मोदी मंत्रिमंडल की अमीर महिला सांसद हैं हरसिमरत कौर

Harsimrat Kaur, a rich woman MP of Modi Cabinet, has assets worth Rs 217 crore
आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार 
मोदी सरकार में हरसिमरत कौर बादल को दोबारा मंत्री बनाया गया है। हरसिमरत कौर मोदी मंत्रिमंडल की अमीर महिला सांसद हैं। साल 2019 के हलफनामे के मुताबिक हरसिमरत कौर की कुल संपत्ति 217 करोड़ रुपए की है। हरसिमरत कौर ने पंजाब की बठिंडा लोकसभा सीट से जीत की हैट्रिक लगाई है। वो साल 2009 से बठिंडा संसदीय क्षेत्र से वो लगातार सांसद है। हरसिमरत मोदी सरकार में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री भी रह चुकी हैं। 

संपत्ति 

हरसिमरत कौर की संपत्ति की बात करें, तो उनके अकाउंट में 41 लाख रुपए जमा हैं, जबकि 60 लाख रुपए के बांड, डिबेंचर और कंपनियों के शेयर हैं। हालांकि उन पर पर्सनल लोन भी 25 लाख करोड़ रुपए का है। हरसिमरत कौर के नाम 2 लाख रुपए कीमत के ट्रैक्टर हैं। इसके अलावा हरसिमरत के पास 7 करोड़ की ज्वैलरी है। हरसिमरत कौर के नाम पर सिरसा, गंगानगर राजस्थान समेत कुल 6 जगह 49 करोड़ रुपए की प्रॉपर्टी हैं। इसके अलावा 18 करोड़ रुपए की नॉन एग्रीकल्चर प्रॉपर्टी है। कॉमर्शियल बिल्डिंग 9 करोड़ रुपए की है, जबकि रेजिडेंशियल बिल्डिंग 39 करोड़ रुपए की है।

निजी और राजनीतिक जीवन

हरसिमरत कौर का 25 जुलाई 1966 को दिल्ली के एक सिख परिवार में जन्म हुआ। वो गुड़गांव ट्राइडेंट होटल में निजी ज्वैलरी कारोबार चलाती है साथ ही फैशन डिजाइनर भी हैं। उन्होंने दिल्ली के लारेटो कॉन्वेंट स्कूल से पढ़ाई की। साथ ही मैट्रिक्यूलेट और ड्रेस डिजाइन में डिप्लोमा भी किया है। हरसिमरत की राजनीति की शुरुआत साल 2009 में हुई। साल 2009 में हुए लोकसभा चुनाव में शिरोमणि अकाली दल ने हरसिमरत को बठिंडा से कांग्रेस के उम्मीदवार राहींदर सिंह के खिलाफ चुनावी मैदान में उतारा। इस चुनावी जंग में हरसिमरत को फतह हासिल हुई और उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार को 120960 वोटों से मात दी थी। 
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क्या कौर जैसे करोड़पतियों को पेंशन की आवश्यकता है?
प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी के एक आव्हान पर देश के करोड़ों लोगों ने एलपीजी सब्सिडी छोड़ दी, परन्तु क्या इसी तरह प्रधानमंत्री मोदी कौर जैसे करोड़पति जन प्रतिनिधियों से उनको मिलने वाली पेंशन छोड़ने का आव्हान कर सकते हैं, यदि ऐसा होता है देश के खजाने में हर माह करोड़ों की वृद्धि होगी। जिसका देश के विकास में प्रयोग किया जा सकता है। निगम पार्षद से लेकर संसद और मंत्रिमंडल में ऐसे हज़ारों जनप्रतिनिधि हैं, जो अपनी राशि पर अर्जित ब्याज तक नहीं खा सकते, फिर उनको पेंशन की क्या आवश्यकता?   

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