शारदा चिटफंड घोटाले पर केन्द्र की मोदी और पश्चिम बंगाल की ममता सरकार आमने-सामने आ गई हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर जांच कर रही सीबीआई की टीम रविवार शाम कोलकाता पुलिस आयुक्त राजीव कुमार के लाउडन स्ट्रीट स्थित आधिकारिक निवास पर तलाश व पूछताछ के लिए पहुंचने के बाद मामला नाटकीय ढ़ंग से गरमा गया। सीबीआई टीम को डिटेन कर थाने ले जाया गया। बाद में कोलकाता पुलिस ने सीबीआई के कोलकाता स्थित दोनों दफ्तरों को घेर लिया। ममता सीबीआई के जरिए केंद्र पर तानाशाही का आरोप लगा रही हैं वहीं केंद्र घोटाले के पीछे सत्तारूढ़ टीएमसी को मुख्य आरोपी मान रही है। ये पूरा मामला रोज वैली और सारदा चिटफंट घोटाले का है। आइए जानते हैं पूरा मामला :
करीब 20 हजार करोड़ के हैं दोनों घोटाले
इस विवाद की पृष्ठभूमि में दो बड़े घोटाले हैं। पहला है सारदा स्कैम जिसमें करीब 2500 करोड़ रुपए के हेरफेर का आरोप है। वहीं, दूसरा घोटाला रोज वैली स्कैम का है। इसमें करीब 17,000 करोड़ रुपए से ज्यादा के गबन का आरोप है। जांच से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक, दोनों ही मामलों में आरोपियों के कथित तौर पर सत्ताधारी टीएमसी से लिंक पाए गए हैं। इन दोनों ही चिटफंड घोटालों की जांच सीबीआई कर रही है। इस मामले में बीती 11 जनवरी को सीबीआई ने पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम की पत्नी नलिनी चिदंबरम के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया।
कैसे हुआ घोटाला
बताया जाता है कि इन चिटफंड कंपनियों ने निवेशकों को आकर्षक ब्याज का लालच दिया। मैच्योरिटी के बाद जब जमाकर्ता अपना रिटर्न लेने पहुंचे तो कंपनियों ने पैसे देने से मना कर दिया। आखिरकार इन कंपनियों ने अपनी दुकानों और दफ्तरों को बंद कर दिया। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 2014 में इन मामलों को जांच के लिए सीबीआई को सौंप दिया था।
जानिए शारदा चिटफंड और रोज वैली घोटाले के बारें में…
शारदा चिटफंड घोटाला पश्चिम बंगाल का एक बड़ा आर्थिक घोटाला है। इसमें कई बड़े नेताओं के नाम जुड़े हैं। साल 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को आदेश दिए थे कि इस मामले की जांच करे। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल, ओडिशा और असम पुलिस जांच में सहयोग करने का आदेश दिया था।
रोज वैली घोटाला
शारदा चिटफंड की तरह ही रोज वैली घोटाले पर भी काफी वक्त से हड़कंप मचा हुआ है। इसमें कई बड़े नेताओं का नाम भी शामिल होने की बात सामने आ चुकी है। दरअसल, रोज वैली चिटफंड घोटाले में रोज वैली ग्रुप ने लोगों 2 अलग-अलग स्कीम का लालच दिया और करीब 1 लाख निवेशकों को करोड़ों का चूना लगा दिया था। इसमें आशीर्वाद और होलिडे मेंबरशिप स्कीम के नाम पर ग्रुप ने लोगों को ज्यादा रिटर्न देने का वादा किया। ग्रुप एमडी शिवमय दत्ता इस घोटाले के मास्टरमाइंड बताए जाते हैं। जिसके बाद लोगों ने भी इनकी बातों में आकर इसमें निवेश कर दिया।
इस सन्दर्भ में अवलोकन करें:--
तीन स्कीमों में उलझे निवेशक
जांच रिपोर्ट के मुताबिक, सारदा ग्रुप की चार कंपनियों का इस्तेमाल तीन स्कीमों के जरिए पैसा इधर-उधर करने में किया गया। ये तीन स्कीम थीं- फिक्स्ड डिपॉजिट, रिकरिंग डिपॉजिट और मंथली इनकम डिपॉजिट। इन स्कीम के जरिए भोले भाले जमाकर्ताओं को लुभाने की कोशिश हुई और उनसे वादा किया गया कि बदले में जो इनसेंटिव मिलेगा वो प्रॉपर्टी या फॉरेन टूर के रूप में होगा। रिपोर्ट के मुताबिक, 2008 से 2012 की ग्रुप की समरी रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि ग्रुप की चार कंपनियों ने अपनी पॉलिसियां जारी करके 2459 करोड़ रुपये को ठिकाने लगा
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