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इमरान खान के बालाकोट हमले के कबूलनामे से चिढ़ी पाकिस्तानी सेना

जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 की समाप्ति के बाद पाकिस्तान ने इस मामले को अंतरराष्ट्रीय मंच पर उठाने की कोशिश कर रहा है, लेकिन हर बार उसे मुंह की खानी पड़ रही है। संयुक्त राष्ट्र से उसे करारा झटका लगा और दुनिया के देश की उसकी गुहार नहीं सुन रहे हैं। इस बीच खबर आ रही है कि पाकिस्तानी सेना और प्रधानमंत्री इमरान खान में दूरियां बढ़ गई हैं। पाकिस्तानी सेना इमरान के अमेरिका दौरे और भारतीय हमले पर बयानबाजी से नाराज है।
पाकिस्तानी सेना और प्रधानमंत्री इमरान खान के बीच दूरियां बढ़ती जा रही हैं। अमेरिका दौरे और भारत से संबंधों को लेकर कुछ महत्वपूर्ण मौकों पर इमरान खान के बयानों से पाकिस्तानी सेना चिढ़ गई है।
पाकिस्तान की आजादी दिवस पर इमरान खान यह भी कबूल कर बैठे कि भारत पाक के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में बालाकोट से भी बड़ा हमला करने की योजना बना रहा है। इमरान के इस कबूलनामे से भी पाकिस्तानी सेना बेहद नाराज है, क्योंकि पाकिस्तानी सेना इस बात से इंकार करती रही है कि बालाकोट के हवाई हमले में भारत को कोई कामयाबी मिली थी।
पाकिस्तानी सेना भारत में बड़े पैमाने पर आतंकियों की घुसपैठ कराने की लगातार कोशिश कर रही है, लेकिन कभी पाकिस्तानी सेना की कठपुतली कहे जाने वाले प्रधानमंत्री इमरान खान ने कई दफा दावा किया कि उनकी सरकार आतंकियों पर कार्रवाई कर रही है। इमरान के इस बयान से पाकिस्तानी सेना नाराज है।
10 साल तक अलकायदा सरगना ओसामा बिन लादेन को अपने देश में छिपाने वाली पाकिस्तानी सेना का इरादा सेना के लोगों को राजनीति के जरिए मुख्यधारा में लाने का है। अक्टूबर 2017 में पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल आसिफ गफूर ने कहा था कि सशस्त्र बल के लोगों को राजनीतिक प्रक्रिया में लाने के लिए एक विशेष योजना पर काम किया जा रहा है।
इमरान के नए पाकिस्‍तान में लोगों को खाने के लाले
नया पाकिस्‍तान का नारा देने वाले प्रधानमंत्री इमरान खान जब से सत्‍ता में आए हैं तब से देश की हालत लगातार खराब हो रही है। एक तरफ बेकाबू होती महंगाई तो दूसरी तरफ गैस और तेल के दामों में होती बढ़ोतरी सभी ने आम इंसान की हालत पतली कर रखी है। इस पर भारत से संबंध तोड़ना पाकिस्‍तान के लिए खुदकुशी करने जैसा कदम रहा है। पाकिस्‍तान पर चीन का कर्ज भी इस खराब होती हालत की एक बड़ी वजह है। यही वजह है कि इस बार की ईद भी वहां पर कमोबेश सूनी ही रही है। भारत संबंध तोड़ने के फैसले पर लोगों ने पीएम इमरान खान से यहां तक पूछ डाला कि वह आखिर क्‍या घास खाएं।
हर मोर्चे पर विफल इमरान
पाकिस्‍तान में इस्‍तेमाल की जाने वाली कई सारी चीजें भारत से ही जाती हैं। इनमें टमाटर और प्‍याज खास हैं। 18 अगस्‍त 2019 को उनकी सरकार को एक साल पूरा हो गया। इस एक साल के दौरान वह हर मोर्चे पर पूरी तरह से विफल साबित हुए हैं। आतंकवाद को रोकने का मसला हो या फिर देश के विकास की बात हो इमरान की सरकार किसी भी मोर्चे पर न तो अपनी आवाम को न ही दुनिया को संतुष्‍ट कर सकी है। इसका जीता जागता सुबूत एफएटीएफ की वो तलवार है जो पिछले करीब दो वर्ष से पाकिस्‍तान के ऊपर टंगी हुई है।
बीते एक वर्ष में बढ़ी आम आदमी की मुश्किलें
पाकिस्‍तान की मीडिया में भी यह चर्चा जोर पकड़ रही है कि इमरान सरकार के एक वर्ष के कार्यकाल में आम लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ा है। वर्ष 2011 के बाद पहली बार ऐसा देखने को मिल रहा है कि देश में मुद्रास्फिति की दर दहाई के आंकड़े को पार कर गई है। इतना ही नहीं सरकार के अपने अनुमान के मुताबिक इसके 11 फीसद तक बढ़ने की उम्‍मीद की गई है।
हर क्षेत्र में बढ़ी महंगाई
पाक मीडिया के मुताबिक सीएनजी, पीएनजी, रुपये में गिरावट, जरूरत की चीजों के दाम और टैक्‍स में बढ़ोतरी से आम आदमी की जेब ढीली हो रही है। एक डॉलर की कीमत बीते एक वर्ष में 35 रुपये तक बढ़ी है। अगस्‍त 2018 में एक डॉलर की कीमत 123 थी वह अब बढ़कर 158 तक पहुंच चुकी है। वहीं पेट्रोल के दाम 95.24 रुपये से बढ़कर 117.84 तक हो चुके हैं और डीजल 112.94 रुपये से बढ़कर 132 रुपये के पार हो चुका है। इमरान सरकार की काबलियत और उनकी विफलता का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि जब वह सरकार में आए थे तब सीएनजी की कीमत 81.70 रुपये थी जो अब 123 प्रति किग्रा तक पहुंच चुकी है। यह कीमत भी स्थिर नहीं है। उम्‍मीद की जा रही है कि यह अभी और बढ़ेगी।
रोटी से लेकर ब्रेड तक हुई महंगी
अब जरा दूसरी चीजों पर भी गौर कर लिया जाए। चपाती और नान की कीमत इमरान के सत्‍ता में आने के बाद से दो रुपये से बढ़कर 12 रुपये तक हो चुकी है। इसके अलावा श्रीमल और ताफतान जो रोटी के ही एक प्रकार हैं की कीमत 40 रुपये तक हो चुकी है। ब्रेड की कीमत की बात करें तो रमजान से पहले ही इसकी कीमतों में आठ फीसद की तेजी आ चुकी थी, ईद के बाद इसमें नौ फीसद की तेजी देखने को मिली है।
स्‍टील, तेल, घी और चीनी की कीमत भी बढ़ी
चीनी की कीमतों में इमरान के सत्‍ता में आने के बाद 12 रुपये तक का इजाफा हुआ है। स्‍टील की कीमतों में भी जबरदस्‍त इजाफा इमरान के सत्‍ता में आने के बाद दिखाई दिया है। पिछले वर्ष अगस्‍त में इसकी कीमत 103,000 रुपये हुआ करती थी जो अब बढ़कर 120,000 प्रति टन तक हो चुकी है। इसी तरह से सीमेंट के दामों में बीते एक वर्ष में सौ रुपये तक का इजाफा हो चुका है। घी और तेल से लेकर दालों की कीमत में 100-150 रुपये तक बढ़ चुकी है। इसी तरह से दूध और घी का भी हाल है। इसमें 20-30 रुपये की तेजी इमरान सरकार के बाद आई है।
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किसानों पर भी पड़ी महंगाई की मार
पाकिस्‍तान में बढ़ती महंगाई की मार किसी एक क्षेत्र में ही नहीं पड़ी है, बल्कि हर क्षेत्र में इसका जबरदस्‍त असर देखा गया है। किसान भी इससे अछूता नहीं रहा है। यूरिया या खाद के लिए किसानों को 300 रुपये तक अधिक चुकाने पड़ रहे हैं। वहीं बिजली की कीमतें बढ़ चुकी हैं। जहांं तक बिजली की कीमतों में बढ़ोतरी की बात है तो आपको बता दें कि सरकार ने इस पर से सब्सिडी कम की है। मीठ के लिए भी लोगों को अब पहले से ज्‍यादा रुपये चुकाने पड़ रहे हैं। चाय हो या दूध के पैकेट सभी पर महंगाई की मार पड़ी है। पाउडर वाले दूध की कीमत में तो करीब दो सौ रुपये की बढ़ोतरी बीते एक वर्ष में हो चुकी है।

इमरान खान के कबूलनामे के बाद बोला भारत : 'आतंकियों के खिलाफ अब तो करो कार्रवाई'

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की इस स्‍वीकारोक्ति के बाद कि उनके देश में करीब 40 आतंकी संगठन और 30 से 40 हजार आतंकी सक्रिय हैं, अब भारत ने मांग की है कि इस्‍लामाबाद आतंकियों के खिलाफ ठोस व प्रभावी कार्रवाई करे। भारत ने गुरुवार को कहा कि पाकिस्‍तानी प्रधानमंत्री का यह कबूलनामा साफ तौर पर स्‍वीकारोक्ति है और अब जरूरत इस बात की है कि पाकिस्‍तान आतंकियों के खिलाफ ईमानदारीपूर्वक ठोस कार्रवाई करे।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्‍ता रवीश कुमार ने दो टूक कहा, 'यह कोई पहली बार नहीं है, जब पाकिस्‍तान की तरफ से इस तरह का कबूलनामा आया है। अब पाकिस्‍तान के पीएम इमरान खान ने साफ तौर पर कबूला है कि उनकी धरती पर 30-40 हजार आतंकी सक्रिय हैं और आतंकियों को वहां ट्रेनिंग देकर कश्‍मीर भेजा जा रहा है। यह पाकिस्‍तानी शीर्ष नेतृत्‍व की ओर से स्‍पष्‍ट स्‍वीकारोक्ति है और इसलिए समय आ गया है, जब उन्‍हें आतंकियों और आतंकी संगठनों के खिलाफ ठोस कार्रवाई करनी चाहिए।'
Raveesh Kumar, MEA: Since Pakistan PM has acknowledged presence of training camps & of the fact that terrorists are being trained & sent to Kashmir to fight, it's time for them to take credible action against the terror camps that exist in the areas under the control of Pakistan

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इमरान खान ने अमेरिका दौरे के दौरान माना था कि पाकिस्‍तान की धरती पर 30-40 हजार आतंकी सक्रिय हैं। उन्‍होंने यह भी कहा कि पाकिस्‍तान की खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलीजेंस (आईएसआई) ने ही अमेरिकी एजेंसी सीआईए को अलकायदा चीफ ओसामा बिन लादेन की जानकारी दी थी, जिसके कारण उसे ढूंढ निकाला जा सका और एबटाबाद में मार गिराया। उनका यह बयान पाकिस्‍तान के अब के इस रुख से बिल्‍कुल उलट था, जिसमें वह ओसामा के बारे में कोई भी जानकारी होने से नकारता रहा था।
इमरान खान के इस बयान के बाद पाकिस्‍तान आतंकवाद के मसले पर एक बार फिर बेनकाब हो गया, जो इस मसले पर पहले से ही चौतरफा घिरा हुआ है। वहीं, इस बयान के लिए इमरान खान की अपने ही देश में खूब फजीहत हुई। विपक्ष ने उन्‍हें 'झूठा' करार देते हुए यह भी कहा कि वह खुद आतंकियों के सबसे बड़े हिमायती हैं।
Raveesh Kumar, MEA: We expect that full consular access should be granted to Shri Kulbhushan Jadhav at the earliest in full compliance with the ICJ's judgment. We are in touch with Pakistani authorities in this regard and as & when there is an update we will let you know.

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भारत ने पाकिस्‍तान से कुलभूषण जाधव को भी जल्‍द से जल्‍द राजनयिक पहुंच देने को कहा है, जिन्‍हें पाकिस्‍तान की सैन्‍य अदालत ने जासूसी व आतंकवाद के मामले में दोषी ठहराते हुए मौत की सजा सुनाई है। पाकिस्‍तान ने जहां जाधव को भारतीय जासूस बताया है, वहीं भारत का दावा है कि उन्‍हें ईरान से अगवा किया गया, जो नौसेना से रिटायर होने के बाद वहां अपने व्‍यापारिक कारोबार के सिलसिले में थे।
जाधव की फांसी की सजा पर रोक को लेकर भारत की कोशिशों को उस वक्‍त बड़ी सफलता मिली, जब द हेग स्थित अंतरराष्‍ट्रीय न्‍याय अदालत ने बीते सप्‍ताह पाकिस्‍तान को इस मसले पर फ‍िर से विचार करने और जाधव को वियना कन्‍वेंशन के तहत राजनयिक पहुंच देने को कहा। भारी दबाव के बीच पाक‍िस्‍तान ने आईसीजे के फैसले को मानने और जाधव को राजयनिक पहुंच देने की बात स्‍वीकार कर ली है। हालांकि उसने अभी इसके लिए कोई समय सीमा नहीं तय की है। उसका कहना है कि वह अपने देश के कानून के अनुसार, जाधव को राजनयिक पहुंच देने के तरीकों पर विचार कर रहा है।
imran khanआतंकियों का शरणगाह है पाकिस्तान, इमरान खान ने खुद माना
पाकिस्तान के पीएम इमरान खान अमेरिका के दौरे पर थे। उन्होंने यूएस लॉ मेकर के सामने कहा कि उनके देश में 40 आतंकी संगठन अपनी गतिविधियों को आगे बढ़ा रहे हैं। उनका यह बयान पाकिस्तान के पहले के बयानों से अलग है। इमरान खान ने कहा कि हम अमेरिका के साथ आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं। पाकिस्तान का 9/11 हमले से कोई लेना देना नहीं है। अल कायदा का पूरा बेस अफगानिस्तान में था। पाकिस्तान की जमीन पर तालिबान से जुड़ा हुआ एक भी संगठन नहीं है। लेकिन उनका देश आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अमेरिका के साथ रहा।
इमरान खान ने कहा कि दुर्भाग्य से जब आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई अलग दिशा में गई तो अमेरिका के साथ रिश्तों पर असर पड़ा। हम लोग अमेरिका को जमीनी सच्चाई बताने में नाकाम रहे। ऐसे हालात के लिए कहीं न कहीं हम वजह इसलिए भी बने की हमारी पिछली सरकारों का नियंत्रण नहीं था। इसका असर ये हुआ कि जिस तरह से अमेरिका पाकिस्तान को लेकर खास सोच रखता है ठीक वैसे ही हमारी सोच पाकिस्तान की पिछली सरकारों के बारे में थी। लिहाजा जब अमेरिका को लगा कि पाकिस्तान को ज्यादा से ज्यादा सहयोग करना चाहिए तो उस वक्त हम लोग खुद के अस्तित्व को बचाने की लड़ाई लड़ रहे थे। 
भारत और अमेरिका दोनों देश आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में पाकिस्तान से सहयोग की मांग करते रहे हैं ताकि पाकिस्तानी धरती पर चल रहे आतंकी ठिकानों को मूल से समाप्त किया जा सके। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने एक बार फिर कहा कि अगर उन्हें आतंकी ठिकानों के विषय में पुख्ता जानकारी मिलती है तो उनका देश कोई भी कदम उठाने से पीछे नहीं हटेगा। 
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