
आर.बी.एल.निगम

लेकिन जो प्रायोजित आलोचना करने में व्यस्त हो, उन्हें प्रशांत जैसे हालात से रूबरू होना पड़ता है। वास्तव में देश में फैला व्याप्त छद्दमवाद ही समाप्त समस्याओं की जड़ है। दूसरे, जब तक देश तुष्टिकरण भी नासूर बना हुआ है। इन्हीं दोनों-छद्दमवाद और तुष्टिकरण- ने ही भारत को इसके वास्तविक इतिहास से अज्ञान रखा हुआ है और जो वास्तविकता से रूबरू करवाना चाहता है, इन्हीं जैसे पत्रकार उसे साम्प्रदायिक और न जाने किस-किस नाम से सम्बोधित कर बदनाम करते हैं।
स्वतंत्र पत्रकार प्रशांत कनौजिया को उत्तर प्रदेश पुलिस ने आठ जून को गिरफ्तार कर लिया। इसकी खबर मिलते ही दिल्ली के वामपंथी पत्रकार और कथित बुद्धिजीवी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ लामबंद हो गए। सागरिका घोष, राजदीप सरदेसाई, आशुतोष, एस वरदारजन, रोहिणी सिंह, रावि नायर, मोहुआ चटर्जी, संजुक्ता बसु, स्मिता शर्मा, शबनम हाशमी, उमर खालिद, कविता कृष्णन, इंदिरा जयसिंह और प्रशांत भूषण आदि जैसे घाघ मोदी विरोधी सोशल मीडिया पर आवाज उठाने लगे कि ‘प्रेस की स्वतंत्रता खतरे में है’। लेकिन इनमें से किसी ने यह जानने की जरुरत नहीं समझी कि प्रशांत कनौजिया वास्तव में ‘ अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता’ के अधिकार को ढाल बनाकर कैसी पत्रकारिता करता है। वह देश के प्रधानमंत्री, मंत्री और जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों के खिलाफ सोशल मीडिया पर जहर और नफरत फैलाने के काम को ही पत्रकारिता का उद्देश्य मानता है।



प्रशांत के ट्वीट से जान पड़ता है, कि इस तरह के ट्वीट करवाने के पीछे कौन-कौन हैं, इसकी गम्भीर जाँच जरुरी है। बिना प्रलोभन के कोई अपनी प्रतिष्ठा को दॉंव पर नहीं लगा सकता।
देश के चुने सांसदों को आतंकवादी बताया-23 मई को लोकसभा चुनाव के परिणाम में भाजपा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रचंड जीत पर लिखा कि अब हमारे संसद में आतंकवादी पहुंच गए हैं-

देश के गृहमंत्री के खिलाफ जहर-30 मई को अमित शाह जब देश के गृहमंत्री के पद की शपथ ले रहे थे तो इसने लिखा-

एक दूसरे Tweet में लिखता है-

आगे Tweet में लिखता है-

हिन्दू धर्म के खिलाफ जहर-प्रशांत कनौजिया जो अपना धर्म सरकार से सवाल पूछना मानता हैं, उसके ये Tweets पत्रकारिता के किस धर्म के दायरे में आते हैं, जिसमें बहुसंख्यकों के धर्म को भला बुरा कहा जाता है और धर्म के आदर्श पुरुष के बारे में अमर्यादित बातें कही जाती हैं?




उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री की मानहानि-प्रशांत कनौजिया सीधे तौर पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को निशाना बनाते हुए अक्सर खबरों को लेकर अमर्यादित टिप्पणी करता रहता है। लेकिन 06 जून के Tweet में मर्यादा की सीमा को ही पार कर गया और योगी आदित्यनाथ के व्यक्तिगत जीवन के बारे में एक महिला के बयान को बिना जांच पड़ताल के सोशल मीडिया पर अभद्र टिप्पणी के साथ प्रचारित कर दिया-

महेन्द्र सिंह धोनी का अपमान- पूर्वाग्रहों से ग्रस्त पत्रकारिता का क्या स्वरूप होता है, इसका पता कनौजिया के उस Tweet से चलता है जो इसने पूर्व भारतीय कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी के बारे में किया। कोई भी धोनी के देश प्रेम की भावना पर सवाल नहीं खड़ा कर सकता है, लेकिन प्रशांत कनौजिया ने लिखा-

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