
आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
देश भर में बुर्का पर चल रहे बहस के बीच केरल के एक मुस्लिम कॉलेज ने गुरुवार (02 मई 2019) को बुर्के पर प्रतिबंध लगा दिया है। छात्राओं से कहा गया है कि कॉलेज बुर्का पहनकर न आएं। मल्लापुरम में एक अल्पसंख्यक कॉलेज में बुर्का पहनने पर प्रतिबंध लगाया गया है। गौर हो कि सामना में लिखे गए आलेख के अनुसार शिवसेना ने कहा कि था कि अगर रावण की लंका में बुर्का पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है तो राम की अयोध्या में ऐसा क्यों नहीं हो सकता है? इसके बाद देश भर में बुर्का पर चर्चा होने लगी।
इस पर एआईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने शिवसेना की मांग की आलोचना करते हुए कहा कि उद्धव ठाकरे की नेतृत्व वाली पार्टी को यह पता होना चाहिए कि भारतीय संविधान के अनुसार सबको अपनी पसंद की चीजें चुनने का अधिकार है। उन्होंने कहा, 'शिवसेना के अनजान लोगों को मैं बताना चाहूंगा कि देश में पसंद एक मूलभूत अधिकार है।' आगे उन्होंने कहा कि यह आलेख समाज को बांटने और ध्रुवीकरण करने की कोशिश कर रहा है।
हालांकि सामना के आलेख पर शिवसेना की वरिष्ठ नेता नीलम गोह्रे ने कहा कि यह पार्टी का आधिकारिक रुख नहीं है। उन्होंने कहा, 'शिवसेना का रुख पार्टी नेताओं की बैठक में तय होता है और उसे पार्टी अध्यक्ष अपनी अनुमति देते हैं। सामना के संपादकीय के रुख पर न तो पार्टी में चर्चा हुई और न ही उद्धव ठाकरे ने ऐसा कोई निर्देश दिया है।' पार्टी नेता ने एक बयान में कहा, 'यह निजी राय हो सकती है, यह शिवसेना का आधिकारिक रुख नहीं है।'
सामना के अनुसार शिवसेना ने पीएम मोदी से श्रीलंका के राष्ट्रपति के कदमों का अनुसरण करने और भारत में राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बने बुर्का एवं चेहरों को ढंकने वाले अन्य परिधानों पर पाबंदी लगाने की नसीहत दी। ऐसा घोषित करके श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रिपाल ने साहस और धैर्य का दर्शन कराया है। रावण की लंका में जो हुआ वो राम की अयोध्या में कब होगा? सामना के संपादकीय में कहा गया कि फ्रांस, न्यूजीलैंड, आस्ट्रेलिया एवं इंग्लैंड बुर्के पर प्रतिबंध लगा चुके हैं। फिर इस बारे में हिंदुस्तान पीछे क्यों?'
केंद्रीय मंत्री गिरीराज सिंह ने बुर्का के नाम पर बोगस वोट करने का आरोप लगाते हुए कहा कि चुनाव आयोग को चुनाव में बुर्का पर प्रतिबंध लगाना चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि जब न्यूजीलैंड में धमाके होते हैं तो भारत में टुकडे़-टुकडे़ गैंग मोमबत्ती जलाते हैं पर पड़ोसी देश श्रीलंका में धमाका होने पर वे ऐसा नहीं करते।
आर्गेनाइजर साप्ताहिक के तत्कालीन सम्पादक प्रो वेद प्रकाश भाटिया अपने स्तम्भ Cabbage &Kings में कई बार लिखा करते थे कि "बुर्का कोई इस्लामिक प्रथा नहीं.... मुग़ल काल में अनेकों बार ऐसे अवसर आये जब खूबसूरत और हसीन लड़कों को भी बुर्के में रखा जाता था..." और इस मुद्दे पर कभी कोई विवाद नहीं हुआ। ज्ञात हो, तत्कालीन सांसद सयैद शाहबुद्दीन इस स्तम्भ के प्रशसंकों में प्रमुख थे, स्तम्भ पढ़े बिना नहीं सोते थे।
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