अलगाववादियों की गिरफ्तारी पर महबूबा मुफ्ती : इंसान को कैद कर सकते हो उसके विचार नहीं

Mehbooba Mufti
आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार 
पाकिस्तान द्वारा इतने वर्षों से खेली जा रही खून की होली से जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती का पाकिस्तानी प्रेम कम होने का नाम नहीं ले रहा। ज्ञात हो विश्वनाथ प्रताप सिंह के प्रधानमंत्री काल में केन्द्रीय गृहमंत्री रहे महबूबा के पिता मुफ़्ती मोहम्मद सईद के कार्यकाल में आतंकवादियों पर छुड़ाने के लिए इनकी बहन रुबैया का अगवा काण्ड उन दिनों बहुत चर्चित रहा था। छद्दम देशप्रेमी नेता कंधार याद रखते हैं, लेकिन रुबैया अगवा काण्ड नहीं। आखिर वह क्या कारण है कि जब दुनिया पाकिस्तान पर नकेल डाल रही है, लेकिन इनका पाकिस्तान प्रेम कम होने का नाम नहीं ले रहा? क्या इनकी निगाह में पाकिस्तान भक्ति भारतमाता की भक्ति से ज्यादा है? मुंबई हमले के कितने सबूत दिए थे, क्या कार्यवाही की पाकिस्तान ने? कितने वर्षों से उनका पाकिस्तान भारत की धरती को लहू-लुहान कर रहा है, कभी पाकिस्तान का विरोध क्यों नहीं किया? दूसरे हुर्रियत और अलगाववादियों को किसके इशारे पर इतनी सुरक्षा प्रदान की गयी थी? क्या कभी इस पर विचार किया? आखिर किसके इशारे पर टैक्स-पेयर्स(tax-payers) के पैसे को बर्बाद किया गया?  
जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने अलगाववादियों पर की जा रही कार्रवाई पर सवाल उठाए हैं। फरवरी 22 की रात जेकेएलएफ (JKLF) प्रमुख यासीन मलिक को हिरासत में ले लिया गया। इसी पर महबूबा का कहना है कि किस आधार पर गिरफ्तारियां की जा रही हैं। उन्होंने कहा, 'किसी व्यक्ति को कैद किया जा सकता है, लेकिन उसके विचारों को नहीं।'
महबूबा मुफ्ती ने ट्वीट किया, 'पिछले 24 घंटों में हुर्रियत नेताओं और जमात संगठन के कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया है। ऐसी मनमानी चाल को समझना मुश्किल है। किस कानूनी आधार के तहत उनकी गिरफ्तारी जायज है? आप किसी व्यक्ति को कैद कर सकते हैं, लेकिन उसके विचारों को नहीं।' 
In the past 24 hours, Hurriyat leaders & workers of Jamaat organisation have been arrested. Fail to understand such an arbitrary move which will only precipitate matters in J&K. Under what legal grounds are their arrests justified? You can imprison a person but not his ideas.
पिछले हफ्ते जम्मू और कश्मीर प्रशासन ने पांच अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा वापस लेने का फैसला किया था। अधिकारियों ने कहा, 'इन पांच नेताओं और अन्य अलगाववादियों को किसी भी तरह का सुरक्षा कवर नहीं दिया जाएगा।' मीरवाइज उमर फारूक, शब्बीर शाह, हाशिम कुरैशी, बिलाल लोन और अब्दुल गनी भट ये पांच अलगाववादी नेता हैं जिनकी सुरक्षा वापस ले ली गई है। हालांकि, पाकिस्तान समर्थक अलगाववादी सैयद अली शाह गिलानी का नाम सूची में नहीं है।
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