पूर्व सेना प्रमुखों ने सशस्त्र सेनाओं के राजनीतिक इस्तेमाल को लेकर राष्ट्रपति को लिखी गई चिट्ठी को गलत बताया है. पूर्व सैनिकों ने कहा कि सेना के राजनीतिक इस्तेमाल से जुड़ी चिट्ठी राष्ट्रपति को नहीं लिखी है. बता दें कि खबर के मुताबिक एक चिट्ठी में सेना के 8 पूर्व प्रमुखों और 148 अन्य पूर्व सैनिकों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिखकर सशस्त्र सेनाओं का राजनीतिक उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल किए जाने पर आक्रोश जताया है.
पत्र पर जिन लोगों के हस्ताक्षर हैं उनमें पूर्व सेना प्रमुख जनरल (सेवानिवृत्त) एसएफ रोड्रिग्ज, जनरल (सेवानिवृत्त) शंकर रॉयचौधरी और जनरल (सेवानिवृत्त) दीपक कपूर, भारतीय वायु सेना के पूर्व प्रमुख एयर चीफ मार्शल (सेवानिवृत्त) एनसी सूरी शामिल हैं.
हालांकि पूर्व सेना प्रमुख जनरल (सेवानिवृत्त) एसएफ रोड्रिग्ज ने इस तरह के किसी पत्र से इंकार किया है. उन्होंने कहा, 'सर्विस के दौरान हम जो भी सरकार होती है उसका ऑर्डर फोलो करते है, सेना का राजनीति से कोई लेना देना नहीं होता है, कोई कुछ भी कह सकता है और उसे फेक न्यूज बनाकर बेच सकता है. मैं नहीं जानता कि वो कौन लोग हैं जिन्होंने यह सब लिखा है.'
आज(अप्रैल 12) पूर्व एयर चीफ मार्शल एनसी सूरी ने इससे इंकार किया है, एनसी सूरी ने कहा, 'इस चिट्ठी में जो कुछ भी लिखा है मैं उससे सहमत नहीं हूं. हमारी बात को गलत ढंग से पेश किया गया है.'
तीन पूर्व नौसेना प्रमुखों एडमिरल (सेवानिवृत्त) एल रामदास, एडमिरल (सेवानिवृत्त) अरुण प्रकाश, एडमिरल (सेवानिवृत्त) मेहता और एडमिरल (सेवानिवृत्त) विष्णु भागवत ने भी पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं. पत्र अप्रैल 11 को राष्ट्रपति के पास भेजा गया.
सामने आई कथित चिट्ठी में पूर्व सैनिकों की तरफ से लिखा गया, ‘‘महोदय हम नेताओं की असामान्य और पूरी तरह से अस्वीकृत प्रक्रिया का जिक्र कर रहे हैं जिसमें वह सीमा पार हमलों जैसे सैन्य अभियानों का श्रेय ले रहे हैं और यहां तक कि सशस्त्र सेनाओं को ‘मोदी जी की सेना’ बताने का दावा तक कर रहे हैं.’’
पूर्व सैनिकों ने कहा कि यह चिंता और सेवारत तथा सेवानिवृत्त सैनिकों के बीच असंतोष का मामला है कि सशस्त्र सेनाओं का इस्तेमाल राजनीतिक एजेंडा चलाने के लिए किया जा रहा है.
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में एक चुनावी रैली में सशस्त्र सेनाओं को ‘‘मोदीजी की सेना’’ बताया जिसपर विपक्षी दलों ने कड़ी प्रतिक्रिया दी.निर्वाचन आयोग ने भी टिप्पणियों पर कड़ी आपत्ति जताई. पत्र में पूर्व सैनिकों ने चुनाव प्रचार अभियानों में भारतीय वायु सेना के पायलट अभिनंदन वर्धमान और अन्य सैनिकों की तस्वीरों के इस्तेमाल पर भी नाखुशी जताई.(इनपुट भाषा से भी)
पत्र पर जिन लोगों के हस्ताक्षर हैं उनमें पूर्व सेना प्रमुख जनरल (सेवानिवृत्त) एसएफ रोड्रिग्ज, जनरल (सेवानिवृत्त) शंकर रॉयचौधरी और जनरल (सेवानिवृत्त) दीपक कपूर, भारतीय वायु सेना के पूर्व प्रमुख एयर चीफ मार्शल (सेवानिवृत्त) एनसी सूरी शामिल हैं.
हालांकि पूर्व सेना प्रमुख जनरल (सेवानिवृत्त) एसएफ रोड्रिग्ज ने इस तरह के किसी पत्र से इंकार किया है. उन्होंने कहा, 'सर्विस के दौरान हम जो भी सरकार होती है उसका ऑर्डर फोलो करते है, सेना का राजनीति से कोई लेना देना नहीं होता है, कोई कुछ भी कह सकता है और उसे फेक न्यूज बनाकर बेच सकता है. मैं नहीं जानता कि वो कौन लोग हैं जिन्होंने यह सब लिखा है.'
#WATCH Goa: General SF Rodrigues who is mentioned as the first signatory in the purported letter written by armed forces veterans to President, denies signing it.
तीन पूर्व नौसेना प्रमुखों एडमिरल (सेवानिवृत्त) एल रामदास, एडमिरल (सेवानिवृत्त) अरुण प्रकाश, एडमिरल (सेवानिवृत्त) मेहता और एडमिरल (सेवानिवृत्त) विष्णु भागवत ने भी पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं. पत्र अप्रैल 11 को राष्ट्रपति के पास भेजा गया.
सामने आई कथित चिट्ठी में पूर्व सैनिकों की तरफ से लिखा गया, ‘‘महोदय हम नेताओं की असामान्य और पूरी तरह से अस्वीकृत प्रक्रिया का जिक्र कर रहे हैं जिसमें वह सीमा पार हमलों जैसे सैन्य अभियानों का श्रेय ले रहे हैं और यहां तक कि सशस्त्र सेनाओं को ‘मोदी जी की सेना’ बताने का दावा तक कर रहे हैं.’’
पूर्व सैनिकों ने कहा कि यह चिंता और सेवारत तथा सेवानिवृत्त सैनिकों के बीच असंतोष का मामला है कि सशस्त्र सेनाओं का इस्तेमाल राजनीतिक एजेंडा चलाने के लिए किया जा रहा है.
Air Chief Marshal NC Suri to ANI: To put an end to it,I wrote that armed forces are apolitical&support the politically elected govt. And no, my consent has not been taken for any such letter. I don’t agree with whatever has been written in that letter. We have been misquoted. 2/2
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