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वारिस पठान ने अमित शाह के गृह मंत्री बनने पर साधा निशाना |
अमित शाह द्वारा मंत्री पद की शपथ लेने के बाद से छद्दम धर्म-निरपेक्षों की नींद हराम हुई ही थी, कि सुबह होते-होते उनके गृह मंत्री बनने की खबर ने तो रोटी ही हराम कर दी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दूसरी कैबिनेट सज कर तैयार हो गई है। शपथ लिए मंत्रियों को विभागों का बंटवारा भी हो गया है। इस बीच उस राज से भी पर्दा उठ गया कि आखिरी देश की सबसे बड़ी पार्टी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सबसे खास सिपहसलार या कहें जिनको भारतीय राजनीति में चाणक्य की उपाधि से नवाजा गया है यानि बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को मंत्री परिषद में किस मंत्रालय की जिम्मेदारी मिलेगी। आखिर उस बात से भी पर्दा उठ गया, अमित शाह अब देश के नए गृह मंत्री होंगे।
अमित शाह के गृह मंत्री बनने के बाद उनको लोगों द्वारा लगातार बधाई देने का सिलसिला जारी है।
इस बीच ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन पार्टी (एआईएमआईएम) के नेता और मुंबई की बाइकुला सीट से विधायक वारिस पठान ने अमित शाह के गृह मंत्री बनने पर तंज कसा है। वारिस पठान ने बीजेपी द्वार किए गए एक पुराने ट्वीट को लेकर अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ऊपर निशाना साधा है।
वारिस पठान ने ट्वीट कर कहा है, ' भारत को बधाई! यह व्यक्ति अमित शाह हमारे नए गृह मंत्री हैं! इस कदम के साथ नरेंद्र मोदी ने अल्पसंख्यकों के लिए सुरक्षित समावेशी भारत के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को रेखांकित किया है। बस वाह!' वारिस पठान ने बीजेपी द्वारा 11 अप्रैल 2019 के किए गए उस ट्वीट पर कमेंट किया है जिसमें अमित शाह ने कहा था, 'हम विश्वास दिलाते हैं कि पूरे देश में एनआरसी को क्रियानवित करेंगे। हम हर एक घुसपैठिया को देश से बाहर करेंगे, सिवाए बुद्धा, हिंदू और सिख को छोड़कर।'
मेमन बोले- हर चीज के लिए मोदी नहीं हैं जिम्मेदार
वारिस पठान की इस टिप्पणी पर एनसीपी के नेता माजिद मेमन ने कहा है, 'मैं वारिस पठान के इस बयान से बिल्कुल सहमत नहीं हूं। अमित शाह महत्वपूर्ण नेता हैं और उन्हें बड़े मंत्रालय की जिम्मेदारी दी जाएगी इसकी पहले से ही आशा थी। हम आलोचना नहीं कर सकते हैं कि मोदी प्रत्येक और सब कुछ हैं। लेकिन उसी समय जब पीएम मोदी ने फिर से चुने जाने के बाद सबका साथ सबका विकास और संविधान को छूआ तो उसी वक्त देश भर में मुस्लिम विरोधी गतिविधियों की कई घटनाएं हुईं। इसे बंद होना चाहिए और नकवी को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।'Congratulations India! This person @AmitShah is our new Home Minister! With this move @narendramodi has underlined his commitment towards an inclusive India safe for minorities. Just wow!
गौरतलब है कि चुनाव नतीजे घोषित होने के उपरांत ही ये उम्मीद लगाई जा रही थी कि क्या अमित शाह नरेंद्र मोदी कैबिनेट में शामिल होंगे या फिर एक और कार्यकाल के लिए संगठन का जिम्मेदारी अध्यक्ष के रूप में निभाएंगे। लेकिन शपथ ग्रहण के दौरान अमित शाह ने कैबिनेट मंत्री की शपथ ली और उन्हें पीएम नरेंद्र मोदी ने देश के गृह मंत्री की जिम्मेदारी सौंपी है। हालांकि जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे उस समय भी अमित शाह उनकी कैबिनेट में गृह राज्य मंत्री की जिम्मेदारी निभा रहे थे।
गृह मंत्री बने अमित शाह की जिम्मेदारियाँ
लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को प्रचंड जीत दिलाने वाले भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को मोदी सरकार में बड़ी जम्मेदारी दी गई है। शाह को देश का गृह मंत्री बनाया गया है। पहले उन्हें वित्त मंत्रालय का प्रभार सौंपे जाने की चर्चा थी। दृढ़ व्यक्तित्व वाले अमित शाह की राजनीतिक गलियारे में पहचान एक मेहनती और असंभव को संभव बनाने वाले व्यक्ति की रही है। अब चूंकि सरकार में वह शामिल हो गए हैं और उन्हें अहम मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई है ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि उनकी वैचारिक दृढ़ता की झलक उनके कामकाज में भी दिखाई देगी।
सरकार में गृह मंत्री का पद का दूसरे नंबर का माना जाता है। यानि अमित शाह सरकार में प्रधानमंत्री मोदी के बाद रुतबे वाले दूसरे सबसे ताकतवर मंत्री होंगे और जिनके ऊपर आतंरिक एवं सीमा सुरक्षा की जिम्मेदारी होगी। देश पूर्वी, उत्तरी और दक्षिणी भागों में अलग-अलग तरह की समस्याएं हैं जिनसे शाह को निपटना होगा। शाह के सामने पूर्वोत्तर में अवैध घुसपैठ रोकने, कश्मीर में आतंकवाद और दक्षिण भारत के कुछ प्रदेशों में आतंकवादी गुटों के प्रसार पर काबू पाना होगा। एनआरसी और नक्सलवाद से शाह कैसे निपटते हैं इस पर सभी की नजरें रहेंगी।
अनुच्छेद 370 एवं 35ए : भाजपा ने अपने एजेंडे में अनुच्छेद 35 ए को खत्म करने और अनुच्छेद 370 पर अपने पुराने रुख पर कायम होने की बात कही है। इन दोनों अनुच्छेदों पर अमित शाह का रुख कश्मीर की राजनीति को नया आयाम देगा। जम्मू-कश्मीर की सियासी पार्टियां नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी एवं अलगाववादी गुट धारा 370 के साथ किसी तरह की छेड़छाड़ होने पर आंदोलन की धमकी देते आए हैं। अनुच्छेद 35ए का मसला सुप्रीम कोर्ट में है। ऐसे में इन संवेदनशील मुद्दों पर शाह का रुख अहम होगा।
आतंकवाद : भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपने एजेंडे में आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस अपनाने की बात कही है। कश्मीर में जारी आतंकवाद पर काबू पाना अमित शाह के लिए सबसे बड़ी चुनौती होगी। शाह आतंक और आतंकवाद के प्रति कड़ा रुख रखने के लिए जाने जाते हैं। गृह मंत्रालय की जिम्मेदारी पहले राजनाथ सिंह के पास थी। समझा जाता है कि शाह अपने पूर्ववर्ती सिंह के अधूरे कार्यों को आगे बढ़ाएंगे। हाल के दिनों में आतंकवादी घटनाओं के तार दक्षिण भारत के केरल एवं तमिलनाडु से जुड़ते दिखे हैं। शाह को इस नई मुसीबत से भी निपटना होगा।
एनआरसी : अमित शाह के सामने दूसरी बड़ी समस्या नेशनल रिजस्टर ऑफ सिटिजनशिप (एनआरसी) को लागू कराने में आ सकती है। असम सहित पूर्वोत्तर के कई राज्य इसका विरोध कर रहे हैं। हालांकि पिछली सरकार में गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि इसे लागू करने में किसी भी नागरिक के साथ भेदभाव नहीं किया जाएगा। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी एनआरसी का विरोध करने में मुखर रही हैं। इस मुद्दे पर अमित शाह यदि आगे बढ़ते हैं तो ममता सरकार के साथ उनका टकराव बढ़ सकता है। अमित शाह अपने चुनाव प्रचार के दौरान एनआरसी को सख्ती से लागू करने और अवैध बांग्लादेश घुसपैठियों को देश से बाहर करने की बात कह चुके हैं।
नक्सलवाद : देश में नक्सल समस्या अभी भी भीषण बनी हुई है। छत्तीसगढ़, झारखंड, आंध्र प्रदेश सहित कई राज्य अभी भी नक्सल समस्या से ग्रसित हैं। लोकसभा चुनाव के पहले चरण से ठीक पहले छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में नक्सलियों के हमले भाजपा विधायक सहित पांच लोगों की मौत हो गई। महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले में गत एक मई को नक्सलियों ने 15 जवानों को शहीद कर दिया। नक्सल समस्या गंभीर है। इसे दूर करने के लिए शाह को गंभीर प्रयास करने होंगे।
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