'कटोरा लेकर भीख मांगने से अच्छा है, भारत से दोस्ती कर लो' : पूर्व विदेश मंत्री हिना रब्बानी खार

आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार 
अभी तक़रीबन महीना भर पहले पाकिस्तान की पूर्व विदेश मंत्री हिना रब्बानी खार ने प्रधानमन्त्री इमरान खान को नसीहत देते हुए कहा था कि उनके मुल्क को आर्थिक, राजनीतिक या सैन्य रूप से अमेरिका पर आश्रित देश रहने के बजाय भारत और अन्य पड़ोसी देशों के साथ संबंध मजबूत करना चाहिए। हिना ने ‘थिंक फेस्ट’ में अमेरिका - पाकिस्तान संबंधों पर कहा कि पाकिस्तान ने हमेशा ही खुद के एक पूर्ण रणनीतिक साझेदार होने की कल्पना की है, जो दूर की बात है. ‘डॉन’ में आई एक खबर के मुताबिक, पूर्व विदेश मंत्री ने कहा कि पाकिस्तान अपने दोनों हाथों में भिक्षा पात्र रख कर सम्मान नहीं हासिल कर सकता 
पाकिस्तान की प्रथम महिला विदेश मंत्री (2011-2013) रह चुकीं हिना ने कहा कि पाकिस्तान का सबसे महत्वपूर्ण संबंध अमेरिका के बजाय अफगानिस्तान, भारत, ईरान और चीन के साथ होना चाहिए। उन्होंने कहा कि अमेरिका उतनी अहमियत पाने का हकदार नहीं है जितनी पाकिस्तान में उसे दी गई है क्योंकि हमारी अर्थव्यवस्था अमेरिका के सहयोग पर निर्भर नहीं है, जैसाकि व्यापक रूप से माना जाता है 
गौरतलब है कि उनके ही कार्यकाल के दौरान अलकायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन पाकिस्तान के ऐबटाबाद में मई 2011 में एक अमेरिकी सैन्य अभियान में मारा गया था। हिना ने कहा कि पाकिस्तान को अमेरिका से ज्यादा उम्मीदें नहीं रखनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान को अवश्य ही अफगान युद्ध से बाहर निकल जाना चाहिए। 17 बरसों से चले आ रहे इस युद्ध में पाक को सर्वाधिक नुकसान उठाना पड़ा है 
पाकिस्तान की पूर्व विदेश मंत्री हीना रब्बानी खार का बड़ा बयान, 'भारत से लड़कर कश्मीर नहीं जीत सकता पाकिस्तान'
हिना का इस तरह का बयान कोई पहली बार नहीं आया है. इससे पहले भी वह कई बार भारत और पाकिस्तान के संबंधों पर बोल चुकी हैं
। उन्होंने इससे पहले कश्मीर पर पाकिस्तान को आइना दिखाते हुए कहा था कि 'पाकिस्तान भारत से लड़कर कश्मीर नहीं जीत सकता, इस मुद्दे का हल आपसी विश्‍वास का माहौल बनाकर ही किया जा सकता है 
पाक न्यूज चैनल को दिए एक इंटरव्‍यू में खार ने कहा था, 'मेरा मानना है कि पाकिस्‍तान युद्ध लड़कर कश्‍मीर को हासिल नहीं सकता है। यदि हम ऐसा नहीं कर सकते तो सिर्फ बातचीत ही विकल्प बचता है. उन्होंने कहा कि आपसी बातचीत ही ऐसा एकमात्र रास्ता है जिससे आप अपने रिश्‍तों को बेहतर बना सकते हैं और आपसी विश्‍वास बरकरार रख सकते हैं। कश्‍मीर जैसे नाजुक मसले पर बातचीत लगातार जारी रखी गई तो समाधान तक पहुंच सकते हैं। 
रब्बानी पाकिस्तान सरकार को यह सलाह नहीं दे पायी कि जब हम आवाम से वोट लेकर यहाँ तक पहुँचते हैं, फिर क्यों फौज की कठपुतली बनकर उसके इशारे पर नाचते हैं। जब तक पाकिस्तान सरकार फौज के चुंगल से बाहर नहीं आएगी, पाकिस्तान आत्मनिर्भर नहीं बन सकता। पाकिस्तानी फौज युद्ध तक में कोई कौशल दिखाने में आज तक असफल ही रही है। कश्मीर के मुद्दे पर भी असफल ही रही है। आतंकवाद को पनाह देकर, दुनियाँ में पाकिस्तान की किरकिरी करवाने वाली भी पाकिस्तानी फौज ही है। इस कटु सच्चाई को पाकिस्तान के हर नेता और राजनीतिक दलों को अच्छी तरह से समझना चाहिए। फिर भारत के विरुद्ध जिस तरह का ज़हर, सरकार द्वारा जनता के खून में दिया जाता है, यदि उसका एक प्रतिशत भी भारत में दिया जा रहा होता, यहाँ पल रहे पाकिस्तान समर्थकों ने आसमान सिर पर उठा लिया होता।  
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भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध की संभावना बन रही है। बॉर्डर पर भी गोलीबारी चल रही है। पुलवामा हमले के बाद से ही भारत मे...

दूसरे, इतिहास साक्षी है, जब-जब भारत ने पाकिस्तान से दोस्ती का हाथ बढ़ाया, भारत को मिला, कारगिल, पठानकोट, उरी और अब पुलवामा। ज़ुल्फ़िकार अली भुट्टो से लेकर पता नहीं कितने नेता भारत से हज़ार सालों तक लड़ने की बात कह चुके हैं। जो प्रमाणित करता है कि पाकिस्तान दोस्ती के काबिल ही नहीं।(इनपुट भाषा से भी) 

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