‘खान मार्केट गैंग’ को जावेद अख्तर का जवाब

17 जुलाई को झारखंड में रांची की अदालत ने 19 वर्षिया ऋचा भारती को जमानत लेने के लिए अजीबो-गरीब शर्त लगा दी। न्यायाधीश मनीष सिंह ने ऋचा भारती से कहा कि उसे जमानत लेने के लिए पांच कुरान बांटने की शर्त पूरी करनी होगी। जमानत के लिए अदालत द्वारा लगाई गई इस शर्त को मानने के लिए ऋचा भारती तैयार नहीं हुईं। उनका कहना था कि यह उनकी धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का हनन है। अदालत के इस फैसले पर मीडिया और सोशल मीडिया पर हंगामा खड़ा हो गया।
खान मार्केट गैंग का चेहरा
वहीं सोशल मीडिया पर ‘खान मार्केट गैंग’ के पत्रकार इस फैसले को सही बताते हुए सेक्युलरिज्म की दुहाई देने लगे। ऐसी ही एक पत्रकार अरफा खानम शेरवानी ने कहा कि अदालत का यह निर्णय सही है और पश्चिमी देशों में सेवा करने की सजा अक्सर अदालतें देती रहती हैं। उन्होंने Tweet में लिखा-

खान मार्केट गैंग को जावेद अख्तर का जवाब
अरफा खानम शेरवानी को जावेद अख्तर ने सच का आईना दिखाया। यह जावेद अख्तर वही हैं जो अक्सर ‘खान मार्केट गैंग’ के साथ खड़े रहते हैं। जावेद अख्तर ने रांची की अदालत के इस निर्णय को ‘साम्प्रदायिकता बढ़ाने वाला’ कहकर अरफा को गलत बताते हुए Tweet में लिखा-

खान मार्केट गैंग का गिरगिटिया रंग
सबसे आश्चर्य की बात है कि अरफा खान और जावेद अख्तर तो ऋचा भारती को लेकर सोशल मीडिया पर बहस करते हैं, लेकिन उस घटना पर कोई प्रतिक्रिया नहीं देते जो कोलकाता में इशरत जहां के साथ हुई। कोलकाता में इशरत जहां को उसके मकान मालिक ने इसलिए घर से बाहर निकाल दिया क्योंकि वह अपने घर में हनुमान चालीसा का पाठ कर रही थीं। इशरत जहां के खिलाफ जिस तरह से मुस्लिम समुदाय खड़ा हो गया उसकी भर्त्सना करने के बजाय ‘खान मार्केट गैंग’ ने चुप्पी साध ली, किसी ने भी एक Tweet नहीं किया। हद तो तब हो गई जब जाने माने पत्रकार राजदीप सरदेसाई भी इशरत जहां के मामले में चुप्पी साध लेते हैं, लेकिन ऋचा भारती को ‘ कट्टर सोच’ वाला बताने में पीछे नहीं रहते हैं। अपने Tweet मे राजदीप लिखते हैं-

खान मार्केट कैसे बनाता है नैरेटिव
घटनाओं को जोड़कर अपने मनमाफिक नैरेटिव कैसे तैयार किया जाता है, इसका बेहतरीन नमूना ऋचा भारती का मामला है। जब न्यायालय को अपनी शर्तों की जटिलता का अहसास हुआ तो, न्यायालय ने शर्त को वापस ले लिया लेकिन इसे अरफा खानम ने अपने वीडियो के जरिए एक नैरेटिव बनाया कि भारत में दक्षिणपंथी हावी होते जा रहे हैं, अदालतें भी उनके सामने झुक जाती हैं, ऐसे माहौल में मुसलमानों को भय में जीना पड़ रहा है। इस तरह से अरफा खानम ने एक घटना से पूरे भारत की भयावह तस्वीर खींच डाली। इसे अरफा खानम का तर्क नहीं कुतर्क कहें तो अधिक उचित होगा। अपने Tweet के साथ इस वीडियो में अपने पूरे नैरेटिव को सेट करने का प्रयास किया है-

नैरेटिव देश को बदनाम करता है
इस नैरेटिव के जरिए ‘खान मार्केट गैंग’ पूरी दुनिया में भारत की सत्ताधारी पार्टी भाजपा और प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ ऐंजड़ा चलता है। इस ऐंजडे को आगे बढ़ाने के लिए The Carvan पत्रिका के संपादक विनोद जोश ने लंदन में 10 और 11 जुलाई को आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में यह बताया कि किस तरह भारत में असहिष्णुता के बढ़ने से अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा बढ़ रही है। इस बारे में विनोद जोश ने अपने Tweet में लिखा-


Why was the Ranchi Judge made to withdraw his order of distributing copies of Quran ? And why no one wants to talk about a 19 year old radicalised woman who wrote communal posts. I explain here : https://youtu.be/hjSu9ugKZiY 

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