इतने वर्षों बाद बाटला हाउस पर सोनिया गाँधी के आंसू बहाने पर सफाई क्यों?

बाटला हाउस वाले बयान पर खुर्शीद की सफाई, 'मैंने कहा था सोनिया जी भावुक हो गईं थीं'
आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार 
झूठ बोलना और झूठ छुपाना कोई कांग्रेस से सीखे। इतने वर्षों से चर्चा में रहे बाटला हाउस में मारे गए आतंकवादियों पर यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गाँधी द्वारा आँसू बहाना, तब किसी भी तरह का कोई खण्डन नहीं आया, लेकिन साध्वी प्रज्ञा द्वारा हेमंत करकरे को श्राप देने को आरोप सिद्ध करने के लिए इतने वर्षों बाद घुमाकर खंडन करना, प्रमाणित करता है पीड़ित साध्वी की पीड़ा व्यक्त करने से कांग्रेस और इसके सहयोगी पार्टियों में कितनी बेचैनी हो रही है। अरे हिन्दू विरोधियों अभी तो पीड़ित साध्वी प्रज्ञा ने केवल अपना होंठ खोलना शुरू ही किया है, मुँह तो खुलने दो, और फिर जब मुँह से शब्द रूपी बाण एवं कटारें निकलनी शुरू होंगी, तब इन सब का क्या होगा, ईश्वर ही जाने। और उस स्थिति में शायद चुनाव आयोग भी कोई कार्यवाही करने में पूर्णरूप से असहाय होता नज़र आएगा। उस युवती के जीवन को कलंकित करते शर्म नहीं आयी। अभी मात्र एक पीड़ित चुनाव दंगल में आयी है, अभी तो एक लम्बी सूची है। भूतपूर्व महामहिम राष्ट्रपति प्रणव मुख़र्जी ने अपनी पुस्तक में खुलासा किया है कि "सोनिया हिन्दू विरोधी है।"   
बैसाखियों से सहारे सरकार चलाते हिन्दू धर्म और संस्कृति को जितना कलंकित करने का साहस कांग्रेस और इसकी सहयोगी पार्टियों ने किया, 7 नवम्बर 1966 को निहत्ते साधु-सन्तों के खून से पार्लियामेंट स्ट्रीट लाल करने के बाद, मुलायम सिंह ने भी निहत्ते रामभक्तों को गोलियों से भुनने के बाद, केन्द्र में यूपीए सरकार के कार्यकाल में हुआ, शायद ही कभी हुआ हो। किस कारण कुर्सी की खातिर इस्लामिक आतंकवाद को संरक्षण और तुष्टिकरण की खातिर "हिन्दू आतंकवाद" और "भगवा आतंकवाद" के नाम पर बेकसूर साधु-सन्त और साध्वियों को जेलों में डाल हिन्दू धर्म को कलंकित किया जा रहा था? इन पार्टियों में सम्मिलित और समर्थक हिन्दू पता नहीं किस लालच में इतना अपमान बर्दाश्त करते रहे?    
लोकसभा चुनाव 2019 में नेताओं की जुबानी जंग लगातार तेज होती जा रही है। अप्रैल 22 को बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह द्वारा कांग्रेस नेता सोनिया गांधी के लिए बाटला हाउस एनकाउंटर को लेकर दिए गए बयान पर कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने तीखी प्रतिक्रिया दी। अप्रैल 22 शाम को ही सलमान खुर्शीद ने कहा, 'उन्होंने (अमित शाह) देखा होगा, लेकिन मैंने सोनिया जी को रोते हुए नहीं देखा। मैंने कहा था अगर कोई भावुक होकर कहता है, 'मुझे ये मत दिखाओ, सरकार और पुलिस को काम करने दो' तो क्या वह इसे 'आंसू बहाना' कहेंगे? 
कांग्रेस नेता खुर्शीद ने आगे कहा,  'आतंकवाद के कारण या जब किसी की अचानक मृत्यु हो जाती है और फिर कोई कुछ कहता है तो क्या उसे आंसू बहाना कहेंगे? अगर उसको रोना कहते हैं तो अभी वो समझ जाएं, रुक जाएं, वो अभी बहुत रोएंगे 
शाह ने बटला हाउस में मारे गए आतंकवादियों के लिए आंसू बहाने पर सोनिया गांधी की आलोचना की
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने सोमवार को यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी पर निशाना साधा कि उन्होंने साल 2008 के बटला हाउस मुठभेड़ में मारे गए आतंकवादियों के लिए कथित तौर पर आंसू बहाए लेकिन इसमें जान गंवाने वाले पुलिसकर्मियों के लिए नहीं। उन्होंने साध्वी प्रज्ञा को लोकसभा उम्मीदवार बनाए जाने के पार्टी के फैसले का बचाव करते हुए कहा कि उनके खिलाफ लगाए गए आरोप झूठे हैं और मालेगांव विस्फोट मामले के असली गुनहगार कानून से बच गए
शाह ने यहां एक मीडिया सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा था, ‘‘यूपीए शासन के दौरान बटला हाउस मुठभेड़ हुई। सोनिया गांधी ने वहां मारे गए आतंकवादियों के लिए आंसू बहाए थे लेकिन वह उस पुलिस अधिकारी के लिए नहीं रोईं जिन्होंने इस घटना में अपनी जान गंवा दी। कांग्रेस को इसका जवाब देना चाहिए।’’ 
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ज्ञात हो, जब 7 नवम्बर 1966 को गौ-हत्या का विरोध कर रहे निहत्ते साधु-संतों पर गोलियाँ चलवाकर उनकी लाशें बिछने के साथ-साथ पार्लियामेंट स्ट्रीट उनके खून से नहा रही थी, तब कृपालु जी महाराज ने तत्कालीन प्रधानमन्त्री इन्दिरा गाँधी को श्राप दिया था कि "इन्दिरा जिस तरह आज गोपाष्ठमी के दिन निर्दोष और निहत्ते साधु-सन्तों के खून की होली खेली जा रही है, तेरी भी मौत गोपाष्ठमी के ही दिन होगी।" संयोगवश 31 अक्टूबर 1984 को गोपाष्ठमी थी। अपने आराध्य पुरुषोत्तम श्रीराम को काल्पनिक बताने वालों को क्या मालूम श्राप किस स्थिति में और क्यों दिया जाता है? यह निर्दोष साधु-संतों को श्राप एवं हाय का ही परिणाम है कि कांग्रेस निरन्तर पाताललोक की ओर अग्रसर है।
स्मरण हो, बटला हाउस में जब पुलिस अधिकारी महेश शर्मा की आतंकवादियों द्वारा हत्या होने पर यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गाँधी द्वारा दिवंगत महेश शर्मा पर आँसू बहाने की बजाए आतंकवादी के मरने पर आंसू बाहे जाने पर ये सब क्यों सूरदास बन गए थे? विपरीत इसके अपने वोट बैंक को खुश करने खूब प्रचार किया गया था कि सोनिया जी अपने आंसू रोक नहीं पायीं। कुछ तो शर्म करो।

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आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार मुंबई हमले में शहीद पूर्व ATS चीफ हेमंत करकरे पर बयान देने के बाद सियासी उठा-पटक अभी थमी ....
दरअसल शाह से कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद के हाल ही में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को बटला हाउस मुठभेड़ पर चर्चा करने की चुनौती देने के बारे में पूछा गया था जिस पर उन्होंने यह टिप्पणी की। गौरतलब है कि दिल्ली पुलिस की एक टीम ने दक्षिण दिल्ली के बटला हाउस इलाके के एक फ्लैट पर छापा मारा था। पुलिस को सूचना मिली थी कि राष्ट्रीय राजधानी में 13 सितंबर 2008 के सिलसिलेवार बम धमाकों में शामिल आतंकवादी वहां छिपे हुए थे। सिलसिलेवार धमाकों के छह दिन बाद हुई मुठभेड़ में दो संदिग्ध आतंकवादियों और एक पुलिस इंस्पेक्टर की मौत हो गई थी

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