अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटिन मजिस्ट्रेट समर विशाल ने इस मामले को अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अरुण भारद्वाज की अदालत के पास भेज दिया क्योंकि भारतीय दंड संहिता की धारा 306 (खुदकुशी के लिए उकसाने) के तहत अपराध के मुकदमे की सुनवाई सत्र न्यायाधीश द्वारा ही की जाती है।
अदालत ने दिल्ली पुलिस को यह भी निर्देश दिया कि वह मामले में सतर्कता रिपोर्ट को संरक्षित रखे। इस अपराध के तहत अधिकतम 10 वर्ष की सजा का प्रावधान है।
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पूर्व केंद्रीय मंत्री और सुनंदा पुष्कर के पति थरूर पर दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 498-ए और 306 के तहत आरोप तय किये गए लेकिन मामले में उन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया है। पुष्कर 17 जनवरी 2014 को शहर में एक लग्जरी होटल के सुइट में मृत मिली थीं। थरूर का आधिकारिक बंगले की मरम्मत का काम चल रहा था जिसकी वजह से दंपति होटल में रह रहे थे।
अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन कोर्ट ने इस केस को सत्र न्यायालय के पास भेज दिया है। कोर्ट ने भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी की वह अर्जी भी खारिज कर दी है जिसमें उन्होंने इस मामले में कोर्ट का सहयोग करने की बात कही थी। कोर्ट इस मामले की अगली सुनवाई 21 फरवरी से करेगा।
कोर्ट के इस आदेश पर प्रतिक्रिया देते हुए स्वामी ने कहा कि पटियाला कोर्ट ने इस केस में दिल्ली पुलिस की जांच रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की है लेकिन कोर्ट ने इस रिपोर्ट को आगे की जरूरत बताकर उसे रखने के लिए कहा है जो कि महत्वपूर्ण है।
The Patiala Court today decline to make public DELHI Police Vigilance Report in the Sunanda Case. But significantly the court directed the Delhi Police to keep it safe for a future need. Good enough for me
स्वामी ने आरोप लगाया था कि दिल्ली पुलिस ने इस मामले को रफा-दफा करने के लिए कांग्रेस की तत्कालीन अध्यक्ष सोनिया गांधी से पैसे लिए। ध्यान देने वाली बात यह है कि सुनंदा पुष्कर की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में 'हाथापाई के दौरान आए चोट के निशान' का उल्लेख किया गया लेकिन इस मामले में दिल्ली पुलिस ने कोई केस दर्ज नहीं किया। सुनंदा पुष्कर मौत मामले के चार साल बीत जाने के बाद भी दिल्ली पुलिस न तो चार्जशीट दाखिल कर पाई है और न ही किसी को गिरफ्तार किया है।
अक्टूबर 2017 में कोर्ट की और से फटकार लगने के बाद दिल्ली पुलिस ने लीला पैलेस होटल के कमरा नंबर 345 को खोलने की इजाजत दी। दिल्ली पुलिस ने कोर्ट को बताया था कि मामले की जांच के लिए उसे कमरे को सील रखने की जरूरत है लेकिन कोर्ट ने अपने आदेश में साफ कहा कि पुलिस सुनंदा की मौत का कारण सुनिश्चित नहीं कर पा रही, केवल इस आधार पर होटल के कमरे को बंद नहीं रखा जा सकता।
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