मुसलमानों को रमजान में जबरन खाने-पीने के लिए मजबूर कर रहा चीन


हर वर्ष जब भी रमजान शुरू होते हैं, चीन में मुसलमानों पर कोई न कोई पाबन्दी लग जाती है। मस्जिद के बाहर नमाज पर पाबन्दी, कुरान या नमाज से सम्बंधित कोई भी चीज घर में रखने पर पाबन्दी, और अब दो/तीन वर्षों से रोजा रखने पर सख्ती हो गयी है। यदि पुलिस को यह पता लग जाए कि ये गुजरने वाले/वाली ने रोजा रखा हुआ है, तुरन्त पुलिस मुँह में पानी से भरी बोतल डाल रोजा तुड़वा देती है। और यह मसला कई वर्षों से चल रहा है, जिसका हर वर्ष अपने इस ब्लॉग पर प्रकाशन भी करता रहता हूँ, लेकिन आज तक मुसलमानों के हमदर्द बन रहे किसी ने चीनी दूतावास जाकर विरोध दर्ज नहीं करवाया। 
चीन रमजान के महीने में मुसलमानों को जबरन खाने-पीने के लिए मजबूर कर रहा है, और मुस्लिम देशों ने इसपर चुप्पी साध रखी है ! वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट में इसका खुलासा किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि, चीन के जिनजियांग प्रांत में मुस्लिमों द्वारा चलाए जा रहे रेस्तरां को जबरन खुलवाया जा रहा है। और उइगर कामगारों को जबरन खाने और पीने के लिए मजबूर किया जा रहा है !
इस रिपोर्ट में म्यूनिख आधारित वर्ल्ड उइगर कांग्रेस के प्रेसिडेंट डोलकुन इसा ने इसे मुस्लिमों के लिए चिंताजनक और समुदाय की गरिमा के खिलाफ बताया है। हमारे समुदाय के लोगों को रमजान के पाक महीने में दिन में खाना खाने पर मजबूर किया जा रहा है !
उन्होंने बताया है कि, चीन के जिनजियांग प्रांत में मुस्लिमोंद्वारा चलाए जा रहे रेस्तरां को जबरन खुलवाया जा रहा है। और उइगर कामगारों को जबरन खाने और पीने के लिए मजबूर किया जा रहा है !
बीते दिनों ऐसी रिपोर्ट्स आई थीं कि, चीन ने उइगर मुस्लमानों को डिटेंशन सेंटर में जबरन कैद कर रखा हुआ है। इनकी तादाद ३ मिलियन के आसपास है। हालांकि चीन ने कहा है कि, उन्हें कैद करके नहीं बल्कि वोकेशनल ट्रेनिंग सेंटर में रखा गया है। जिसका मकसद आतंकवाद विरोध भावनाओं को खत्म करना है। रिपोर्ट के अनुसार इन सेंटर में मुस्लिमों के हिजाब और दाढ़ी रखने पर पाबंदी है।
हालांकि मुस्लिम देश इन डिटेंशन सेंटर को चीन की आतंकवाद से लड़ने की नीति के तौर पर देखते हैं ! चीन ने इस मामले पर अपनी नीति को कुछ इस तरह बनाया है जिससे मुस्लिम देश इसके पक्ष में खड़े नजर आते हैं !

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