कांग्रेस राज में मिले एक लाख करोड़ के ठेके तो क्या आपकी सरकार बेईमानों के साथ थी? : अनिल अम्बानी ने राहुल गाँधी से पूछा

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आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार 
रिलायंस समूह ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से सवाल किया है कि यूपीए शासनकाल में उनकी कंपनियों को एक लाख करोड़ रुपये से ज्यादा के ठेके मिले थे तो क्या वह सरकार क्रोनी कैपिटलिस्टों और बेइमान व्यापारियों की मदद कर रही थी? रिलायंस समूह ने कहा कि राहुल गांधी उनके खिलाफ अपने मिथ्याचार, दुष्प्रचार और दुर्भावना प्रेरित झूठ को जारी रखे हुए हैं। रिलायंस समूह ने एक बयान में कहा, ‘उन्होंने हमारे समूह के चेयरमैन अनिल अंबानी पर क्रोनी कैपिटलिस्ट होने और बेईमान कारोबारी होने का आरोप लगाया है। ये सभी निश्चित तौर पर असत्य बयान हैं।’ बयान में कहा गया है कि कांग्रेसी सरकार के कार्यकाल में 2004 से 2014 के बीच उसे बिजली, दूरसंचार, सड़क, मेट्रो आदि जैसे बुनियादी संरचना क्षेत्रों में एक लाख करोड़ रुपए से अधिक के ठेके मिले तो क्या उनकी अपनी सरकार 10 साल तक एक कथित क्रोनी कैपिटलिस्ट और बेईमान कारोबारी की मदद कर रही थी।
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अंबानी पर मेहरबान थी राहुल गांधी की कांग्रेस सरकार
लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान राहुल गांधी बार-बार एक ही रट लगाए हुए हैं कि मोदी सरकार शुरू से अनिल अंबानी पर मेहरबान रही है, लेकिन आप यह जानकर हैरान रह जाएंगे कि अनिल अंबानी पर मोदी सरकार नहीं बल्कि सोनिया-राहुल गांधी की यूपीए सरकार मेहरबान थी। राहुल गांधी की यूपीए सरकार ने अपने 10 साल के शासन में आखिर के सात वर्षों में अंबानी की रिलायंस कंपनी को एक लाख करोड़ रुपये की परियोजनाएं दी थी। अंग्रेजी अखबार Economic Times ने पिछले दिनों खुलासा किया था कि कांग्रेस ने किस तरह उद्योगपतियों से सांठगांठ कर देश को लाखों करोड़ का चूना लगाया।
प्रक्रिया का पालन नहीं
रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2004 से 2014 के बीच कांग्रेस की अगुआई वाली यूपीए सरकार ने ऐसी कंपनियों को ठेके दिए जिन्होंने जरूरी प्रक्रियाओं का पालन ही नहीं किया था। कांग्रेस सरकार ने सरकारी कंपनियों से कई प्रोजेक्ट्स छीन कर अनिल अंबानी की कंपनियों को दे दिए थे। एक लाख करोड़ से अधिक के ये प्रोजेक्ट्स तो कांग्रेस शासन के आखिरी 7 वर्षों में ही दिए गए।
ज्ञात हो, रोड ट्रांसपोर्ट एंड हाइवेज, टेलिकॉम, NHAI, मुंबई मेट्रोपॉलिटन रीजन डेवलपमेंट अथॉरिटी और DMRC जैसी सरकारी इकाइयों से ये प्रोजेक्ट्स छीने गए थे। इसी मिलीभगत का नतीजा था कि कांग्रेस के पांच साल में ही अनिल अंबानी की इलेक्ट्रिसिटी डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी देश की सबसे बड़ी इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी बन गई थी। इस दौरान 16500 करोड़ रुपये के 12 प्रॉजेक्ट्स शुरू किए गए, जिससे आर-इंफ्रा देश में सबसे बड़ी प्राइवेट रोड डेवलपर बन गई थी।
रिलायंस कम्युनिकेशंस के लिए रेगुलेटरी अप्रूवल्स तो तमाम प्रक्रियाओं को दरकिनार कर दिया गया था। अनिल अंबानी ग्रुप की 6 कंपनियों रिलायंस कम्युनिकेशंस, रिलायंस कैपिटल, रिलायंस पावर, रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर, रिलायंस नेचुरल रिसोर्सेज लिमिटेड और रिलायंस मीडियावर्क्स भी इसमें शामिल थी।
स्मरण हो कि प्रोजेक्ट्स हासिल करने से पहले इनमें से कई कंपनियों को उस क्षेत्र का अनुभव भी नहीं था। जाहिर है ये सब इसलिए संभव हो पाया कि अनिल अंबानी के ‘सोनिया गांधी एंड फैमिली’ से करीबी रिश्ते थे।
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आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार जब लोकसभा चुनाव का सिर्फ दो चरण बचे हैं ऐसे में कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ....

कांग्रेस सरकार के 10 साल में घोटालों का खेल
दरअसल यूपीए चेयर पर्सन सोनिया गांधी की सरपरस्ती में कांग्रेस और उनसे ताल्लुक रखने वाली कंपनियों ने लूट का खेल खेला। 


                            यूपीए सरकार में ‘लूट ही लूट’
                घोटालों के नाम                  ‘लूट’ की रकम
             कोल ब्लॉक आवंटन, 2012                 1.86 लाख करोड़ रुपये
               2 जी स्पेक्ट्रम, 2008                1.76 लाख करोड़ रुपये
           महाराष्ट्र इरीगेशन स्कैम,2012                 70,000  करोड़ रुपये
              कॉमनवेल्थ गेम्स, 2010                   35,000 करोड़ रुपये
            सत्यम कम्प्यूटर स्कैम, 2009                   14,000 करोड़ रुपये
              स्कॉर्पियन पनडुब्बी, 2005                   1,100 करोड़ रुपये
               अगस्ता वेस्ट लैंड, 2012                   3,600 करोड़ रुपये
                टेट्रा ट्रक स्कैम, 2012                       3,000 करोड़ रुपये
बहरहाल मोदी सरकार ऐसे कई उद्योगपतियों और कंपनियों पर शिकंजा कसा है और उनसे लूट की रकम वापस भी वसूली जा रही है। खास तौर पर एनपीए का बहाना ढूंढ रही कंपनियों को मोदी सरकार ने अपने निशाने पर लिया है। आइए एक नजर डालते हैं कि कैसे मोदी सरकार की सख्ती के बाद कंपनियों को अपनी संपत्ति बेचकर अपने कर्ज की रकम चुकानी पड़ रही है। 
मोदी राज में सूट-बूट वालों की ‘लूट’ पर लगी ब्रेक
बैंकों के कर्ज वापसी के लिए मजबूर हुए उद्योगपति

जिंदल स्टील
अक्टूबर, 2017
रायगढ़ और अंगूल स्टील प्लांट के दो यूनिट को 1,121 करोड़ में बेचना पड़ा
अगस्त 2017
6 हजार करोड़ वसूलने के लिए SBI ने अंगूल में जिंदल इंडिया थर्मल पावर प्लांट का टेंडर मंगवाया

एस्सार ऑयल
अगस्त 2017
ESSAR ऑयल को अपना 49 प्रतिशत शेयर रुस की Rosneft कंपनी को बेचना पड़ा 
SBI, ICICI, Axis, IDBI और Standard Chartered बैंकों का 70,000 करोड़ रुपया चुकाना पड़ा

जीवीके पॉवर एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर
जुलाई, 2017
बकाया चुकाने के लिए 3,439 करोड़ रुपये में बेंगलुरु इंटरनेशनल एयरपोर्ट बेचना पड़ा

डीएलएफ
दिसंबर, 2017
DCCDL को अपना 40 प्रतिशत हिस्सा बेच कर बैंकों का 7100 करोड़ रुपया चुकाना पड़ा

जेपी एसोसिएट्स
40 हजार करोड़ का कर्ज चुकाने के लिए 15,000 करोड़ में Ultratech और ACC को बेचना पड़ा
बैंकों ने जेपी ग्रुप की 13, 000 करोड़ की जमीन बेचने की प्रक्रिया शुरू की

टाटा ग्रुप
जनवरी, 2018
टाटा ग्रुप ने बैंकों के 23 हजार करोड़ में से 17 हजार करोड़ चुका दिए 
सितंबर, 2018
टीसीएस के लाभांश से टाटा मोटर्स और टाटा टेलिसर्विसेज लिमिटेड का कर्ज चुकाएंगे

जीएमआर
37,480 करोड़ रुपये में 18,480 हजार करोड़ वापस किए, बकाया 19,000 करोड़ रुपये जल्द चुकाएंगे

वीडियोकॉन
नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) में बैंकरप्सी के तहत कंपनी बेचकर वसूला जाएगा बकाया 20 हजार करोड़

रिलायंस
45,000 करोड़ रुपये बकाये की वापसी के लिए अपने Assets बेचकर कर्ज चुकाएगी कंपनी

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