मामूली क्लर्क से हजारों करोड़ का मालिक कैसे बना मायावती का भाई आनंद कुमार?


दलितों के उत्थान के उद्देश्य से बनायीं बहुजन समाजवादी पार्टी असली चेहरा सामने आ गया है। मायावती ने दलितों से अधिक अपना और अपने परिवार का भला किया। जैसाकि यदाकदा उन पर टिकट बेचने और अन्य साधनों से धन वसूली के समाचार आते रहते थे। वैसे भी बिना चिंगारी के कभी धुआँ नहीं होता, लेकिन दलितों के नाम पर अपनी ही जाति के साथ छल किया जा रहा था। 
दलितों के नाम पर अकूत दौलत कमाने के आरोपों में घिरी बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती आज अपने भाई आनंद कुमार पर हो रही आयकर की कार्रवाई से बौखलाई हुई हैं। मायावती सरकार पर हमलावर हैं, लेकिन यह नहीं बता रही हैं आखिर उनका मामूली सरकारी कर्मचारी भाई अचानक अरबपति कैसे बन गया। मायावती ने हाल ही में अपने भाई आनंद कुमार को बीएसपी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया था। आनंद कुमार कभी नोएडा अथॉरिटी में क्लर्क हुआ करता था और आज हजारों करोड़ की संपत्ति का मालिक है। जुलाई 19 को इनकम टैक्स विभाग ने आनंद कुमार और उसकी पत्नी विचित्र लता के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए नोएडा में बेनामी प्लॉट जब्त किया है। जब्त प्लाट की कीमत 400 करोड़ रुपये बताई जा रही है। सात एकड़ के इस प्लॉट को जब्त करने का आदेश दिल्ली स्थित बेनामी निषेध इकाई (बीपीयू) ने 16 जुलाई को जारी किया था।
नोएडा अथॉरिटी में क्लर्क था मायावती का भाई
मायावती का भाई आनंद कुमार कभी नोएडा प्राधिकरण में मामूली क्लर्क हुआ करता था। तब आनंद कुमार की सैलरी कुछ हजार रुपये महीना थी। लेकिन मायावती के सत्ता में आने के बाद आनंद कुमार की संपत्ति अचानक तेजी से बढ़ी। कहा जाता है कि उन्होंने पहले एक कंपनी बनाई थी। 2007 में मायावती की सरकार आने के बाद आनंद कुमार ने एक के बाद एक लगातार 49 कंपनियां खोलीं। देखते ही देखते 2014 में वह 1,316 करोड़ की संपत्ति के मालिक बन गए। आयकर विभाग के मुताबिक, 2007 से 2014 के बीच आनंद कुमार की संपत्ति में 18 हजार फीसदी इजाफा हुआ है। 2007 में आनंद कुमार की संपत्ति 7.1 करोड़ थी, जो 2014 में 1300 करोड़ हो गई।

रियल एस्टेट का किंग बने आनंद कुमार
मामूली क्लर्क की नौकरी करने वाले आनंद कुमार ने भ्रष्टाचार से कमाई दौलत का निवेश रियल एस्टेट में किया। नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद समेत यूपी और उत्तराखंड के कई शहरों में आनंद कुमार ने फर्जी कंपनियों के लिए रियल एस्टेट में निवेश किया। देखते ही देखते आनंद कुमार का नाम रियल एस्टेट के बड़े कारोबारियों में गिना जाने लगा। आनंद कुमार पर रियल एस्टेट में निवेश कर करोड़ों रुपये मुनाफा कमाने का भी आरोप है। इस मामले को लेकर इनकम टैक्स विभाग उनके खिलाफ जांच कर रहा था। इनकम टैक्स के साथ ही प्रवर्तन निदेशालय के पास भी इस मामले की जांच है। आयकर विभाग की नजरें उन 12 कंपनियों पर भी है, जिनसे आनंद कुमार बतौर निदेशक जुड़े थे। आयकर विभाग को अपनी जांच में पता चला है कि 2007 से 2012 तक जब मायावती उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री थीं, तब पांच कंपनियों के फैक्टर टेक्नोलॉजीज, होटल लाइब्रेरी, साची प्रॉपर्टीज, दीया रियल्टर्स और ईशा प्रॉपर्टीज के जरिए अधिकतर पैसा इकट्ठा किया गया।

आनंद की पत्नी के नाम से कई कंपनियां
आनंद कुमार ने अपनी पत्नी विचित्र लेखा के नाम से कई कंपनियां बना रखी थीं। इन कंपनियों का रजिस्ट्रेशन दिल्ली में करवाया गया है और इन कंपनियों का आईटी रिटर्न भी वहीं दाखिल किया जाता था। वर्ष 2007 से 2012 के दौरान उत्तर प्रदेश में मायावती सरकार के दौरान इन्हीं में से एक कंपनी के नाम पर सेक्टर 94 में करीब 7 एकड़ का कमर्शियल प्लॉट खरीदा था।

नोटबंदी के दौरान भी चर्चा में आए थे आनंद कुमार
मायावती के छोटे भाई आनंद कुमार नवंबर, 2016 में नोटबंदी के दौरान भी चर्चा में आए थे। उनके खाते में अचानक 1.43 करोड़ रुपये जमा हुए थे। इतनी बड़ी रकम उनके खाते में आने के बाद से वह एक बार फिर से जांच एजेंसियों की नजर में आ गए थे। जांच एजेंसियां पहले भी कई बार आनंद के घर और दफ्तरों में छापेमारी कर चुकी हैं।

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