आखिर अमेठी से क्‍यों हार गए राहुल गांधी?

Rahul Gandhi
आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार 
लोकसभा चुनाव 2014 से कांग्रेस और इसके समर्थक समस्त छद्दमों ने कोई शिक्षा लेने का प्रयत्न नहीं किया। यही कारण है कि चुनाव 2019 में भी कांग्रेस का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा है। पार्टी को सिर्फ 52 सीटें मिली हैं। ऐसे में कांग्रेस को एक बार फिर से नेता प्रतिपक्ष का पद मिल पाना मुश्किल लग रहा है। लोकसभा के कुल सदस्यों की संख्या 543 है और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद हासिल करने के लिए कम से कम इसका 10 फीसदी यानि 55 सीटों की जरूरत होती है और कांग्रेस को केवल 52 सीटें मिली हैं। 2014 में कांग्रेस को 44 सीटें मिली थीं। बबूल का पेड़ बोकर उस पर आमों की इच्छा करना मूर्खता ही कहा जाएगा।  
मोदी सुनामी क्यों और कौन लाया?
आखिर वो क्या कारण थे, जिसने कांग्रेस और अन्य दलों को हाशिये पर ला दिया? दरअसल, मोदी सुनामी लाने वाले भी यही दल हैं, हिन्दू आतंकवाद, भगवा आतंकवाद, शिव पर दूध मत चढ़ाओ, होली पर पानी की बर्बादी, दिवाली पर प्रदूषण, करवाचौध पर भूखे रहना मूर्खता, राम एक काल्पनिक, रामसेतू राम ने नहीं बनवाया, अयोध्या खुदाई में मिले मन्दिर के प्रमाणों को कोर्ट से छुपाना, राममन्दिर में अवरोध उत्पन्न करना, भारत के वास्तविक इतिहास को धूमिल कर आतताई मुगलों का गुणगान, आर्मी प्रमुख को सड़क का गुण्डा बोलना, सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत माँगना, फिर बालाकोट में हुई एयर स्ट्राइक में मारे गए आतंकवादियों की लाशों की प्रमाणिकता माँगना, आतंकवाद के बहाने भारत में अस्थिरता उत्पन्न करने वाले पाकिस्तान को विश्व से अलग करने पर शोर मचाना, कश्मीरी अलगाववादियों पर कार्यवाही किये जाने पर बेचैनी, #metoo, #award vapsi, #not in my name, #moblynching आदि गैंगों के माध्यम से देश में अराजकता फ़ैलाने का प्रयास यानि स्पष्ट शब्दों में कहा जाए तो छद्दम धर्म-निरपेक्षों द्वारा तुष्टिकरण को चरम सीमा पर ले जाने ने ही भारत में मोदी सुनामी लाकर अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी दे मारी।    
उत्तर प्रदेश की प्रतिष्ठित अमेठी लोकसभा सीट पर भाजपा प्रत्याशी केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी की जीत के पीछे अमेठी की जनता का कहना है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से उन्हें वह आत्मीयता नहीं मिल सकी, जो उनके दिवंगत पिता एवं पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी से मिलती थी। कांग्रेस का गढ़ माने जा रहे अमेठी सीट से भारतीय जनता पार्टी की उम्मीदवार स्मृति ईरानी ने कांग्रेस अध्यक्ष को 55 हजार 120 मतों के अंतर से पराजित किया।
इस चुनाव में स्मृति को चार लाख 67 हजार 598 मत मिले, जबकि कांग्रेस अध्यक्ष को चार लाख 12 हजार 867 मत प्राप्त हुए। इससे पहले 2014 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी को 408,651 वोट मिले थे, जबकि भाजपा प्रत्याशी स्मृति ईरानी को 300,748 वोट मिले थे और कांग्रेस अध्यक्ष ने केंद्रीय मंत्री को 1,07,000 वोटों के अंतर से पराजित किया था। राहुल गांधी अमेठी से लगातार तीन बार सांसद रहे। उन्होंने 2009 में यह सीट 3,50,000 से भी ज्यादा मतों से जीती थी। कांग्रेस अध्यक्ष यहां से पहली बार 2004 में चुन कर संसद पहुंचे थे।
राहुल ने बेरोजगारी को बढ़ाया                        
अपनी चुनावी रैलियों में प्रधानमन्त्री मोदी पर देश में बेरोजगारी को बढ़ाने का आरोप लगाने वाले राहुल ने अपने ही संसदीय क्षेत्र में कितने लोगों को बेरोजगार किया, कभी नहीं बताया। इतना ही नहीं, कांग्रेस समर्थित समस्त पार्टियाँ भी चुप्पी साधे रहीं, क्योंकि चोर-चोर मौसेरे भाई। अमेठी के लोगों का कहना है कि राजीव गांधी के समय शुरू की गई कई परियोजनाएं और कार्यक्रम राहुल के सांसद रहते एक-एक कर बंद हो गए, जिससे हजारों लोगों की रोजी-रोजगार पर असर पड़ा। इसके चलते बड़ी संख्या में लोगों ने रोजगार के लिए अमेठी से पलायन किया। उनका कहना है कि और तो और गांधी परिवार से बरसों से पूरी निष्ठा से जुड़े बुजुर्गों का भी मन टूटा दिखता है। उन्हें मलाल है कि गांधी परिवार की वर्तमान पीढी से उन्हें वह प्यार और इज्जत नहीं मिली, जो इसे पहले की पीढियों से मिला करती थी।
अमेठी से सांसद रह चुके कैप्टन सतीश शर्मा के समय बनी मालविका स्टील फैक्टरी भी राहुल के समय में ही बंद हो गई। किसानों की जो जमीन गई, वह तो गई ही। साथ ही 10 हजार लोग बेरोजगार हो गए। ये वही बेरोजगार थे, जिन्हें किसानों से जमीन के बदले एक परिवार से एक व्यक्ति को फैक्टरी में रोजगार के लिए रखा गया था।
किसानो से धोखा  
अमेठी संसदीय सीट को कांग्रेस का दुर्ग कहा जाता है और इस सीट पर इससे पहले तक 16 लोकसभा चुनाव और 2 उपचुनाव हुए हैं। इनमें से कांग्रेस ने यहां 16 बार जीत दर्ज की है। 1977 में लोकदल और 1998 में भाजपा को यहां से जीत मिली थी जबकि बसपा और सपा इस सीट से अभी तक अपना खाता भी नहीं खोल सकी है। 'राजीव गांधी ने सम्राट बाइसिकिल्स नामक कंपनी स्थापित करने में मदद की थी। फैक्टरी घाटे में चली गई और उसे बंद कर दिया गया। उसके बाद कंपनी की जमीन नीलामी पर लग गई, क्योंकि कंपनी पर कर्ज था। जमीन को राजीव गांधी चैरिटेबिल ट्रस्ट ने खरीद लिया। ट्रस्ट में राहुल गांधी ट्रस्टी हैं और किसानों को जमीन लौटाने की मांग को लेकर स्मृति ईरानी ने पांच साल तक लड़ाई लड़ी। स्मृति के अलावा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्थानीय लोगों से किसानों की जमीन वापस लौटाने का वादा किया।
स्वास्थ्य सेवाएँ बाधित
राहुल ने दिल्ली के मुख्यमन्त्री अरविन्द केजरीवाल तक से कुछ नहीं सीखा। केजरीवाल लाख मोदी सरकार पर उनके कामों में अवरोध उत्पन्न करने का आरोप लगाते रहते हैं। फिर भी जगह-जगह मौहल्ला क्लिनिक खोल जनता को लाभ पहुंचा जा रहे हैं। 1986 से पालम गांव आना-जाना लगा रहता है, परन्तु जब से वहाँ आप विधायक निर्वाचित हुआ है, वहाँ की काया ही पलट गयी। पक्की सड़क, सीवर और पीने के पानी की लाइन एवं घर-घर पाइप गैस लाइन ने वहाँ का वातावरण ही बदल दिया।    
राजीव गांधी सचल स्वास्थ्य सेवा के तहत नौ गाड़‍ियां गांव-गांव जाकर गरीबों का इलाज करती थीं और मुफ्त में दवा बांटती थीं, लेकिन यह सेवा भी राहुल के सांसद रहते ही बंद हो गई और जनता की भारी मांग के बावजूद इसे पुन: शुरू कराने का प्रयास नहीं किया गया। 'राजीव गांधी जीवन रेखा एक्सप्रेस' साल में एक बार महीने भर के लिए अमेठी आती थी। इस ट्रेन पर डाक्टरों की विशेषज्ञ टीम होती थी, जो उपचार के साथ साथ सर्जरी भी करती थी । इस सेवा से लाखों लोगों को फायदा हुआ। लेकिन यह सेवा राहुल के सांसद रहते बंद हो गई और इस महत्वपूर्ण चिकित्सा सेवा को बहाल करने का कोई प्रयास नहीं किया गया।
राजीव गांधी गांव-गांव घर-घर जाकर एक-एक व्यक्ति से व्यक्तिगत तौर पर मिलते थे और इससे उनका अमेठी की जनता के साथ आत्मीय संबंध कायम हो गया था, राहुल ने अमेठी के दौरे तो बहुत किए, लेकिन कहीं न कहीं लोगों के साथ वह सीधा संवाद नहीं स्थापित कर पाए, जो राजीव गांधी के साथ होता था। राजीव गांधी के समय के पुराने और निष्ठावान कांग्रेसी धीरे-धीरे पार्टी से दूर होते चले गए, जबकि सच्चाई यह है कि ये लोग ही पार्टी के चुनाव अभियान की पूरी कमान संभालते थे। अगर ये लोग साथ होते तो शायद नतीजे राहुल के पक्ष में नजर आते।
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आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार 1977 में इंदिरा गांधी रायबरेली सीट से 55,202 मतों से हार गईं थीं। 1977 में ही संजय गांधी अमेठी स.....

अमेठी लोकसभा सीट के तहत पांच विधानसभा सीटें आती हैं, इनमें अमेठी जिले की तिलोई, जगदीशपुर, अमेठी और गौरीगंज सीटें शामिल हैं, जबकि रायबरेली जिले की सलोन विधानसभा सीट आती है। 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में 5 सीटों में से 4 सीटों पर भाजपा और महज एक सीट पर समाजवादी पार्टी को जीत मिली थी। सोनिया गांधी ने राजनीति में जब कदम रखा तो उन्होंने 1999 में अमेठी को ही अपनी कर्मभूमि बनाया था। वह इस सीट से जीतकर पहली बार सांसद बनीं, लेकिन 2004 के चुनाव में उन्होंने अपने बेटे राहुल गांधी के लिए ये सीट छोड़ दी और इसके बाद से राहुल ने लगातार तीन बार यहां से जीत हासिल की।
योगी आदित्यनाथ 
आखिर उत्तर प्रदेश के मुख्यमन्त्री योगी आदित्यनाथ क्यों कहते थे "जितनी जल्दी हो सके, राहुल गाँधी को अध्यक्ष बनाइए", क्योकि उन्हें मालूम था, राहुल ने अमेठी का सांसद बनने के बाद कांग्रेस के कहे जाने वाले दुर्ग की जड़ों को खोखला कर दिया है। जिसे बहुत ही सोंची-समझी निति से धवस्त किया जा सकता है। और उसको क्रियाविन्त करने के लिए स्मृति को मोहरा बनाकर व्यूरचना रची गयी। 
दूसरे, सोनिया ने हिन्दू विरोधी छवि होने के कारण पार्टी को जो क्षति पहुंचाई है, उसका भरपूर लाभ उठाकर मोदी-योगी-अमित रूपी त्रिमूर्ति केवल कांग्रेस ही नहीं, समस्त छद्दमों की दुकानें बंद करने को कटिबद्ध हैं। और इस महान कार्य में साध्वी प्रज्ञा, साक्षी महाराज आदि साधुओं का साधुवाद महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। 
कांग्रेस और इनके समर्थक छद्दम दल अब भारतीय संस्कृति को कलंकित करने का साहस नहीं कर पाएंगे। इन लोगों ने भारतीय संस्कृति को जितना नुकसान पहुँचाना था पहुंचा दिया, अब फ्रेंच ज्योतिष नॉस्त्रेदमस की भविष्यवाणियों के चरितार्थ होने का समय है, जिसका श्रीगणेश 2014 से हो चूका है। भारतीय संस्कृति की धूम अब केवल भारत तक सीमित नहीं रहने वाली, विश्व में अपना ध्वज फहराएगी।           

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