मुंबई हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद की गिरफ्तारी पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के किए गए ट्वीट पर हाउस फॉरेन अफेयर्स कमेटी ने पलटवार किया।
कमेटी ने कहा कि पाकिस्तान 26/11 आतंकी ह’मले के मास्टरमाइंड को 10 साल से नहीं खोज रहा था – जैसा कि ट्रम्प ने दावा किया था। उन्होंने कहा कि हाफिज देश में स्वतंत्र रूप से रह रहा था।
कमेटी ने ट्वीट किया, "पाकिस्तान 10 साल से उसकी तलाश नहीं कर रहा था। वह स्वतंत्र रूप से रह रहा था और दिसंबर 2001, मई 2002, अक्टूबर 2002, अगस्त 2006 (दो बार), दिसंबर 2008, सितंबर 2009, जनवरी 2017 में गिरफ्तार कर रिहा कर दिया गया।"
भारत द्वारा सर्जिकल स्ट्राइक के बाद से हाफिज की आवाज़ खामोश हो गयी थी या पाकिस्तान मीडिया द्वारा उसे प्रसारित नहीं किया जा रहा था, ये अलग बात है, लेकिन इतना तय है, हाफिज पाकिस्तान में बिल्कुल निडर होकर अपने मिशन पर कार्य कर रहा था। हाफिज कहीं छिपा हुआ नहीं था। गिरफ़्तारी भी एक नाटक है। जेल में उसको सब सुविधाएं उपलब्ध रहेंगीं। यह सब काम एक सोंची-समझी सियासत से हुआ है। वरना जो आदमी हज़ारों की भीड़ को सम्बोधित करता हो, उसकी गिरफ़्तारी पर कोई धरना या प्रदर्शन न होए, प्रमाणित करता है कि हाफिज और फौज के साथ मिलकर पाकिस्तान सरकार द्वारा विश्व को भ्रमित करने का नाटक है। अभी और आतंकी सरगनाओं के साथ इस तरह का ड्रामा होना बाकी है। वास्तव में अपने आपको ब्लैकलिस्ट होने से बचाने के लिए पाकिस्तान ने ड्रामा खेला है। क्योकि जिस दिन पाकिस्तान ब्लैकलिस्टेड हो गया, स्वयं अपनी मौत मर जाएगा।
हाफिज सईद को जुलाई 17 को गिरफ्तार किया गया था। वह लाहौर से गुजरांवाला जा रहा था। वह गुजराँवाला में आतंकवाद निरोधी अदालत (एटीसी) में जमानत मांगने के लिए गया था। गिरफ्तारी के बाद हाफिज सईद को न्यायिक रिमांड पर भेज दिया गया है। इस दौरान हाफिद सईद ने कहा कि मैं अपनी गिरफ्तारी के खिलाफ कोर्ट जाऊंगा।
इस पर ट्रम्प ने ट्वीट किया था , "10 वर्ष की तलाश के बाद मुंबई आतंकवादी हमले के तथाकथित ‘मास्टरमाइंड को पाकिस्तान में पकड़ा गया। उसे तलाशने के लिए पिछले दो सालों में भारी दबाव डाला गया था।"
3 जुलाई को, सईद और नायब अमीर अब्दुल रहमान मक्की सहित प्रतिबंधित आतंकी संगठन के शीर्ष 13 नेताओं पर आतंकवाद निरोधी अधिनियम, 1997 के तहत टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग के लगभग दो दर्जन मामले दर्ज किए गए।
अवलोकन करें:-
ऐसा माना जा रहा है कि पाकिस्तान ने वॉशिंगटन में ट्रम्प और पाकिस्तान के प्रधान मंत्री इमरान खान के बीच आगामी बैठक के मद्देनजर कदम उठाए हैं । पाकिस्तान को डर है कि फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स कहीं उसे ब्लैकलिस्ट में न डाल दे। प्रधानमंत्री इमरान खान 21 जुलाई को अमेरिका की यात्रा पर जाएंगे और इस दौरान वह अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ बातचीत करेंगे।
कमेटी ने कहा कि पाकिस्तान 26/11 आतंकी ह’मले के मास्टरमाइंड को 10 साल से नहीं खोज रहा था – जैसा कि ट्रम्प ने दावा किया था। उन्होंने कहा कि हाफिज देश में स्वतंत्र रूप से रह रहा था।
कमेटी ने ट्वीट किया, "पाकिस्तान 10 साल से उसकी तलाश नहीं कर रहा था। वह स्वतंत्र रूप से रह रहा था और दिसंबर 2001, मई 2002, अक्टूबर 2002, अगस्त 2006 (दो बार), दिसंबर 2008, सितंबर 2009, जनवरी 2017 में गिरफ्तार कर रिहा कर दिया गया।"
भारत द्वारा सर्जिकल स्ट्राइक के बाद से हाफिज की आवाज़ खामोश हो गयी थी या पाकिस्तान मीडिया द्वारा उसे प्रसारित नहीं किया जा रहा था, ये अलग बात है, लेकिन इतना तय है, हाफिज पाकिस्तान में बिल्कुल निडर होकर अपने मिशन पर कार्य कर रहा था। हाफिज कहीं छिपा हुआ नहीं था। गिरफ़्तारी भी एक नाटक है। जेल में उसको सब सुविधाएं उपलब्ध रहेंगीं। यह सब काम एक सोंची-समझी सियासत से हुआ है। वरना जो आदमी हज़ारों की भीड़ को सम्बोधित करता हो, उसकी गिरफ़्तारी पर कोई धरना या प्रदर्शन न होए, प्रमाणित करता है कि हाफिज और फौज के साथ मिलकर पाकिस्तान सरकार द्वारा विश्व को भ्रमित करने का नाटक है। अभी और आतंकी सरगनाओं के साथ इस तरह का ड्रामा होना बाकी है। वास्तव में अपने आपको ब्लैकलिस्ट होने से बचाने के लिए पाकिस्तान ने ड्रामा खेला है। क्योकि जिस दिन पाकिस्तान ब्लैकलिस्टेड हो गया, स्वयं अपनी मौत मर जाएगा।
हाफिज सईद को जुलाई 17 को गिरफ्तार किया गया था। वह लाहौर से गुजरांवाला जा रहा था। वह गुजराँवाला में आतंकवाद निरोधी अदालत (एटीसी) में जमानत मांगने के लिए गया था। गिरफ्तारी के बाद हाफिज सईद को न्यायिक रिमांड पर भेज दिया गया है। इस दौरान हाफिद सईद ने कहा कि मैं अपनी गिरफ्तारी के खिलाफ कोर्ट जाऊंगा।
इस पर ट्रम्प ने ट्वीट किया था , "10 वर्ष की तलाश के बाद मुंबई आतंकवादी हमले के तथाकथित ‘मास्टरमाइंड को पाकिस्तान में पकड़ा गया। उसे तलाशने के लिए पिछले दो सालों में भारी दबाव डाला गया था।"
3 जुलाई को, सईद और नायब अमीर अब्दुल रहमान मक्की सहित प्रतिबंधित आतंकी संगठन के शीर्ष 13 नेताओं पर आतंकवाद निरोधी अधिनियम, 1997 के तहत टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग के लगभग दो दर्जन मामले दर्ज किए गए।
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