
वैसे अटकलों का बाजार गर्म है, परन्तु होगा वही जो मोदी और अमित चाहेंगे। गृह या फिर रक्षा ही अमित के अधिक उपयुक्त हैं।गृह इसलिए भी जरुरी है कि स्मरण हो, राममन्दिर बनने पर या फिर कश्मीर से अनुच्छेद 350 और 35A समाप्त करने की स्थिति में आतंकवाद की आड़ में पाकिस्तान समर्थक महबूबा मुफ़्ती और छद्दम देशप्रेमी नेताओं के संरक्षण में दंगे आदि से देश का माहौल ख़राब करने की स्थिति में सख्त गृह मन्त्री ही कारगर सिद्ध होगा, जो सात तालों से दंगाइयों को निकाल उनके उचित स्थान पर पहुँचा सके।
अमित शाह के आने से पूर होंगे रुके हुए यह काम
शिवसेना के मुताबिक शाह को रक्षा विभाग मिला तो पाकिस्तान का सवाल हमेशा के लिए हल हो जाएगा, गृह विभाग मिला तो अयोध्या में राम मंदिर आसानी से बन जाएगा, इसके अलावा कश्मीर में धारा-370 और 35A रद्द करने की घोषणा उन्होंने की है उस कार्य को गति मिलेगी, समान नागरिक कानून लागू हो ऐसी अमित शाह की ही इच्छा थी, देश भावना वही होने के कारण समान नागरिक कानून के बारे में वीर सावरकर का सपना साकार होगा, नक्सलवाद और माओवादियों के हिंसाचार को खत्म किया जा सकेगा, शाह यदि वित्तमंत्री बने तो विकास कार्यों को और आर्थिक सुधारों को गति मिलेगी। मुख्य रूप से ‘डॉलर’ की तुलना में रुपए में गिरावट रोज हो रही है। इस गिरावट पर लगाम लगेगी। शाह के आने से मोदी सरकार को बल मिलेगा।
मोदी शाह को मंत्रिमंडल में जो चाहिए था वो मिला
सामना के लेख में शिवसेना ने लिखा है, 'मोदी और शाह को जो लोग चाहिए थे, वही मंत्रिमंडल में आए और जो नहीं चाहिए थे वे बाहर रहे। मंत्रिमंडल की तस्वीर अब स्पष्ट हो गई है। राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी को छोड़ दिया जाए तो ‘दिग्गज’ या ‘हैवीवेट’ कहा जाए, ऐसा विशेष कोई दिखाई नहीं दे रहा। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण नाम अमित शाह का है।भाजपा की जीत के शिल्पकार अमित शाह हैं ही इसलिए उनके मंत्रिमंडल में आने के बारे में अटकलें लगाई जा रही थीं। भाजपा पर शाह का पूरा नियंत्रण आ गया है। अब मोदी की तरफ से सरकार पर भी उनका नियंत्रण रहेगा।'
कौन लेगा सुषमा और प्रभु की जगह
शिवसेना ने आगे लिखा, 'मोदी सरकार में अब सुषमा स्वराज नहीं हैं। सुरेश प्रभु दिखाई नहीं दे रहे। नीतीश कुमार की जनता दल (यू) ने मोदी मंत्रिमंडल में शामिल न होने की भूमिका अपनाई है। हालांकि उनकी इस भूमिका पर बाद में चर्चा की जाएगी किन फिलहाल सभी राज्यों के नेताओं को केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल करने की कोशिश की गई है। सच तो यह है कि कोशिश कहने की बजाय इसे कसरत ही कहना पड़ेगा। एस. जयशंकर विदेश विभाग के सचिव थे और उन्होंने मंत्रिपद की शपथ ली है। महाराष्ट्र से संजय धोत्रे शामिल हुए हैं।'
शिवसेना ने आगे लिखा है, 'पश्चिम बंगाल को अच्छा प्रतिनिधित्व मिला है। पश्चिम बंगाल की अगली लड़ाई जीतने की ही यह योजना है। इस राज्य की आधी लड़ाई जीत ली गई है। बचा हुआ युद्ध जीतने के लिए बंगाल के सरदार मोदी मंत्रिमंडल में आए हैं। नरेंद्र मोदी दिल्ली में जब एक बार फिर विराजमान हो रहे थे तब देश के साथ ही दुनिया की भी उम्मीदें बढ़ी हैं।मोदी की सरकार उस दिशा में ऊंची उड़ान भरेगी, ऐसी उम्मीद की जा सकती है। मोदी-2 सरकार का चेहरा मोदी ही है। उनके मंत्रिमंडल के मोहरे क्या करते हैं यह देखना होगा।अन्यथा अमित शाह का चाबुक वहां है ही।'
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