ममता ने पाकिस्तान में की गई वायुसेना की एयर स्ट्राइक के मांगे सबूत : "हमें ऑपरेशन की डिटेल चाहिए"

Mamata Banerjee
आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार 
लगता है मोदी विरोध में विरोधियों की बुद्धि इतनी भ्रष्ट हो चुकी है कि उन्हें देशहित में हो रहे काम में भी शंका नज़र आ रही है। जबकि एयर स्ट्राइक को समस्त विश्व ने टीवी पर देखा, आतंकवाद के विरुद्ध की गयी कार्यवाही की सराहना की जा रही है। उसके बावजूद बंगाल मुख्यमन्त्री द्वारा सबूत माँगना, उनकी मंशा पर शक पैदा करता है। इतना ही नहीं अब तो पाकिस्तान ने भी स्वीकार कर लिया, फिर क्यों सबूत मांगे जा रहे हैं? जरूर दाल में कुछ काला है। 
इन्हे इतनी भी शर्म नहीं कि आतंकवाद के विरुद्ध सरकार के अभी केवल दो ही कदम से-पहले सर्जिकल स्ट्राइक और अब एयर स्ट्राइक- से आतंकवाद को पालने-पोसने वाला पाकिस्तान विश्व में बेनकाब हो चूका है। आतंकवाद की लड़ाई में पाकिस्तान के सहयोगी भी पाकिस्तान के विरुद्ध बोल रहे हैं, लेकिन भारत में बंगाल की मुख्यमन्त्री ममता बनर्जी द्वारा एयर स्ट्राइक के सबूत माँगना प्रमाणित करता है कि इन जैसे नेताओं को देश नहीं अपनी कुर्सी की ज्यादा चिन्ता है। जब अमेरिका ने सद्दाम हुसैन और ओसामा बिन लादेन पर हमला किया था, वहाँ किसी भी नेता ने सरकार से कोई सबूत नहीं माँगा था। और जब अपने आपको देशहित में बताने वाले भारतीय नेता सबूत माँगे, उस स्थिति में इन नेताओं को किस श्रेणी में रखा जाए या किस नाम से सम्बोधित किया जाए। क्या ऐसे नेताओं को किसी भी सदन में भेजना चाहिए? क्या ऐसे नेता वोट के हक़दार है? यह जनता को फैंसला करना है, कि आने वाले जितने भी चुनाव हैं, उनमें वोट देने से पूर्व सुनिश्चित करें कि वोट किसे देने जा रहे हैं- उस पार्टी को जिसका मुख्य उद्देश्य जनता को भ्रमित कर अपनी कुर्सी बचा रहे हैं या वह पार्टी जो कुर्सी से देशहित को सर्वोपरि मानती है? 
दूसरे, भारत के वास्तविक इतिहास पर चर्चा के दौरान अक्सर लोगों को यह कहते सुना जाता है कि "हमें क्या पता, उस समय न हम थे और न ही शायद हमारे माता-पिता" उनको इस बात का बोध होना कि "इतिहास कभी पुनः लिखा नहीं जाता, बल्कि दोहराया जाता है।" आंखें खोलो और देखो, इतिहास दोहराया जा रहा है, यानि इन्हीं जैसे चंद चाँदी के टुकड़ों के लालची जयचन्दों-जिन्हे वर्तमान भाषा में sleeper cell के नाम से पुकारा जाता है- के ही कारण भारत मुगलों का गुलाम बना था। इन्ही जैसे जयचन्दों के कारण हमारा गौरवशाली इतिहास धूमिल किया गया।         
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने फरवरी 28 को कहा कि जवानों का जीवन चुनावी राजनीति से ज्यादा कीमती है, लेकिन देश को यह जानने का अधिकार है कि पाकिस्तान के बालाकोट में वायुसेना के हवाई हमले के बाद वास्तव में वहां क्या हुआ था।  विदेशी मीडिया की उन रिपोर्टों का हवाला देते हुए जिनमें कहा गया था कि बालाकोट में आतंकी शिविरों पर भारतीय वायु सेना के हमलों से कोई नुकसान नहीं हुआ है, ममता ने कहा, 'बलों को तथ्यों के साथ सामने आने का मौका दिया जाना चाहिए।'
ममता ने यहां राज्य सचिवालय में संवाददाताओं से कहा, 'हवाई हमलों के बाद, हमें बताया गया कि 300 मौतें हुईं, 350 मौतें हुईं। लेकिन मैंने न्यूयॉर्क टाइम्स और वॉशिंगटन पोस्ट में ऐसी खबरें पढ़ीं जिनमें कहा गया कि कोई इंसान नहीं मारा गया। एक अन्य विदेशी मीडिया रिपोर्ट में केवल एक व्यक्ति के घायल होने की बात कही गई थी।'  उन्होंने कहा, 'हमें यह जानने का अधिकार है, इस देश के लोग यह जानना चाहते हैं कि कितने मारे गए (बालाकोट में)। वास्तव में बम कहां गिराया गया था? क्या यह लक्ष्य पर गिरा था?'
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इससे पहले सरकारी अधिकारियों ने फरवरी 26 को कहा था वायुसेना ने पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के बड़े प्रशिक्षण शिविरों पर बम गिराकर उन्हें तबाह कर दिया, जिसमें 350 आंतकवादी, ‍‍उनके प्रशिक्षक और बड़े कमांडर मारे गए।





WB CM: After air strike, PM did not hold any all party meet. We want to know details of the operation. Where the bomb was dropped, how many people died. I was reading foreign media and they said that none died and some media houses said one died. We want to know the details.
भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा के बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के सबसे बड़े आतंकवादी प्रशिक्षण शिविर पर 26 फरवरी को तड़के 12 मिराज-2000 लड़ाकू विमानों का इस्तेमाल करते हुए कई आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिया था। इस कार्रवाई में बड़ी संख्या में आतंकी मारे गए थे। 1971 के युद्ध के बाद भारतीय वायुसेना ने पहली बार पाकिस्तान के भीतर ऐसी कार्रवाई को अंजाम दिया है।

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