बैठक में चिदंबरम और गहलोत चुप रहे, कमलनाथ आए ही नहीं 

सूत्र के मुताबिक, सीडब्ल्यूसी की बैठक में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम चुपचाप थे। वहीं, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ इस बैठक में शामिल नहीं हुए। कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ मप्र की छिंदवाड़ा और चिदंबरम के बेटे कार्ति तमिलनाडु की शिवगंगा सीट से लोकसभा चुनाव जीते। वहीं, अशोक गहलोत के बेटे वैभव जोधपुर सीट से चुनाव हार गए।
उत्तर प्रदेश के जौनपुर के कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने खून से राहुल गांधी को चिट्ठी लिख, अपील की है कि वो अध्यक्ष पद न छोड़ें। चिट्ठी में लिखा गया है कि राहुल गांधी इस्तीफा मत दीजिए, हम सब आपके साथ हैं। राहुल गांधी को अपने सहयोगियों से भी समर्थन मिला। डीएमके अध्यक्ष एम के स्टालिन ने राहुल गांधी से फोन पर बात की, और राहुल से कहा कि भले चुनाव में हार हुई लेकिन उन्होंने लोगों का दिल जीता है। 

हार में प्रियंका भी जिम्मेदार 

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राहुल के अध्यक्ष बनने की अटकलों के कहा था कि "जितनी जल्दी हो राहुल को अध्यक्ष बनाइये।" जो धरातल पर चरितार्थ होती दिख रही है। इतना ही नहीं, पार्टी को डुबोने में प्रियंका का भी कम योगदान नहीं रहा। यानि भाई सेर तो बहन सवा सेर। चुनावों के हार तो उसी दिन दिख गयी थी, जिस दिन प्रियंका ने कहा था,"मैंने चुन-चुनकर ऐसे लोगो को टिकट दिए हैं, जो भाजपा के वोट काटे।" जिसने स्पष्ट कर दिया था कि कांग्रेस कहीं दौड़ में नहीं। प्रियंका के इस कथन पर किसी में बोलने का साहस नहीं। अब इसे परिवार की गुलामी न कहा जाए तो क्या नाम दिया जाए। 
अवलोकन करें:-
मोदी सुनामी क्यों और कौन लाया?
आखिर वो क्या कारण थे, जिसने कांग्रेस और अन्य दलों को हाशिये पर ला दिया? दरअसल, मोदी सुनामी लाने वाले भी यही दल हैं, हिन्दू आतंकवाद, भगवा आतंकवाद, शिव पर दूध मत चढ़ाओ, होली पर पानी की बर्बादी, दिवाली पर प्रदूषण, करवाचौध पर भूखे रहना मूर्खता, राम एक काल्पनिक, रामसेतू राम ने नहीं बनवाया, अयोध्या खुदाई में मिले मन्दिर के प्रमाणों को कोर्ट से छुपाना, राममन्दिर में अवरोध उत्पन्न करना, भारत के वास्तविक इतिहास को धूमिल कर आतताई मुगलों का गुणगान, आर्मी प्रमुख को सड़क का गुण्डा बोलना, सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत माँगना, फिर बालाकोट में हुई एयर स्ट्राइक में मारे गए आतंकवादियों की लाशों की प्रमाणिकता माँगना, आतंकवाद के बहाने भारत में अस्थिरता उत्पन्न करने वाले पाकिस्तान को विश्व से अलग करने पर शोर मचाना, कश्मीरी अलगाववादियों पर कार्यवाही किये जाने पर बेचैनी आदि यानि स्पष्ट शब्दों में कहा जाए तो छद्दम धर्म-निरपेक्षों द्वारा तुष्टिकरण को चरम सीमा पर ले जाने ने ही भारत में मोदी सुनामी लाकर अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी दे मारी।

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आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार लोकसभा चुनाव 2014 से कांग्रेस और इसके समर्थक…

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प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान जिस तुगलक रोड घोटाले की बार-बार चर्चा कर रहे थे, उसकी परत...


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आर.बी.एल.निगम,वरिष्ठ पत्रकार चुनावी मौसम में गांधी परिवार खुद को हिन्दू साबित करने…

गुजरात 2002 के दंगे 

क्या गुजरात में 2002 से पूर्व दंगे नहीं हुए? गुजरात में दंगों का इतिहास रहा है, लेकिन दंगों पर अंकुश लगा, जब तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दंगाइयों को उनके ठिकाने पर पहुँचाया। लेकिन तुष्टिकरण के चलते देश के हर नेता ने 2002 दंगे की वास्तविकता को जनता से छुपाया। विपरीत इसके सोनिया गाँधी ने मोदी को "मौत का सौदागर" बोल कांग्रेस की अर्थी में पहली कील ठोकी थी। कोई मोदी को "खून का दलाल", "नीच", और पता नहीं कितने नामों से अलंकृत करने की होड़ में शामिल थे। इन सब बातों पर भी चर्चा होनी चाहिए। कांग्रेस के पतन में समस्त शीर्ष नेतृत्व ही शामिल है।  

राहुल द्वारा इस्तीफे की पेशकश आत्मघाती : लालू यादव 

उधर लालू प्रसाद यादव ने ट्विटर पर लिखा कि इस्तीफे की राहुल की पेशकश आत्मघाती है। विपक्षी दलों में बीजेपी को हटाने का साझा लक्ष्य था, लेकिन राष्ट्रीय सहमति नहीं बना सके।भारत जैसे विविध देश में किसी एक चुनाव का नतीजा सच्चाई नहीं बदल सकता। राहुल कांग्रेस अध्यक्ष पद की हार को लेकर कितने व्यथित हैं, ये तो कांग्रेस ही बता सकती है, लेकिन लगता है कि इस्तीफे की पेशकश कर राहुल ने अपने समर्थकों को अपने पीछे खड़ा कर लिया है।