आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
भ्रष्टाचार विरोधी जन आंदोलन के मुखिया और ज्येष्ठ समाजसेवी अन्ना हजारे एनसीपी पर बिफर पड़े हैं। शरद पवार की पार्टी एनसीपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता नवाब मलिक के बयान से नाखुश अन्ना हजारे ने मलिक के ख़िलाफ़ कानूनी कारवाई की बात कही है।
नवाब मलिक ने अन्ना हजारे पर लगाए गंभीर आरोप
अन्ना हजारे ने लोकपाल और लोकायुक्त कानून के पालन की मांग को लेकर जनवरी 30 से अपने गृहनगर रालेगणसिद्धि में अनशन शुरू किया है। अण्णा के इस आन्दोलन से जुड़ी बातों को लेकर जी मीडिया समूह के मराठी न्यूज चैनल, ‘जी24 तास’ के डिबेट शो रोखठोक में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी अर्थात एनसीपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता नवाब मलिक ने आरोप लगाया कि अन्ना हजारे पैसे के लिए आंदोलन चलाते हैं।
2003 में छोड़ना पड़ा था श्रम मंत्री का पद
उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा था कि इससे पहले के आंदोलन में उन्हीं से अन्ना हजारे ने वकील की फीस के बहाने पैसे उगाही की कोशिश की थी। मलिक ने अपने बयान के समर्थन में जरूरी सबूत होने का दावा भी किया। बता दें कि 2003 में नवाब मालिक को कांग्रेस-एनसीपी सरकार से बतौर श्रम मंत्री के पद से तब हटना पड़ा था जब अन्ना हजारे ने उन पर पद के दुरुपयोग का आरोप लगाया था।
आधे रास्ते से लौटे एनसीपी नेता
शो के दौरान समाजसेवी विश्वम्भर चौधरी ने और अण्णा के सहयोगी दिलीप अवारी ने मलिक के आरोप को सिरे से ख़ारिज कर दिया। लेकिन, इस बात से आहत हुए अण्णा का गुस्सा जनवरी 31 को फूट पड़ा। अण्णा ने उनसे मिलने आ रहे एनसीपी के महाराष्ट्र अध्यक्ष जयंत पाटिल और विधान परिषद में नेता विपक्ष धनंजय मुंडे को आधे रास्ते से लौटा दिया। दोनों नेता अण्णा के इलाके में ही आयोजित पार्टी की परिवर्तन रैली को संबोधित करने के बाद रालेगण निकले थे कि उन्हें आधे रास्ते से ही वापस लौटना पड़ा। उधर, रालेगण में गुस्साए अन्ना हजारे ने संवाददाताओं से बातचीत में ऐलान किया की, वे नवाब मलिक की बयानबाज़ी ख़िलाफ़ मानहानि का मुक़दमा दायर करेंगे। उन्होंने खुद पर लगे आरोप ख़ारिज करते हुए कहा की, उनका दामन बेदाग है। जनवरी 31को अन्ना हजारे के अनशन आंदोलन का दूसरा दिन था।
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अन्ना आप भी गांधीवादी हो और प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी भी गांधीवाद की ही विरासत पर सत्तानशीं हैं, फिर झगडा किस बात का दोनों गांधीवादी एक साथ मिल जुल कर मामले को हल कर लेते लेकिन आपके आन्दोलन के पीछे जिन ताकतों का हाथ है। उन ताकतों की तरफ या तो आप देख नहीं रहे हैं या देख कर भी अनदेखी कर रहे हैं।
अन्ना जी भ्रष्टाचार तो सिर्फ बहाना है, एन.जी.ओ का मतलब ही भ्रष्टाचार है…
अन्ना ईमानदार एवं निष्ठावान गांधीवादी?
आज अमेरिका दिवालियेपन की ओर बढ़ रहा है, फ्रांस ऋण ग्रस्त हो रहा है, भारत पूंजीवादी विकास के पथ पर एक शक्तिशाली आर्थिक ताकत के रूप में उभर रहा है। साम्राज्यवादी शक्तियां उस पूंजीवादी आर्थिक विकास को रोकने के लिये हर तरह के हथकंडे अपना रही हैं जिसका एक औजार आप भी बन गए हैं। साम्राज्यवादियों के आका अमेरिका को अब लोकतंत्र याद आने लगा है।
भारतीय दौरे पर आए अमेरिकी सीनेटर जॉन मैक्केन ने ट्वीट करते हुए लिखा था कि भारत में इस समय हर ओर भ्रष्टाचार के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं। देश के लोकतंत्र के लिए यह चिंता की बात है। उन्होंने कहा कि देश में लोकतंत्र के लिए यह शुभ संकेत नहीं है। उन्होंने कहा कि उनके होटल के सामने हजारों लोग भ्रष्टाचार के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं। अन्ना हजारे की गिरफ्तारी पर अमेरिका की तरफ से यह बयान आया था कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है और वहां किसी को अनशन करने की इजाजत मिलने में रुकावट नहीं आनी चाहिए।
क्या अमेरिका बताएगा कि किसको अनशन करने की इजाजत होगी किसको नहीं?
क्या अब अमेरिका बताएगा कि किसको अनशन करने की इजाजत होगी किसको नहीं। ईराक से लेकर अफगानिस्तान तक लोकतंत्र का ठेका अमेरिका ने ले रखा है और इन देशों की दशा और दुर्दशा किसी से छिपी नहीं है। लीबिया में नाटो सेनाएं लोकतंत्र के लिये बम्बार्ड कर रही हैं। अधिकांश एशियाई व अफ्रीकी देश अमेरिकन साम्राज्यवादियों के प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से गुलाम हैं। आप अनशन अवश्य करिए सिर्फ 21 दिन का नहीं 121 दिन का कर दीजिये, तो भी इस देश की मेहनतकश जनता का आपको समर्थन नहीं मिलने वाला है और न समर्थन। सिर्फ हिन्दुत्ववादी शक्तियों का आपको समर्थन प्राप्त है जो बेनकाब हो चुकी हैं और आप का लोकपाल बिल भारतीय संविधान की मूल भावना के विपरीत है। आपकी ज़िद है, ज़िद का राजनीति में कोई स्थान नहीं है अगर अमेरिकन इशारे पर यह तय होने लगेगा कि लोकतंत्र है या नहीं तो देश नहीं चलेगा। भारत अमेरिकन साम्राज्यवाद से टक्कर लेने में असमर्थ नहीं है न इस देश की जनता। लेकिन जब बात देश की आन, बान और मर्यादा की होगी तो भारत पीछे भी नहीं रहेगा।
अमेरिका को अच्छी तरह से समझ लेना चाहिए कि यदि उसने अपने एजेंटों के माध्यम से देश में गड़बड़ी करने की कोशिश की तो दुनिया के नक़्शे पर अमेरिकन साम्राज्यवाद का नामोनिशान भी मिटने में देरी नहीं होगी। यदि अन्ना को वर्तमान गांधी के नाम से सम्बोधित किया जाता है, तो यह सबसे बड़ी भूल होगी। एक आरटीआई को अपवाद को छोड़ उनका कौन सा आंदोलन सफल हुआ ?जनता से बाबा रामदेव आन्दोलन से जनता में प्रज्जवलित हो रही घोटालों एवं विदेशों में जमा काले धन ज्वाला से ध्यान परिवर्तित करने में कांग्रेस के हाथ एक कठपुतली बन एनजीओज की पीठ पर बैठ सुरमा भोपाली बनने का नाटक किया। अन्ना जी अगर साहस है तो एनजीओज को मिल रही विदेशी सहायता के विरुद्ध अनशन करो। क्योंकि एनजीओज ही भ्रष्टाचार की जननी है।
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