आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ की मुहिम में बेटियों का भी साथ चाहिए, #बिटिया_रानी कितनी बड़ी हो गई है ना ?
ये जो पहले चित्र में आदमी है ना, ये विधायक है।
साथ मे जो लड़की है वो इसकी बेटी है।
दूसरे चित्र में वही बेटी घर से भागने के बाद अपने प्रेमी के साथ दिख रही।
ये बेटी कह रही है कि मुझे अपने बाप से जान का खतरा है।
जिस समय बेटियों को गर्भ में मारने का भयंकर सिलसिला चल रहा था तब इनके जन्म पर जश्न हुआ था।
ये वही बेटी है जो साल भर की होने पर चलने की कोशिश करती हुई बार बार गिरती थी तो इस बाप ने उसके नाजुक हाथो को थामा, उसे चलने को सहारा दिया, उसे चलना सिखाया।
कुछ दिन बाद साइकिल सिखाई, फिर स्कूटी की जिद हुई तो वो भी दिलाई। एक बार कहीं बाजार में किसी को स्कूटी से ठोक दिया।खुद भी चोट खाई सामने वाले को भी मरणासन्न कर दिया।
इसी बाप ने पूरा अस्पताल सर पर उठा लिया, एक से एक डॉक्टर की लाइन लगाकर खड़ा कर दिया।
जिसको ठोका था उसका इलाज करवाया, लाखो रुपये उसे देने पड़े।
इस बेटी को तो पता भी नही था कि लाखों रुपये कैसे कमाये जाते हैं। खैर ये ऐश आराम करते हुए बड़ी हुई।स्कूल से कॉलेज में आई।
फिर कहीं किसी से आंखे चार हो गई।
मोहब्बत की पींगे बढ़ी। साथ जीने मरने की कसमें खाई। दोनों की जात समान नही थी तो थोड़ी दिक्कत थी।लेकिन समाज मे फैलती नाजायज आजादी की हवा इन्हें भी छू गई। एक दिन अपने बाप के सिर पर पैर रखकर ये ऊंची छलांग लगा गई और प्रेमी के साथ वीडियो बनाकर डाला गया।
कि मेरा बाप मुझे और मेरे आशिक को मार डालना चाहता है।
पूरे देश मे हल्ला है,
विधायक की बेटी जो भागी है।
मीडिया वाले विधायक के पास भागे भागे जा रहे है उनसे सवाल कर रहे है कि आप प्यार के दुश्मन है ? आजाद पंछियो को क्यों कैद करना चाहते है ? 21 वी सदी में भी आप जातिवाद को बढ़ावा दे रहे है ? टीवी पर बेटी का इन्टरव्यू चल रहा बहुत सारे लोग जिन्होंने विधायक जी का इससे पहले नाम भी नहीं सुना था थोक के भाव में गालियां दे रहे।
सबके कैमरे विधायक जी के चेहरे पर लगे हैं, उसके मुंह से शब्द सुनने को आतुर हैं।लेकिन बाप की आंखे किसी को दिखाई नहीं दी, उसकी कंपकपाती जुबान, रुंधा हुआ गला..
कोई ध्यान नही दे रहा उसपे।
लड़का और लड़की दोनो हिन्दू है, भले ही किसी भी जाति के हों, दोनों ने प्यार किया और दोनों एक दूसरे के साथ खुश हैं तो किसी को भी कोई आपत्ति नही होनी चाहिये। हमें भी नहीं है, लेकिन प्रेमी के बहकावे में आकर निर्लज्जता और पब्लिसिटी की मारी बेटी ने इस घटना को जो जातीय रंग दिया है, वीडियो बनाकर, टीवी पर बैठकर बाप को जलील करके जो छिछलेदारी की है वो थोड़ा खराब लगा।
बेटी होना घर में लक्ष्मी का आगमन माना जाता है लेकिन यहां राजेश मिश्रा जैसे पिता अब भगवान से यही प्रार्थना कर रहे होंगे कि
अगले जनम मोहे बिटिया ना दीजो...
देखिए इसमें मेरी नजर के हिसाब से साक्षी मिश्रा गलत है रीजन यह है की या तो साक्षी जी अपने पिताजी से अपने लवर्स के बारे में पहले बता देती तो क्या पता उसके पिताजी उसका सपोर्ट भी करते यह एक तरह से नादानी है साक्षी मिश्रा की एक पिता अपने बच्चे का कभी गलत नहीं कर सकता ऐसा मेरा मानना है तो इसको अपनी पूरी डिटेल अपने फादर के साथ शेयर करनी थी इसके बाद यदि कोई डिसीजन लेते तो इसमें इसकी भी बुलाई थी और उसके फादर की भी इज्जत बनी रहे
जब अपने ही दाँत अपनी जिव्हा काट दें, फिर किसे दोष दें। ऐसे में चर्चित कव्वाल हबीब पेंटर की एक कव्वाली "जब खून ही दुश्मन बने, फिर किसे दोष दीजियेगा।..." ,आज बरेली से भाजपा विधायक की बेटी साक्षी द्वारा एक दलित से प्रेम-विवाह करने को मीडिया ऐसे उछाल रही है, मानो यह कोई अनोखी शादी हुई है, पर शत-प्रतिशत चरितार्थ हो रही है। मीडिया द्वारा इस मुद्दे को उछाल केवल अपनी TRP बढ़ाकर क्या हांसिल करना चाहती है। एक अपनी TRP बढ़ाने के मीडिया ने कितनों की ज़िंदगी से खिलवाड़ किया है, नहीं जानती, उन्हें तो बस अपनी TRP से मतलब है। जिस दलित कार्ड को उछाला जा रहा है, क्या उस दलित लड़के के चरित्र को उजागर करने का तनिक भी प्रयास किया? आखिर किस कारण नेताओं से अधिक मीडिया ने इस मुद्दे को उछाला? यदि मीडिया वास्तव में निष्पक्ष है, तो उसी प्रमुखता से इस दलित लड़के के चरित्र को भी उछालिए, ताकि दलित ने नाम पर राजनीती करने वालों की भी आंखें खुलें, साथ ही ऐसे दोहरे चरित्र वालों से लड़कियाँ भी सचेत रहे।
अभी-अभी(जुलाई 15) प्राप्त समाचारों के अनुसार: sakshi ajitesh seeks protection allahabad highcourt बरेली की लव स्टोरी चर्चा के केंद्र में है। साक्षी और उसके पति अजितेश की अर्जी पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई हुई जिसमें अदालत ने साक्षी के पिता राजेश मिश्रा को फटकार लगाई। इस बीच ये भी खबर आई कि अदालत परिसर में साक्षी और अजितेश के साथ मारपीट की गई। लेकिन पुलिस ने मारपीट से इनकार किया है। इस बीच राजेश मिश्रा को हिरासत में लिया गया है।
हाईकोर्ट ने साक्षी और अजितेश को बालिग माना और साक्षी के पिता के व्यवहार को गलत माना। बता दें कि साक्षी ने एक वीडियो जारी कर ये बताया था कि उसकी और उसके पति की जान खतरे में है। उसके पिता गुंडों के जरिए उसका पीछा करा रहे हैं। ये बात अलग है कि बरेली के बिथरी चैनपुर से विधायक राजेश मिश्रा ऊर्फ पप्पू भरतौल ने आरोपों से इनकार किया है। उनका कहना है कि उनकी बेटी बालिग है और उसने जो फैसला किया है उससे उन्हें ऐतराज नहीं है।
देखिए उस दलित लड़के का चरित्र
विधायक राजेश मिश्रा उर्फ पप्पू भरतौल की बेटी साक्षी ने जिस युवक अजितेश के कारण बागी तेवर दिखाए, उसी के पड़ोसियों ने उसकी पोल खोलकर रख दी है। वीर सावरकर नगर नामक कॉलोनी में अजितेश उर्फ अभि का घर है। टीवी चैनलों से बातचीत के दौरान अजितेश के पड़ोसियों ने ही उसके चरित्र पर सवाल उठाए। इंजीनियर एके सिंह समेत कई लोगों का कहना था कि अजितेश नशे का आदी है और कॉलोनी में काफी दबंग तरीके से रहता था। कई लोगों से उसने मारपीट की थी तो रुतबा कायम करने के लिए अक्सर पिस्टल और नीली बत्ती लगी गाड़ी के साथ अपने फोटो सोशल मीडिया पर वायरल कर चुका था।
अजितेश की हो चुकी है किसी और लड़की से सगाई
पड़ोसियों का कहना था कि कॉलोनी में ही अजितेश पर लड़कियों से छेड़खानी करने के कई बार आरोप लगे, थाने में भी ये मामले पहुंचे। एक मामले में मारपीट के बाद अजितेश ने तीन लोगों के खिलाफ जानलेवा हमले की रिपोर्ट भी लिखाई थी। पड़ोसियों के आरोपों पर अजितेश और उसके पिता हरीश कुमार से फोन पर कई बार बात करने की कोशिश की गई, लेकिन उनके फोन पर कॉल ही रिसीव नहीं हुई। साक्षी के फोन पर भी घंटी जाती रही, लेकिन उसने भी फोन नहीं उठाया।
विधायक राजेश मिश्रा ने कहा कि अजितेश उर्फ अभि उनके बेटे विक्की का दोस्त था। हालांकि उसकी और विक्की की उम्र में काफी अंतर है। उन्होंने बताया कि उन्हें विक्की से अजितेश की दोस्ती की तो जानकारी थी, लेकिन अजितेश उनके घर पर भी अक्सर आता-जाता था, यह उन्हें अब पता लगा है। दरअसल अजितेश तभी उनके घर आता था, जब वह नहीं होते थे। बेटी साक्षी के इस आरोप पर कि वह उसके साथ ज्यादा बात नहीं करते थे, उन्होंने कहा कि यह आरोप गलत है। बेटे और दोनों बेटियों से वह हमेशा दोस्ताना व्यवहार रखते थे। वह जब भी घर पहुंचते थे और कभी उन्हें कोई गुमसुम दिखता था तो वह हंसी-मजाक कर उसे बगैर हंसाए नहीं छोड़ते थे।
परिवार को बगैर बताए घर से भागकर प्रेम विवाह करना और फिर विधायक पिता पर हत्या का आरोप लगाया जाना सोशल मीडिया को रास नहीं आया है। सिर्फ साक्षी ही नहीं, अपने टीवी चैनल की डिबेट में विधायक को खलनायक साबित करने की कोशिश करने वाली एंकर अंजना ओम कश्यप भी सोशल मीडिया में निशाने पर हैं। साक्षी और अजितेश को लोग खुलकर लानत-मलामत कर रहे हैं तो अंजना ओम पर भी सवाल दागने से लोग नहीं चूक रहे हैं।
फेसबुक पर एक के बाद एक धड़ाधड़ पोस्ट की जा रही हैं। ये पोस्ट करने वालों में सिर्फ बरेली नहीं बल्कि दूसरे शहरों के भी लोग हैं। दो बार वीडियो वायरल कर और फिर टीवी चैनलों पर रोते हुए पिता पर हत्या की कोशिश के आरोप लगाने के बावजूद साक्षी के सपोर्ट में एक भी पोस्ट नहीं दिख रही। लोग आपस में दबी जुबान से उनकी बेटी के आरोपों पर चर्चाएं करते रहे। उसके पति अजितेश उर्फ अभि को लेकर उठ रहे सवाल भी इन चर्चाओं का हिस्सा बनते रहे।
सोशल मीडिया पर मीडिया का उड़ता मजाक
अनावश्यक मुद्दे को तूल देने के कारण सोशल मीडिया पर जिस तरह मीडिया का मजाक बनाया जा रहा है, बहुत ही निंदनीय है। एक समय था जब मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ एवं सरकार और समाज का आईना बताया जाता था, आज वही मीडिया राजनेताओं के हाथ बिकाऊ वस्तु बनकर रह गयी है।
ये वही मीडिया है जो 2014 लोकसभा चुनाव से पूर्व हिन्दुत्व की बात करने से परहेज करती थी और "हिन्दू आतंकवाद" और "भगवा आतंकवाद" के नाम पर झूठे आरोपों में पकडे जा रहे साधु-संत और साध्वियों के चरित्र पर कीजड़ फेंक हिन्दू धर्म को अपमानित करने वाली भी यही मीडिया है। अरे कभी तो सच्चाई का आईना का दिखाने वाली मीडिया स्वयं भी अपने आपको आईने के सामने खड़ा करने का प्रयास करे।
अगर मीडिया नेताओं की भाँति तुष्टिकरण का खेल खेलती रही, वह दिन भी दूर नहीं होगा, जब जनता समाचार चैनलों की बजाए केवल धारावाहिक और फिल्में देखने के लिए ही अपने टीवी को खोलेगी।
अभी-अभी(जुलाई 15) प्राप्त समाचारों के अनुसार: sakshi ajitesh seeks protection allahabad highcourt बरेली की लव स्टोरी चर्चा के केंद्र में है। साक्षी और उसके पति अजितेश की अर्जी पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई हुई जिसमें अदालत ने साक्षी के पिता राजेश मिश्रा को फटकार लगाई। इस बीच ये भी खबर आई कि अदालत परिसर में साक्षी और अजितेश के साथ मारपीट की गई। लेकिन पुलिस ने मारपीट से इनकार किया है। इस बीच राजेश मिश्रा को हिरासत में लिया गया है।
हाईकोर्ट ने साक्षी और अजितेश को बालिग माना और साक्षी के पिता के व्यवहार को गलत माना। बता दें कि साक्षी ने एक वीडियो जारी कर ये बताया था कि उसकी और उसके पति की जान खतरे में है। उसके पिता गुंडों के जरिए उसका पीछा करा रहे हैं। ये बात अलग है कि बरेली के बिथरी चैनपुर से विधायक राजेश मिश्रा ऊर्फ पप्पू भरतौल ने आरोपों से इनकार किया है। उनका कहना है कि उनकी बेटी बालिग है और उसने जो फैसला किया है उससे उन्हें ऐतराज नहीं है।
देखिए उस दलित लड़के का चरित्र
विधायक राजेश मिश्रा उर्फ पप्पू भरतौल की बेटी साक्षी ने जिस युवक अजितेश के कारण बागी तेवर दिखाए, उसी के पड़ोसियों ने उसकी पोल खोलकर रख दी है। वीर सावरकर नगर नामक कॉलोनी में अजितेश उर्फ अभि का घर है। टीवी चैनलों से बातचीत के दौरान अजितेश के पड़ोसियों ने ही उसके चरित्र पर सवाल उठाए। इंजीनियर एके सिंह समेत कई लोगों का कहना था कि अजितेश नशे का आदी है और कॉलोनी में काफी दबंग तरीके से रहता था। कई लोगों से उसने मारपीट की थी तो रुतबा कायम करने के लिए अक्सर पिस्टल और नीली बत्ती लगी गाड़ी के साथ अपने फोटो सोशल मीडिया पर वायरल कर चुका था।
अजितेश की हो चुकी है किसी और लड़की से सगाई
पड़ोसियों का कहना था कि कॉलोनी में ही अजितेश पर लड़कियों से छेड़खानी करने के कई बार आरोप लगे, थाने में भी ये मामले पहुंचे। एक मामले में मारपीट के बाद अजितेश ने तीन लोगों के खिलाफ जानलेवा हमले की रिपोर्ट भी लिखाई थी। पड़ोसियों के आरोपों पर अजितेश और उसके पिता हरीश कुमार से फोन पर कई बार बात करने की कोशिश की गई, लेकिन उनके फोन पर कॉल ही रिसीव नहीं हुई। साक्षी के फोन पर भी घंटी जाती रही, लेकिन उसने भी फोन नहीं उठाया।
विधायक राजेश मिश्रा ने कहा कि अजितेश उर्फ अभि उनके बेटे विक्की का दोस्त था। हालांकि उसकी और विक्की की उम्र में काफी अंतर है। उन्होंने बताया कि उन्हें विक्की से अजितेश की दोस्ती की तो जानकारी थी, लेकिन अजितेश उनके घर पर भी अक्सर आता-जाता था, यह उन्हें अब पता लगा है। दरअसल अजितेश तभी उनके घर आता था, जब वह नहीं होते थे। बेटी साक्षी के इस आरोप पर कि वह उसके साथ ज्यादा बात नहीं करते थे, उन्होंने कहा कि यह आरोप गलत है। बेटे और दोनों बेटियों से वह हमेशा दोस्ताना व्यवहार रखते थे। वह जब भी घर पहुंचते थे और कभी उन्हें कोई गुमसुम दिखता था तो वह हंसी-मजाक कर उसे बगैर हंसाए नहीं छोड़ते थे।
परिवार को बगैर बताए घर से भागकर प्रेम विवाह करना और फिर विधायक पिता पर हत्या का आरोप लगाया जाना सोशल मीडिया को रास नहीं आया है। सिर्फ साक्षी ही नहीं, अपने टीवी चैनल की डिबेट में विधायक को खलनायक साबित करने की कोशिश करने वाली एंकर अंजना ओम कश्यप भी सोशल मीडिया में निशाने पर हैं। साक्षी और अजितेश को लोग खुलकर लानत-मलामत कर रहे हैं तो अंजना ओम पर भी सवाल दागने से लोग नहीं चूक रहे हैं।
फेसबुक पर एक के बाद एक धड़ाधड़ पोस्ट की जा रही हैं। ये पोस्ट करने वालों में सिर्फ बरेली नहीं बल्कि दूसरे शहरों के भी लोग हैं। दो बार वीडियो वायरल कर और फिर टीवी चैनलों पर रोते हुए पिता पर हत्या की कोशिश के आरोप लगाने के बावजूद साक्षी के सपोर्ट में एक भी पोस्ट नहीं दिख रही। लोग आपस में दबी जुबान से उनकी बेटी के आरोपों पर चर्चाएं करते रहे। उसके पति अजितेश उर्फ अभि को लेकर उठ रहे सवाल भी इन चर्चाओं का हिस्सा बनते रहे।
सोशल मीडिया पर मीडिया का उड़ता मजाक
अनावश्यक मुद्दे को तूल देने के कारण सोशल मीडिया पर जिस तरह मीडिया का मजाक बनाया जा रहा है, बहुत ही निंदनीय है। एक समय था जब मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ एवं सरकार और समाज का आईना बताया जाता था, आज वही मीडिया राजनेताओं के हाथ बिकाऊ वस्तु बनकर रह गयी है।
ये वही मीडिया है जो 2014 लोकसभा चुनाव से पूर्व हिन्दुत्व की बात करने से परहेज करती थी और "हिन्दू आतंकवाद" और "भगवा आतंकवाद" के नाम पर झूठे आरोपों में पकडे जा रहे साधु-संत और साध्वियों के चरित्र पर कीजड़ फेंक हिन्दू धर्म को अपमानित करने वाली भी यही मीडिया है। अरे कभी तो सच्चाई का आईना का दिखाने वाली मीडिया स्वयं भी अपने आपको आईने के सामने खड़ा करने का प्रयास करे।
अगर मीडिया नेताओं की भाँति तुष्टिकरण का खेल खेलती रही, वह दिन भी दूर नहीं होगा, जब जनता समाचार चैनलों की बजाए केवल धारावाहिक और फिल्में देखने के लिए ही अपने टीवी को खोलेगी।
जिसको जो तर्क देना है दे लेकिन मैं तो कहूंगा: एक समाजिक सच्चाई ये भी है कि बेटियों को गर्भ में ही मारने का एक प्रमुख कारण भागकर माँ बाप के मर्जी के खिलाफ विवाह भी है । आज के युग में कोई भी बाप बेटी को बेटा से कम लाड़ प्यार नहीं देता है । एक बाप जहाँ बेटा से आशा रखता है कि वो उसकी विरासत को सम्भालेगा, बुढापे में उसकी देखभाल करेगा, उसका वक़्त बदलेगा आदि आदि लेकिन बेटी से एक ही आशा रखता है कि वो उसकी इज्जत आबरू को बचा के रखेगी क्युकि प्राचीन काल से ही भारत में बेटियों को इज्जत का प्रतीक माना जाता है । आप इसे झूठी शान कहे, ढकोसला कहे या अमानवीयता लेकिन ग्रामीण भारत में आज भी ये एक समाजिक सच्चाई है ।
जिस घर की बेटी भाग जाए उस परिवार का मज़ाक नहीं उड़ाना चाहिए। एक कुटुंब के लिए मौत से बड़ी कोई त्रास्दी है तो वह यही है।
बात जाति से बाहर शादी करने की बिल्कुल नहीं है। बात है अपने माँ बाप का आशीर्वाद लिए बिना शादी करना और ऊपर से वीडियो डाल कर उनकी जगहंसाई करवाना।
मैं ऐसे दो-तीन केस जानता हूँ जहां घरवालों से अन्तरजातीय विवाह की अनुमति ना मिलने पर प्रेमी युगल 40 वर्ष की आयु तक अविवाहित रहे। पर घरवालों के ख़िलाफ़ जाकर, भाग कर शादी नहीं की। आखिरकाऱ घरवालों को उनके प्रेम के सामने झुकना पड़ा और उनकी शादी सबकी रजामंदी से करवा दी गई। इस तरह स्वार्थ व वासना से रहित प्रेम को घरवालों ने पहचान लिया उर उसे सहर्ष अंजाम तक पहुंचा दिया।
माफ़ करना छोटी बहन साक्षी पर तुम्हारा प्रेम प्रेम ना होकर ड्रामा लग रहा है। ना ही तुम्हारे प्रेम में सब्र नज़र आता है ना ही शुद्धता। तुम्हारा सम्मोहन तो मात्र 6 महीने में टूट जाएगा, लेकिन एक बाप अंदर से सदा के लिए मर जाएगा। एक लड़के को भी किसी की बेटी भगाने से पहले सो बार सोचना चाहिए। कर्म का चक्कर 360° घूमता है।
मान लो मेरी ही एक बेटी है, मिश्रा जी के स्थान पर खुद को रखता हूँ तो कांप जाता हूँ, खुद को विवश पाता हूँ। विवशता इसलिए कि कर ही क्या सकते हैं। शायद इससे बड़ा टॉर्चर एक बाप के लिए कोई और नहीं।
तुमने प्रेम किया- स्वीकार है कोई समस्या नही।
● तुमने प्रेम दलित से किया-वो भी स्वीकार कोई समस्या नही,दलित भी इंसान और हिन्दू ही है।
● तुम्हे शादी शुदा से प्रेम हो गया- चलो वो भी स्वीकार भावनाएं और प्रेम शायद यह विभेद नही कर पाता।
● तुम्हे अपनी उम्र से 20 साल बड़े व्यक्ति से प्रेम हो गया- स्वीकार भावनाएं और प्रेम उम्र नही देखते।
●तुम्हे अपने भाई के मित्र से प्रेम हो गया- चलो वो भी स्वीकार,किसी को कोई समस्या नही।
● तुम्हे अपने घर के टुकड़े पर पलने वाले और 1 करोड़ का उधार लिए व्यक्ति से प्रेम हो गया- चलो वो भी स्वीकार भावनाएं और प्रेम शायद स्टेटस और बैंक बैलेंस नही देख पाता,हालांकि तुम्हारे प्रेमी(अब तथाकथित पति) ने ये सब देखा है।
● तुमने उससे भाग के शादी कर ली- यह भी स्वीकार है,कानूनन बालिग हो शादी करके उसके साथ रहो या बिना शादी किये कोई समस्या नही,कानून तुम्हारे साथ है।
मगर जो अस्वीकार है वो ये है कि...
तुम्हे इन सब के बाद कोई अधिकार नही था एक बाप की इज्जत को खबरिया कोठों पर दलालों के साथ बैठकर नीलाम करने का...तुम्हे कोई हक नही था एक माँ की ममता,बाप के प्यार और भाई के स्नेह को टीआरपी की भूखी खबरिया गिद्धों के साथ चैनेलो पर बैठकर गिद्ध बनकर नोचने का..साक्षी नोची तो तुम भी जाओगी अपने बाप की इज्जत की तरह या यूं कह लो गिद्ध तुम्हें भी नोच रहे हैं बस तुम्हे पता दो चार साल बाद चलेगा। उस समय न ये मीडिया आएगा और न ही नारीवाद का झंडा उठाये ये वामी..अगर उस बाप में जरा भी स्वाभिमान बचा होगा तो वो भी नही आएगा उस समय तुम्हारे साथ...तुमने अपनी नियति खुद चुनी है। प्रेम, प्रेम संबंध या विवाह से समस्या नही थी समस्या तुम्हारे द्वारा अपने बाप के खिलाफ चलाये जा रहे मीडियाई एजेंडे से थी है और रहेगी...
तुमने प्रेम किया- स्वीकार है कोई समस्या नही।
● तुमने प्रेम दलित से किया-वो भी स्वीकार कोई समस्या नही,दलित भी इंसान और हिन्दू ही है।
● तुम्हे शादी शुदा से प्रेम हो गया- चलो वो भी स्वीकार भावनाएं और प्रेम शायद यह विभेद नही कर पाता।
● तुम्हे अपनी उम्र से 20 साल बड़े व्यक्ति से प्रेम हो गया- स्वीकार भावनाएं और प्रेम उम्र नही देखते।
●तुम्हे अपने भाई के मित्र से प्रेम हो गया- चलो वो भी स्वीकार,किसी को कोई समस्या नही।
● तुम्हे अपने घर के टुकड़े पर पलने वाले और 1 करोड़ का उधार लिए व्यक्ति से प्रेम हो गया- चलो वो भी स्वीकार भावनाएं और प्रेम शायद स्टेटस और बैंक बैलेंस नही देख पाता,हालांकि तुम्हारे प्रेमी(अब तथाकथित पति) ने ये सब देखा है।
● तुमने उससे भाग के शादी कर ली- यह भी स्वीकार है,कानूनन बालिग हो शादी करके उसके साथ रहो या बिना शादी किये कोई समस्या नही,कानून तुम्हारे साथ है।
मगर जो अस्वीकार है वो ये है कि...
तुम्हे इन सब के बाद कोई अधिकार नही था एक बाप की इज्जत को खबरिया कोठों पर दलालों के साथ बैठकर नीलाम करने का...तुम्हे कोई हक नही था एक माँ की ममता,बाप के प्यार और भाई के स्नेह को टीआरपी की भूखी खबरिया गिद्धों के साथ चैनेलो पर बैठकर गिद्ध बनकर नोचने का..साक्षी नोची तो तुम भी जाओगी अपने बाप की इज्जत की तरह या यूं कह लो गिद्ध तुम्हें भी नोच रहे हैं बस तुम्हे पता दो चार साल बाद चलेगा। उस समय न ये मीडिया आएगा और न ही नारीवाद का झंडा उठाये ये वामी..अगर उस बाप में जरा भी स्वाभिमान बचा होगा तो वो भी नही आएगा उस समय तुम्हारे साथ...तुमने अपनी नियति खुद चुनी है। प्रेम, प्रेम संबंध या विवाह से समस्या नही थी समस्या तुम्हारे द्वारा अपने बाप के खिलाफ चलाये जा रहे मीडियाई एजेंडे से थी है और रहेगी...
मै Rahul Shukla एक हालिया लव-मैरिज ड्रामा पे ज़बर्दस्त लिखा है. पढ़ने लायक..
साक्षी के नाम खुला पत्र..
#साक्षी तुम्हें पता भी है तुमने कितनी लड़कियों की जिंदगी बर्बाद कर दी है।
साक्षी क्या तुम जानती हो कि तुमने कितनी लड़कियों के सपनों का गला घोंटा है। साक्षी क्या तुम जानती हो कि तुमने लड़कियों को कितने पीछे धकेल दिया है, बिलकुल वहीं..जहां से वे संघर्ष कर आगे बढ़ी थीं।
तुम्हारे प्रेम से दुनिया को कोई दिक्कत नहीं थी, लेकिन तुमने जो उसका तमाशा बनवाया है, उससे तुम ही आज कटघरे में खड़ी हो, और तुम्हारे साथ खड़ी हैं वे अनगिनत बेकसूर लड़कियां, जिन्हें अब उनके माँ, बाप, भाई ही शक की नज़र से देख रहे हैं।
तुम्हे यदि जान का खतरा था तो न्याय पाने के और भी तरीके थे। तुमने वीडियो जारी किया, चलो उसे भी जायज़ मान लिया जाए। लेकिन जिस तरह तुमने न्यूज़ चैनल में बैठकर अपने परिवार की इज्जत हवा में उछली है ना, उससे तुम्हारी नीयत पर शक पैदा होता है। तुम अकेली लड़की नहीं हो, जिसने परिवार के ख़िलाफ़ जाकर विवाह किया है, लेकिन उन्होंने अपने पिता की इज्जत यूं तार-तार नहीं की। यदि प्रेम विवाह के बाद कि प्रतिक्रिया सहने के साहस नहीं था, तो ऐसा कदम ही क्यूं उठाया।
तुम्हारे कृत्य से षड्यंत्र की बू आ रही है। वीडियो में जिस तरह तुम अपने पिता का नाम ले रही थी ना, उसमें घृणा का भाव जाहिर हो रहा था। तुम अपने पिता को समझा नहीं धमका रही थीं। तुम्हारी भाषा से तो नहीं लगा कि तुम डरी हुई हो। जिस तरह से सजी संवरी बैठी थी, उसे देखकर भी नहीं लगा कि तुम जान बचाने के लिए मारी-मारी फिर रही थीं।
हर पिता अपनी बेटी को अरमानों के साथ विदा करना चाहता है, कोई बात नहीं कि तुमने अपने परिवार को विश्वास में लिए बिना ही रवाना हो गयी, पर एक बात याद रखना कि तुम्हारे कृत्य से (प्रेम विवाह करने से नहीं, बल्कि परिवार की भद्द पिटाने के कारनामे से) आज हम सब लड़कियां शर्मिंदा हैं। जो तुमने किया वो प्रेम नहीं केवल आकर्षण का शिकार होना है। क्योंकि जो अपने माता-पिता से प्रेम नहीं कर सकता, वो किसी से क्या प्रेम करेगा और क्या निभाएगा।
अंत में एक बात याद रखना, हमारे यहां कहावत है-- जो ना माने बड़ों की सीख, ले कटोरा मांगे भीख। और एक बात यदि किसी न्यूज़ चैनल में बैठकर समस्याएं हल हो जाती तो देश की 80 फीसदी समस्याओं का समाधान हो गया होता। मैं खुद मीडिया से हूँ और मुझे कहने में कोई समस्या नहीं कि हम लोगों की परेशानी कम करने के बजाए बढ़ा रहे हैं।
औऱ जाते-जाते सुन लो कि हमें ना तुम्हारी जान बचाने में रुचि है ना ही तुम्हारे पिता जी की इज्ज़त बचाने में कोई इंटरेस्ट। तुम्हारे जैसे मूर्ख केवल हमारी टीआरपी बढ़ाने के टूल हो, इससे ज्यादा कुछ नहीं.
ये जो पहले चित्र में आदमी है ना, ये विधायक है।
साथ मे जो लड़की है वो इसकी बेटी है।
दूसरे चित्र में वही बेटी घर से भागने के बाद अपने प्रेमी के साथ दिख रही।
ये बेटी कह रही है कि मुझे अपने बाप से जान का खतरा है।
जिस समय बेटियों को गर्भ में मारने का भयंकर सिलसिला चल रहा था तब इनके जन्म पर जश्न हुआ था।
ये वही बेटी है जो साल भर की होने पर चलने की कोशिश करती हुई बार बार गिरती थी तो इस बाप ने उसके नाजुक हाथो को थामा, उसे चलने को सहारा दिया, उसे चलना सिखाया।
कुछ दिन बाद साइकिल सिखाई, फिर स्कूटी की जिद हुई तो वो भी दिलाई। एक बार कहीं बाजार में किसी को स्कूटी से ठोक दिया।खुद भी चोट खाई सामने वाले को भी मरणासन्न कर दिया।
इसी बाप ने पूरा अस्पताल सर पर उठा लिया, एक से एक डॉक्टर की लाइन लगाकर खड़ा कर दिया।
जिसको ठोका था उसका इलाज करवाया, लाखो रुपये उसे देने पड़े।
इस बेटी को तो पता भी नही था कि लाखों रुपये कैसे कमाये जाते हैं। खैर ये ऐश आराम करते हुए बड़ी हुई।स्कूल से कॉलेज में आई।
फिर कहीं किसी से आंखे चार हो गई।
मोहब्बत की पींगे बढ़ी। साथ जीने मरने की कसमें खाई। दोनों की जात समान नही थी तो थोड़ी दिक्कत थी।लेकिन समाज मे फैलती नाजायज आजादी की हवा इन्हें भी छू गई। एक दिन अपने बाप के सिर पर पैर रखकर ये ऊंची छलांग लगा गई और प्रेमी के साथ वीडियो बनाकर डाला गया।
कि मेरा बाप मुझे और मेरे आशिक को मार डालना चाहता है।
पूरे देश मे हल्ला है,
विधायक की बेटी जो भागी है।
मीडिया वाले विधायक के पास भागे भागे जा रहे है उनसे सवाल कर रहे है कि आप प्यार के दुश्मन है ? आजाद पंछियो को क्यों कैद करना चाहते है ? 21 वी सदी में भी आप जातिवाद को बढ़ावा दे रहे है ? टीवी पर बेटी का इन्टरव्यू चल रहा बहुत सारे लोग जिन्होंने विधायक जी का इससे पहले नाम भी नहीं सुना था थोक के भाव में गालियां दे रहे।
सबके कैमरे विधायक जी के चेहरे पर लगे हैं, उसके मुंह से शब्द सुनने को आतुर हैं।लेकिन बाप की आंखे किसी को दिखाई नहीं दी, उसकी कंपकपाती जुबान, रुंधा हुआ गला..
कोई ध्यान नही दे रहा उसपे।
लड़का और लड़की दोनो हिन्दू है, भले ही किसी भी जाति के हों, दोनों ने प्यार किया और दोनों एक दूसरे के साथ खुश हैं तो किसी को भी कोई आपत्ति नही होनी चाहिये। हमें भी नहीं है, लेकिन प्रेमी के बहकावे में आकर निर्लज्जता और पब्लिसिटी की मारी बेटी ने इस घटना को जो जातीय रंग दिया है, वीडियो बनाकर, टीवी पर बैठकर बाप को जलील करके जो छिछलेदारी की है वो थोड़ा खराब लगा।
बेटी होना घर में लक्ष्मी का आगमन माना जाता है लेकिन यहां राजेश मिश्रा जैसे पिता अब भगवान से यही प्रार्थना कर रहे होंगे कि
अगले जनम मोहे बिटिया ना दीजो...
पिछले दिनों से बरेली से बीजेपी विधायक राजेश मिश्रा की बेटी और उसके पति अजितेश का एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें बेटी ने अपने पिता से खुद को बचाने की गुहार लगाती दिखाई दे रही है। वायरल वीडियो के बाद राकेश मिश्रा की बेटी साक्षी अपने पति अजितेश कुमार के साथ आजतक के स्टूडियो पहुंचती है और आरोप लगाती है कि उनके पिता ने उन्हें पढ़ने नहीं दिया। मुझे घर से निकलने नहीं देते थे, मैं उनसे कहना चाहती हूं कि आप अपनी सोच बदलो और जितना महत्व बेटे को देते हो उतना ही मुझे और मेरी बहन को भी दो। आप बाहर दिखावा करते हैं कि बहुत प्रगतिशील हैं लेकिन घर के अंदर बेटा और बेटी के बीच अंतर करते हैं। इसी दौरान साक्षी ने अपने पिता से भी बात की जहां उनके पिता ने उन्हें खुश रहने का आशीर्वाद दिया और फोन काट दिया. लेकिन फिर से विधायक पिता से पूछा गया कि क्या वो बेटी और दामाद को स्वीकार करेंगे, लेकिन उन्होंने कहा कि मुझे परेशान किया जा रहा है और परिवार के मामले में ऐसा सवाल करके उन्हें आत्महत्या के लिए मजबूर न किया जाए। फोन पर पिता की भराई हुई आवाज ये बता रही थी कि ऐसी बेटी जिसने पिता को कहीं मुंह दिखाने योग्य नहीं छोड़ा।
अब सवाल ये है कि क्या वो पुत्री सही हो सकती है जिसे पिता ने इतने साल पाल पोस कर जवान किया लेकिन बंदिशे इसलिए लगाई क्योंकि वो एक राजनेता है और राजनीति में दुश्मनों की कमी नहीं होती, ऐसे में अगर एक पिता अपनी बेटी को सबकी नजरों से बचाना चाहता है तो क्या गलत करता है। उस बेटी को बंदिशे नजर आई, लेकिन शर्म से झुका उनका कन्धा और आँखे नजर नहीं आई जो इस लड़की के कृत्य के बाद किसी से मिल नहीं पा रहीं। कितना दर्द होगा उस पिता के दिल में जिसकी बेटी ही उसकी इज़्ज़त की सरेआम धज्जियाँ उड़ा रही है। मैं अन्तर्जातीय विवाह की विरोधी नहीं हूँ लेकिन एक पिता को इस तरह पूरे समाज में अपनी ही बेटी के द्वारा सरेआम नंगा किये जाने के खिलाफ हूं। मैं उस पिता का दर्द दिल से महसूस करती हूं। वो एक शक्तिशाली राजनेता हुए तो क्या हुआ एक जिम्मेदार पिता भी तो हैं, जिन्होंने समाज के वहशीपन और हवस से बचाने के लिए अपने बच्चों को खुली छूट नहीं दी। ऐसी लड़कियां समाज की अच्छी लड़कियों को भी खराब करती हैं। थू है ऐसी बेटी पर जिसने अपने बाप की नजरों को जमाने के सामने झुका दिया और अपनी हवस के लिए बाप की पगड़ी उछाल दी
आजतक के न्यूज़ चैनल पर रोने लगी विधायक राजेश मिश्रा की बेटी साक्षी जुलाई 12 को आजतक के स्टूडियो में अपने पति अजितेश कुमार के साथ पहुंचीं. इस दौरान आजतक ने विधायक राजेश मिश्रा से उनकी बेटी साक्षी की बात कराई. पिता से बात करते हुए साक्षी ने कहा कि पापा मुझे माफ कर दो. इस पर विधायक राजेश मिश्रा ने कहा कि जहां रहो खुश रहो, मैंने कल ही अपना बयान दे दिया. मेरे परिवार को चैन से रहने दो विधायक राजेश मिश्रा की बेटी साक्षी से बातचीत.
पिछले 3 दिनों से सोशल मीडिया और भारतीय मेनस्ट्रीम मीडिया में #शोषित #दलित बनकर विक्टिम कार्ड खेलने वाला यह #दुर्दांत #अपराधी 3 दिन पहले तक बरेली की जनता के ऊपर ठाकुर बनकर अत्याचार किया करता था। #बरेली के लोग इसको शुरू से ही #ठाकुर समझते आ रहे थे।आप लोग इस बात की गंभीरता को आसानी के साथ समझें कि ठाकुर बनकर बरेली की जनता के ऊपर अत्याचार किया इस #भेड़िये ने और बदनाम हुआ पूरा #ठाकुर समाज।
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बात केवल यहां पर ही खत्म नहीं हो जाती है। अत्याचार करते समय यह ठाकुर बना था और जब यह अपराधी एमएलए राजेश मिश्रा की बेटी को भगा ले गया, तब यह विक्टिम कार्ड खेलते हुए #दलित बन गया।
सोचिए यह व्यक्ति कितना #शातिर और #धूर्त रहा होगा। जिस परिवार ने इसके परिवार को अपना माना और अपने घर अंदर तक स्थान दिया, एक थाली में खाना खिलाया, उसके साथ ही इसने #गद्दारी की, यह बात शायद ही किसी व्यक्ति को अच्छी लगी होगी।
यदि कोई व्यक्ति दलित है तो उसे ठाकुर बनने की क्या आवश्यकता है? वह दलित बनकर ही समाज में उच्च स्थान प्राप्त कर सकता है। लेकिन दलित होने के बाद फर्जी ठाकुर बनकर जनता पर अत्याचार करके ठाकुरों को #बदनाम करना कहां की #दलित राजनीति है? भारत के संविधान का कौन सा हिस्सा ऐसा करने की इजाज़त देता है?
मैं पुनः इस बात को कहना चाहता हूं कि माननीय विधायक श्री राजेश मिश्रा जी और उनके समर्थकों की आपत्ति इस व्यक्ति के दलित होने से बिल्कुल भी नहीं है। यदि यह व्यक्ति उनका सजातीय भी रहा होता तो भी माननीय विधायक जी इसके #आपराधिक रिकॉर्ड को देखते हुए इसके साथ अपनी बेटी के रिश्ते को लेकर कभी भी हां नहीं कहते। इसके विपरीत यदि यह व्यक्ति एक साफ-सुथरा और नेक इंसान रहा होता तो राजेश मिश्रा जी अपनी बेटी के साथ इसके विवाह को लेकर शुरू में न सही लेकिन बाद में तैयार अवश्य हो जाते।
आज "मीठा-मीठा गपा गप और कड़वा कड़वा थू थू..." वाली कहावत चरितार्थ हो रही है। जनता पर जुल्म करते समय ठाकुर और विधायक की बेटी को भगाते समय दलित बनकर यह कुख्यात अपराधी बाबासाहेब अंबेडकर के #संविधान की जमकर लंका लगा रहा है। इस व्यक्ति को #दलित बिल्कुल भी नहीं मानना चाहिए क्योंकि अभी तक यह व्यक्ति समाज में ठाकुर बनकर रह रहा था और समाज के ऊपर #अत्याचार कर रहा था।
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अच्छा हुआ जो बरेली का #धूर्त मक्कार परिवार टीवी पर पहुंच गया वरना इसकी सच्चाई कभी जनता के सामने न पहुंच पाती। बाप बेटे दोनों #धूर्त है और जितनी जानकारी निकलकर सामने आ रही है उससे लगता है कि ये बाप बेटे #ठगी का #धंधा भी करते हैं।
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बात केवल यहां पर ही खत्म नहीं हो जाती है। अत्याचार करते समय यह ठाकुर बना था और जब यह अपराधी एमएलए राजेश मिश्रा की बेटी को भगा ले गया, तब यह विक्टिम कार्ड खेलते हुए #दलित बन गया।
सोचिए यह व्यक्ति कितना #शातिर और #धूर्त रहा होगा। जिस परिवार ने इसके परिवार को अपना माना और अपने घर अंदर तक स्थान दिया, एक थाली में खाना खिलाया, उसके साथ ही इसने #गद्दारी की, यह बात शायद ही किसी व्यक्ति को अच्छी लगी होगी।
यदि कोई व्यक्ति दलित है तो उसे ठाकुर बनने की क्या आवश्यकता है? वह दलित बनकर ही समाज में उच्च स्थान प्राप्त कर सकता है। लेकिन दलित होने के बाद फर्जी ठाकुर बनकर जनता पर अत्याचार करके ठाकुरों को #बदनाम करना कहां की #दलित राजनीति है? भारत के संविधान का कौन सा हिस्सा ऐसा करने की इजाज़त देता है?
मैं पुनः इस बात को कहना चाहता हूं कि माननीय विधायक श्री राजेश मिश्रा जी और उनके समर्थकों की आपत्ति इस व्यक्ति के दलित होने से बिल्कुल भी नहीं है। यदि यह व्यक्ति उनका सजातीय भी रहा होता तो भी माननीय विधायक जी इसके #आपराधिक रिकॉर्ड को देखते हुए इसके साथ अपनी बेटी के रिश्ते को लेकर कभी भी हां नहीं कहते। इसके विपरीत यदि यह व्यक्ति एक साफ-सुथरा और नेक इंसान रहा होता तो राजेश मिश्रा जी अपनी बेटी के साथ इसके विवाह को लेकर शुरू में न सही लेकिन बाद में तैयार अवश्य हो जाते।
आज "मीठा-मीठा गपा गप और कड़वा कड़वा थू थू..." वाली कहावत चरितार्थ हो रही है। जनता पर जुल्म करते समय ठाकुर और विधायक की बेटी को भगाते समय दलित बनकर यह कुख्यात अपराधी बाबासाहेब अंबेडकर के #संविधान की जमकर लंका लगा रहा है। इस व्यक्ति को #दलित बिल्कुल भी नहीं मानना चाहिए क्योंकि अभी तक यह व्यक्ति समाज में ठाकुर बनकर रह रहा था और समाज के ऊपर #अत्याचार कर रहा था।
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अच्छा हुआ जो बरेली का #धूर्त मक्कार परिवार टीवी पर पहुंच गया वरना इसकी सच्चाई कभी जनता के सामने न पहुंच पाती। बाप बेटे दोनों #धूर्त है और जितनी जानकारी निकलकर सामने आ रही है उससे लगता है कि ये बाप बेटे #ठगी का #धंधा भी करते हैं।
मसलन, बरेली के जिस वीर सावरकर कालोनी में यह परिवार रहता है वहां अपनी #जाति छिपा रखी है। वहां ये लोग अपने आपको #ठाकुर बताते हैं। लड़का खुद फेसबुक पर #अभी #सिंह के नाम से मौजूद है।
आज तक को लगा कि मामला बैक फायर कर गया है तो डैमेज कन्ट्रोल करने के लिए आज उनका पत्रकार स्वयं उस कालोनी में गया और कालोनी वालों ने इस ठग और धूर्त परिवार की सारी सच्चाई कैमरे पर बयान कर दी।
जहां तक चरसी बेटे का सवाल है तो उसका रिकार्ड कालोनी में ही इतना खराब है कि आते जाते लड़कियों को छेड़ता है। कच्चे नशे का आदी है। गांजा चरस पीता है और उसका वीडियो फेसबुक पर भी अपलोड करता है। इन्होंने भोपाल में झूठी सगाई करके ही लाखों नहीं उड़ाये, खबर है कि इन लोगों ने अलग अलग जगहों पर डेढ़ करोड़ रूपये की ठगी कर रखी है।
हो न हो किसी साजिश के तहत इस चरसी ठग ने विधायक परिवार का भरोसा जीता हो और लड़की को जानबूझकर अगवा किया हो ताकि बाद में विधायक जी से इसकी मोटी कीमत वसूल सके। शादी का जो #सर्टिफिकेट ये लोग दिखा रहे हैं वह भी जाली निकला। मंदिर के मुख्य पंडित ने #सर्टिफिकेट को जाली करार दिया है।
अब विधायक पप्पू भरतौल को चाहिए कि वो इस आदमी और उसके बाप के खिलाफ लड़की को अगवा करने, उससे जबर्दस्ती शादी करने और झूठा #प्रोपोगेण्डा फैलाने का केस करें। राज्य की योगी सरकार को भी चाहिए कि इस पूरे मामले की जांच करे और इस #ठग परिवार को कानून के कटघरे में खड़ा करें ताकि पूरे मामले में न्याय हो सके।
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