सांकेतिक चित्र |
कई दशक पहले, पाकिस्तान में परिवार नियोजन अभियान एक नारा था, “बच्चे दो ही अच्छे”, लेकिन इस नारे को धार्मिक वर्ग के साथ-साथ राष्ट्रवादियों ने भी खारिज कर दिया था, जो पड़ोसी देश भारत की 1.2 अरब लोगों की आबादी को देखते हुए देश की जनसंख्या में वृद्धि करना चाहते हैं। पाकिस्तान की वर्तमान जनसंख्या 207 मिलियन है।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान सेक्स एजुकेशन और गर्भ निरोधक अभियानों की वकालत करते रहे है। लेकिन अब भी महिलाओं के लिए हालात नहीं बदले। वे या तो बच्चा पैदा करती हैं या अल्सर की दवाइयाें से एबॉर्शन कराती हैं।
पाकिस्तान में रहने वाली जमीना का परिवार गरीब और बेहद जरूरतमंद हैं। लेकिन गरीबी इनके लिए शायद सबसे बड़ी समस्या नहीं है। अगर कोई मुश्किल है तो वह है बच्चे पैदा करना। जमीना के सामने मजबूरी अपनी जान पर खेलकर अपने पति के छठे बच्चे को जन्म देने की थी। अगर बच्चा नहीं करती तो कहीं चुपचाप, चोरी-छुपे, गैरकानूनी ढंग से एबॉर्शन कराती। दोनों ही सूरतों में उसकी जान को बड़ा खतरा था। अंत में जमीना ने गर्भपात करा लिया।
लेकिन यह कोई इक्का दुक्का मामला नहीं है। पाकिस्तान में हर साल आधे से अधिक प्रेगनेंसी बिना प्लानिंग के होती हैं। अमेरिकी रिसर्च एजेंसी गुटमाखर इंस्टीट्यूट की एक रिपोर्ट बताती है, "देश की तकरीबन 42 लाख महिलाएं बिना किसी तैयारी और सोच-विचार के गर्भधारण करती हैं। साथ ही पाकिस्तान की 54 फीसदी महिलाएं गर्भपात के लिए जाती है।"
आपको यह जानकर शायद हैरानी हो कि दुनिया में सबसे ज्यादा गर्भपात यानी अबॉर्शन पाकिस्तान में करवाए जाते हैं। यहां तक कि फ्री सेक्स और खुले माहौल वाले यूरोपीय देशों में भी अबॉर्शन की दर इतनी नहीं है जितनी पाकिस्तान में। 2012 में न्यूयॉर्क की संस्था पॉपुलेशन कौंसिल ने एक अध्ययन किया था जिसमें यह बात सामने आई थी कि पाकिस्तान में 15 से 44 साल की उम्र की हर 1000 महिलाओं में से 50 अपने गर्भ में पल रहे बच्चे को गिरवाती हैं। यह अनुपात अमेरिका से लगभग चार गुना अधिक है। यह स्थिति तब है जब पाकिस्तान में कानूनी तौर पर गर्भपात करवाना बेहद मुश्किल है। कुछ खास स्थितियों में ही महिलाओं को अबॉर्शन की छूट दी जाती है। खासतौर पर तब गर्भपात बिल्कुल नहीं करवाया जा सकता, जब ऐसा करने पर महिला की जान को कोई खतरा हो। अबॉर्शन की छूट सिर्फ उन हालात में दी जाती है, जब ऐसा करना मां की जिंदगी बचाने के लिए जरूरी हो। लेकिन जिस तरह से पाकिस्तान में गर्भपात कराए जा रहे हैं उसे देखते हुए वहां के समाज पर कई सवाल खड़े होते हैं।
परिवार नियोजन से दूरी
पाकिस्तान में परिवार नियोजन हमेशा से ही एक विवादित मुद्दा रहा है। देश में सक्रिय धार्मिक नेता परिवार नियोजन के खिलाफ आलोचनात्मक रुख रखते हैं। साथ ही देश में सेक्स एजुकेशन और गर्भ-निरोधकों के इस्तेमाल को लेकर कोई खास जागरुकता भी नहीं है।
जमीना बताती है कि डॉक्टर की सलाह जब उसने अपने 35 साल के पति को बताई तो उसके पति ने जवाब में कहा, "खुदा पर भरोसा रखो।" जमीना कहती है, "मेरा पति एक धार्मिक इंसान है और वह कई सारे बेटे चाहता है।"
तकरीबन एक दशक पहले पाकिस्तान में परिवार नियोजन अभियान चलाया गया था। नारा दिया गया, "दो बच्चे ही अच्छे"। लेकिन देश में सक्रिय कट्टर धार्मिक नेताओं ने इस पूरे कदम को सिरे से नकार दिया। देश के राष्ट्रवादी नेता ज्यादा से ज्यादा आबादी की वकालत करते हैं।
आबादी का बोझ
पाकिस्तान की कुल आबादी 20.7 करोड़ के करीब है. अधिक बच्चे पैदा करने की चाहत देश के संसाधनों पर भी भारी पड़ रही है। विशेषज्ञ कहते हैं कि अगर बढ़ती जनसंख्या पर लगाम नहीं कसी गई तो देश के लिए मुश्किलें पैदा हो जाएगी। जमीना बताती हैं, "मेरी सास के नौ बच्चे हैं, जब मैं अपने पति से कहती हूं कि मुझे और बच्चे नहीं करने तो वह कहता है कि जब मेरी मां नहीं मरी तो तुम भी जिंदा रहोगी।"
हालांकि इस बीच अब कुछ गैरसरकारी संस्थाएं सामने आई हैं जो ऐसी महिलाओं की मदद कर रही हैं।
इस्लाम के कारण गर्भपात
पाकिस्तान में बढ़ते गर्भपात की बड़ी वजह लड़कियां पैदा होने से रोकना है। यह बुराई भारत में भले ही लगभग खत्म होने को है, लेकिन पाकिस्तान के तमाम इलाकों में आज भी लड़कियों को परेशानी समझा जाता है और पढ़े-लिखे परिवारों में भी लड़कों को तरजीह दी जाती है। साथ ही दूसरी बड़ी वजह ये कि पाकिस्तान में गर्भनिरोधक उपायों का इस्तेमाल लगभग नहीं के बराबर होता है। इसके पीछे बड़ी वजह यह है कि इस्लाम में बच्चों को अल्लाह की देन और औरतों को मर्द की खेती कहा गया है। ऐसी स्थिति में पुरुष लगातार बच्चे पैदा करने में जुटे रहते हैं और महिलाओं पर दबाव रहता है कि लड़का ही पैदा हो। कई बार महिलाएं लड़की पैदा होने की आशंका के चलते ही खुद ही कुछ घरेलू उपाय करके बच्चे को मारने की कोशिश करती हैं। इस्लाम में फेमिली प्लानिंग या गर्भधारण रोकने के उपायों को हराम करार दिया गया है। ऐसे में महिलाओं के आगे गर्भपात करवाकर अपनी जिंदगी जोखिम में डालने के सिवा कोई रास्ता नहीं बचता। इसके कारण महिलाओं के स्वास्थ्य पर जोखिम भी बढ़ता जा रहा है।
महिलाओं की मदद
गैरसरकारी संस्था अवेयर गर्ल्स अब महिलाओं को गर्भनिरोधक दवाओं के बारे में सही जानकारी दे रही है। संस्था की सह संस्थापक गुलालाई इस्माइल कहती हैं, "हम में से अधिकतर ऐसी महिलाओं को जानते थे जिनकी एबॉर्शन के चलते मौत हुई है।" संस्था में काम करने वाली 26 साल की आयशा कहती हैं, "हॉटलाइन पर आने वाले कॉल पर हम लोगों को दवा की सही खुराक की जानकारी देते हैं।"
परिवार नियोजन के लिए काम करने वाले एनजीओ ग्रीनस्टार से जुड़े डॉ हारुन इब्राहिम कहते हैं, "प्रशासन कभी इस विषय को जरूरी नहीं बना सका है। सारी बातें महज बयानबाजी और बेमतलब हैं।" कुछ विशेषज्ञ इन हालातों को प्रशासनिक असफलता से भी नहीं चूकते हैं।
नायिका मीरा ने करवाया गर्भपात
पाकिस्तान की अदालत ने एक्ट्रेस मीरा के खिलाफ कथित रूप से गर्भपात कराने के आरोपों को लेकर मामला दर्ज करने की अपील संबंधी याचिका का संज्ञान लिया है। अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायाधीश मुहम्मद अयूब खान ने मुहम्मद इस्लाम की ओर से दाखिल की गयी याचिका को स्वीकार करने के साथ ही मामले की जांच के लिए पुलिस को नोटिस भेजा।
इस्लाम ने अपनी याचिका में एक हालिया समाचार रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा है कि मीरा ने हाल ही में गर्भपात कराया है। उसने कहा है कि चूंकि अभिनेत्री कुंवारी होने का दावा करती है इसलिए गर्भपात की कार्यवाई गैर कानूनी तथा गैर इस्लामिक है।
उन्होंने अदालत से मीरा के खिलाफ विवादास्पद हुदूद अध्यादेश के तहत मामला दर्ज करने का प्रशासन को निर्देश दिए जाने को कहा है। हुदूद 1979 का एक कानून है जो विवाहेत्तर यौन संबंधों तथा शराब के सेवन जैसे अपराधों के लिए कड़ी सजा का प्रावधान करता है।
पाकिस्तानी अमेरिकी पायलट नावेद शाहजाद के साथ अपने संबंधों तथा कथित गर्भपात को लेकर मीरा पिछले कई सप्ताह से खबरों में है जिसका उसने खंडन किया है।
मीरा के पति का दावा करने वाले कारोबारी अतिकुर रहमान ने मीरा की शाहजाद के साथ शादी की योजना को लेकर अदालत में एक याचिका दाखिल कर रखी है। हालांकि कुछ मीडिया रिपोर्टो में कहा गया है कि शाहजाद ने मीरा के साथ अपनी सगाई तोड़ दी है।
सरकार का रुख
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने दिसंबर 2018 में माना था कि इस मुद्दे पर राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी रही है। प्रधानमंत्री ने वादा भी किया था कि वह मीडिया, मोबाइल फोन, स्कूल और मस्जिदों के जरिए सेक्स एजुकेशन और गर्भनिरोधक अभियानों को शुरू करेंगे।
खान ने जोर देकर कहा था कि इस पूरे अभियान में मौलवियों की भूमिका अहम होगी। वहीं इस्लामिक विचारधारा को मानने वाली धार्मिक संस्था काउंसिल ऑफ पाकिस्तान ने सरकार को दिए अपने मशविरे में कहा कि परिवार नियोजन इस्लाम के खिलाफ है। काउंसिल ने समाचार एजेंसी से कहा, "सरकार की ओर से जन्म नियंत्रण अभियान को तुरंत रोका जाना चाहिए और इस कार्यक्रम को इकोनॉमिक प्लानिंग से हटा दिया जाना चाहिए।"
अवैध संबंधों से बिगड़े हालात
अखबार डॉन की एक रिपोर्ट के अनुसार बीते कुछ साल में पाकिस्तानी समाज में अवैध रिश्तों के कारण गर्भपात के मामले बढ़े हैं। बंद समाज होने के कारण अब तक महिलाएं घरों में दबी-कुचली रहा करती थीं। लेकिन इंटरनेट और मोबाइल आने के बाद पाकिस्तान में सेक्स क्रांति आई हुई है। खास तौर पर गांवों और छोटे शहरों में कम उम्र की लड़कियां अवैध रिश्तों में पड़कर गर्भवती हो रही हैं। ऐसे रिश्तों में धार्मिक शिक्षा से जुड़े मौलवियों का भी बड़ा हाथ है। एक रिपोर्ट के मुताबिक कुरान या उर्दू पढ़ाने वाले मौलवियों के साथ अवैध रिश्तों के मामले कई गुना बढ़े हैं। क्योंकि टीचर के तौर पर इनकी एंट्री घरों में अंदर तक होती है। अक्सर नाबालिग लड़कियां भी इनकी शिकार बन जाती हैं। जब भी ऐसे किसी मामले में लड़की प्रेगनेंट हो जाती हैं तो उनके पास चोरी-छिपे अबॉर्शन कराने के सिवा कोई दूसरा रास्ता नहीं होता है।
अवलोकन करें:-
गर्भपात बन चुका है उद्योग
भारत और चीन भले ही दुनिया में सबसे अधिक आबादी वाले देश हों, पाकिस्तान दुनिया में सबसे तेज बढ़ती आबादी वाला देश है। पाकिस्तान में आज भी बड़े इलाके में औसतन 13 साल की उम्र में लड़कियों की शादी कर दी जाती है और वो 18 साल की होने तक 3-4 बच्चों की मां हो चुकी होती हैं। शहरों में तो हालात फिर भी ठीक हैं, गांवों में लोग गर्भनिरोधक उपायों के बारे में जानते तक नहीं। कारण ये कि पाकिस्तान के कट्टरपंथी मौलवी इन इलाकों में फेमिली प्लानिंग से जुड़े सरकारी अफसरों को भगा देते हैं। ऐसे में गांव-गांव में दाइयों और आया के भरोसे अबॉर्शन का धंधा चल रहा है। ये सिर्फ 200 से 400 रुपये में पेट में पल रहे बच्चे को मारने की सुपारी ले लेती हैं। अक्सर ऐसी कोशिश में महिलाओं की जान भी चली जाती है। कई बार उन्हें ऐसे जानलेवा संक्रमणों से गुजरना पड़ता है जिससे जिंदगी भर के लिए बीमारी लग जाती हैं। इस्लाम के असभ्य और बर्बर रूप को कहीं पर देखना हो तो वो पाकिस्तान है। इसका जीता-जागता सबूत यहां पर हो रहे गर्भपात हैं।
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