दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस की दिग्गज नेता शीला दीक्षित जुलाई 21 को पंचतत्व में विलीन हो गईं। शीला दीक्षित दिल्ली कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष का पद संभाल रही थीं। शीला दीक्षित के निधन के बाद जहां कांग्रेस सदमे में है, वहीं उनकी एक चिट्ठी ने पार्टी में हड़कंप मचा दिया है। ये चिट्ठी बीती 8 जुलाई को शीला दीक्षित ने यूपीए की चेयरपर्सन सोनिया गांधी को लिखी थी, जो अब सामने आई है। इस चिट्ठी ने दिल्ली कांग्रेस की गुटबाजी की पोल खोल दी है। शीला दीक्षित ने इस चिट्ठी के अंदर पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अजय माकन और दिल्ली प्रदेश प्रभारी पीसी चाको को लेकर कुछ बड़ी और अहम बातों का जिक्र किया है।
अपनी चिट्टी में शीला दीक्षित ने क्या लिखा
सोनिया गांधी को भेजी गई इस चिट्ठी में शीला दीक्षित ने कहा है, 'प्रदेश अध्यक्ष होने के नाते मैं लगातार कांग्रेस के संगठन को मजबूत करने में जुटी हूं, लेकिन दिल्ली प्रदेश प्रभारी पीसी चाको, पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन की बातों में आकर कुछ गलत फैसले ले रहे हैं। अजय माकन पिछले कुछ समय से पीसी चाको को गुमराह कर रहे हैं, जिससे पार्टी संगठन को नुकसान हो रहा है। मैंने आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन का विरोध किया और अलग चुनाव लड़ने का फैसला लिया, इसी का परिणाम है कि दिल्ली में हम नंबर तीन की पोजीशन से नंबर दो की पोजीशन पर आ गए। इसके बावजदू जानबूझकर मेरे फैसलों में अड़ंगा लगाया जा रहा है।'
'मेरी बात अंत में सही साबित होगी' इस चिट्ठी में शीला दीक्षित ने आगे लिखा है, 'अजय माकन ने आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन का पक्ष लिया और प्रभारी पीसी चाको को भी गलत तरीके से समझाकर मेरे फैसलों पर सवाल खड़े कराए। शीर्ष नेतृत्व से मेरा अनुरोध कि निष्पक्ष तरीके से इस मामले में मेरी, अजय माकन और पीसी चाको की भूमिका की जांच कराएं, जिससे तय हो सके कि किसकी बात सही है। मुझे भरोसा है कि मेरी बात अंत में सही साबित होगी।' निधन से पहले शीला दीक्षित ने दिल्ली में तीन कार्यकारी अध्यक्षों की नियुक्ति की थी, जिस पर पीसी चाको ने सवाल खड़े किए थे। वहीं, पीसी चाको ने शीला दीक्षित को चिट्ठी लिखकर फोन ना उठाने की भी शिकायत की थी।
शीला दीक्षित के निधन से सदमे में कांग्रेस
लंबी बीमारी के बाद जुलाई 20 को दिल्ली के एस्कॉर्ट हॉस्पिटल में शीला दीक्षित का निधन हो गया। एस्कॉर्ट हॉस्पिटल के डायरेक्टर डॉ. अशोक सेठ के मुताबिक 'तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें हॉस्पिटल लाया गया था, जहां डॉक्टरों की एक टीम उनकी हालत पर लगातार नजर बनाए हुए थी। दोपहर 3:15 बजे उन्हें फिर से दिल का दौरा पड़ा, जिसके बाद उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था। दोपहर को 3 बजकर 55 मिनट पर उनका निधन हो गया।' शीला दीक्षित के निधन की खबर से कांग्रेस सदमे में है। मुख्यमंत्री रहते हुए शीला दीक्षित ने विकास के मामले में दिल्ली का कायापलट कर दिया था। उनके कार्यकाल में कई ऐसी योजनाएं थीं, जिनके लिए विरोधी भी उनकी तारीफ करते थे।
अवलोकन करें:-
'कांग्रेस ने अपनी प्यारी बेटी को खो दिया'
हाल ही में 2019 के लोकसभा चुनाव में शीला दीक्षित दिल्ली की उत्तर-पूर्व दिल्ली सीट से चुनाव लड़ीं थी। हालांकि इस चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। उनके निधन पर पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा, 'मैं कांग्रेस पार्टी की एक प्यारी बेटी शीला दीक्षित जी के निधन के बारे में सुनकर बहुत दुखी और निराश हूं, जिनके साथ मैंने एक करीबी व्यक्तिगत संबंध महसूस किया। इस दुख की घड़ी में मैं उनके परिवार और दिल्ली के नागरिकों के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूं, जिन्हें उन्होंने निस्वार्थ भाव से तीन बार सीएम रहते हुए अपनी सेवाएं दी।' वहीं, उनके निधन पर पीएम मोदी ने ट्वीट करते हुए कहा, 'शीला दीक्षित जी के निधन से गहरा दुख हुआ। एक ऊर्जावान और मिलनसार व्यक्तित्व के साथ उन्होंने दिल्ली के विकास में उल्लेखनीय योगदान दिया। उनके परिवार और समर्थकों के प्रति संवेदना। ओम शांति।'
अपनी चिट्टी में शीला दीक्षित ने क्या लिखा
सोनिया गांधी को भेजी गई इस चिट्ठी में शीला दीक्षित ने कहा है, 'प्रदेश अध्यक्ष होने के नाते मैं लगातार कांग्रेस के संगठन को मजबूत करने में जुटी हूं, लेकिन दिल्ली प्रदेश प्रभारी पीसी चाको, पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन की बातों में आकर कुछ गलत फैसले ले रहे हैं। अजय माकन पिछले कुछ समय से पीसी चाको को गुमराह कर रहे हैं, जिससे पार्टी संगठन को नुकसान हो रहा है। मैंने आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन का विरोध किया और अलग चुनाव लड़ने का फैसला लिया, इसी का परिणाम है कि दिल्ली में हम नंबर तीन की पोजीशन से नंबर दो की पोजीशन पर आ गए। इसके बावजदू जानबूझकर मेरे फैसलों में अड़ंगा लगाया जा रहा है।'
'मेरी बात अंत में सही साबित होगी' इस चिट्ठी में शीला दीक्षित ने आगे लिखा है, 'अजय माकन ने आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन का पक्ष लिया और प्रभारी पीसी चाको को भी गलत तरीके से समझाकर मेरे फैसलों पर सवाल खड़े कराए। शीर्ष नेतृत्व से मेरा अनुरोध कि निष्पक्ष तरीके से इस मामले में मेरी, अजय माकन और पीसी चाको की भूमिका की जांच कराएं, जिससे तय हो सके कि किसकी बात सही है। मुझे भरोसा है कि मेरी बात अंत में सही साबित होगी।' निधन से पहले शीला दीक्षित ने दिल्ली में तीन कार्यकारी अध्यक्षों की नियुक्ति की थी, जिस पर पीसी चाको ने सवाल खड़े किए थे। वहीं, पीसी चाको ने शीला दीक्षित को चिट्ठी लिखकर फोन ना उठाने की भी शिकायत की थी।
शीला दीक्षित के निधन से सदमे में कांग्रेस
लंबी बीमारी के बाद जुलाई 20 को दिल्ली के एस्कॉर्ट हॉस्पिटल में शीला दीक्षित का निधन हो गया। एस्कॉर्ट हॉस्पिटल के डायरेक्टर डॉ. अशोक सेठ के मुताबिक 'तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें हॉस्पिटल लाया गया था, जहां डॉक्टरों की एक टीम उनकी हालत पर लगातार नजर बनाए हुए थी। दोपहर 3:15 बजे उन्हें फिर से दिल का दौरा पड़ा, जिसके बाद उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था। दोपहर को 3 बजकर 55 मिनट पर उनका निधन हो गया।' शीला दीक्षित के निधन की खबर से कांग्रेस सदमे में है। मुख्यमंत्री रहते हुए शीला दीक्षित ने विकास के मामले में दिल्ली का कायापलट कर दिया था। उनके कार्यकाल में कई ऐसी योजनाएं थीं, जिनके लिए विरोधी भी उनकी तारीफ करते थे।
अवलोकन करें:-
हाल ही में 2019 के लोकसभा चुनाव में शीला दीक्षित दिल्ली की उत्तर-पूर्व दिल्ली सीट से चुनाव लड़ीं थी। हालांकि इस चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। उनके निधन पर पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा, 'मैं कांग्रेस पार्टी की एक प्यारी बेटी शीला दीक्षित जी के निधन के बारे में सुनकर बहुत दुखी और निराश हूं, जिनके साथ मैंने एक करीबी व्यक्तिगत संबंध महसूस किया। इस दुख की घड़ी में मैं उनके परिवार और दिल्ली के नागरिकों के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूं, जिन्हें उन्होंने निस्वार्थ भाव से तीन बार सीएम रहते हुए अपनी सेवाएं दी।' वहीं, उनके निधन पर पीएम मोदी ने ट्वीट करते हुए कहा, 'शीला दीक्षित जी के निधन से गहरा दुख हुआ। एक ऊर्जावान और मिलनसार व्यक्तित्व के साथ उन्होंने दिल्ली के विकास में उल्लेखनीय योगदान दिया। उनके परिवार और समर्थकों के प्रति संवेदना। ओम शांति।'
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