
खान मार्केट गैंग का चेहरा
वहीं सोशल मीडिया पर ‘खान मार्केट गैंग’ के पत्रकार इस फैसले को सही बताते हुए सेक्युलरिज्म की दुहाई देने लगे। ऐसी ही एक पत्रकार अरफा खानम शेरवानी ने कहा कि अदालत का यह निर्णय सही है और पश्चिमी देशों में सेवा करने की सजा अक्सर अदालतें देती रहती हैं। उन्होंने Tweet में लिखा-

अरफा खानम शेरवानी को जावेद अख्तर ने सच का आईना दिखाया। यह जावेद अख्तर वही हैं जो अक्सर ‘खान मार्केट गैंग’ के साथ खड़े रहते हैं। जावेद अख्तर ने रांची की अदालत के इस निर्णय को ‘साम्प्रदायिकता बढ़ाने वाला’ कहकर अरफा को गलत बताते हुए Tweet में लिखा-
खान मार्केट गैंग का गिरगिटिया रंग
सबसे आश्चर्य की बात है कि अरफा खान और जावेद अख्तर तो ऋचा भारती को लेकर सोशल मीडिया पर बहस करते हैं, लेकिन उस घटना पर कोई प्रतिक्रिया नहीं देते जो कोलकाता में इशरत जहां के साथ हुई। कोलकाता में इशरत जहां को उसके मकान मालिक ने इसलिए घर से बाहर निकाल दिया क्योंकि वह अपने घर में हनुमान चालीसा का पाठ कर रही थीं। इशरत जहां के खिलाफ जिस तरह से मुस्लिम समुदाय खड़ा हो गया उसकी भर्त्सना करने के बजाय ‘खान मार्केट गैंग’ ने चुप्पी साध ली, किसी ने भी एक Tweet नहीं किया। हद तो तब हो गई जब जाने माने पत्रकार राजदीप सरदेसाई भी इशरत जहां के मामले में चुप्पी साध लेते हैं, लेकिन ऋचा भारती को ‘ कट्टर सोच’ वाला बताने में पीछे नहीं रहते हैं। अपने Tweet मे राजदीप लिखते हैं-

घटनाओं को जोड़कर अपने मनमाफिक नैरेटिव कैसे तैयार किया जाता है, इसका बेहतरीन नमूना ऋचा भारती का मामला है। जब न्यायालय को अपनी शर्तों की जटिलता का अहसास हुआ तो, न्यायालय ने शर्त को वापस ले लिया लेकिन इसे अरफा खानम ने अपने वीडियो के जरिए एक नैरेटिव बनाया कि भारत में दक्षिणपंथी हावी होते जा रहे हैं, अदालतें भी उनके सामने झुक जाती हैं, ऐसे माहौल में मुसलमानों को भय में जीना पड़ रहा है। इस तरह से अरफा खानम ने एक घटना से पूरे भारत की भयावह तस्वीर खींच डाली। इसे अरफा खानम का तर्क नहीं कुतर्क कहें तो अधिक उचित होगा। अपने Tweet के साथ इस वीडियो में अपने पूरे नैरेटिव को सेट करने का प्रयास किया है-
नैरेटिव देश को बदनाम करता है
इस नैरेटिव के जरिए ‘खान मार्केट गैंग’ पूरी दुनिया में भारत की सत्ताधारी पार्टी भाजपा और प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ ऐंजड़ा चलता है। इस ऐंजडे को आगे बढ़ाने के लिए The Carvan पत्रिका के संपादक विनोद जोश ने लंदन में 10 और 11 जुलाई को आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में यह बताया कि किस तरह भारत में असहिष्णुता के बढ़ने से अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा बढ़ रही है। इस बारे में विनोद जोश ने अपने Tweet में लिखा-
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