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जीवित पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन को दे दी श्रद्धांजलि

                                      शरद पवार और शशि थरूर ने सुमित्रा महाजन को दे डाली श्रद्धांजलि!
कांग्रेस नेता शशि थरूर ने पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन को श्रद्धांजलि दे दी! शशि थरूर ने ट्विटर पर लिखा, “पूर्व लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन के गुजर जाने से मैं बेहद दुःखी हूँ। मैं उनके साथ अपनी कई सकारात्मक बातचीत को याद करता हूँ। एक बार उन्होंने और दिवंगत केंद्रीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने मुझे BRICS की बैठक के लिए मॉस्को जाने वाली संसदीय समिति का नेतृत्व करने को कहा था।”

दरअसल, ‘न्यूज़ 18’ ने मध्य प्रदेश के इंदौर से लगातार 30 वर्षों तक सांसद रहीं सुमित्रा महाजन के निधन की खबर चलाई थी। चैनल ने गुरुवार (अप्रैल 22, 2021) को रात 11:19 बजे ये खबर चलाई, जिसे बाद में डिलीट कर लिया गया। अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में केंद्रीय मंत्री रहीं सुमित्रा महाजन को NCP सुप्रीमो शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले ने भी ‘भावपूर्ण श्रद्धांजलि’ देते हुए इसे राजनीतिक और सामाजिक क्षति करार दिया।

वहीं महाराष्ट्र के सुपर CM कहे जाने वाले शरद राव पवार ने भी ट्विटर पर लिख डाला कि उन्हें ‘सुमित्रा महाजन के निधन’ का दुःख है और परिजनों को शक्ति मिले, ऐसी वो कामना करते हैं। पत्रकार रुबिका लियाकत ने भी लिखा, “सुमित्रा महाजन नहीं रहीं! ॐ शांति।” इसी तरह सोशल मीडिया पर कई लोगों ने उन्हें श्रद्धांजलि दे दी। हालाँकि, अधिकतर ने बाद में अपने ट्वीट्स डिलीट कर लिए। अब आपको बताते हैं कि सच्चाई क्या है।

मध्य प्रदेश में भाजपा के नेता कैलाश विजयवर्गीय ने बताया है कि ‘ताई’ एकदम स्वस्थ हैं और साथ ही उनकी लंबी उम्र की भी कामना की है। इसके बाद थरूर ने अपने ट्वीट डिलीट करते हुए विजयवर्गीय को धन्यवाद दिया और लिखा, “मुझे समझ नहीं आता कि किस चीज से दुष्प्रेरित होकर लोग इस तरह की बुरी ख़बरें फैलाते हैं। मैं सुमित्रा जी के लंबे जीवन और अच्छे स्वास्थ्य के लिए कामना करता हूँ।”

थरूर ने लिखा कि उन्होंने एक स्रोत को विश्वसनीय समझते हुए उस पर भरोसा किया था, लेकिन अब वो ये जान कर खुश हैं कि सुमित्रा महाजन ज़िंदा हैं। उन्होंने लिखा कि वो अपनी बात को वापस लेते हुए भी खुश हैं। सुमित्रा महाजन के परिजनों ने भी किसी अफवाह पर विश्वास न करने की सलाह देते हुए कहा कि वो एकदम स्वस्थ हैं। उनके छोटे बेटे मंदार महाजन ने वीडियो जारी कर के बताया कि उनकी माँ की कोरोना रिपोर्ट भी नेगेटिव आई है।

वहीं खुद पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने भी इन ख़बरों पर प्रतिक्रिया देते हुए पूछा कि आखिर न्यूज़ चैनल्स बिना इंदौर प्रशासन से पुष्टि किए हुए इस तरह की खबर कैसे चला सकते हैं? उन्होंने बताया कि उनकी भतीजी ने शशि थरूर के दावे का जवाब दिया है, लेकिन साथ ही पूछा कि इस तरह से सार्वजनिक रूप से घोषणा करने की कौन सी हड़बड़ी थी? बता दें कि उन्हें बस हल्का बुखार आया था, जिसके बाद उन्होंने कोविड टेस्ट कराया था।

महिला, उठा हुआ नितंब और अधनंगा मर्द: मोदी सरकार पर शशि थरूर का मीम

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने सोशल मीडिया पर एक महिला की आपत्तिजनक अवस्था में तस्वीर शेयर कर के मोदी सरकार पर निशाना साधने का प्रयास किया है। केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम से लगातार तीसरी बार सांसद चुने गए थरूर की इस हरकत से लोग नाराज़ दिखें और उन्हें विश्वास ही नहीं हो रहा था कि कभी ये व्यक्ति संयुक्त राष्ट्र महासचिव बनने की दौर में शामिल हुआ करता था। ऐसी गन्दी सोंच वाला अगर संयुक्त राष्ट्र का महासचिव बन गया होता, विश्व में भारत का नाम डूबना निश्चित था। 

उक्त तस्वीर में एक महिला लाल गद्दे पर पेट के बल हल्के लेटी हुई है। उसके नितंब आपत्तिजनक अवस्था में ऊपर उठे हुए हैं और वो पीछे की तरफ देख रही है। पीछे एक व्यक्ति अधनंगे अवस्था में खड़ा है। साथ ही तस्वीर में कैप्शन लिखा हुआ है – “ये कौन सा पोजीशन है?” शशि थरूर ने तस्वीर के साथ लिखा कि जब भाजपा सत्ता में हो तो हर दिन ‘राष्ट्रीय योग दिवस’ है। इस तरह उन्होंने योग का भी मजाक बनाया।

कई ट्विटर यूजरों ने शशि थरूर की इस हरकत पर उनकी क्लास लगाई। एक व्यक्ति ने लिखा कि वो दिन पर दिन अंदर से बुरे होते जा रहे हैं। वहीं एक अन्य यूजर ने ‘3 इडियट्स’ फिल्म का ‘अश्लील है ये लौंडा’ वाला दृश्य शेयर किया। एक यूजर ने पूछा कि क्या एक महिला की तस्वीर इस पोज में शेयर करना ही कॉन्ग्रेस का महिला सशक्तिकरण है? एक यूजर ने लिखा कि ये उनकी अगली पुस्तक की थीम हो सकती है – ‘ठरक: नाम है थरूर’।

ग्रेटा थनबर्ग ने जिस खालिस्तानी टूलकिट को गलती से लीक कर दिया था, उसमें भी लिखा था कि भारत की ‘योग और चाय’ वाली छवि को नुकसान पहुँचाना है। ‘पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन’ व अन्य खालिस्तानी संगठनों ने इस टूलकिट को तैयार किया था। पीएम मोदी ने असम की रैली में इस बात को उठाया भी था, जहाँ चायपत्ती की खेती होती है। भारत के प्रयासों से ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 21 जून योग दिवस घोषित हुआ था।

जिस ब्रिटिश सांसद को भारत में नहीं मिली थी एंट्री, उसे पाकिस्तान ने दिए 30 लाख रुपए

डेबी अब्राहम्स, पाकिस्तान
भारत ने जब ब्रिटिश सांसद डेबी अब्राहम्स को वीजा नहीं दिया था तो लिबरलों ने जम कर हंगामा मचाया था। अब डेबी अब्राहम्स के पाकिस्तान से लिंक सामने आए हैं। उन्हें भारत-विरोधी गतिविधियों में संलिप्त होने के कारण वीजा नहीं दिया गया था। अब जब पाकिस्तान से उनका खुल कर जुड़ाव सामने आ गया है, लिबरल चुप हैं। उनके संसदीय समूह को पाकिस्तान ने 30 लाख रुपए (33,000 पाउंड्स) दिए हैं।
कंगाल पाकिस्तान के पास इतना धन कहाँ से आया?
ज्वलंत प्रश्न यह होता है कि दुनियां में अपनी कंगाली का रोना रोने वाले पाकिस्तान के पास भारत विरोधी अभियान के लिए इतना धन कहाँ से आया या फिर किसने दिया? या फिर अपनी कंगाली का रोना रोकर समूचे विश्व को पागल बना आतंकवाद और भारत विरोधियों को धन मोहिया कराने के लिए एकत्र कर रहा है?
डेबी अब्राहम्स को जब रोका गया था तो प्रोपेगेंडाबाज पत्रकार राणा अयूब ने कहा था कि जम्मू कश्मीर पर मंथन करने वाले संससदीय समूह की अध्यक्ष डेबी अब्राहम्स को अधिकारियों ने रोक दिया और उन्हें इंदिरा गाँधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट से बाहर एंट्री नहीं दी गई। साथ ही उन्होंने मोदी सरकार को तुच्छ और बदले की भावना वाली सरकार करार दिया था। कई अन्य लिबरलों ने भी उनके लिए आँसू बहाए थे।
पत्रकार शेखर गुप्ता ने कहा था कि अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त किए जाने की आलोचना करने वाली ब्रिटिश सांसद को भारत में एंट्री नहीं दी गई और कहा गया कि वो कैंसल्ड वीजा पर यहाँ आई हैं। आकार पटेल ने तो इसके लिए भारत को ‘बनाना रिपब्लिक’ और हिन्दू राष्ट्र तक बताया था। साथ ही उन्होंने दावा किया था कि प्रधानमंत्री मोदी इसकी आँच को महसूस कर रहे हैं और ये अच्छा है।



इस संसदीय समूह का दावा है कि वो कश्मीर के लिए न्याय की जुगाड़ में लगा है और साथ ही वो कश्मीरियों के अधिकारों की रक्षा की दिशा में प्रयास करने का भी दावा करता है। पाकिस्तान ने न सिर्फ इस समूह को पूरे POK में घुमाया बल्कि 30 लाख पाकिस्तानी रुपए भी दिए। इस संसदीय समूह में पाकिस्तानी मूल के सांसद तो हैं ही, अधिकतर ऐसे हैं, जो पाकिस्तान से सहानुभूति रखते हैं। साथ ही ये समूह अपने एजेंडे के लिए ब्रिटिश संसद के समर्थन के लिए भी प्रयास करता है।
डेबी अब्राहम्स जब भारत आई थीं तो उन्हें दुबई डिपोर्ट कर दिया गया था। फिर वो पाकिस्तान गईं और POK में उन्होंने कहा कि वो कश्मीरियों को उनका अधिकार दिलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। साथ ही उन्होंने करतारपुर साहिब को जल्द से जल्द खोले जाने की भी आशा जताई थी। बता दें कि पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिदनेर सिंह पहले ही कह चुके हैं कि करतारपुर साहिब यात्रा आईएसआई की एक साजिश हो सकती है।
उन्हें वापस भेजे जाने के फैसले को लेकर कांग्रेस के दो नेताओं में दो फाड़ देखने को मिला था। एक ओर जहाँ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने महिला सांसद के साथ हो रहे ‘इस तरह के बर्ताव’ पर सवाल उठाए थे तो वहीं पार्टी के दिग्गज नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने सरकार के इस फैसले का समर्थन करते हुए डेबी अब्राहम्स को पाकिस्तान का प्रॉक्सी (पक्षधर) बताया था। अब ये बात दुनिया के सामने खुल कर आ गई है। 
शशि थरूर, अभिषेक मनु सिंघवी
वो गोरी सांसद, जिस पर ‘भिड़’ गए दो वरिष्ठ  कांग्रेसी नेता
फरवरी महीने में ब्रिटिश सांसद डेबी अब्राहम्स को दिल्ली हवाई अड्डे से वापस भेजने के सरकार के फैसले के बाद विपक्ष के दो नेताओं में दो फाड़ देखने को मिला था। एक ओर जहाँ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने महिला सांसद के साथ हो रहे इस तरह के बर्ताव पर सवाल उठाए। तो वहीं पार्टी के दिग्गज नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने आज सरकार के इस फैसले का समर्थन करते हुए डेबी को पाकिस्तान का प्रॉक्सी (पक्षधर) बताया। साथ ही अपने ट्वीट में स्पष्ट कहा कि डेबी अब्राहम्स को पाकिस्तान और आईएसआई से संबंध रखने के लिए जाना जाता है।

कांग्रेस के दिग्गज नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने सरकार के फैसले को समर्थन दिया। उन्होंने लिखा, “भारत द्वारा डेबी अब्राहम का वापस भेजा जाना वास्तव में आवश्यक था क्योंकि वह केवल सांसद नहीं हैं बल्कि पाक की प्रॉक्सी भी हैं। उन्हें पाकिस्तान सरकार और आईएसआई के साथ संबंध रखने के लिए जाना जाता है। भारत की संप्रभुता पर हमला करने की कोशिश करने वाले हर प्रयास को नाकाम किया जाना चाहिए।”
इससे पहले शशि थरूर सरकार के इस फैसले पर आपत्ति जता चुके थे। उन्होंने सरकार का फैसला आने के बाद डेबी अब्राहम्स का ट्वीट रीट्वीट करते हुए सवाल किया था, “यदि कश्मीर में सब कुछ ठीक है तो क्या सरकार को आलोचकों को इस स्थिति का गवाह बनने के लिए प्रोत्साहित नहीं करना चाहिए ताकि वे अपने डर को दूर कर सकें? केवल राजदूतों के प्रतिनिधिमंडलों को घुमाने की बजाए क्या इस विषय पर संसदीय समूह की मुखिया को भेजा जाना फायदेमंद नहीं होता?”
कांग्रेस नेता शशि थरूर ने सरकार के इस फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया और कहा कि उन्हें लगता है यह दुर्भाग्यपूर्ण है। ऐसे लोगों को भारत में प्रवेश न देने से हमें एक संकीर्ण दिमाग और असहिष्णु वाला देश समझा जाएगा, जो हमारे देश के लिए सही नहीं है, हमारे देश में विविधता है। हमारे पास बाहर से आने वाले लोगों के नकारात्मक दृष्टिकोण को सहन करने की क्षमता है।

इस ट्वीट के बाद जब लोग उन पर सवाल उठाने लगे तो उन्होंने इसे अपने लिए ये सब अनेपक्षित बताया। उन्होंने लिखा “मेरे लिए यह अनेपक्षित है क्योंकि यही लोग मुझको सराह रहे थे, जब मैं बतौर भारतीय सांसद ब्रिटेन गया था और ब्रिटिशों को उनके औपनिवेशिक दुर्व्यवहार से अवगत कराया था। आज ये लोग मुझ पर निशाना साध रहे हैं क्योंकि मैं चाहता हूँ कि एक ब्रिटिश सांसद को उसी तरह से सम्मान दिया जाए।”
अब्राहम्स कश्मीर पर एक संसदीय समूह की अध्यक्षता करती हैं। जिन्हें भारत में प्रवेश की इजाजत न देते हुए नई दिल्ली हवाई अड्डे से बाहर नहीं आने दिया गया। इस पर सरकार ने कहा था उन्हें पहले ही सूचित कर दिया गया था कि उनका वीजा रद्द कर दिया गया है। वहीं सांसद का कहना था कि उनके पास अक्तूबर 2020 तक के लिए वैध ई-वीजा है। लेकिन गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा था कि उन्हें वीजा रद्द होने की जानकारी दी गई थी इसके बावजूद उन्होंने भारत आने का फैसला लिया।


डेबी अब्राहम ने भारत सरकार के फैसले के बाद आरोप लगाया कि उनके पास अक्टूबर 2020 तक का वीज़ा है, लेकिन कश्मीर में मानवाधिकार मामलों पर भारतीय सरकार की आलोचना करने के कारण एवं राजनीतिक टिप्पणियों की वजह से उनकी एंट्री पर रोक लगा दी गई।

मोदी सरकार को बदनाम करने के लिए थरूर ने रिट्वीट किया पुराना वीडियो

कोरोना संकट काल में मोदी सरकार को बदनाम करने के लिए कांग्रेस तमाम कोशिशें कर रही हैं। लॉकडाउन के दौरान घर लौट रहे मजदूरों पर सरकार को घेरने के लिए कांग्रेस की एक नेता अर्चना डालमिया ने एक फर्जी वीडियो शेयर किया। वीडियो में एक महिला मजदूर बेहोश है और उसके दो बच्चे सिर पर पानी डाल रहे हैं। अर्चना डालमिया ने इस वीडियो को ट्वीट करते हुए लिखा ‘क्या जिंदगी इतनी सस्ती हो गई है। मैं दुनिया की हर मां से अपील करती हूं कि इस दृश्य को देखे। ये किसी फिल्म का नहीं है। #MigrantCrisis सड़कों में भटक रही है। बीजेपी क्या आप की पार्टी भी जाग नहीं सकती?


अर्चना के इस वीडियो के ट्वीट करते ही कांग्रेस के बड़े नेता इसे रिट्वीट करने लगे। राहुल गांधी के करीबी कांग्रेस नेता शशि थरूर ने भी इस वीडियो को रिट्वीट किया। आपको जानकर हैरानी होगी कि कांग्रेस ने जिस वीडियो को ट्वीट किया वह दो साल पुराना है।


दो साल पहले इसे मेजर सिंह संधू ने इसे फेसबुक पर भी शेयर किया था।
वीडियो के बारे में पचा चलने के बाद लोगों ने कांग्रेसी नेताओं की क्लास लगानी शुरू कर दी। जिसके बाद अर्चना ने इस ट्वीट को डिलीट कर दिया।

संदीप दीक्षित ने गाँधी परिवार को दी चुनौती, थरूर ने किया समर्थन

संदीप दीक्षित, सोनिया गाँधी और शशि थरूर
आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार 
लगता है गाँधी परिवार की उल्टी गिनती शुरू हो गयी है। अध्यक्ष सीताराम केसरी को उठाकर बाहर फेंक कर सोनिया गाँधी को अध्यक्ष बनाना बहुत भारी पड़ रहा है। दूसरे, भूतपूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव के पार्थिव शरीर को पार्टी ऑफिस तक में रखने की बजाए ऑफिस के गेट बंद करना भी कांग्रेस को भारी पड़ गया। तभी से पार्टी का ग्राफ निरन्तर गिर रहा है। 
दिल्ली चुनावों में करारी शिकस्त के बाद कांग्रेस नेताओं में सिर फुटौव्वल जारी है। लेकिन, पहली बार किसी ने खुलकर शीर्ष नेतृत्व यानी गॉंधी परिवार को चुनौती दी है। ये नेता हैं पूर्व सांसद संदीप दीक्षित। वे दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के बेटे हैं। शीला दीक्षित को कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गॉंधी अक्सर अपनी बड़ी बहन बताती थीं। यहॉं तक कि पिछले साल शीला के निधन के बाद सोनिया ने कहा था कि वे उनके लिए नेता से ज्यादा एक दोस्त थीं।
संदीप के बगावती सुर का कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने भी समर्थन किया है। थरूर के अनुसार, संदीप दीक्षित ने वही कहा है जो देश भर में मौजूद पार्टी के नेता निजी बातचीत में कहते हैं। उन्होंने, संदीप दीक्षित के साक्षात्कार को शेयर करते हुए ट्वीट लिखा, “संदीप दीक्षित ने जो कहा है वह देश भर में पार्टी के दर्जनों नेता निजी तौर पर कह रहे हैं। इनमें से कई नेता पार्टी में जिम्मेदार पदों पर बैठे हैं।” उन्होंने लिखा, “मैं सीडब्ल्यूसी से फिर आग्रह करता हूँ कि कार्यकर्ताओं में ऊर्जा का संचार करने और मतदाताओं को प्रेरित करने के लिए नेतृत्व का चुनाव कराए।”

संदीप दीक्षित ने अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस को दिए साक्षात्कार में पार्टी अध्यक्ष न चुने जाने को लेकर अपना बयान दिया था। उन्होंने कहा कि इतने महीनों के बाद भी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नया अध्यक्ष नहीं नियुक्त कर सके हैं। इसका कारण यह है कि वह सब यह सोच कर डरते हैं कि बिल्ली के गले में घंटी कौन बाँधे।
पूर्व सांसद दीक्षित ने कहा कि कांग्रेस के पास नेताओं की कमी नहीं है। अब भी कांग्रेस में कम से कम 6-8 नेता हैं, जो अध्यक्ष बन कर पार्टी का नेतृत्व कर सकते हैं। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि कभी-कभार आप निष्क्रियता चाहते हैं, क्योंकि आप नहीं चाहते हैं कि कुछ हो।
साल 2017 में सोनिया गाँधी ने पार्टी अध्यक्ष की कुर्सी बेटे राहुल गॉंधी के लिए खाली कर दी थी। लेकिन, 2019 के लोकसभा चुनावों में करारी पराजय के बाद राहुल ने इस्तीफा दे दिया था। शुरुआत में उनकी काफी मान-मनौव्वल की गई थी। लेकिन, इस्तीफा वापस लेने को जब वे तैयार नहीं हुए तो काफी फजीहत के बाद पार्टी ने सोनिया को अंतरिम अध्यक्ष चुन लिया था। अब ऐसी चर्चा चल रही है कि दोबारा राहुल कि इस पद पर ताजपोशी की जा सकती है।
इस मसले पर साक्षात्कार में संदीप दीक्षित ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को भी निशाने पर लिया। उन्होंने कहा, “मुझे वास्तव में अपने वरिष्ठ नेताओं से बहुत निराशा हुई है। उन्हें निश्चित तौर पर सामने आना चाहिए। उनमें से ज्यादातर राज्यसभा में हैं, पूर्व में मुख्यमंत्री रह चुके हैं और वर्तमान में मुख्यमंत्री हैं, वे बहुत वरिष्ठ हैं। मुझे लगता है कि उन्हें सामने आकर पार्टी के लिए कड़े फैसले लेने का वक्त आ गया है।”
संदीप दीक्षित ने अमरिंदर सिंह, अशोक गहलोत, कमलनाथ का नाम लेते हुए कहा कि ये सभी साथ क्यों नहीं आते, बाकी लोगों को भी साथ क्यों नहीं लाते? उनके मुताबिक, “एके एंटनी, पी चिदंबरम, सलमान खुर्शीद, अहमद पटेल… इन सभी ने कांग्रेस के लिए महान काम किया है। ये अब अपने राजनीतिक करियर के ढलान पर हैं। लेकिन उनके (अमरिंदर सिंह, गहलोत, कमलनाथ) के पास शायद और 4-5 साल हैं। मुझे लगता है कि अब समय आ गया है कि वे बौद्धिक योगदान दें… वे केंद्र में, राज्यों में या अन्य जगहों पर लीडरशिप की चयन प्रक्रिया में जा सकते हैं।”

CAA : तुम कंट्रोवर्सी चाहते हो : सद्गुरु ने India Today के राहुल कँवल को लगाई लताड़

सद्गुरु, राहुल कँवल
                                                     फोटो साभार: इंडिया टुडे
आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार 
सद्गुरु जग्गी वासुदेव ने जब से नागरिकता संशोधन क़ानून (CAA) को लेकर लोगों का भ्रम दूर करने की कोशिश की है तब से पूरा वामपंथी इकोसिस्टम उनके पीछे पड़ा हुआ है। जग्गी वासुदेव ने जितने सरल तरीके से लोगों को सीएए के बारे में बताया, उनका वीडियो सोशल मीडिया पर चहुँओर वायरल हो गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी यह वीडियो शेयर किया। इसके बाद से ही वामपंथी सद्गुरु से नाराज़ हैं। वामपंथियों ने ‘अब एक साधु बताएगा कि सीएए क्या है’ जैसी बातें कर उनके योगदान को नीचा दिखाना चाहा। उन पर लगातार हमले किए गए।
अब सद्गुरु ने टीवी कैमरा के सामने आकर पत्रकारों को लताड़ लगाई है। राहुल कँवल को दिए गए इंटरव्यू में सद्गुरु ने पूरे प्रोपेगंडा को ध्वस्त करते हुए मीडिया को भी सबक सिखाया। सद्गुरु ने सीएए के बारे में समझाते हुए कहा कि ये क़ानून उनके लिए है जो दिसंबर 2014 तक प्रताड़ना से तंग आकर भारत आ गए है, इसमें नए लोगों को नहीं बुलाया जा रहा है। सद्गुरु ने समझाया कि इससे जनसंख्या पर भी कोई असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि जो दिसंबर 2014 के बाद आए या फिर आगे आएँगे, उन्हें तो सीएए के तहत नागरिकता नहीं मिल रही है।
सद्गुरु ने राहुल कँवल से पूछा कि क्या आपने सीएए पढ़ा है? कँवल ने हाँ में जवाब दिया तो सद्गुरु ने सवाल दागा कि क्या ये किसी एक भी भारतीय नागरिक के ख़िलाफ़ है? सद्गुरु का सवाल सुनते ही कँवल बगले झाँकने लगे और उन्होंने कुछ-कुछ बोलना शुरू कर दिया लेकिन जवाब नहीं दिया। सद्गुरु ने कहा कि कँवल सीएए को ग़लत तरीके से देख रहे हैं। सद्गुरु ने ‘इंडिया टुडे’ के पत्रकार राहुल कँवल से कहा:
“मुझे एक ही बात पता चल रही है और वो ये कि तुम अभी सिर्फ़ अपने कैमरे के सामने कंट्रोवर्सी चाहते हो। ऐसा मत करो। ये हमारे देश का सवाल है। ये सिर्फ़ ‘माइनॉरिटी प्रॉसिक्यूशन’ नहीं बल्कि ‘रिलीजियस माइनॉरिटी प्रॉसिक्यूशन’ के लिए है। ये समझने की आवश्यकता है कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफ़ग़ानिस्तान इस्लामिक मुल्क़ हैं, वो आधिकारिक रूप से सेक्युलर देश नहीं हैं।”

सद्गुरु ने समझाया कि उन सभी लोगों को, जिन्हें धर्म का आधार पर प्रताड़ित किया है और जो भारत में शरण लेकर रह रहे हैं, उन्हें नागरिकता मिल रही है। कँवल बार-बार सवाल पूछते रहे कि भारत सभी को क्यों नहीं बुला रहा, मुस्लिमों को क्यों नहीं बुला रहा? अंत में सद्गुरु ने सवाल किया कि क्या हमारे देश में लोगों की कमी है या जनसंख्या कम है? उन्होंने कहा कि भारत में किसी भी बाहरी व्यक्ति की ज़रूरत नहीं है, चाहे वो कसी भी धर्म का हो। ऐसा इसीलिए, क्योंकि हमारी जनसंख्या पहले से ही काफ़ी ज़्यादा है।
सद्गुरु ने राहुल कँवल से स्पष्ट कहा कि वे कंट्रोवर्सी चाहते हैं और कंट्रोवर्सी पैदा भी करते हैं। सद्गुरु ने कहा कि इसके उलट वे ईमानदारी से अपनी बात रख रहे हैं। उन्होंने दोहराया कि सीएए से किसी भी भारतीय नागरिक पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। सद्गुरु ने एक उदाहरण दिया। मीडिया न्यूज़ एंकर सीएए के विरोध में बच्चों के साथ प्रदर्शन कर रही महिलाओं से पूछते हैं कि वो क्यों धरने पर बैठी हुई हैं तो महिलाएँ कहती हैं कि भारत सरकार उनकी नागरिकता ले रही है, इसलिए।
सद्गुरु की नाराज़गी इस बात से थी कि मीडिया वाले उन प्रदर्शनकारियों को समझा क्यों नहीं रहे कि उनकी नागरिकता कोई नहीं ले रहा और ये सब झूठ फैलाया जा रहा है। उन्होंने राहुल कँवल से पूछा कि तुम मीडिया वाले ऐसा क्यों कर रहे हो?
Image result for कपिल सिब्बल-शशि थरूरImage result for कपिल सिब्बल-शशि थरूरसिंघवी और सिब्बल के बाद अब थरूर ने भी कहा, CAA का विरोध करना सिर्फ राजनीति
जबकि नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और एनआरसी (NRC) के खिलाफ जारी विरोध प्रदर्शन में हो रहे हिन्दू धर्म पर प्रहार और अलगाववादी नारों की नजाकत को कांग्रेस में कुछ वरिष्ठ नेताओं ने गंभीरता से संज्ञान लेना शुरू कर दिया है। इस बीच कांग्रेस नेता शशि थरूर बड़ा बयान दिया है। कांग्रेस सांसद और पूर्व मंत्री शशि थरूर ने कहा है कि राज्यों का सीएए के खिलाफ लाए जा रहे प्रस्ताव का मकसद राजनीति करना है। पीटीआई को दिए इंटरव्यू में थरूर ने कहा कि कोई भी राज्य इसे लागू करने से इनकार नहीं सकते हैं। क्योंकि नागरिकता देने में राज्यों की कोई भूमिका नहीं होती है। इसलिए कानून के खिलाफ लाए जा रहे प्रस्ताव राजनीति के अलावा कुछ नहीं हैं। आपको बता दें कि कांग्रेस नेता और मशहूर वकील कपिल सिब्बल ने भी कहा था कि राज्य सरकार CAA को लागू करने से इनकार नहीं कर सकते हैं। अभी हाल ही में पंजाब सरकार ने इस कानून के खिलाफ विधानसभा में प्रस्ताव पास किया है। जबकि केरल विधानसभा भी इसे पास कर चुकी है।
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा कि 'सीएए के खिलाफ प्रस्ताव पारित करना एक 'राजनीतिक कदम' है क्योंकि नागरिकता देने में राज्यों की बमुश्किल कोई भूमिका है।' आपको बता दें कि इससे पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय कपिल सिब्बल (Kapil Sibal) भी सीएए को लेकर ऐसा ही बयान दिया था। कपिल सिब्बव ने कहा था कि संसद से पारित हो चुके नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को लागू करने से कोई राज्य किसी भी तरह से इनकार नहीं कर सकता और ऐसा करना असंवैधानिक होगा। सिब्बल ने ट्वीट कर कहा था, "मेरा मानना है कि सीएए असंवैधानिक है। प्रत्येक राज्य विधानसभा के पास इस कानून को वापस लेने की मांग करने वाला प्रस्ताव पारित करने का संवैधानिक अधिकार है। लेकिन अगर कभी उच्चतम न्यायालय ने इसे संवैधानिक करार दिया तो इसका विरोध करने वाले राज्यों के लिये यह परेशानी का सबब बनेगा।" उन्होंने सीएए के खिलाफ जंग जारी रहने की भी जरूरत पर बल देते हुए कहा कि यह लड़ाई हर हाल में जारी रहनी चाहिए। 
अभिषेक सिंघवी ने प्रदर्शनों में अलगाववादी नारों पर कड़ा विरोध किया है। उन्होंने कहा था कि CAA के विरोध में अलगाववादी नारे लगाना देशहित में नहीं।  
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कहते हैं 'देर आये दुरुस्त आये', कांग्रेस पर चरितार्थ हो रही है, जो कांग्रेस चहुँ ओर जनता खासकर मुस्लिमों को नागरिकता...
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आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार India Today अपने चैनल पर खूब अपने आपको नंबर 1 चैनल होने को प्रचारित करता है, लेकिन नंबर 1 के अनु.....
सिब्बल के दिए गए बयान से गैरभाजपा शासित राज्यों केरल, राजस्थान, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र के लिए असहज स्थिति उत्पन्न कर दी थी। ये राज्य सीएए और एनआरसी पर केन्द्र सरकार के रुख से असहमति जताते हुए इसे लागू करने का विरोध कर रहे है।

शशि थरूर ने केजरीवाल की तुलना नपुंसक से क्यों की?

शशि थरूर, केजरीवालदिल्ली में 8 फरवरी को मतदान होने वाला है। इसको लेकर सियासी माहौल गर्माया हुआ है। इस बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (AAP) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल पर तीखे हमले करते हुए कहा कि वो ‘बगैर जिम्मेदारी का सत्ता’ (power without responsibility) चाहते हैं।
हकीकत तो यही है कि अरविन्द केजरीवाल शायद पहले ऐसे मुख्यमंत्री हैं, जिनके पास एक भी मंत्रालय नहीं। जो बिना किसी मंत्रालय के अपना काम चला रहे हैं। और इनके आदेशों को उपमुख्यमंत्री और अन्य मंत्रियों को मानना होता है। 
उन्होंने यह बात एक इंटरव्यू के दौरान कही। उनसे जब दिल्ली चुनाव और नागरिकता संशोधन कानून (CAA) पर अरविंद केजरीवाल के रवैये को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने अरविंद केजरीवाल पर संशोधित नागरिकता अधिनियम के खिलाफ मजबूत रुख नहीं अपनाने का आरोप लगाया और कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री कानून के समर्थक और विरोधियों दोनों को अपने पक्ष में करना चाहते थे। 
थरूर ने कहा कि केजरीवाल शायद नागरिकता संशोधन कानून के समर्थक और विरोधी दोनों लोगों को अपनी तरफ चाहते हैं, इसलिए उन्होंने इस पर कोई कड़ा रुख नहीं अपनाया। वो दोनों लोगों को अपनी तरफ करके वोट पाना चाहते हैं। आगे थरूर ने कहा कि केजरीवाल ने CAA और NRC को हटाने वाले बयान दिए हैं लेकिन उन्होंने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है।

उन्होंने केजरीवाल पर तीखे हमले करते हुए कहा, “केजरीवाल ने अपने राज्य में हुई हिंसा के पीड़ितों के साथ वो सहानुभूति भी नहीं दिखाई, जो कि लोग एक मुख्यमंत्री से अपेक्षा रखते हैं। अगर किसी राज्य में छात्रों के साथ इस तरह की हिंसा होती तो मुख्यमंत्री जरूर उनसे मिलने जाते और सहानुभूति जताते। असल में केजरीवाल ‘जिम्मेदारी के बिना सत्ता’ चाहते हैं, जैसा कि नपुंसक हमेशा से चाहते हैं।”

थरूर के इस बयान पर उनकी काफी फजीहत हुई। जिसके बाद उन्होंने बिना ‘जिम्मेदारी के सत्ता’ का इस्तेमाल करने के लिए माफी माँगी है। उन्होंने इसे ब्रिटिश पॉलिटिक्स का पुराना लाइन बताते हुए कहा कि हाल ही में इसका इस्तेमाल टॉम स्टॉपर्ड ने किया था। थरूर ने कहा कि इसका इस्तेमाल अनुचित था और वो अपने इस बयान को वापस लेते हैं।

आश्चर्य की बात यह है कि थरूर ने अपने ‘बगैर जिम्मेदारी की सत्ता’ के लिए तो माफी माँगी लेकिन नपुंसक शब्द के लिए माफी नहीं माँगी। लोग कयास यह लगा रहे हैं कि शायद ‘बगैर जिम्मेदारी की सत्ता’ पर थरूर ने इसलिए माफी माँग ली होगी, क्योंकि कांग्रेस नेता राहुल गाँधी पर भी ‘बिना जिम्मेदारी के सत्ता का सुख भोगने’ का आरोप लगाया जाता रहा है। अब कांग्रेस नेता से नपुंसक शब्द के लिए भी माफी माँगने की माँग की जा रही है।

कांग्रेस सांसद शशि थरूर के खिलाफ कोर्ट ने जारी किया गिरफ्तारी वारंट

शशि थरूरहमेशा विवादों से घिरे रहने वाले कांग्रेस नेता शशि थरूर एक बार फिर सुर्ख़ियों में छाए हुए हैं। दरअसल, उन्होंने ‘भारत बचाओ रैली’ की एक तस्वीर अपने ट्विटर हैंडल पर शेयर की, जिसमें भारत का ग़लत नक़्शा दिख रहा था। थरूर का यह पोस्ट सात घंटे तक रहा, लेकिन उसके बाद उन्होंने अपना यह ट्वीट डिलीट कर दिया, लेकिन आज के सोशल मीडिया युग में यूज़र्स की पैनी नज़र से कहाँ कुछ बच ही पाता है, बस उन्हें घेर लिया गया।
एक स्थानीय अदालत ने कांग्रेस सांसद शशि थरूर के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया है। वारंट तिरुवनंतपुरम के मुख्य न्यायिक प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट की ओर से जारी किया गया है।
यह उनकी एक किताब में हिंदू महिलाओं पर कथित मानहानि के खिलाफ दायर मामले के संबंध में जारी हुआ है। थरूर के खुद को या अपने वकील के माध्यम से अदालत में पेश करने में विफल रहने के बाद यह वारंट जारी किया गया है।
आज शनिवार(दिसम्बर 21) को ही ट्विटर पर भारत के नक्शे की गलत फोटो को लेकर भी शशि थरूर सुर्खियों में आए हैं। तिरुवनंतपुरम के सांसद शशि थरूर ने एक तस्वीर पोस्ट की जिसमें भारत को सबसे उत्तरी क्षेत्र के बिना चित्रित किया गया था। सोशल मीडिया यूजर्स ने उन्हें इसके के लिए ट्रोल किया। बाद में उन्हें अपना ट्वीट डिलीट करके स्पष्टीकरण देना पड़ा।
शशि थरूर के इस पोस्ट के सोशल मीडिया पर जाते ही यूज़र्स ने उन्हें घेरना शुरू कर दिया। एक ट्विटर यूज़र ने कांग्रेस पर तंज कसते हुए लिखा कि कॉन्ग्रेस पीओके को कभी भारत का हिस्सा मानती ही नहीं है और ये बात आज एक बार फिर साबित हो गई है।
नवंबर में केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने भारत का नया नक़्शा ट्वीट किया था, जिसमें भारत की सीमाओं की सही जानकारी दी गई थी।

इससे पहले, शशि थरूर ने शुक्रवार(20 दिसंबर) को कर्नाटक के इतिहासकार रामचंद्र गुहा को हिरासत में लिए जाने की घटना पर भी भ्रामकता फैलाने की कोशिश की थी। अपने एक ट्वीट में उन्होंने लिखा था, “क्या यह पुलिसवाला अपने मुक्के से रामचंद्र गुहा को मारने की धमकी दे रहा है?” लेकिन, उन्होंने इस वीडियो को शेयर करने से पहले यह जानने की कोशिश नहीं की कि क्या रामचंद्र गुहा को सच में किसी पुलिसकर्मी ने मुक्का दिखाया था! इससे उनकी यह मंशा साफ़ दिखती है कि वो फर्ज़ी ख़बर के प्रचार-प्रसार का काम कितनी मुस्तैदी के साथ करते हैं, फिर भले ही सच्चाई से उसका कोई लेना-देना न हो।
भारत का ग़लत नक़्शा पोस्ट करने वाले शशि थरूर पहले शख़्स नहीं हैं, इससे पहले बॉलीवुड अभिनेता फ़रहान अख़्तर ने भी भारत का ग़लत नक़्शा पोस्ट किया था। ऐसा उन्होंने नागरिकता क़ानून का विरोध करते समय कुछ ग्राफ़िक्स का इस्तेमाल करते हुए किया था। लेकिन, जब उन्हें सही जानकारी प्राप्त हुई तो उन्होंने अपनी ग़लती के लिए माफ़ी माँग ली थी।

अपने ट्वीट में उन्होंने लिखा था, “यहाँ आपको जानने की ज़रूरत है कि ये प्रदर्शन क्यों ज़रूरी हैं। आप सभी से 19 तारीख को क्रांति मैदान, मुंबई में मिलते हैं। सिर्फ़ सोशल मीडिया पर विरोध करने का समय अब ख़त्म हो चुका है।” अपनी इसी पोस्ट के साथ उन्होंने एक नागरिकता संशोधन क़ानून और राष्ट्रीय नागरिक पंजीकरण की व्याख्या करने वाली इमेज शेयर की थी, जो कि ग़लत थी।
नागरिकता क़ानून को लेकर किए गए फ़रहान के ट्वीट की वजह से हिन्दू संगठन ने उनके ख़िलाफ़ शिक़ायत दर्ज कराई थी। इस शिक़ायत में कहा गया था, “बॉलिवुड ऐक्टर फ़रहान अख़्तर ने अपने ऑफिशल ट्विटर हैंडल से देशद्रोही ट्वीट किया, जिससे डर और अराजकता फैल गई।”

शशि थरूर ने पाकिस्तान को लगाई लताड़, किया ऐसे शब्द का प्रयोग जो डिक्शनरी में भी आसानी से नहीं मिलेगा!

शशि थरूर ने पाकिस्तान को लगाई लताड़, किया ऐसे शब्द का प्रयोग जो डिक्शनरी में भी आसानी से नहीं मिलेगा!कांग्रेस नेता शशि थरूर (Shashi Tharoor) अपने अंग्रेजी शब्दों के प्रयोग की वजह से अक्सर चर्चा में रहते हैं. कई बार उनके द्वारा प्रयोग किए गए शब्दों का डिक्शनरी में भी अर्थ खोजना मुश्किल हो जाता है. उनके द्वारा प्रयोग किए गए शब्द 'Floccinaucinihilipilification' और 'Hippopotomonstrosesquipedaliophobia' ने खूब सुर्खियां बटोरी थीं. इस बार फिर थरूर एक नया शब्द लेकर आए हैं. थरूर (Shashi Tharoor) ने हालही में सर्बिया में अंतर संसदीय संघ में एक भाषण दिया. इसका एक वीडियो भी उन्होंने ट्विटर पर शेयर किया. इस वीडियो में वह कश्मीर मामले को लेकर पाकिस्तान पर चुटकी लेते दिख रहे हैं. उन्होंने कहा कि आईपीयू पार्लियामेंट में वह पाकिस्तानी डेलीगेट के तीखे प्रकोप का जवाब देने के लिए बाध्य थे. 
तिरुवनंतपुरम के सांसद थरूर ने कहा, 'हम अपनी लड़ाई लोकतांत्रिक तरीके से लड़ेंगे हमारी अपनी लड़ाई लड़ें और हमें सीमापार के हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है. जम्मू और कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है. यह विडंबना है कि एक राज्य जो अनगिनत बार सीमा पार करके जम्मू और कश्मीर में आतंकवादी हमले करने के लिए जिम्मेदार है वो कश्मीर का चैंपियन बनने का स्वांग रच रहे हैं. लेकिन वे ऐसा नहीं है.'
उन्होंने कहा, 'इन दुर्भावनापूर्ण प्रयासों को भारत की संसद द्वारा सफल नहीं होने दिया जाएगा. हम सांसदों से बेहतर की उम्मीद करते हैं. हम सांसदो से बेहतर की उम्मीद करते हैं.' थरूर ने यह कहते हुए एक अंग्रेजी शब्द का प्रयोग किया. ये शब्द है 'vituperative'

थरूर के इस शब्द के ऊपर सोशल मीडिया पर चर्चा शुरू हो गई है. इमाम नाम के एक ट्विटर यूजर ने लिखा, 'आज का शब्द है vituperative. इसका मतलब होता है निंदापूर्ण.

आसिन बोरा नाम के यूजर ने लिखा, 'थरूर ने कितनी शानदार स्पीच दी. भारत सबसे पहले है. और आज का शब्द है vituperative. 

विशाल शर्मा नाम के यूजर ने लिखा, 'पाकिस्तान डेलीगेशन इस अंग्रेजी को सुनकर हैरत में है और उसे अनुवादक की सख्त जरूरत है.' 

क्या रोमिला थापर के लिए वामपंथी नियम-कायदे ताक पर रखना चाहते हैं?

रोमिला थापर, जेएनयू
वामपंथी मीडिया गुट ने फासिज़्म का रोना शुरू कर दिया है। उनका शायद मानना है कि लेफ्ट लिबरल प्रोफेसरों या कथित विशेषज्ञों की योग्यता पर प्रश्नचिन्ह नहीं खड़े किए जा सकते और वे जो कह दें, वही दुनिया का अंतिम सत्य होता है। खैर, आप यह जान कर चौंक जाएँगे कि वामपंथियों के इस तर्क में कोई दम नहीं है क्योंकि जेएनयू प्रशासन द्वारा सीवी माँगने का निर्णय एक रूटीन प्रक्रिया है

सिर्फ़ रोमिला थापर ही नहीं बल्कि 75 की उम्र पार कर चुके सभी एमेरिटस प्रोफेसरों से जेएनयू प्रशासन द्वारा उनकी सीवी माँगी गई है। जेएनयू ने कुल 25 प्रोफेसरों को आजीवन एमेरिटस प्रोफेसर की मान्यता दी है। अब यूनिवर्सिटी प्रशासन ने इसकी समीक्षा करने का निर्णय लिया है। अधिकतर एमेरिटस प्रोफेसरों ने पिछले 3 वर्षों में एक बार भी यूनिवर्सिटी में उपस्थिति दर्ज नहीं कराई है और न ही विश्वविद्यालय के अकादमिक कार्यों में कोई योगदान दिया है। ये रही सच्चाई:

 मीडिया में ये बात ज़ोर-शोर से चल रही है कि जेएनयू ने रोमिला थापर से सीवी माँगी है। अगर उन्होंने अपना सीवी नहीं दिखाया तो उन्हें एमेरिटस प्रोफेसर के पद से हटा दिया जाएगा। वामपंथियों ने सोशल मीडिया के माध्यम से कहा कि ये थापर का अपमान है। वहीं कुछ अन्य लोगों ने जेएनयू प्रशासन पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि जेएनयू थापर से उनकी सीवी कैसे माँग सकता है? हालाँकि, उन्होंने इसका जवाब नहीं दिया कि जेएनयू ऐसा क्यों नहीं कर सकता।

क्या रोमिला थापर जेएनयू जैसे बड़े संस्थानों के नियम-क़ायदों से ऊपर हैं? क्या रोमिला थापर किसी संस्था में उसके नियम-क़ानून का पालन किए बिना बने रहना चाहती हैं। आख़िर रोमिला थापर के पास ऐसा क्या है कि जेएनयू उनके कहे अनुसार अपना काम करे? मीडिया आउटलेट्स ने यह भी लिखा कि किसी भी एमेरिटस प्रोफेसर से सीवी नहीं माँगी जाती और जानबूझ कर ऐसा किया गया है।

इसीलिए, जेएनयू की एग्जीक्यूटिव काउंसिल ने 75 वर्ष की उम्र पार कर चुके सभी एमेरिटस प्रोफेसरों की सीवी माँगी है, ताकि उनकी समीक्षा की जा सके। यह जेएनयू के नियम-क़ानून के अंतर्गत किया जा रहा है। जेएनयू के नियम-क़ायदों के मुताबिक़ [Rule-32(g)], जब कोई एमेरिटस प्रोफेसर 75 की उम्र को पार कर जाता है तो यूनिवर्सिटी उनके स्वास्थ्य, उपस्थिति और क्रियाकलापों के आधार पर यह निर्णय लेगा कि उनको मिली मान्यता बरकरार रखी जाए या नहीं।
रोमिला थापर 87 वर्ष की हो गई हैं और 75 से ज्यादा उम्र वाले एमेरिटस प्रोफेसरों की समीक्षा होगी तो वह इस सूची में ऑटोमैटिक आ जाती हैं। फिर इतना हंगामा क्यों? क्या जेएनयू रोमिला थापर के लिए अपने नियम-क़ानून बदल ले? वामपंथियों की सोच यह है कि जेएनयू के पास दो नियम-क़ानून होने चाहिए। एक सामान्य लोगों के लिए और एक वामपंथी प्रोफेसरों के लिए।
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आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार हिन्दुओं को बदनाम करने और उनके इतिहास को तोड़-मरोड़कर पेश करने के लिए कुख्यात इतिहासका.....

जितनी भी ट्वीट्स देखी, उन सभी में गिरोह विशेष ने मोदी और जेएनयू द्वारा रोमिला थापर को परेशान करने का आरोप लगाया है। अब प्रशान्त भूषण जैसे लोगों के बारे में क्या कहा जा सकता है, जो आतंकवादी की फांसी रुकवाने आधी रात को सुप्रीम कोर्ट खुलवा दे।