखने के लिए मजबूती के साथ अपना रक्ष रखा था। भारत की दलील थी कि आतंकियों की फंडिंग पर रोक लगाने के लिए पाकिस्तान कोई कदम नहीं उठा रहा।
एफएटीएफ ने आतंकी फंडिंग पर रोक लगाने के लिए पाकिस्तान को अक्टूबर तक के लिए समय मिल गया है। एफएटीएफ ने स्पष्ट कर दिया है कि पाकिस्तान ने यदि अक्टूबर तक आतंकी फंडिंग रोकने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाए तो उसे 'कालू सूची' में डाल दिया जाएगा। पहले से ही आर्थिक बदहाली का सामना कर रहे पाकिस्तान के लिए यह बड़ा झटका है।
'काली सूची' में डाल दिए जाने पर पाकिस्तान को आर्थिक मोर्चे पर और कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा। विदेशी कारोबारियों और बैंकों को पाकिस्तान में कारोबार करना मुश्किल हो जाएगा। इसका पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था और व्यापार पर बुरा असर पड़ेगा। ईरान और उत्तर कोरिया पहले से ही एफएटीएफ की काली सूची में हैं। साल 1989 में गठित एफएटीएफ एक अंतर-सरकारी वैश्विक संस्था है जो टेरर फंडिंग एवं आतंकवादी गतिविधियों में मनी लॉन्ड्रिंग के खिलाफ काम करती है। 

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