आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
पिछले कई महीने से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को चोर कहने वाली कांग्रेस पार्टी और उसके अध्यक्ष प्रधानमंत्री के एक ही पलटवार से बुरी तरह फंस गए हैं। राजीव गांधी को लेकर मोदी के एक खुलासे के बाद कांग्रेस को कोई जवाब नहीं सूझ रहा। पीएम ने इस बात का खुलासा कर दिया कि प्रधानमंत्री रहते राजीव गांधी ने किस प्रकार अपनी छुट्टियां मनाने के लिए नौसेना का दुरुपयोग किया। साथ ही इस दौरान करीब 10 दिन तक नौसेना के युद्धपोत आईएनएस विराट को टैक्सी की तरह इस्तेमाल किया गया।
ज्ञात हो, चुनाव अभियान शुरू होने से पूर्व, जो कांग्रेस पार्टी फ्रंट फुट पर बैटिंग की बात कर रही थी, चुनाव के अन्तिम पड़ाव पर आते-आते बैकफुट पर आ गयी। और उस बौखलाहट में अपने अस्तित्व पर संकट के बादलों का जमावड़ा खड़ा कर दिया। जिस कारण आज की युवा पीढ़ी जिन बातों से पूर्णरूप से अज्ञान थी, पूर्व प्रधानमंत्री रहे राजीव गाँधी की उन भयंकर भूलों से परिचित हो रही है। जिस राजीव गाँधी को "शहीद" बताया जा रहा है, वह एक पायलट था, और युद्ध के दौरान निजी वायु कम्पनियों के पायलटो की छुट्टियाँ रद्द किए जाने का प्रावधान है। ताकि किसी संकट की घडी में निजी वाहनों की सहायता लेने के दौरान पायलट के उपलब्ध न होने की असुविधा न होने पाए। लेकिन इतिहास में राजीव गाँधी ऐसा पहला पायलट है जो 1971 के युद्ध के दौरान छुट्टियाँ मनाने अपनी ससुराल इटली गया हुआ था। यदि किसी अन्य पायलट ने ऐसा किया होता, निश्चित रूप से उसको तत्काल प्रभाव से नौकरी से निष्कासित कर दिया होता। परन्तु राजीव के साथ ऐसा इसलिए नहीं हुआ कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इन्दिरा गाँधी उनकी माँ थी। स्वाभाविक है, इस कारण उन पर कोई कार्यवाही नहीं हुई या दूसरे शब्दों में इसे सत्ता का दुरूपयोग भी कह सकते हैं।
खैर, प्रधानमंत्री मोदी ने तो केवल वीणा के तारों को केवल छुआ ही था, कि कांग्रेस के नेता और शीर्ष नेतृत्व बचाव करते हुए अर्थ का अनर्थ करते रहे। दरअसल, जब से कांग्रेस पार्टी पर ईसाई मिशनरीज का अधिपत्य होना शुरू हुआ था तभी से कांग्रेस निरन्तर गिरावट की ओर है और यदि कांग्रेस ईसाई मिशनरी के चुंगल से बाहर नहीं आयी, निश्चित रूप से कांग्रेस अस्तित्वविहीन हो जाएगी। पहले कहा जाता था कि जवाहर लाल और इन्दिरा गाँधी के मुस्लिम होने के कारण कांग्रेस मुस्लिम पार्टी है। परन्तु आज के परिवेश में कांग्रेस न हिन्दू की है(महात्मा गाँधी की हत्या होने पर किस क्रूरता से चितपावन ब्राह्मणों का नरसंहार किया गया था, लेकिन इस नरसंहार की कोई पार्टी चर्चा तक नहीं करती), न सिखों की(अकाल तख़्त से लेकर 1984 सिख विरोधी नरसंहार) और न मुस्लिमों की(मलियाना दंगे के अलावा इतने दंगे हुए, जिनमे लाखों मुसलमानों की जानें गयीं), इतना सबकुछ होने पर भी इन धर्मों के लोग पता नहीं किस लालच में कांग्रेस से जुड़े हुए हैं।
अगर देखा जाए गुजरात विधानसभा से लेकर लोकसभा चुनावों तक कांग्रेस ने मोदी को थाली में सजाकर सत्ता सौंपी है। "मौत का सौदागर", "नीच", "चायवाला" और अब लोकसभा चुनाव 2019 में तो गालियों का अम्बार, पाकिस्तान जाकर मोदी को हराने के लिए चर्चा करना आदि आदि, ने सारे पांसे मोदी की झोली में डाल दिए।
"अब क्या है, 84 का जिक्र क्यों हो रहा है। जो हुआ तो हुआ।"
कांग्रेस पार्टी के कुछ नेता अपनी अनर्गल बयानबाजी से पार्टी को अक्सर ही दिक्कतों में डालते रहे हैं ये दीगर बात है कि ज्यादा विरोध होने पर वो यू टर्न लेने में भी पीछे नहीं रहते हैं, ताजा मामला 1984 के सिख दंगों को लेकर कांग्रेस के नेता सैम पित्रोदा का एक बयान है जिसमें उन्होंने कहा था कि "अब क्या है, 84 का जिक्र क्यों हो रहा है। जो हुआ तो हुआ।" और जब चुनाव अपने अन्तिम पड़ाव पर आ गया, मोदी द्वारा राजीव गाँधी के नाम पर केवल एक पिन मारने पर कांग्रेस में बवण्डर ही आ गया, और अपने बचाव में अर्थ का अनर्थ कर दिया। बल्कि ऐसे नाजुक दौर में चुप्पी साधना ही बेहतर था। क्योकि कांग्रेस के जिस कालखण्ड का गंभीरता से अवलोकन किया जाएगा, भ्रष्टाचार ही भ्रष्टाचार हाथ आएगा।
#WATCH PM Modi in Rohtak, Haryana on Congress' Sam Pitroda's remark on 1984 riots: 'Hua so hua'-3 words that sum up Congress's arrogance were uttered y'day by one of its most senior leaders, he said this on anti-Sikh riots. They have no value for human life
हजारों सिखों को घरों से बाहर निकालकर मारा गया, लेकिन आज कांग्रेस कह रही है “हुआ तो हुआ”।
हजारों सिखों की घर-दुकानें जला दी गई, लेकिन आज कांग्रेस कह रही है “हुआ तो हुआ”: पीएम मोदी #JitegaModiJitegaBharat
हजारों सिखों की घर-दुकानें जला दी गई, लेकिन आज कांग्रेस कह रही है “हुआ तो हुआ”: पीएम मोदी #JitegaModiJitegaBharat
कश्मीर समस्या राजीव गांधी की देन
आज कश्मीर समस्या के लिए जवाहर लाल नेहरू को दोषी ठहराया जाता है, लेकिन नेहरू तो नेहरू, राजीव गाँधी अपने नाना से भी 10 कदम आगे निकल गया।
कश्मीर समस्या के सबसे बड़े दोषी राजीव गांधी हैं। क्या आपको पता है कि राजीव गांधी के प्रधानमंत्री बनने से पहले तक कश्मीर दुनिया का स्वर्ग था, लेकिन 1987 में फारूक-राजीव एकॉर्ड के बाद कश्मीर को हमेशा के लिए सुलगा दिया गया। कश्मीरी पंडितों के दुर्दिन शुरू हो गए।
सत्ता का दुरूपयोग
फिर सत्ता में रहते नेहरू से लेकर अपने यूपीए के कार्यकाल तक नेहरू-गाँधी परिवार ने जब मौका मिला, सत्ता का दुरूपयोग किया। देश में जब प्रथम आम चुनाव हुए थे, नेहरू के लाडले मौलाना अबुल कलाम आज़ाद ने रामपुर से हिन्दू महासभा के उम्मीदवार विशन सेठ से 6000+मतों से हारने की खबर सुंनते ही उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री गोबिन्द बल्लब पन्त को कहा "कुछ भी करो, मुझे मौलाना आज़ाद संसद में चाहिए...." पंत ने भी तुरन्त नेहरू के आदेश का पालन करते, कलेक्टर और डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट को नेहरू की बात पूरी करने का आदेश दिया। फिर क्या था, विशन सेठ को उनके विजयी जुलुस से अगवा कर गणना केंद्र पर लाकर उनके मतों को आज़ाद के मतों में मिलाकर 3000+से घोषित कर परिणाम बदल दिया। किसी ने सेठ के चीखने-चिल्लाने तक की परवाह नहीं की, बल्कि उन्हें कहा "नेहरूजी के आदेश का पालन कर अपनी नौकरी बचा रहे हैं..." अब वापस आते हैं, राजीव गाँधी पर। पिछले कई महीने से प्रधानमंत्री मोदी को चोर कहने वाली कांग्रेस पार्टी और उसके अध्यक्ष प्रधानमंत्री के एक ही पलटवार से बुरी तरह फंस गए हैं। राजीव गांधी को लेकर पीएम मोदी के एक खुलासे के बाद कांग्रेस को कोई जवाब नहीं सूझ रहा। पीएम ने इस बात का खुलासा कर दिया कि प्रधानमंत्री रहते राजीव गांधी ने किस प्रकार अपनी छुट्टियां मनाने के लिए नौसेना का दुरुपयोग किया। साथ ही इस दौरान करीब 10 दिन तक नौसेना के युद्धपोत आईएनएस विराट को टैक्सी की तरह इस्तेमाल किया गया।
राजीव गांधी ने किस प्रकार की थी अय्याशी
- 30 दिसंबर, 1987 को राजीव गांधी ने अपने रिश्तेदारों के साथ पिकनिक का प्लान बनाया और इसके लिए लक्षद्वीप के खूबसूरत और निर्जन द्वीप बंगाराम को चुना।
- मेहमानों में सोनिया गांधी ने इटली से अपनी बहन, बहनोई, भतीजी, मां, भाई और मामा को शामिल किया था। इसके अलावा राहुल, प्रियंका के दोस्तों और अमिताभ को भी सपरिवार शामिल किया गया।
- गांधी परिवार को ले जाने के लिए आईएनएस विराट का इस्तेमाल हुआ था। राजीव के परिवार के लिए उसे देश की सुरक्षा से हटा दिया गया।
- मेहमानों को लाने-ले जाने और जरूरी सामान जुटाने के लिए भी सेना के विमान का भी दुरुपयोग किया गया था। इसमें लक्षद्वीप प्रशासन को भी लगाया गया।
- पिकनिक के लिए शराब दिल्ली से ले जाई गई थी। चिकन, फल, सब्जियां, कोल्ड ड्रिंक, चॉकलेट और पानी की बोतलें लक्षद्वीप, कावारत्ती और कोचीन से मंगाई गई थीं।
- आईएनएस विराट को पूरे 10 दिन के लिए अरब सागर में तैनात किया गया था और अगत्ती में स्पेशल सैटेलाइट का सेटअप भी लगाया गया था।
बंगाराम द्वीप गए थे छुट्टियां बिताने
दक्षिण भारत में कोचीन से 465 किलोमीटर पश्चिम की ओर लक्षद्वीप के पास स्थित एक बेहद खूबसूरत आईलैंड है, जिसका नाम बंगाराम है। यह पूरा द्वीप निर्जन है। 0.5 स्क्वायर किलोमीटर एरिया में फैले इस द्वीप का चयन भी सोच-समझकर किया गया था। यहां विदेशी नागरिकों के आने पर किसी तरह की कोई पाबंदी नहीं है। बंगाराम द्वीप बेहद सुरक्षित और दुनिया से एक तरह से कटा हुआ इलाका है। इस इलाके की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि यह बेहद सुरक्षित है.
अवलोकन करें:-
गोपनीय था पूरा प्लान
गांधी परिवार ने अपने इस दौरे को बेहत गोपनीय रखा था। मीडिया से इस गोपनीय दौरे को छुपाने के लिए पूरे प्रयास किए गए फिर भी मीडिया को इसकी जानकारी हो गई। मीडिया को इसकी जानकारी तब हुई जब राहुल गांधी ने अपने चार दोस्तों के साथ लक्षद्वीप प्रशासन के नारंगी और सफेद रंग के एक हेलिकॉप्टर से उड़ान भरी थी।
राहुल गांधी का ग्रुप पहला था
गांधी परिवार के साथ इस जश्न में शामिल होने के लिए अलग-अलग कई समूहों में लोग इस द्वीप पर पहुंचे थे, जिनमें राहुल गांधी का ग्रुप पहला था। सरकार ने राजीव गांधी की छुट्टी की प्राइवेसी को पूरी तरह बनाए रखने के लिए समुद्री और हवाई दोनों ही मार्गों से निगरानी की थी।
सोनिया गांधी की मां भी थीं शामिल
राजीव गांधी की इस छुट्टी में देश-विदेश की कई हस्तियां शामिल थीं। इस कारण उनका ये बेहद प्राइवेट दौरा सार्वजनिक हो गया। राहुल और प्रियंका के चार दोस्त, सोनिया गांधी की बहन, बहनोई और उनकी बेटी, सोनिया की मां आर माइनो, उनके भाई और मामा शामिल थे।
नेहरू भी कर चुके हैं ऐसा
भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू भी सपरिवार युद्धपोत में आराम करते नजर आए थे। ये बात जून, 1950 की है। इसी साल देश का संविधान लागू किया गया था। एक जानकारी के मुताबिक तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरू की इंडोनेशिया यात्रा के दौरान उनके नवासे राजीव गांधी और संजय गांधी ने आईएनएस दिल्ली में नौसेना अभ्यास में भाग लिया था। इस तस्वीर में पंडित जवाहरलाल नेहरू, प्रधानमंत्री, अपनी बेटी इंदिरा के साथ युद्धपोत में आराम करते हुए नजर आते हैं।
नेहरू के साथ उनके दो नवासे संजय गांधी और राजीव गांधी दिखते हैं। ये जून 1950 की तस्वीर है। पीएम नेहरू के इंडोनेशिया यात्रा के दौरान आईएनएस दिल्ली के डेक पर राजीव और संजय गांधी दिख रहे हैं। नेवी के अधिकारी उनके आस-पास मौजूद हैं।(एजेंसीज इनपुट्स)
दक्षिण भारत में कोचीन से 465 किलोमीटर पश्चिम की ओर लक्षद्वीप के पास स्थित एक बेहद खूबसूरत आईलैंड है, जिसका नाम बंगाराम है। यह पूरा द्वीप निर्जन है। 0.5 स्क्वायर किलोमीटर एरिया में फैले इस द्वीप का चयन भी सोच-समझकर किया गया था। यहां विदेशी नागरिकों के आने पर किसी तरह की कोई पाबंदी नहीं है। बंगाराम द्वीप बेहद सुरक्षित और दुनिया से एक तरह से कटा हुआ इलाका है। इस इलाके की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि यह बेहद सुरक्षित है.
अवलोकन करें:-
गांधी परिवार ने अपने इस दौरे को बेहत गोपनीय रखा था। मीडिया से इस गोपनीय दौरे को छुपाने के लिए पूरे प्रयास किए गए फिर भी मीडिया को इसकी जानकारी हो गई। मीडिया को इसकी जानकारी तब हुई जब राहुल गांधी ने अपने चार दोस्तों के साथ लक्षद्वीप प्रशासन के नारंगी और सफेद रंग के एक हेलिकॉप्टर से उड़ान भरी थी।
राहुल गांधी का ग्रुप पहला था
गांधी परिवार के साथ इस जश्न में शामिल होने के लिए अलग-अलग कई समूहों में लोग इस द्वीप पर पहुंचे थे, जिनमें राहुल गांधी का ग्रुप पहला था। सरकार ने राजीव गांधी की छुट्टी की प्राइवेसी को पूरी तरह बनाए रखने के लिए समुद्री और हवाई दोनों ही मार्गों से निगरानी की थी।
सोनिया गांधी की मां भी थीं शामिल
राजीव गांधी की इस छुट्टी में देश-विदेश की कई हस्तियां शामिल थीं। इस कारण उनका ये बेहद प्राइवेट दौरा सार्वजनिक हो गया। राहुल और प्रियंका के चार दोस्त, सोनिया गांधी की बहन, बहनोई और उनकी बेटी, सोनिया की मां आर माइनो, उनके भाई और मामा शामिल थे।
जवाहर लाल नेहरू के साथ इन्दिरा गाँधी अपने दोनों बच्चों के साथ |
संजय और राजीव गाँधी |
भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू भी सपरिवार युद्धपोत में आराम करते नजर आए थे। ये बात जून, 1950 की है। इसी साल देश का संविधान लागू किया गया था। एक जानकारी के मुताबिक तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरू की इंडोनेशिया यात्रा के दौरान उनके नवासे राजीव गांधी और संजय गांधी ने आईएनएस दिल्ली में नौसेना अभ्यास में भाग लिया था। इस तस्वीर में पंडित जवाहरलाल नेहरू, प्रधानमंत्री, अपनी बेटी इंदिरा के साथ युद्धपोत में आराम करते हुए नजर आते हैं।
नेहरू के साथ उनके दो नवासे संजय गांधी और राजीव गांधी दिखते हैं। ये जून 1950 की तस्वीर है। पीएम नेहरू के इंडोनेशिया यात्रा के दौरान आईएनएस दिल्ली के डेक पर राजीव और संजय गांधी दिख रहे हैं। नेवी के अधिकारी उनके आस-पास मौजूद हैं।(एजेंसीज इनपुट्स)
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