पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह को एक बार फिर राज्यसभा में पहुंचाने के लिए कांग्रेस के पास अब राजस्थान का सहारा है, क्योंकि असम और गुजरात के रास्ते बंद हो जाने के बाद तमिलनाडु में भी सहयोगी द्रविड़ मुनेत्र कषगम (DMK) ने जुलाई 2 को राज्य की तीनों राज्यसभा सीटों के लिए प्रत्याशी घोषित कर दिए, और दो सीटें अपने पास रखकर तीसरी सीट के लिए उन्होंने कांग्रेस के स्थान पर अन्य सहयोगी MDMK के वी. गोपालसामी अथवा वाइको का नाम घोषित किया.
तमिलनाडु में सत्तासीन ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (AIADMK) तथा विपक्षी दल DMK, दोनों के पास इतने विधायक हैं कि वे तीन-तीन सीटें जीत सकते हैं. पिछले दिनों इस तरह की ख़बरें काफी गर्म रहीं कि एक वक्त में प्रधानमंत्री पद के लिए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के नाम की पैरवी करने वाले DMK प्रमुख एम.के. स्टालिन इस बात के लिए राज़ी थे कि अपने कोटे की एक सीट वह डॉ मनमोहन सिंह को दे देंगे.
सूत्रों का कहना है कि DMK का इरादा बदलने के पीछे एक कारण यह रहा कि कांग्रेस के शीर्ष दोनों नेताओं - राहुल गांधी या उनकी मां सोनिया गांधी - ने सीधे एम.के. स्टालिन से बात नहीं की, बल्कि उनके स्थान पर कांग्रेस नेताओं अहमद पटेल तथा गुलाम नबी आज़ाद ने DMK में अपने समकक्षों से बात की, जिसकी वजह से DMK नेतृत्व नाराज़ हो गया.
वर्ष 2014 में कांग्रेस-नीत संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) की सरकार की हार से पहले 10 साल तक प्रधानमंत्री रहे डॉ मनमोहन सिंह पूर्वोत्तर के असम राज्य से राज्यसभा सांसद थे, लेकिन अब इस राज्य में कांग्रेस के पास पर्याप्त संख्या में विधायक मौजूद नहीं हैं, ताकि डॉ सिंह को संसद के उच्च सदन में फिर भेजा जा सके.
कांग्रेस ने पूर्व प्रधानमंत्री को गुजरात से राज्यसभा भेजने का फैसला किया था, जहां केंद्रीय मंत्रियों अमित शाह तथा स्मृति ईरानी के लोकसभा सदस्य बन जाने की वजह से दो सीटें रिक्त हो गई हैं. लेकिन सूत्रों के मुताबिक, राज्य की दोनों राज्यसभा सीटों के लिए एक साथ चुनाव करवाए जाने की मांग खारिज हो जाने के बाद पार्टी ने फैसला पलट दिया.
कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी का तर्क था कि यदि दोनों सीटों के लिए अलग-अलग चुनाव करवाया जाता है, तो 'फर्स्ट-पास्ट-द-पोस्ट' सिस्टम के चलते दोनों सीटों पर BJP की जीत होगी, क्योंकि उनके पास कांग्रेस के मुकाबले 20 विधायक ज़्यादा हैं. उनका कहना था कि अगर दोनों सीटों पर एक ही दिन में एक साथ चुनाव करवाया जाता, तो कांग्रेस एक सीट जीत सकती थी. लेकिन चुनाव आयोग के अनुसार, इस तरह के चुनावों को कभी एक साथ नहीं करवाया जाता. उधर, सुप्रीम कोर्ट ने भी चुनाव आयोग के फैसले को चुनौती देने वाली गुजरात कांग्रेस की याचिका को खारिज कर दिया.
अब बताया जा रहा है कि कांग्रेस की योजना डॉ मनमोहन सिंह को राजस्थान से राज्यसभा में भेजने की है, जहां पिछले ही महीने राज्य BJP प्रमुख मदनलाल सैनी के निधन के बाद एक राज्यसभा सीट खाली हुई है. उनका कार्यकाल अप्रैल, 2024 तक का था. पिछले साल दिसंबर में राजस्थान विधानसभा चुनाव जीतकर राज्य में सत्तासीन हुई कांग्रेस को यहां अपनी जीत का भरोसा है.
तमिलनाडु में सत्तासीन ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (AIADMK) तथा विपक्षी दल DMK, दोनों के पास इतने विधायक हैं कि वे तीन-तीन सीटें जीत सकते हैं. पिछले दिनों इस तरह की ख़बरें काफी गर्म रहीं कि एक वक्त में प्रधानमंत्री पद के लिए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के नाम की पैरवी करने वाले DMK प्रमुख एम.के. स्टालिन इस बात के लिए राज़ी थे कि अपने कोटे की एक सीट वह डॉ मनमोहन सिंह को दे देंगे.
सूत्रों का कहना है कि DMK का इरादा बदलने के पीछे एक कारण यह रहा कि कांग्रेस के शीर्ष दोनों नेताओं - राहुल गांधी या उनकी मां सोनिया गांधी - ने सीधे एम.के. स्टालिन से बात नहीं की, बल्कि उनके स्थान पर कांग्रेस नेताओं अहमद पटेल तथा गुलाम नबी आज़ाद ने DMK में अपने समकक्षों से बात की, जिसकी वजह से DMK नेतृत्व नाराज़ हो गया.
वर्ष 2014 में कांग्रेस-नीत संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) की सरकार की हार से पहले 10 साल तक प्रधानमंत्री रहे डॉ मनमोहन सिंह पूर्वोत्तर के असम राज्य से राज्यसभा सांसद थे, लेकिन अब इस राज्य में कांग्रेस के पास पर्याप्त संख्या में विधायक मौजूद नहीं हैं, ताकि डॉ सिंह को संसद के उच्च सदन में फिर भेजा जा सके.
कांग्रेस ने पूर्व प्रधानमंत्री को गुजरात से राज्यसभा भेजने का फैसला किया था, जहां केंद्रीय मंत्रियों अमित शाह तथा स्मृति ईरानी के लोकसभा सदस्य बन जाने की वजह से दो सीटें रिक्त हो गई हैं. लेकिन सूत्रों के मुताबिक, राज्य की दोनों राज्यसभा सीटों के लिए एक साथ चुनाव करवाए जाने की मांग खारिज हो जाने के बाद पार्टी ने फैसला पलट दिया.
कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी का तर्क था कि यदि दोनों सीटों के लिए अलग-अलग चुनाव करवाया जाता है, तो 'फर्स्ट-पास्ट-द-पोस्ट' सिस्टम के चलते दोनों सीटों पर BJP की जीत होगी, क्योंकि उनके पास कांग्रेस के मुकाबले 20 विधायक ज़्यादा हैं. उनका कहना था कि अगर दोनों सीटों पर एक ही दिन में एक साथ चुनाव करवाया जाता, तो कांग्रेस एक सीट जीत सकती थी. लेकिन चुनाव आयोग के अनुसार, इस तरह के चुनावों को कभी एक साथ नहीं करवाया जाता. उधर, सुप्रीम कोर्ट ने भी चुनाव आयोग के फैसले को चुनौती देने वाली गुजरात कांग्रेस की याचिका को खारिज कर दिया.
अब बताया जा रहा है कि कांग्रेस की योजना डॉ मनमोहन सिंह को राजस्थान से राज्यसभा में भेजने की है, जहां पिछले ही महीने राज्य BJP प्रमुख मदनलाल सैनी के निधन के बाद एक राज्यसभा सीट खाली हुई है. उनका कार्यकाल अप्रैल, 2024 तक का था. पिछले साल दिसंबर में राजस्थान विधानसभा चुनाव जीतकर राज्य में सत्तासीन हुई कांग्रेस को यहां अपनी जीत का भरोसा है.
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