पांच साल में भारतीय व्हिस्की की मांग 50 प्रतिशत बढ़ी

In five years, the demand for Indian whiskey increased 50 percent, the coffin remained neutralभारतीय व्हिस्की ने बीते पांच साल में 50 प्रतिशत की वृद्धि हासिल की है। यही नहीं, हाइवे के आसपास 500 मीटर के दायरे वाले बैन, नोटबंदी और ऐसी ही कई मुश्किलों के बाद भी बीते साल बिक्री में 11 फीसदी  का इजाफा हुआ है। खास बात यह है कि वैश्विक स्तर बिकने वाली पर हर पांच में तीन भारतीय ब्रांड की व्हिस्की है। 

भारत में व्हिस्की का मतलब ही शराब 

इंटरनेशनल वाइन और स्प्रिट रिसर्च (IWSR) के नए आंकड़ों के अनुसार व्हिस्की, वोदका, जिन, रम और ब्रांडी में से एक भारतीय संस्करण का ब्रांड है। एलाइड ब्लेंडर्स के एक्जीक्यूटिव वाइस चेयरमैन दीपक रॉय ने कहा कि इंडियन ड्रिंक्स ज्यादा स्ट्रांग होते हैं इसलिए लोगों को पसंद आ रहे हैं। 34 मिलियन लीटर से ज्यादा की बिक्री वाले ऑफिसर्स च्वाइस के निर्माता कहते हैं कि व्हिस्की भारत में शराब का डिफ़ॉल्ट विकल्प है। इसमें दक्षिण भारत अपवाद हैं। वहां ब्रांडी ज्यादा पसंद की जाती है। इसके अलावा जिन और वोदका आम तौर पर कॉकटेल से जुड़ी होती हैं। इसलिए व्हिस्की की बिक्री ज्यादा है। 

पर रूसी वोदका की तरह पहचान नहीं 

हालांकि भारत में चीन के बैजू या रूसी वोदका की तरह कोई प्रमुख देशी शराब नहीं बिकती है। भारत में यूरीपीय स्प्रिट से ही भारत निर्मित विदेशी शराब बनाई जाती है। यूनाइटेड स्पिरिट्स लिमिटेड (USL) और Pernod Ricard के स्वामित्व वाले ब्रांडों का 90 प्रतिशत बाजार पर कब्जा है। 

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