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दंतेवाड़ा में बीजेपी विधायक भीमा मंडावी |
अप्रैल 9 को सूरज धीरे धीरे अस्त होने की कगार पर था। लेकिन दंतेवाड़ा के बीजेपी विधायक भीमा मंडावी और छत्तीसगढ़ पुलिस के चार जवानों की जिंदगी का सूरज पूरी तरह अस्त हो गया। बीजेपी विधायक की काफिले की रफ्तार पर नक्सलियों ने न सिर्फ ब्रेक लगा दिया बल्कि भूपेश बघेल सरकार के लिए जबरदस्त चुनौती भी पेश की है।
इस बीच एंटी-नक्सल ऑपरेशन के डीआईजी पी सुंदर राज ने कहा, 'हमें सूचना मिली कि दंतेवाड़ा में हुए आईईडी ब्लॉस्ट में तीन जवान शहीद हो गए। इस हमले में भाजपा विधायक भीमा मंडावी और वाहन के चालक की भी जान गई है। यह एक शक्तिशाली आईईडी विस्फोट था।'
'लाल आतंक' का साया
आईईडी धमाके के सामने तकनीक का आवरण (बुलेटप्रूफ गाड़ी) बौना साबित हुआ। नक्सली अपने मकसद में कामयाब हो चुके थे और पीड़ितों का परिवार गम के सागर में डूबा हुआ है। लेकिन नक्सलियों की कायराना हरकत आज से ठीक 6 साल पहले की एक घटना की याद दिलाती है जिसमें छत्तीसगढ़ कांग्रेस की टॉप यूनिट के नेताओं को अपनी जान गंवानी पड़ी थी।
#SpotVisuals: Convoy of BJP MLA Bheema Mandavi attacked by Naxals in Dantewada. The escort vehicle of Chhattisgarh State Police also came under the blast. 5 personnel of Chhattisgarh State Police are critically injured.
बीजेपी विधायक भीमा मंडावी की हत्या और 2013 में कांग्रेस नेताओं की हत्या में काफी समानता है। लाल सलाम का नारा बुलंद करने नक्सली दंतेवाड़ा के झीरम घाटी में एक ऐसी नापाक योजना को अंजाम देने में कामयाब हुए थे जो तत्कालीन बीजेपी सरकार के लिए बड़ी चुनौती की तरह था। 2019 की तरह ही 2013 में चुनावी माहौल था। कांग्रेस की टॉप लीडरशिप दंतेवाड़ा के लोगों को ये संदेश देने की कोशिश में थी कि गोली का जवाब सिर्फ गोली नहीं होती है। लेकिन नक्सलियों को शायद ये संदेश पसंद नहीं आया था।
नक्सली किसी भी कीमत पर सलवा जुडूम अभियान चलाने वाले महेंद्र कर्मा को मारने की फिराक में थे। महेंद्र कर्मा के साथ वी सी शुक्ल, तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस कमेटी के चीफ नंद कुमार पटेल समेत कांग्रेस के 25 नेता झीरम घाटी के दरभा इलाके में एक ऐसे सफर पर निकले थे जो उनके लिए अंतिम सफर साबित हुआ था।
लोकतंत्र के 'लाल दुश्मन'
कांग्रेस नेताओं के काफिले को नक्सलियों ने जबरदस्त तरीके से निशाना बनाया। नक्सलियों की योजना इतनी फूलप्रूफ थी कि शायद ही किसी को बचने का मौका मिला। नक्सलियों की बर्बर सोच का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि न केवल उन्होंने कांग्रेस के काफिले को आईईडी धमाके से उड़ा दिया,बल्कि महेंद्र कर्मा की आंखों में गोलियां दागी थी और उनकी शरीर पर डांस भी किया था।करीब लाल आतंक के 6 साल के इस सफर में न जानें कितनी वारदातों को अंजाम दिया। लेकिन दंतेवाड़ा में बीजेपी विधायक की हत्या के बाद नक्सलियों ने लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बेपटरी करने की कोशिश की है।
नक्सली हमले:
- 24 अप्रैल 2017 : सुकमा जिले में नक्सलियों के साथ मुठभेड़ में केंद्रीय रिजर्व पुलिस फोर्स (सीआरपीएफ) के 25 जवान शहीद हो गए। नक्सलियों ने सीआरपीएफ की 74 बटालियन की रोड-अपनिंग पार्टी को निशाना बनाया था। सीआरपीएफ के इस काफिले पर हमला चिंतागुफा इलाके में हुआ था। यह इलाका बस्तर के नक्सल प्रभावित क्षेत्र में आता है।
- 2 मार्च 2017: सुकमा जिले में नक्सलियों के हमले में सीआरपीएफ के 12 जवान शहीद हुए। नक्सलियों ने घात लगाकर जवानों पर हमला किया था। जवानों की हत्या करने के बाद नक्सली जवानों के हथियार भी अपने साथ ले गए। नक्सलियों ने आईईडी विस्फोट के जरिए सीआरपीएफ के 219 बटालियन के जवानों कोनिशाना बनाया था। यह स्थान राजधानी रायपुर से करीब 450 किलोमीटर दूर है। जवानों पर यह हमला भेजी गांव के पास सुकमा के घने जंगल में हुआ था।
- 11 मार्च 2014 : सुकमा जिले में नक्सलियों के हमले में कथित रूप से 15 सुरक्षाकर्मियों की जान गई।
- 28 फरवरी 2014 : नक्सलियों ने दंतेवाड़ा में पुलिसकर्मियों को निशाना बनाकर हमला किया। इस हमले में एक एसएचओ सहित छह पुलिसकर्मी शहीद हुए।
- 2 जुलाई 2013 : दुमका इलाके में नक्सलियों के हमले में झारखंड के पाकुड़ के एसपी और चार अन्य पुलिस अधिकारी शहीद हो गए।
- 25 मई 2013 : छत्तीसगढ़ में नक्सलियों का यह अब तक का सबसे भीषण हमला माना जाता है। इस हमले में कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व का सफाया हो गया। दरभा घाटी में नक्सलियों के इस हमले में पूर्व मंत्री महेंद्र कर्मा, छत्तीसगढ़ कांग्रेस अध्यक्ष नंद किशोर पटेल सहित कई वरिष्ठ नेता मारे गए।
- 18 अक्टूबर 2012 : गया जिले में नक्सलियों के हमले में सीआरपीएफ के छह जवान शहीद और एक डिप्टी कमांडेंट सहित आठ सुरक्षाकर्मी घायल हुए। नक्सलियों ने जवानों पर घात लगाकर हमला किया। इसके बाद जवानों एवं नक्सलियों के बीच मुठभेड़ हुई।
- 29 जून 2010 : नारायणपुर जिले में नक्सलियों के घात लगाकर किए गए इस हमले में सीआरपीएफ के 26 जवान शहीद हुए। इस साल नक्सलियों ने सुरक्षाबलों पर सिलसिलेवार हमले किए थे। इनमें यह सबसे बड़ा हमला था।
- 8 मई 2010 : नक्सलियों ने बीजापुर जिले में बुलेट-प्रूफ वाहन को विस्फोट से उड़ाया। इस हमले में सीआरपीएफ के आठ जवान शहीद हुए।
- 6 अप्रैल 2010 : दंतेवाड़ा जिले में नक्सलियों ने अपने बड़े हमले को अंजाम दिया। इस हमले में सीआरपीएफ के 75 जवान शहीद हुए। नक्सलियों के हमले में राज्य पुलिस के एक अधिकारी की भी जान गई।
- 4 अप्रैल 2010 : ओडिशा के कोरापुट जिले में लैंडमाइन ब्लॉस्ट में स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप के 11 जवान शहीद हुए।
- 15 फरवरी 2010 : पश्चिम बंगाल में वेस्ट मिदनापुर जिले के सियालदह में नक्सलियों ने ईएफआर कैंप पर हमला किया। इस हमले में इस्टर्न फ्रंटियर राइफल्स (ईएफआर) के कम से कम 24 जवान शहीद हुए।
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