आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह अपनी बयानबाजी को लेकर चर्चाओं में रहते हैं वो अक्सर ही किसी ना किसी मुद्दे पर अपने विचार रखते रहते हैं आज विश्व जनसंख्या दिवस के मौके पर गिरिराज सिंह ने तेजी से बढ़ती आबादी पर चिंता जताते हुए लिखा है-हिंदुस्तान में जनसंख्या विस्फोट अर्थव्यवस्था सामाजिक समरसता और संसाधन का संतुलन बिगाड़ रहा है। जनसंख्या नियंत्रण पर धार्मिक व्यवधान भी एक कारण है। इस ट्वीट को लेकर राजद और कांग्रेस ने विरोध जताया है।
भारत में सबसे बड़ी समस्या नहीं बल्कि दुर्भाग्य यह है कि जब कभी भी देश में कोई कानून बनाए जाने की बात होती है, तुष्टिकरण के पुजारी साम्प्रदायिक चश्मे से देखना शुरू कर देते हैं। जब तक जनता सेवक तुष्टिकरण पुजारी सियासत करते रहेंगे, देश तरक्की नहीं कर सकता। देशहित में उठाए जाने वाले जनसँख्या नियंत्रण कदमों का विरोध करने वाले कभी देशहित के बारे में सोंच ही नहीं सकते।
सरकार को एक कानून बनाना चाहिए कि तीसरा बच्चा होने पर परिवार को किसी तरह की कोई सरकारी सुविधा नहीं मिलेगी। फिर चाहे वह परिवार जितना अधिक निर्धन ही क्यों न हो। जिसको उस परिवार की चिंता है, वह स्वयं या पार्टी से मदद दे, किसी भी रूप में सरकारी खजाने से नहीं। सरकारी खजाने को ये ही लोग गरीब बनकर लूटते हैं। जिसका बोझ वेतनभोगी पर पड़ता है। नेता को चिंता नहीं, उसका तो वोट पक्का हो जाता है।
गिरिराज सिंह ने देश में आजादी के बाद से 'जनसंख्या विस्फोट' पर चिंता जाहिर की और जिन लोगों के दो से अधिक बच्चे हैं उन्हें मताधिकार से वंचित किये जाने की वकालत की। विवादास्पद बयानबाजी करने को लेकर चर्चा में रहने वाले बिहार के भाजपा नेता ने विश्व जनसंख्या दिवस के मौके पर ट्विटर पर एक ग्राफिक साझा किया है जिसमें दिखाया गया है कि 1947 से 2019 के बीच भारत की जनसंख्या में 366 फीसदी की वृद्धि हुई है जबकि इस अवधि में अमेरिका की आबादी में सिर्फ 113 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।
स्मरण हो, आपातकाल में जब संजय गाँधी ने जनसँख्या नियंत्रण के अभियान चलाया था, उसका विरोध भी दिल्ली जामा मस्जिद से हुआ था, क्षेत्र में कर्फ्यू तक लग गया था। हालाँकि संजय गाँधी के युवा कांग्रेस और सरकारी अधिकारीयों द्वारा इसका भरपूर दुरूपयोग किया जा रहा था। कर्मचारियों को अपनी पदोन्नति और वार्षिक वृद्धि आदि के लिए भ्रष्टाचार के माध्यम से झूठे नसबंदी के प्रमाण प्रस्तुत करने पड़ रहे थे। इसीलिए इस प्रकार के दुरूपयोग रोकने के लिए कानून बनाते समय तीसरे गर्भ धारण की तिथि निश्चित करनी चाहिए।
केंद्रीय पशुपालन, डेयरी एवं मत्स्य पालन मंत्री ने ट्विटर पर हिंदी में लिखा है, 'हिंदुस्तान में जनसंख्या विस्फोट अर्थव्यवस्था सामाजिक समरसता और संसाधन का संतुलन बिगाड़ रहा है। जनसंख्या नियंत्रण पर धार्मिक व्यवधान भी एक कारण है।' कई दक्षिणपंथी नेता देश में जनसंख्या में जबरदस्त वृद्धि के लिए मुस्लिम समुदाय पर दोषारोपण करते रहे हैं।
इसे खतरनाक बताते हुए कैबिनेट मंत्री ने कहा, 'हिंदुस्तान 1947 की तर्ज़ पर 'सांस्कृतिक विभाजन' की ओर बढ़ रहा है। सभी राजनीतिक दलों को साथ हो जनसंख्या नियंत्रण क़ानून के लिए आगे आना होगा।' बाद में मंत्री ने दिल्ली के कुछ समाचार चैनलों से बातचीत में कहा कि जनसंख्या विस्फोट को रोकने के लिए सख्त कदम उठाना होगा।
हिंदुस्तान में जनसंख्या विस्फोट अर्थव्यवस्था सामाजिक समरसता और संसाधन का संतुलन बिगाड़ रहा है।
जनसंख्या नियंत्रण पर धार्मिक व्यवधान भी एक कारण है,हिंदुस्तान 47की तर्ज़ पर सांस्कृतिक विभाजन की ओर बढ़ रहा है।
सभी राजनीतिक दलों को साथ हो जनसंख्या नियंत्रण क़ानून के लिए आगे आना होगा।
राजद और कांग्रेस ने इस पर जताई है असहमति
भाजपा नेता के इस विचार से प्रदेश में राजद और कांग्रेस ने असहमति जतायी और इसे खारिज कर दिया। राजद के बिहार प्रदेश प्रमुख रामचंद्र पूर्वे ने सिंह के बयान को ओछी राजनीति का उदाहरण बताया क्योंकि इससे लगता है कि वह जनसंख्या में बढोतरी के लिए अल्पसंख्यक समुदाय पर आरोप लगा रहे हैं।
दूसरी ओर कांग्रेस के विधान पार्षद प्रेम चंद्र मिश्र ने कहा कि केंद्रीय मंत्री के पास इस तरह के विचार कहां से आते हैं? क्या वह संविधान में किसी प्रावधान को बता सकते हैं जिसके तहत खास संख्या से अधिक बच्चे होने के कारण किसी व्यक्ति को मताधिकार से वंचित किया जा सकता है। मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाकर टिप्पणी करके सिंह अक्सर विवाद पैदा करते रहे हैं।
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