
आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
भारतीय जनता पार्टी नेता साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर दिन-प्रतिदिन उग्र हो रही है। लगातार एक के बाद एक छद्दम धर्म-निरपेक्षों पर कुठाराघात कर, उनकी नींद, चैन और रोटी खानी हराम कर रही हैं। पहले उन्होंने 26/11 मुंबई आतंकी हमले के समय एटीएस के चीफ हेमंत करकरे पर टिप्पणी की थी और अब बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि विवाद को लेकर बयान दिया है। साध्वी के इस बयान के बाद चुनाव आयोग ने तुरंत एक्शन लेते हुए उन्हें नोटिस थमा दिया और साथ ही सभी राजनीतिक पार्टियों को इस बारे में एडवाइजरी भी जारी कर दी है।
इनके उग्र तेवर देख, प्रतीत होता है कि प्रज्ञा के विरोधी नितरोज चुनाव आयोग से शिकायत करते रहेंगे। जैसे-जैसे उनकी दर्दभरी दास्तान जगजाहिर होगी, विरोधियों की भोपाल से बाहर पूरे मध्य प्रदेश और समस्त भारत में "हिन्दू आतंकवाद" और "भगवा आतंकवाद" के नाम पर इस्लामिक आतंकवाद को संरक्षण देकर मालपुए खाने के साथ तिजोरियाँ भरने वालों के पैरों के नीचे से धरती खिसकने का शंखनाद हो चूका है।
एक टीवी चैनल के कार्यक्रम में साध्वी प्रज्ञा ने कहा कि वह बाबरी मस्जिद ढांचे पर चढ़ी थीं और उसे गिराने में मदद की थी। इसके बाद भी साध्वी प्रज्ञा नहीं रुकीं। उन्होंने कहा कि अब उसी जगह पर राम मंदिर बनाया जाएगा जहां बाबरी मस्जिद मौजूद थी। टीवी चैनल कार्यक्रम में प्रज्ञा ने कहा, 'मैंने ढांचे पर चढ़कर तोड़ा था। अब वहीं राम मंदिर बनाएंगे।'
यह कटु सत्य है कि जब कोई पीड़ित अपनी व्यथा बताता अथवा बताती है, पीड़ा पहुँचाने वालों को अपने पाप और कुकर्मों के जगजाहिर होने पर बिलबिलाते हैं, और खिसयते नज़र आते हैं।
साध्वी प्रज्ञा के ऐसा करने के कुछ ही घंटे बाद चुनाव आयोग ने इस बारे में नेताओं को सख्त एडवाइजरी जारी की है। इसके अलावा मध्यप्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी वीएल कांता राव ने सभी राजनीतिक दलों को चेतावनी भरी सलाह दी है। उन्होंने कहा, 'लगातार चुनाव और आचार संहिता के नियमों का उल्लंघन व अपमानजनक भाषा का प्रयोग करने पर कड़ी कार्रवाई की जा सकती है।'
बयान देने के दौरान साध्वी प्रज्ञा ठाकुर भोपाल में थीं और एक टीवी कार्यक्रम में हिस्सा ले रही थीं। यहां साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने कहा कि निश्चित तौर पर राम मंदिर बनाया जाएगा जो कि भव्य होगा। राम मंदिर बनाने की समय सीमा पूछे जाने पर साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने कहा, 'हम मंदिर बनाएंगे। आखिर, ढांचे को ध्वस्त करने के लिए भी तो हम गए थे।' इसके बाद उन्होंने ढांचा गिराने में अपनी भूमिका का उल्लेख किया और कहा, 'मैंने ढांचे पर चढ़कर उसे तोड़ा था।'
साध्वी प्रज्ञा के पदापर्ण के बाद से चुनाव जितना उग्र होना शुरू हुआ, स्मरण करवाता है कि जब 1992 में अयोध्या काण्ड उपरान्त चुनावों के दौरान मुस्लिम क्षेत्रों में भी इसी तरह की भाषणबाज़ी होती थी, घरों में इश्तार(पम्पलेट) बंटवाए जाते थे। लेकिन यह सब केवल मुस्लिम क्षेत्रों तक सीमित थी, किसी चुनाव आयोग और भाजपा ने इसके विरुद्ध आवाज़ उठाने का साहस नहीं दिखाया। शायद यही कारण है कि जनसंघ वर्तमान भाजपा के विरुद्ध फतवे जारी किए जाते हैं। चुनाव आयोग ने कभी इन फतवों का संज्ञान नहीं लिया। फतवे भी चुनावों में एक अहम् भूमिका निभाते हैं। चुनाव आयोग को फतवा जारी करने वाले संगठनों पर भी नकेल डालनी चाहिए, क्योकि भाजपा विरोधी जो स्वयं जिस बात को कहने में संकोच करते हैं, इन संगठनों के माध्यम से करवा देते हैं, और जब कोई हिन्दू इसके विरोध में बोलता है, तुरन्त संज्ञान ले चुनाव आयोग कार्यवाही करता है, क्यों? ये एकतरफा कानून क्यों? इस गम्भीर मुद्दे पर चुनाव आयोग को चाहिए नयी सरकार के पास संसद और कानून मंत्रालय इस संगीन गुप्त मुद्दे पर भी कोई कानून बनाए जाने के लिए प्रस्ताव भेजे और प्रधानमंत्री एवं कानून मंत्री पर इस मुद्दे पर अतिगम्भीरता से चिन्ता करे।
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