पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान अमेरिका के अपने तीन दिवसीय पहले आधिकारिक दौरे पर पहुंच गए हैं. इस दौरान वह राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात कर द्विपक्षीय संबंधों में सुधार लाने का प्रयास करेंगे. अमेरिका द्वारा पाकिस्तान की सार्वजनिक तौर पर आलोचना किए जाने, सैन्य सहायता रोकने और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई तेज करने के लिए कहने के बाद से दोनों देशों के रिश्ते प्रभावित हुए थे. खान, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से व्हाइट हाउस में 22 जुलाई को मुलाकात करेंगे. इस मुलाकात के दौरान अमेरिकी नेतृत्व उन पर पाकिस्तानी धरती पर सक्रिय चरमपंथी एवं आतंकवादी समूहों के खिलाफ 'निर्णायक एवं स्थिर' कार्रवाई करने और तालिबान के साथ शांति वार्ता में सहायक भूमिका निभाने का दबाव बनाएगा.
क्रिकेटर से नेता बने खान कतर एअरवेज की उड़ान से यहां पहुंचे और अमेरिका में पाकिस्तान के राजदूत अजद मजीद खान के आधिकारिक निवास में ठहरे हुए हैं. हवाई अड्डे पर उनके स्वागत के लिए उनके विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी मौजूद थे. काफी तादाद में वहां मौजूद पाकिस्तानी मूल के अमेरिकियों ने भी उनका स्वागत किया.
गौरतलब है कि इससे पहले अमेरिका की आधिकारिक यात्रा पर आने वाले पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ थे जो अक्टूबर 2015 में यहां आए थे. वाशिंगटन डीसी में ठहरने के दौरान खान ट्रंप से मुलाकात करने के अलावा अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के कार्यकारी प्रमुख डेविड लिप्टन और विश्व बैंक के अध्यक्ष डेविड मालपास से भी मिलेंगे. अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ जुलाई 23 को उनसे मिलेंगे.
ओवल ऑफिस में आमने-सामने की मुलाकात के साथ ही ट्रंप दौरे पर आए प्रतिनिधिमंडल को जुलाई 22 को व्हाइट हाउस में दोपहर के भोजन पर बुलाएंगे. इसके अलावा वह कैपिटल हिल में सांसदों से मुलाकात करेंगे. ट्रंप के कार्यकाल के दौरान पाकिस्तान और अमेरिका के रिश्तों में तनाव बढ़ा है. अमेरिकी राष्ट्रपति ने सार्वजनिक तौर पर कहा था कि पाकिस्तान ने 'झूठ एवं धोखे' के अलावा हमें कुछ नहीं दिया है. साथ ही आतंकवादी समूहों की मदद करने के लिए पाकिस्तान को मिलने वाली सुरक्षा एवं अन्य सहायता रोक दी थी.
प्रधानमंत्री खान के साथ सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा और खुफिया एजेंसी आईएसआई के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद भी दौरे पर आए हैं. इससे पहले पाकिस्तान में राजनयिक सूत्रों ने कहा था कि अफगान शांति प्रक्रिया, आतंकवाद एवं आतंकवादी गतिविधियों के लिए धन मुहैया कराना और पाकिस्तान को दी जाने वाली सैन्य सहायता को बहाल करने जैसे मुद्दों पर चर्चा, दौरे में अहम होगी.
खान का दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब अमेरिका और अफगान तालिबान के बीच वार्ता एक निर्णायक चरण में पहुंच गई है. तालिबान के साथ शांति वार्ता में पाकिस्तान के प्रयासों की काफी सराहना हुई है. जमात उद दावा के सरगना हाफिज सईद के खिलाफ आतंकवाद के मामले दर्ज करना जैसे कदमों को अमेरिका एवं भारत की चिताओं से निपटने के संकेत के तौर देखा गया.
वह कैपिटल 'वन एरीना' में हजारों पाकिस्तानी-अमेरिकियों की सभा को रविवार को संबोधित करने वाले हैं. इसके अलावा 23 जुलाई को वह यूएस इंस्टीट्यूट ऑफ पीस के थिंक टैंक से बात करेंगे. प्रधानमंत्री बनने से पहले खान नियमित रूप से अमेरिका आया करते थे और पाकिस्तानी प्रवासियों के बीच उनका अच्छा-खासा जनाधार है.
अवलोकन करें:-
ऐसा कई दशकों बाद हुआ कि दौरे पर आए किसी पाकिस्तानी नेता का अमेरिका में रह रहे पाकिस्तान के लोगों ने इतनी बड़ी संख्या में स्वागत किया हो. इस बीच उनके यहां पहुंचने से कुछ समय पहले पाकिस्तान ने लॉबिंग करने वाली संस्था होलैंड एंड नाइट की सेवाएं ली हैं. इस संबंध में पूर्व रिपबल्किन एवं कांग्रेस सदस्य टॉम रेनॉल्ड्स और अमेरिका में पाकिस्तान के राजदूत मजीद खान ने सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए. खान के अमेरिकी दौरे को लेकर बलोच, सिंधी और मोहाजिर समेत पाकिस्तान के कई धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाय विरोध प्रदर्शन भी कर रहे हैं. (इनपुट: भाषा)
क्रिकेटर से नेता बने खान कतर एअरवेज की उड़ान से यहां पहुंचे और अमेरिका में पाकिस्तान के राजदूत अजद मजीद खान के आधिकारिक निवास में ठहरे हुए हैं. हवाई अड्डे पर उनके स्वागत के लिए उनके विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी मौजूद थे. काफी तादाद में वहां मौजूद पाकिस्तानी मूल के अमेरिकियों ने भी उनका स्वागत किया.
गौरतलब है कि इससे पहले अमेरिका की आधिकारिक यात्रा पर आने वाले पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ थे जो अक्टूबर 2015 में यहां आए थे. वाशिंगटन डीसी में ठहरने के दौरान खान ट्रंप से मुलाकात करने के अलावा अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के कार्यकारी प्रमुख डेविड लिप्टन और विश्व बैंक के अध्यक्ष डेविड मालपास से भी मिलेंगे. अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ जुलाई 23 को उनसे मिलेंगे.
ओवल ऑफिस में आमने-सामने की मुलाकात के साथ ही ट्रंप दौरे पर आए प्रतिनिधिमंडल को जुलाई 22 को व्हाइट हाउस में दोपहर के भोजन पर बुलाएंगे. इसके अलावा वह कैपिटल हिल में सांसदों से मुलाकात करेंगे. ट्रंप के कार्यकाल के दौरान पाकिस्तान और अमेरिका के रिश्तों में तनाव बढ़ा है. अमेरिकी राष्ट्रपति ने सार्वजनिक तौर पर कहा था कि पाकिस्तान ने 'झूठ एवं धोखे' के अलावा हमें कुछ नहीं दिया है. साथ ही आतंकवादी समूहों की मदद करने के लिए पाकिस्तान को मिलने वाली सुरक्षा एवं अन्य सहायता रोक दी थी.
प्रधानमंत्री खान के साथ सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा और खुफिया एजेंसी आईएसआई के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद भी दौरे पर आए हैं. इससे पहले पाकिस्तान में राजनयिक सूत्रों ने कहा था कि अफगान शांति प्रक्रिया, आतंकवाद एवं आतंकवादी गतिविधियों के लिए धन मुहैया कराना और पाकिस्तान को दी जाने वाली सैन्य सहायता को बहाल करने जैसे मुद्दों पर चर्चा, दौरे में अहम होगी.
खान का दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब अमेरिका और अफगान तालिबान के बीच वार्ता एक निर्णायक चरण में पहुंच गई है. तालिबान के साथ शांति वार्ता में पाकिस्तान के प्रयासों की काफी सराहना हुई है. जमात उद दावा के सरगना हाफिज सईद के खिलाफ आतंकवाद के मामले दर्ज करना जैसे कदमों को अमेरिका एवं भारत की चिताओं से निपटने के संकेत के तौर देखा गया.
वह कैपिटल 'वन एरीना' में हजारों पाकिस्तानी-अमेरिकियों की सभा को रविवार को संबोधित करने वाले हैं. इसके अलावा 23 जुलाई को वह यूएस इंस्टीट्यूट ऑफ पीस के थिंक टैंक से बात करेंगे. प्रधानमंत्री बनने से पहले खान नियमित रूप से अमेरिका आया करते थे और पाकिस्तानी प्रवासियों के बीच उनका अच्छा-खासा जनाधार है.
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