बाबर ने जो किया उसे बदल नहीं सकते : सुप्रीम कोर्ट

अयोध्‍या विवाद: पढ़ें- SC में हिंदू पक्षकारों की वह दलीलें, जिसमें उन्‍होंने मध्‍यस्‍थता से इनकार कर दियाअयोध्या विवाद मामले में मध्यस्थता को लेकर सुप्रीम कोर्ट में आज जारी (मार्च 6 को) सुनवाई के दौरान हिंदू पक्षकार ने मध्‍यस्‍थता से इनकार कर दिया. सुप्रीम कोर्ट में हिन्दू महासभा मध्यस्थता के लिए तैयार नहीं हुई. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने हैरानी जताई और कहा कि विकल्प आज़माए बिना मध्यस्थता को खारिज क्यों किया जा रहा है? कोर्ट ने कहा कि अतीत पर हमारा नियंत्रण नहीं है, लेकिन हम बेहतर भविष्य की कोशिश जरूर कर सकते हैं. मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, जस्टिस एसए. बोबड़े, जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस डी. वाई. चन्द्रचूड़ और जस्टिस एस. अब्दुल नजीर की पांच सदस्यीय पीठ कर रही है.
जस्टिस एस.ए बोबड़े ने सुनवाई के दौरान कहा कि बाबर ने जो किया उसे बदल नहीं सकते. हमारा मकसद विवाद को सुलझाना है. इतिहास की जानकारी हमें भी है. उन्‍होंने आगे कहा कि मध्‍यस्‍थता का मतलब किसी पक्ष की हार या जीत नहीं है. ये दिल, दिमाग, भावनाओं से जुड़ा मामला है. हम मामले की गंभीरता को लेकर सचेत हैं.
जस्टिस बोबड़े ने कहा कि जब मध्यस्थता की प्रक्रिया चल रही हो तो उसमें क्या कुछ चल रहा है, यह मीडिया में नहीं जाना चाहिए. जस्टिस बोबड़े ने मध्यस्थता की विश्वसनीयता को बरकरार रखने पर जोर देते हुए कहा कि जब अयोध्या विवाद को सुलझाने के लिए मध्यस्थता चल रही हो तो इसके बारे में खबरें न लिखी जाएं और न ही दिखाई जाएं.
जस्टिस ने आगे कहा कि हम मीडिया पर प्रतिबंध नहीं लगा रहे, लेकिन मध्यस्थता का मकसद किसी भी सूरत में प्रभावित नहीं होना चाहिए. 
एक हिंदू पक्षकार ने कोर्ट में दलील दी कि मध्यस्थता के लिए आदेश जारी करने से पहले पब्लिक नोटिस जारी करने की जरूरत होती है. हिंदू पक्षकारों ने दलील दी कि अयोध्या मामला धार्मिक और आस्था से जुड़ा मामला है. यह केवल संपत्ति विवाद नहीं है. हिंदू पक्षकार के वकील ने कहा कि मध्यस्थता से कोई फायदा नहीं, कोई तैयार नहीं होगा. इस पर CJI ने कहा, अभी से यह मान लेना कि फायदा नहीं, ठीक नहीं है
अवलोकन करें:-


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आखिर हिंदुओं से इतनी नफरत क्यों करती है कांग्रेस? इस सच्चाई को जानने के लिए निम्न लेखों का अवलोकन करें :--
हिंदू पक्षकारों की तरफ से दी गई दलील...
-इस मामले में मध्‍यस्‍थता का कोई फायदा नहीं है.
-हिंदू पक्षकारों ने दलील दी कि अयोध्या मामला धार्मिक और आस्था से जुड़ा मामला है.
-यह केवल सम्पत्ति विवाद नहीं है.
-मध्यस्थता से कोई फायदा नहीं, कोई तैयार नहीं.
-एक हिंदू पक्षकार ने कोर्ट में दलील दी कि मध्यस्थता के लिए आदेश जारी करने से पहले पब्लिक नोटिस जारी करने की जरूरत होती है.
मुस्लिम पक्ष की तरफ से दी गई दलीलें...
-हम मध्यस्थता के लिए तैयार हैं.
-मध्यस्थता के लिए सबकी सहमति जरूरी नहीं है.
-सुब्रमण्यम स्वामी: कोर्ट ने इसे अपने फैसले में दर्ज किया था, वहां सुलह करने जैसा कुछ नहीं. 
-सुब्रमण्यम स्वामी: नरसिंह राव सरकार कोर्ट में वचन दे चुकी है कि कभी भी वहां मंदिर का सबूत मिला तो वो जगह हिंदुओं को दे दी जाएगी.  
-बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी की दलील- अयोध्या एक्ट से वहां की सारी ज़मीन का राष्ट्रीयकरण हो चुका है.

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