दमदम के सव्यसाची गांगुली ने कहा कि उन्हें ममता बनर्जी से कोई समस्या नहीं है, लेकिन जय श्रीराम के नारे को लेकर ममता ने जो विरोध जताया, वे उससे बेहद आहत हैं। सव्यसाची ने कहा कि बंगाली भद्रलोक तो हैं ही, हिन्दू भी हैं और जय श्रीराम बोलना गर्व समझते हैं।
मेदिनीपुर के वोटर अरिंदम डे ने बताया कि उनका पूरा परिवार लेफ्ट पार्टियों का परंपरागत समर्थक था, लेकिन वे वामपंथियों की हिंसा से डरते हैं। फिर, पिछले विधानसभा चुनाव के बाद राज्य से वामपंथियों का सफाया हो गया। इसलिए अरिंदम ने भी इस बार बीजेपी को वोट देने का फैसला किया है।
डायमंड हार्बर में हमारी मुलाकात सपना मुखर्जी से हुई जो ममता बनर्जी की कट्टर समर्थक हैं, लेकिन इस बार बीजेपी प्रत्याशी को वोट देंगी। सपना ने बताया कि ममता के शासन में राज्य में महिलाओं के लिए कोई सुरक्षा नहीं है और महिलाओं के खिलाफ अधिकतर अपराधों में टीएमसी कार्यकर्ता ही शामिल हैं।
चुपेचाप, कमल छाप का मतलब समझिएपश्चिम बंगाल में टीएमसी के गुंडाराज का ये आलम है कि लोग अपने राजनीतिक विचार खुलकर नहीं रख सकते। हमने जिन लोगों से बातचीच की, उन सभी ने इसीलिए अपनी तस्वीरें छापने से मना कर दिया। लेकिन सबने अंत में कहा, चुपेचाप, कमल छाप। अब इसका मतलब आप खुद समझिए।(साभार)
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