लोकसभा से नागरिक संशोधन विधेयक 2016 के पारित होने के बाद से ही असम में लगातार इस बिल का विरोध छात्र संगठनों के साथ दूसरे कई अराजनैतिक दल कर रहे हैं। अब असम में सिटीजनशिप अमेंडमेंट बिल के विरोध ने हिंसक रूप लेना शुरू कर दिया है। इस कड़ी में कुछ दिन पूर्व तिनसुकिया जिला अखिल असम छत्र संगठन (आसू) और असम जातीयतावादी युवा छात्र परिषद् के कार्यकर्ताओं ने आरएसएस की एक सभा को बाधित किया और नागरिकता संशोधन विधेयक के विरोध में बीजेपी और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के नेताओं के खिलाफ नारेबाजी की. इस दौरान कला झंडा दिखाने के दौरान माहौल हिंसक हो गया।

आसू और असम जातीयतावादी युवा छात्र परिषद् के कार्यकर्ताओं ने सभा स्थल पर पहुंचकर तिनसुकिया जिला भाजपा अध्यक्ष लखेश्वर मोरान पर हमला कर दिया और दौड़ा-दौड़ाकर बुरी तरह से पीट-पीट कर लहूलुहान कर दिया। हालांकि पुलिस ने तिनसुकिया जिला भाजपा अध्यक्ष को प्रदर्शनकरियों के चंगुल से छुड़ा कर बचा लिया।
इस बीच प्रदर्शनकारियों का पुलिस के साथ भी झड़प भी हुई। केंद्रीय सुरक्षा बल के जवान और अतिरिक्त पुलिस जवानों के घटनास्थल पर पहुंचने से काफी मशक्कत के बाद हालात नियंत्रित किए जा सके।
तिनसुकिया के गुलाबचंद रविचंद्रन नाट्य मंदिर में लोक जागरण मंच के सौजन्य से आयोजित आरएसएस की एक सभा में भाग लेने आए।
कई आरएसएस के नेताओं और कार्यकर्ताओं पर भी उग्र प्रदर्शनकारियों ने हमला बोल दिया और असम में आरएसएस के कार्यक्रम नहीं करने की सख्त चेतवानी भी दे डाली।
इस बिल का फिलहाल सबसे ज्यादा विरोध ऊपरी असम के जिलों गोलाघाट, जोरहाट, सरायदेव, सिवसागर, तिनसुकिया, डिब्रूगढ़ में हो रहा हैं और अब विरोध शांतिपूर्ण न होकर ऊपरी असम के हिस्सों में उग्र रूप लेने लगा है।
असम सरकार और भाजपा के कई नेता अनौपचारिक रूप से ये तर्क देते हैं कि विरोध को दबाने की कोशिश अगर सरकार करेगी तो नागरिकता संशोधन विधेयक का विरोध असम में अधिक प्रबल और चहुमुखी हो सकता है।
औपचारिक रूप से असम भाजपा के नेता बिल के विरोध में हिंसक प्रदर्शन और विरोध के पीछे कांग्रेस की साज़िश करार दे रहे हैं।
गौरतलब है कि अगर बिल के खिलाफ में प्रदर्शनकारियों का हिंसक विरोध लगातार जारी रहा तो आने वाले समय में राज्य में कानून व्यवस्था बिगड़ सकती है और सर्बानंदा सोनोवाल नेतृत्व वाली एनडीए की सरकार के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
केंद्र सरकार ने इसी 8 जनवरी को लोकसभा से नागरिकता संशोधन विधेयक को पारित किया है और यह बिल अभी राज्य सभा से पास होना शेष है।
बिल को लेकर असम और उत्तर पूर्वी राज्यों में काफी विरोध हो रहा है। असम में इस बिल का विरोध सबसे अधिक मुखर रूप से देखा जा रहा हैं, क्योंकि माना जा रहा है कि असम में कई वर्षों से रह रहे तक़रीबन 9 लाख हिन्दू बांग्लादेशी शरणार्थियों को नागरिकता देने से असम की सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनितिक, भौगौलिक और आर्थिक समीकरण बदल सकते हैं और काश्मीर के विस्थापित हिन्दू पंडितों की तरह असमिया समाज के लोगों के लिए भयावह हालात पैदा हो सकते हैं। (एजेंसी इनपुट्स)



तिनसुकिया के गुलाबचंद रविचंद्रन नाट्य मंदिर में लोक जागरण मंच के सौजन्य से आयोजित आरएसएस की एक सभा में भाग लेने आए।
कई आरएसएस के नेताओं और कार्यकर्ताओं पर भी उग्र प्रदर्शनकारियों ने हमला बोल दिया और असम में आरएसएस के कार्यक्रम नहीं करने की सख्त चेतवानी भी दे डाली।

असम सरकार और भाजपा के कई नेता अनौपचारिक रूप से ये तर्क देते हैं कि विरोध को दबाने की कोशिश अगर सरकार करेगी तो नागरिकता संशोधन विधेयक का विरोध असम में अधिक प्रबल और चहुमुखी हो सकता है।

गौरतलब है कि अगर बिल के खिलाफ में प्रदर्शनकारियों का हिंसक विरोध लगातार जारी रहा तो आने वाले समय में राज्य में कानून व्यवस्था बिगड़ सकती है और सर्बानंदा सोनोवाल नेतृत्व वाली एनडीए की सरकार के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
केंद्र सरकार ने इसी 8 जनवरी को लोकसभा से नागरिकता संशोधन विधेयक को पारित किया है और यह बिल अभी राज्य सभा से पास होना शेष है।
बिल को लेकर असम और उत्तर पूर्वी राज्यों में काफी विरोध हो रहा है। असम में इस बिल का विरोध सबसे अधिक मुखर रूप से देखा जा रहा हैं, क्योंकि माना जा रहा है कि असम में कई वर्षों से रह रहे तक़रीबन 9 लाख हिन्दू बांग्लादेशी शरणार्थियों को नागरिकता देने से असम की सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनितिक, भौगौलिक और आर्थिक समीकरण बदल सकते हैं और काश्मीर के विस्थापित हिन्दू पंडितों की तरह असमिया समाज के लोगों के लिए भयावह हालात पैदा हो सकते हैं। (एजेंसी इनपुट्स)
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