पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की इस स्वीकारोक्ति के बाद कि उनके देश में करीब 40 आतंकी संगठन और 30 से 40 हजार आतंकी सक्रिय हैं, अब भारत ने मांग की है कि इस्लामाबाद आतंकियों के खिलाफ ठोस व प्रभावी कार्रवाई करे। भारत ने गुरुवार को कहा कि पाकिस्तानी प्रधानमंत्री का यह कबूलनामा साफ तौर पर स्वीकारोक्ति है और अब जरूरत इस बात की है कि पाकिस्तान आतंकियों के खिलाफ ईमानदारीपूर्वक ठोस कार्रवाई करे।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने दो टूक कहा, 'यह कोई पहली बार नहीं है, जब पाकिस्तान की तरफ से इस तरह का कबूलनामा आया है। अब पाकिस्तान के पीएम इमरान खान ने साफ तौर पर कबूला है कि उनकी धरती पर 30-40 हजार आतंकी सक्रिय हैं और आतंकियों को वहां ट्रेनिंग देकर कश्मीर भेजा जा रहा है। यह पाकिस्तानी शीर्ष नेतृत्व की ओर से स्पष्ट स्वीकारोक्ति है और इसलिए समय आ गया है, जब उन्हें आतंकियों और आतंकी संगठनों के खिलाफ ठोस कार्रवाई करनी चाहिए।'
इमरान खान ने अमेरिका दौरे के दौरान माना था कि पाकिस्तान की धरती पर 30-40 हजार आतंकी सक्रिय हैं। उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलीजेंस (आईएसआई) ने ही अमेरिकी एजेंसी सीआईए को अलकायदा चीफ ओसामा बिन लादेन की जानकारी दी थी, जिसके कारण उसे ढूंढ निकाला जा सका और एबटाबाद में मार गिराया। उनका यह बयान पाकिस्तान के अब के इस रुख से बिल्कुल उलट था, जिसमें वह ओसामा के बारे में कोई भी जानकारी होने से नकारता रहा था।
इमरान खान के इस बयान के बाद पाकिस्तान आतंकवाद के मसले पर एक बार फिर बेनकाब हो गया, जो इस मसले पर पहले से ही चौतरफा घिरा हुआ है। वहीं, इस बयान के लिए इमरान खान की अपने ही देश में खूब फजीहत हुई। विपक्ष ने उन्हें 'झूठा' करार देते हुए यह भी कहा कि वह खुद आतंकियों के सबसे बड़े हिमायती हैं।
भारत ने पाकिस्तान से कुलभूषण जाधव को भी जल्द से जल्द राजनयिक पहुंच देने को कहा है, जिन्हें पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने जासूसी व आतंकवाद के मामले में दोषी ठहराते हुए मौत की सजा सुनाई है। पाकिस्तान ने जहां जाधव को भारतीय जासूस बताया है, वहीं भारत का दावा है कि उन्हें ईरान से अगवा किया गया, जो नौसेना से रिटायर होने के बाद वहां अपने व्यापारिक कारोबार के सिलसिले में थे।
जाधव की फांसी की सजा पर रोक को लेकर भारत की कोशिशों को उस वक्त बड़ी सफलता मिली, जब द हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय न्याय अदालत ने बीते सप्ताह पाकिस्तान को इस मसले पर फिर से विचार करने और जाधव को वियना कन्वेंशन के तहत राजनयिक पहुंच देने को कहा। भारी दबाव के बीच पाकिस्तान ने आईसीजे के फैसले को मानने और जाधव को राजयनिक पहुंच देने की बात स्वीकार कर ली है। हालांकि उसने अभी इसके लिए कोई समय सीमा नहीं तय की है। उसका कहना है कि वह अपने देश के कानून के अनुसार, जाधव को राजनयिक पहुंच देने के तरीकों पर विचार कर रहा है।
आतंकियों का शरणगाह है पाकिस्तान, इमरान खान ने खुद माना
पाकिस्तान के पीएम इमरान खान अमेरिका के दौरे पर थे। उन्होंने यूएस लॉ मेकर के सामने कहा कि उनके देश में 40 आतंकी संगठन अपनी गतिविधियों को आगे बढ़ा रहे हैं। उनका यह बयान पाकिस्तान के पहले के बयानों से अलग है। इमरान खान ने कहा कि हम अमेरिका के साथ आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं। पाकिस्तान का 9/11 हमले से कोई लेना देना नहीं है। अल कायदा का पूरा बेस अफगानिस्तान में था। पाकिस्तान की जमीन पर तालिबान से जुड़ा हुआ एक भी संगठन नहीं है। लेकिन उनका देश आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अमेरिका के साथ रहा।
इमरान खान ने कहा कि दुर्भाग्य से जब आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई अलग दिशा में गई तो अमेरिका के साथ रिश्तों पर असर पड़ा। हम लोग अमेरिका को जमीनी सच्चाई बताने में नाकाम रहे। ऐसे हालात के लिए कहीं न कहीं हम वजह इसलिए भी बने की हमारी पिछली सरकारों का नियंत्रण नहीं था। इसका असर ये हुआ कि जिस तरह से अमेरिका पाकिस्तान को लेकर खास सोच रखता है ठीक वैसे ही हमारी सोच पाकिस्तान की पिछली सरकारों के बारे में थी। लिहाजा जब अमेरिका को लगा कि पाकिस्तान को ज्यादा से ज्यादा सहयोग करना चाहिए तो उस वक्त हम लोग खुद के अस्तित्व को बचाने की लड़ाई लड़ रहे थे।
भारत और अमेरिका दोनों देश आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में पाकिस्तान से सहयोग की मांग करते रहे हैं ताकि पाकिस्तानी धरती पर चल रहे आतंकी ठिकानों को मूल से समाप्त किया जा सके। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने एक बार फिर कहा कि अगर उन्हें आतंकी ठिकानों के विषय में पुख्ता जानकारी मिलती है तो उनका देश कोई भी कदम उठाने से पीछे नहीं हटेगा।
अवलोकन करें:-
पाकिस्तान के खिलाफ भारत को तब महत्वपूर्ण विजय हासिल हुई थी जब जैश सरगना मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित किया गया। पुलवामा में 14 फरवरी को आतंकी हमले के बाद करीब ढ़ाई महीने की अथक और अकथ मेहनत के बाद मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित करने में कामयाबी हासिल हुई थी।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने दो टूक कहा, 'यह कोई पहली बार नहीं है, जब पाकिस्तान की तरफ से इस तरह का कबूलनामा आया है। अब पाकिस्तान के पीएम इमरान खान ने साफ तौर पर कबूला है कि उनकी धरती पर 30-40 हजार आतंकी सक्रिय हैं और आतंकियों को वहां ट्रेनिंग देकर कश्मीर भेजा जा रहा है। यह पाकिस्तानी शीर्ष नेतृत्व की ओर से स्पष्ट स्वीकारोक्ति है और इसलिए समय आ गया है, जब उन्हें आतंकियों और आतंकी संगठनों के खिलाफ ठोस कार्रवाई करनी चाहिए।'
Raveesh Kumar, MEA: Since Pakistan PM has acknowledged presence of training camps & of the fact that terrorists are being trained & sent to Kashmir to fight, it's time for them to take credible action against the terror camps that exist in the areas under the control of Pakistan
इमरान खान के इस बयान के बाद पाकिस्तान आतंकवाद के मसले पर एक बार फिर बेनकाब हो गया, जो इस मसले पर पहले से ही चौतरफा घिरा हुआ है। वहीं, इस बयान के लिए इमरान खान की अपने ही देश में खूब फजीहत हुई। विपक्ष ने उन्हें 'झूठा' करार देते हुए यह भी कहा कि वह खुद आतंकियों के सबसे बड़े हिमायती हैं।
Raveesh Kumar, MEA: We expect that full consular access should be granted to Shri Kulbhushan Jadhav at the earliest in full compliance with the ICJ's judgment. We are in touch with Pakistani authorities in this regard and as & when there is an update we will let you know.
जाधव की फांसी की सजा पर रोक को लेकर भारत की कोशिशों को उस वक्त बड़ी सफलता मिली, जब द हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय न्याय अदालत ने बीते सप्ताह पाकिस्तान को इस मसले पर फिर से विचार करने और जाधव को वियना कन्वेंशन के तहत राजनयिक पहुंच देने को कहा। भारी दबाव के बीच पाकिस्तान ने आईसीजे के फैसले को मानने और जाधव को राजयनिक पहुंच देने की बात स्वीकार कर ली है। हालांकि उसने अभी इसके लिए कोई समय सीमा नहीं तय की है। उसका कहना है कि वह अपने देश के कानून के अनुसार, जाधव को राजनयिक पहुंच देने के तरीकों पर विचार कर रहा है।
आतंकियों का शरणगाह है पाकिस्तान, इमरान खान ने खुद माना
पाकिस्तान के पीएम इमरान खान अमेरिका के दौरे पर थे। उन्होंने यूएस लॉ मेकर के सामने कहा कि उनके देश में 40 आतंकी संगठन अपनी गतिविधियों को आगे बढ़ा रहे हैं। उनका यह बयान पाकिस्तान के पहले के बयानों से अलग है। इमरान खान ने कहा कि हम अमेरिका के साथ आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं। पाकिस्तान का 9/11 हमले से कोई लेना देना नहीं है। अल कायदा का पूरा बेस अफगानिस्तान में था। पाकिस्तान की जमीन पर तालिबान से जुड़ा हुआ एक भी संगठन नहीं है। लेकिन उनका देश आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अमेरिका के साथ रहा।
इमरान खान ने कहा कि दुर्भाग्य से जब आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई अलग दिशा में गई तो अमेरिका के साथ रिश्तों पर असर पड़ा। हम लोग अमेरिका को जमीनी सच्चाई बताने में नाकाम रहे। ऐसे हालात के लिए कहीं न कहीं हम वजह इसलिए भी बने की हमारी पिछली सरकारों का नियंत्रण नहीं था। इसका असर ये हुआ कि जिस तरह से अमेरिका पाकिस्तान को लेकर खास सोच रखता है ठीक वैसे ही हमारी सोच पाकिस्तान की पिछली सरकारों के बारे में थी। लिहाजा जब अमेरिका को लगा कि पाकिस्तान को ज्यादा से ज्यादा सहयोग करना चाहिए तो उस वक्त हम लोग खुद के अस्तित्व को बचाने की लड़ाई लड़ रहे थे।
भारत और अमेरिका दोनों देश आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में पाकिस्तान से सहयोग की मांग करते रहे हैं ताकि पाकिस्तानी धरती पर चल रहे आतंकी ठिकानों को मूल से समाप्त किया जा सके। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने एक बार फिर कहा कि अगर उन्हें आतंकी ठिकानों के विषय में पुख्ता जानकारी मिलती है तो उनका देश कोई भी कदम उठाने से पीछे नहीं हटेगा।
अवलोकन करें:-
No comments:
Post a Comment