
भारत में प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी का प्रचंड बहुमत से पुनः वापसी से पाकिस्तान में खलबली मच रही है।भारतीय जनता पार्टी की लोकसभा चुनाव में प्रचंड जीत इन दिनों हर तरफ चर्चा में हैं। इस पर भारत में तो लगातार बात हो ही रही है लेकिन पाकिस्तान मीडिया में भी पीएम मोदी छाए हुए हैं।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने भले ही प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी को लोकसभा चुनाव में मिली प्रचंड जीत की बधाई दी हो लेकिन वहां की मीडिया की मानसिकता अब भी बदलती दिखाई नहीं दे रही है।पाकिस्तान मीडिया में लगातार मोदी की बड़ी जीत का विश्लेषण हो रहा है। इस बीच पाकिस्तानी चैनल का एक मजेदार वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।
एक पाकिस्तानी एंकर की नासमझी की वजह से इंटरनेट पर पाकिस्तानी मीडिया की खिल्ली उड़ रही है। वायरल वीडियो में लोकसभा चुनाव 2019 में जीत के बाद पीएम नरेंद्र मोदी के भाषण विश्लेषण किया जा रहा था लेकिन पाकिस्तानी पत्रकार से हिंदी का शब्द समझने में चूक हो गई और इसी चूक ने उसे हंसी का पात्र बना दिया।
दरअसल पीएम नरेंद्र मोदी ने जीत के बाद दिए गए अपने भाषण में बीजेपी कार्यकर्ताओं को बधाई देते हुए कहा था- 'इस जीत पर बीजेपी का प्रत्येक कार्यकर्ता अभिनंदन का अधिकारी है।' 'अभिनंदन' शब्द ने पाकिस्तान को भ्रमित कर दिया और उन्हें भारत के जांबाज पायलट विंग कमांडर अभिनंदन वर्तमान की याद आ गई।
पाकिस्तान के नामी अखबार द डॉन ने अपने संपादकीय में इस जीत पर चिंता जताई है। इसमें कहा गया है कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में सांप्रदायिक राजनीति की जीत लोकतंत्र के भविष्य को तय करेगी। इसके मुताबिक इन परिणामों ने चुनावी पंडिंतों की उस भविष्यवाणियों को दरकिनार कर दिया है जिसमें कहा जा रहा था कि भारत की अर्थव्यवस्था पीएम मोदी के वोट बैंक पर भारी पड़ेगी। लेकिन अब रिजल्ट सभी के सामने हैं और अति राष्ट्रवादी पार्टी भाजपा लोकसभा चुनाव में मिली एकतरफा जीत के बाद एक बार फिर से पांच वर्षो के लिए भारत में सरकार बनाने जा रही है।
मजे की बात तो यह है कि साम्प्रदायिकता का जहर फैलाने वाले ही जब भाजपा को साम्प्रदायिक बताने का अर्थ तो यही निकाला जा सकता है कि अब समस्त भारत साम्प्रदायिक हो गया है। पाकिस्तान के चर्चित द डॉन में सम्पादकीय लिखने वाले पत्रकार को इस बात का ज्ञान होना चाहिए कि लोहा ही लोहे को काटता है।
द डॉन द्वारा साम्प्रदायिक राजनीती की जीत बोलना प्रमाणित करता है कि भारत में रह रहे पाकिस्तान समर्थक भी भाजपा के लिए इन्हे शब्दों का इस्तेमाल करते हैं, वैसे भी जिस तरह एक चोर को सामने वाला भी चोर दिखता है, ठीक उसी तरह द डॉन और भारत में पाकिस्तान समर्थकों का भी यही हाल है। देशहित की बात करने वाले ऐसी मानसिकता वालों को साम्प्रदायिक ही जान पड़ते हैं। लूटो, लड़वाओ की प्रवित्ति वाले लोग धर्म-निरपेक्ष जान प्रतीत होते हैं। पाकिस्तान अगर अभी भी अपनी मानसिकता नहीं बदलता, फिर वह दिन भी बहुत दूर नहीं जब पाकिस्तान को और न जाने कितनी मुसीबतों का सामना करना पड़ेगा।
अखबार ने लोकसभा चुनाव के इन परिणामों को आश्चर्यजनक बताया है। संपादकीय के मुताबिक इससे यह बात साफ हो गई है कि चुनाव में जीत पाने या मतदाताओं को लुभाने के लिए धार्मिक घृणा और सांप्रदायिक राजनीति को एक हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है। इस बात को भूला नहीं जा सकता है कि पीएम मोदी का पूरा चुनाव प्रचार मुस्लिमों और पाकिस्तान के खिलाफ किया गया था। इसके अलावा भारत ने पाकिस्तान के साथ तनाव को न सिर्फ बढ़ाया बल्कि चुनाव में इसका पूरा फायदा भी उठाया और भारतीय जनमानस की भावनाएं भड़काने के लिए उन्होंने पाकिस्तान में एयर स्ट्राइक तक के आदेश दिए। लेकिन चुनाव के नतीजों के बाद अब सब कुछ खत्म हो चुका है।
जहाँ तक भारतीय जनमानस की भावनाएं भड़काने के लिए उन्होंने पाकिस्तान में एयर स्ट्राइक तक के आदेश देने की बात है, भारत के प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने पाकिस्तान को सुधरने का हर अवसर प्रदान किया था, कितनी बार पाकिस्तान गए, लेकिन मोदी द्वारा पाकिस्तान जाने को शायद उनके(पाकिस्तान) आकाओं ने मोदी की कमजोरी समझ भारत में आतंकवादी गतिविधियों को जारी रखे रहे, आखिर जुल्म का कभी न कभी तो अंत होना निश्चित है। प्रधानमंत्री मोदी से न आज तक कभी मिला हूँ और न ही कोई इच्छा, लेकिन गुजरात चुनाव 2012 के दौरान उनके एक भाषण से, एक पत्रकार होने के नाते निरन्तर मोदी के दिमाग को पढ़ रहा हूँ। इतने चर्चित अख़बार में सम्पादकीय लिखने वाले पत्रकार इस बात का ज्ञान होगा कि उस गुजरात चुनाव के दौरान गुजरात के तत्कालीन मुख्यमन्त्री जो वर्तमान में देश का प्रधानमंत्री है, द्वारा भारत के तत्कालीन प्रधानमन्त्री डॉ मनमोहन सिंह को दी ललकार से पाकिस्तान तक सहम गया था। इतना ही नहीं, उस दौरान भारत दौरे पर आये रहमान मलिक भारत में प्रेस वार्ता के दौरान किस प्रकार बहके-बहके जवाब दे रहे थे।
संपादकीय में कहा गया है कि हमें उम्मीद है कि मोदी इस कार्यकाल में उन कट्टरवादी हिन्दू संगठनों पर लगाम लगाएंगे जिनके निशाने पर भारत के अल्पसंख्यक या मुस्लिम रहते आए हैं। यह केवल तब ही मुमकिन है जब पीएम मोदी पाकिस्तान से इस बारे में वार्ता को आगे आएंगे। पाकिस्तान ने पहले भी कई बार विवादित मुद्दों को सुलझाने के लिए भारत से वार्ता की मेज पर आने की अपील की है, लेकिन वह हर बार इस अपील को ठुकराते रहे हैं। इसके अलावा पीएम मोदी इस कार्यकाल में सही मायने में क्षेत्र की शांति बनाए रखने के लिए काम करेंगे। पाकिस्तान से वार्ता करके भारत को पाकिस्तान ने दिया "कारगिल" और "पठानकोट", "उरी", भारत को सलाह देने की बजाए डॉन अपनी सरकार को आतंकवादी सरगनाओं को जेल में डाले और जनता की निर्वाचित सरकार फौज के इशारे पर चलने की बजाए जनता के हित में स्वयं निर्णय ले। पाकिस्तान में पल रहे कट्टरपंथियों ने ही अयोध्या में राम मन्दिर बनने पर भारत में हालात बद से बदतर करने की धमकी देने की बात करते हैं। डॉन में सम्पादकीय लिखने वाले पत्रकार को इस बात का भी ज्ञान होना चाहिए, इस्लामिक आतंकवाद को संरक्षण देने मोदी से पूर्व सरकार पाकिस्तान हितैषी यूपीए सरकार ने इस्लामिक आतंकवाद को संरक्षण देने की खातिर "हिन्दू आतंकवाद" और "भगवा आतंकवाद" के छलावे से भारत ही नहीं बल्कि विश्व को भ्रमित करने वाली सरकार नहीं। विपरीत इसके आतंकवाद का उसी की भाषा में जवाब देने वाली सरकार पुनः सत्ता में आयी है।
अखबार के मुताबिक चुनाव परिणाम सामने आने से एक दिन पहले ही एक फोटोग्राफर ने पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह मेहमूद कुरैशी और भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की एकसाथ फोटो कैप्चर की थी। यह फोटो किर्गिस्तान के बिश्केक में एससीओ की बैठक से इतर खींची गई थी। मीडिया में आई खबरों में यहां तक कहा गया था कि सुषमा ने कुरैशी के साथ स्वीट्स शेयर किए पूर्व में हुई बातचीत को भी याद किया।
इस फोटो के सामने आने के बाद इस बात के कयास भी लग रहे हैं कि रमजान माह के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच वार्ता हो सकती है। अखबार ने ये भी लिखा है कि हालांकि भारत के पूर्व के अनुभवों के आधार पर यह कहना निराधार नहीं होगा कि वह क्षेत्र में शांति को लेकर सीरियस नहीं है। पुलवामा हमले से पहले प्रधानमंत्री इमरान खान ने करतारपुर कॉरिडोर की ग्राउंडब्रेकिंग सेरेमनी में भारतीय दल को आमंत्रित किया था, लेकिन इसके बाद भी विदेश मंत्री सुषमा स्वराज नहीं आई। इतना ही नहीं भारत ने पाकिस्तान में होने वाले सार्क सम्मेलन तक के बहिष्कार करने का एलान किया। इमरान खान ने पाकिस्तान में सरकार बनाने के बाद अपने कहे मुताबिक भारत से बातचीत की कई बार कोशिश की और पीएम मोदी क्षेत्र में शांति स्थापित करने के लिए न सिर्फ प्रस्ताव भेजा बल्कि उनको इसका मौका भी दिया, जिसे उन्होंने हर बार ठुकरा दिया। इसके बाद भी पाकिस्तान ने इसकी कोशिशें जारी रखी और बुधवार को कुरैशी और सुषमा के बीच अनाधिकृत मुलाकात हुई। अखबार के संपादकीय में कहा गया है कि अभी यह कहना जल्दबाजी ही होगी कि इमरान खान ने पीएम मोदी दोनों देशों के बीच शांति वार्ता करने के लिए सही थे या नहीं। यह सभी कुछ भारत पर निर्भर करता है। ऐसा इसलिए क्योंकि अभी तक क्षेत्र की शांति के लिए सबसे बड़ा बाधक भारत ही रहा है।
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