
आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मई 30 को पुनः प्रधानमंत्री पद की शपथ ली, दुनियां ने देखा, लेकिन इससे पहले ही उन्होंने पाकिस्तान को फिर जबरदस्त झटका दे दिया है। दरअसल, मोदी ने अपने शपथ ग्रहण समारोह में भारत के सभी पड़ोसी देशों के राष्ट्रध्यक्षों को आमंत्रण दिया, लेकिन पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को इसमें शामिल नहीं किया। वो भी तब जबकि लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद मोदी को बधाई देने वालों में इमरान खान विश्व के कुछ पहले नेताओं में शामिल थे। इसके बाद से पूरी दुनिया में इमरान का मजाक बन रहा है। और तो और, पाकिस्तान के नेता भी कहने लगे हैं कि कूटनीति के क्षेत्र में इमरान की कोई इज्जत नहीं है क्योंकि वे कठपुतली प्रधानमंत्री हैं। ज्ञात हो, पीएम मोदी ने चुनाव प्रचार के दौरान आतंकवाद को बड़ा मुद्दा बनाया था और इसको लेकर बार-बार पाकिस्तान को निशाने पर लिया था। हालांकि, इमरान ने बधाई संदेश के साथ बातचीत की इच्छा भी जताई थी, लेकिन पीएम मोदी पर इसका असर नहीं दिख रहा। आज का भारत बदल रहा है, जिसमे आतंकवाद को संरक्षण देने वालों को उसी की भाषा में जवाब देने का संकल्प है।
पिछली बार आए थे नवाज शरीफ
मोदी ने जब 2014 में पहली बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी, तब पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को न्यौता भेजा था और वे आए भी थे। हालांकि, इससे पहले नवाज शरीफ ने अपने शपथ ग्रहण में मनमोहन सिंह को बुलावा भेजा था पर वो नहीं गए। इमरान खान ने भी अपने शपथ ग्रहण के लिए पीएम मोदी को निमंत्रण दिया था, लेकिन मोदी नहीं गए थे।
पाक मीडिया में हो रही ये चर्चा
पाकिस्तानी अखबार ‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ ने इमरान खान को मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में न्योता ना मिलने पर एक लंबा संपादकीय लेख छापा है। लेख में बताया गया है कि इस मुद्दे पर विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी का नजरिया बिल्कुल सही है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को भारत की तरफ से न्योता नहीं दिया गया है तो इसके पीछे भारत की घरेलू राजनीति ही वजह हो सकती है। चुनाव के दौरान मोदी पाकिस्तान को कोसते रहे। उनका सर्जिकल स्ट्राइक का नाटक उन भारतीयों पर असर कर गया जो प्रधानमंत्री पद के तौर पर उनके काम से खुश नहीं थे। अखबार ने आगे लिखा, “शाह महमूद कुरैशी ने ठीक कहा कि यह हमारी नासमझी हो सकती है अगर हम यह सोचें कि नरेंद्र मोदी इतनी जल्दी खासकर, राज्याभिषेक से पहले पाकिस्तान विरोधी छवि से बाहर आ जाएंगे।” अखबार ने सवाल पूछते हुए लिखा है, लेकिन वह सही वक्त कब आएगा जब भारतीय प्रधानमंत्री अपनी घरेलू राजनीति में सुरक्षित महसूस करेंगे और पाकिस्तान की शांति वार्ता की इच्छा पर जवाब देंगे? शांति की इच्छा में हम कब तक विनम्र होकर भारत के अनुचित रवैये को नजरअंदाज करते रहेंगे? सबसे खास बात कि क्या मोदी कभी शांति वार्ता के लिए गंभीर होंगे भी या नहीं क्योंकि उन्हें हमारी अर्थव्यवस्था और आंतरिक सुरक्षा की बढ़ती चुनौतियों का अच्छी तरह से अंदाजा है।
बातचीत के लिए तड़प रहा है पाक
पाकिस्तानी नेतृत्व के लिए यह मामूली चुनौती नहीं होगी कि वह राजनीतिक तौर पर ताकतवर मोदी से कश्मीर के मुद्दे पर कैसे निपटेगा। क्या प्रधानमंत्री इमरान खान के सद्भावना संदेश कोई अहमियत भी रखते हैं? आखिर क्या ऐसा है जो भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को वार्ता की मेज पर लाने के लिए मजबूर करेगा? खैर, पाकिस्तान को गंभीर होकर इन सवालों के जवाब तलाशने होंगे. पाकिस्तानी न्यूज चैनल समा पर बहस के दौरान विश्लेषक कहते है, “मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में इमरान खान न भी जाएं तो बहुत फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि समारोह में कोई बातचीत तो होगी नहीं। हां, अगर बातचीत के लिए विशेष तौर पर बुलाया जाता है तो परिणाम बेहतर निकलेंगे क्योंकि जब इमरान खान ने अपने शपथ ग्रहण समारोह में बुलाया था, तो नरेंद्र मोदी नहीं आए थे।”
विदेश मंत्री ने कहा, न्यौते से ज्यादा मीटिंग की चिंता
इससे पहले पाक के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा था कि शपथ ग्रहण समारोह में शरीक होने से बेहतर होगा कि दोनों देशों के बीच समस्याओं के समाधान के लिए बैठक की जाए। समा टीवी के एक दूसरे कार्यक्रम में इसी मुद्दे पर बहस करते हुए एक विश्लेषक ने कहा, “नवाज शरीफ ने जब मनमोहन सिंह को बुलाया था तब वह नहीं आए थे और जब नवाज शरीफ को बुलाया गया तो वो भागे-भागे चले गए। अगर भारत दुनिया को यह बताना चाह रहा है कि वह पाकिस्तान के साथ रिश्ते बेहतर करेगा तो वो जरूर दावत देता, लेकिन मोदी की ख्वाहिश है कि पाकिस्तान को बहुत ज्यादा दबाव में रखा जाए। अगर वो इसी नीति से चलते हैं, फिर तो वो निमंत्रण भेजेंगे ही नहीं। अगर भेजेंगे और इमरान जाते हैं तो उनसे सख्त लहजे में बात करेंगे। तो मेरा ख्याल है रिश्ते सुधरने के बजाए और बिगड़ जाएंगे।”
विदेशी अखबार ने भी जताई निराशा
यूएई के अखबार गल्फ न्यूज ने भी मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में पाकिस्तान को न्यौता ना मिलने पर निराशा जाहिर की है। अखबार ने बताया है कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान को न बुलाने का फैसला उन्हें तकलीफ दे सकता है क्योंकि प्रधानमंत्री बनने के वक्त से ही वह शांति वार्ता चाहते हैं। मोदी की जीत हुई है, इसलिए इमरान के उनके शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने का यह अच्छा कारण था। मोदी को इमरान खान को बुलाना चाहिए था क्योंकि यह दोनों देशों के बीच तनाव को कम करने का एक शानदार अवसर हो सकता था।
भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को आरोपित करने वालों को शिमला समझौते से लेकर अब तक कितनी बातचीत का दौर हुआ, क्या परिणाम निकला? मोदी ने पाकिस्तान को सुधरने के कितने अवसर दिए, कई अवसरों पर बिन बुलाये गए, जिसका मोदी विरोधियों ने जमकर उन पर आरोप लगाए, बिरयानी खाने बिन बुलाए जा रहे थे, आदि आदि। जबकि मोदी एक शाकाहारी हैं। मोदी सब प्रहार सहे, केवल इसलिए शायद पाकिस्तान अपने आप रास्ते पर आ जाए, भारत में आतंकवाद गतिविधियों से भारतमाता की धरती लहूलुहान करने से बाज़ आ जाये, लेकिन कुंठित मानसिकता बिना मार खाए क्या कभी मानवता के रास्ते पर आया है? भारत से बातचीत करने से पूर्व पाकिस्तान को आतंकवादी गतिविधियों को दफ़न करना होगा, कश्मीर में जितने भी उसने आतंकवादियों को भेजा हुआ, सबको वापस बुलाकर उन पर सख्त कार्यवाही करे। सूत्रों के अनुसार, अभी भी कश्मीर में लगभग 259 आतंकवादी-इनमें लगभग 125 पाकिस्तानी हैं- डेरा डाले हुए हैं।
मरियम शरीफ ने कहा कठपुतली हैं इमरान, इसलिए कोई इज्जत नहीं करता
दो दिन पहले इमरान खान को मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में ना बुलाए जाने पर पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की बेटी मरियम शरीफ ने इमरान पर निशाना साधा था। मरियम ने कहा था कि पीएम मोदी इमरान खान का बिल्कुल भी सम्मान नहीं करते हैं। यहां तक कि वह इमरान का फोन भी नहीं उठाते हैं। मरियम ने कहा कि इमरान शरीफ को ‘मोदी का दोस्त’ कहा करते थे, वही मोदी नवाज शरीफ से मिलने के लिए पाकिस्तान आए थे। अटल बिहारी वाजपेयी भी नवाज शरीफ से मिलने के लिए पाकिस्तान आए थे। पूरी दुनिया उन्हें सम्मान देती थी लेकिन आपके मामले में मोदी आपका फोन भी नहीं उठाते हैं क्योंकि वो जानते हैं कि आप फर्जी प्रधानमंत्री हैं। मरियम ने कहा, “मोदी और दुनिया के अन्य राष्ट्राध्यक्ष क्यों इमरान को सम्मान नहीं देते हैं, क्योंकि वे जानते हैं कि आप किसी की मदद से लोगों का वोट चुरा कर सत्ता में आए हैं। आप किसी के इशारे पर चलते हैं। उन्होंने कहा, “इमरान खान… आपका दर्जा किसी कठपुतली से ज्यादा कुछ नहीं है। दुनिया में आपका कोई सम्मान नहीं है।”
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