15 अगस्त : मदरसे में कपड़े बदलते लड़कियों को CCTV में देख रहा था टीचर सुलेमान

मदरसा, क्राइम
                                                                                                                                                            प्रतीकात्मक चित्र 
खुदा-न-खास्ता यदि किसी हिन्दू का किसी मुस्लिम से कोई विवाद हो जाए,-- ताजा मिसाल दिल्ली के लाल कुआँ की है, वैसे तो मामला शान्त हो गया, परन्तु पीछे एक बहुत बड़ी साज़िश का पर्दाफाश कर गया, कि एक फोन पर हज़ारों मुसलमानों को जमा कर अपनी बदमाशी से हिन्दुओं पर दबाव बनाने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं-- आम मुसलमान से लेकर समस्त छद्दम धर्म-निरपेक्ष चीख-पुकार करने लगते हैं और उसको हमारा मीडिया अपनी TRP बढ़ाने के लालच में खूब प्रसारित करती है। लेकिन जब वही घटना मुस्लिम समाज में होती है, सब मुंह में दही जमा कर बैठ जाते हैं, छद्दम धर्म-निरपेक्षों की तरह मीडिया भी मुस्लिम समाज को अपना वोट बैंक समझ बैठता है। क्या मुसलमान इंसान नहीं? क्या उनका कोई अस्तित्व नहीं?
मदरसों में होती अमानवीय घटनाओं पर क्यों नहीं आवाज़ उठाई जाती? क्या मदरसों में जाने वाली बच्चियों अथवा बच्चों का कोई सम्मान नहीं? या फिर यह समझा जाए कि मदरसे होते ही इसी काम के लिए हैं, यदि नहीं फिर क्या कारण है कि मदरसों में होने वाली अमानवीय घटनाओं को प्रकाश में लाकर दोषी को दण्डित करवाने के लिए प्रदर्शन होते? 
मीडिया का भी दोगलापन देखो, इस तरह की घटना किसी हिन्दू संस्थान में होती, कितना उछाला जाता, लेकिन मदरसों में घटने वाली उन्ही समस्याओं पर ख़ामोशी छायी रहती है।   
मदरसों के अंदर बड़े पैमाने पर बाल शोषण के कई मामले सामने आए हैं। ऐसी ही एक शर्मसार कर देने वाली घटना उत्तर प्रदेश के कुशीनगर की है। यहाँ मदरसे के एक शिक्षक ने छात्राओं को कपड़े बदलते हुए देखने के लिए मदरसे में लगे CCTV कैमरों का इस्तेमाल किया। 
ख़बर के अनुसार, बरवन छतर दास गाँव के मुस्तफा दारुल उलूम मदरसा में हुए इस घृर्णित कृत्य की रिपोर्ट हाटा थाना क्षेत्र के अंतर्गत की गई है। दरअसल, मदरसे में बीते 15 अगस्त को सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किया गया था। मदरसे में पढ़ने वाली छात्राओं ने इन कार्यक्रमों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था। सुरजीत सिंह, पवन सिंह, सुबोध गौड़, किशन सिंह आदि द्वारा पुलिस को दी गई तहरीर के मुताबिक़, सांस्कृतिक कार्यक्रम में भाग लेने वाली छात्राएँ मदरसे के जिस कमरे में कपड़े बदल रही थीं, उस कमरे का सीसीटीवी कैमरा अध्यापक सुलेमान अंसारी ने चालू कर दिया।
ग्रामीणों के अनुसार, सुलेमान अंसारी काफ़ी देर तक कैमरा चालू करके छात्राओं को कपड़े बदलते देखता रहा। उसकी इस हरक़त पर जब एक बच्चे की नज़र पड़ी तो उसने इसकी सूचना छात्राओं को दे दी। इसके वाद वो सभी छात्राएँ सुलेमान अंसारी के पास पहुँची और विरोध जताया। इस पर अंसारी ने उन्हें डराया-धमकाया कि अगर उन्होंने इस बात पर विरोध प्रकट किया तो वो मदरसे से उनका नाम काट देगा और उन्हें मदरसे से बाहर निकाल देगा। 
इस बात की ख़बर जब छात्राओं के परिजनों और आसपास के ग्रामीणों को लगी तो उन्होंने सुलेमान अंसारी के ख़िलाफ़ मोर्चा खोल दिया और उन्होंने उससे अपने किए की माफ़ी माँगने को कहा। बजाए अपनी ग़लती मानने के सुलेमान अंसारी झगड़े पर उतारू हो गया। इसके बाद ग्रामीणों ने उसके ख़िलाफ़ मामला दर्ज करवाया। इस मामले में स्थानीय पुलिस ने सुलेमान अंसारी और मदरसे के प्रबंधन के ख़िलाफ़ आईपीसी की धारा-354 ग के तहत मुक़दमा दर्ज किया है।
मदरसे में बच्चेरेप के अड्डे बनते मदरसे; मुँह खोलने पर 19 वर्षीय नुसरत को जलाकर मार डाला  
इसी साल जून में केरल के कोट्टायम जिले के एक मदरसे में पढ़ाने वाला 63 साल का मौलाना गिरफ्तार किया गया। 19 से ज्यादा बच्चों के यौन शोषण के आरोप में। गिरफ्तारी के बाद उसने कबूला कि वह 25 साल की उम्र से ही बच्चों को हवस का शिकार बना रहा था। कल्पना कीजिए बीते 38 साल में कितने बच्चे उस ​दरिंदे का शिकार बने होंगे। यदि 19 बच्चों के परिजनों ने हिम्मत न दिखाई होती तो उसका यह चेहरा कभी दुनिया के सामने आ ही नहीं पाता। इतना ही नहीं इस मौलाना की माने तो वह ऐसा इसलिए कर रहा था, क्योंकि बचपन में उसका यौन शोषण भी उसे पढ़ाने वाले मौलाना ने किया था।
अब दक्षिण से उत्तर भारत आइए। उत्तर प्रदेश के मेरठ के खेरी कलाँ गाँव से मदरसे का हाफिज 12 साल की नाबालिग से दुष्कर्म के आरोप में गिरफ्तार किया जाता है। इसी प्रदेश के कानपुर के एक मदरसे में 16 साल की लड़की के साथ मौलवी रेप करता है। यूपी के ही हापुड़ में भी एक मदरसे में नाबालिग बच्ची से रेप होता है। मौलाना तब पकड़ा जाता है जब बच्ची के गर्भवती होने की बात सामने आती है।
दुष्कर्म के मामलों में मौलवियों की गिरफ्तारी की देश की हालिया चुनिंदा घटनाओं की याद केवल इसलिए दिलाई, क्योंकि पड़ोसी बांग्लादेश मदरसों के यौन शोषण के अड्डे में बदलने से उबल रहा है। वो तो बांग्लादेश के मदरसों से पढ़े कुछ छात्रों की हिम्मत की दाद दीजिए कि वे अपनी आपबीती सोशल मीडिया के जरिए दुनिया को सुना रहे हैं और मदरसों का छिपा चेहरा सामने आ रहा है। वरना भारत हो या बांग्लादेश या फिर पाकिस्तान हर मुल्क के मदरसों की हकीकत करीब-करीब एक जैसी ही है। बच्चों के यौन शोषण का अड्डा बनने की। और मुल्लों का खौफ ऐसा है कि कुछ ही मामले सामने आ पाते हैं। ज्यादातर दबा दिए जाते हैं।
ऐसा हम नहीं कह रहे। पाकिस्तान के मानवाधिकार मामलों के वकील सैफ उल मुल्क की बातों पर गौर फरमाइए। उनके मुताबिक- मुल्लों से आज हर कोई डरता है। उन पर यौन दुर्व्यवहार का आरोप लगाने का मतलब है कि न्याय दुर्लभ बन जाएगा। पुलिस भी पीड़ितों की नहीं मुल्लाओं की ही मदद करती है।
खौफ कैसा है? दबाव कितना भयानक होता है? जानना है तो बांग्लादेश ही चलते हैं, क्योंकि अभी वहीं के मदरसे सुर्खियाँ बटोर रहे हैं। ढाका मेडिकल कॉलेज में 6 अप्रैल को 80 फीसदी जल चुकी नुसरत जहाँ राफी लाई जाती है। 10 अप्रैल को वह मर जाती है। 19 साल की राफी ने 27 मार्च को पुलिस से शिकायत की थी कि मदरसे के प्रिंसिपल ने ऑफिस में बुला उसे गलत तरीके से छुआ। उसने मदरसे के प्रिंसिपल पर बार-बार यौन शोषण का आरोप लगाया। मदरसे के अन्य शिक्षकों ने भी राफी को ही मुँह बंद रखने को कहा। उस पर शिकायत वापस लेने का दबाव डाला जाता है। 6 अप्रैल की रात नुसरत को मदरसे की छत पर बुलाया जाता है। शिकायत वापस लेने को कहा जाता है। वह इनकार कर देती है। हमलावर मिट्टी का तेल उड़ेल उसे आग लगा देते हैं।
नुसरत की हत्या के तीन आरोपी उसके साथ पढ़ते थे। पुलिस के मुताबिक मौलवी ने कहा था कि शिकायत वापस लेने का दबाव डालो, नहीं माने तो मार डालो। योजना तो उसकी हत्या को आत्महत्या की तरह दिखाने की थी। लेकिन ऐसा हो नहीं पाया, क्योंकि नुसरत के हाथ-पैर को जिस स्कार्फ से बाँधा गया था वह जल गया और वह सीढ़ियों से नीचे उतरने में कामयाब रही।
नुसरत मर गई। पर जाते-जाते बांग्लादेश के लोगों की गैरत को जगा गई। सड़कों पर प्रदर्शन का सिलसिला शुरू हो गया। प्रधानमंत्री शेख हसीना को कार्रवाई का वादा करना पड़ा। नुसरत की मौत से जली मशाल ने कुछ पूर्व छात्रों को अपनी आपबीती लेकर दुनिया के सामने आने को प्रेरित किया, जिसके कारण मदरसों में होने वाली यौन ज्यादतियों की आज चर्चा हो रही है।
यौन शोषण की ​हिला देने वाली जो दास्तानें सोशल मीडिया के जरिए सामने आ रही हैं, सबमें एक चीज कॉमन है। दरिंदगी तब हुई जब पीड़ित या पीड़िता मदरसे में पढ़ रहे थे। ज्यादातर मामले में हवस के भेड़िए वहाँ पढ़ाने वाले मौलवी ही हैं।
रिपोर्टों के मुताबिक बांग्लादेश में केवल जुलाई में कम से कम पाँच मौलवी लड़के और लड़कियों के यौन शोषण के आरोप में गिरफ्तार किए गए हैं। रिपोर्ट यह भी बताते हैं कि ज्यादातर पीड़ित गरीब हैं और उनकी इसी मजबूरी का मौलवियों ने फायदा उठाया। मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की मानें तो मदरसों में यौन शोषण की घटनाएँ आम हैं और हालिया शिकायतें बस नमूने भर।
चाइल्ड राइट ग्रुप ‘बांग्लादेश शिशु अधिकार फोरम’ के अब्दुस शाहिद के अनुसार यह सिलसिला काफी पुराना है। उनके मुताबिक पीड़ितों के परिजन बदनामी और धार्मिक कारणों से ज्यादातर मामलों में चुप्पी साध लेते हैं।
राजधानी ढाका के तीन मदरसों में पढ़ चुके 23 साल के होजेफा अल ममदूह ने ऐसी घटनाओं को लेकर जुलाई में फेसबुक पर कई पोस्ट लिखे हैं। इनमें विस्तार से आपबीती और अन्य छात्रों के साथ हुई ज्यादतियों को बयाँ किया है। ममदूह फिलहाल ढाका यूनिवर्सिटी से जर्नलिज्म की पढ़ाई कर रहे हैं। उनकी मानें तो मदरसों में ऐसी घटनाएँ इतनी आम हैं कि वहाँ पढ़ने वाला हर बच्चा इससे वाकिफ होता है। उनका कहना है कि कई मौलवी बच्चों के साथ संभोग को अविवाहित महिला के साथ संबंध बनाने से कम नापाक मानते हैं।
उनके पोस्ट ने देश में नई बहस छेड़ दी है। इसके लिए उन्हें धमकी भी मिल रही। कोई यहूदियों और ईसाइयों का एजेंट बता रहा तो कोई मदरसों की पाक छवि को धूमिल करने का गुनहगार। एक ने तो सोशल मीडिया में उन्हें 2015 में कट्टरपंथियों द्वारा की गई उदारवादी बांग्लादेशी ब्लॉगर और लेखक अविजीत रॉय की हत्या की याद दिलाते हुए धमकी भी दे डाली।
इसके बावजूद उनके पोस्ट गवाह हैं कि कैसे बांग्लादेश में मदरसों में होने वाले यौन शोषण को लेकर लोगों की चुप्पी टूट रही है। यही कारण है कि 12 साल के एक यतीम के साथ कुकर्म कर उसका गला रेतने के जुर्म में कुछ सीनियर स्टूडेंट गिरफ्तार किए गए हैं, तो ढाका के दो मौलवी 12 से 19 साल के एक दर्जन लड़कों के यौन शोषण के आरोप में।
ममदूह की देखादेखी कई और भी अपनी आपबीती सुनाने सामने आ रहे हैं। एक फेमिनिस्ट वेबसाइट पर 25 साल के मोस्ताकिमबिल्लाह मासूम ने पोस्ट कर बताया है कि उसके साथ पहली बार रेप तब किया गया जब वह महज सात साल का था। बाद में एक मौलवी ने बेहोश कर उसके साथ कुकर्म किया। इस घटना से वह आज भी खौफ खाता है। उसने बताया- मैं मदरसे के दर्जनों छात्रों को जानता हूँ जो पीड़ित हैं या अपने सहपाठियों के साथ हुए रेप के चश्मदीद हैं।
हालाँकि एक मदरसा जहाँ से ममदूह पढ़ चुका है के प्रिंसिपल महफुजुल हक का कहना है कि देश में 20 हजार मदरसे हैं। ऐसी एकाध घटनाओं से मदरसों को लेकर छवि नहीं बनाई जा सकती। उनके अनुसार जो लोग मदरसे में पढ़ना पसंद नहीं करते इस तरह की घटनाओं को बढ़ा-चढ़ाकर पेश कर रहे हैं।
पारंपरिक मुस्लिम बहुल देश में जहाँ ज्यादातर कट्टरपंथी ही हावी रहे हों, मदरसों में यौन ज्यादतियों के खिलाफ आवाजें उठना सुखद है। लेकिन, इसका भी ख्याल रखा जाना चाहिए कि ऐसी आवाजें आखिर में क्षणिक आवेग न साबित हों। पाकिस्तान में भी 2017 में मदरसों के खिलाफ इसी तरह आवाजें उठी थी। तब कौसर परवीन का 9 साल का बेटा खून में लथपथ होकर मदरसे से घर लौटा था।
रिपोर्टों के मुताबिक अप्रैल की एक रात मदरसे में रहने वाले कौसर के बेटे की जब नींद खुली तो मौलवी उसे बगल में लेटा मिला। मौलवी को देख बच्चा डर गया। मौलवी ने फिर उसके साथ कुकर्म किया। 9 साल का वह बच्चा चिल्ला न पाए इसलिए मौलवी ने उसके मुॅंह में उसकी ही कमीज ठूंस दी थी। इस मामले में भी आखिर वही हुआ जो अमूमन ऐसे ज्यादातर मामलों में होता है। मौलवी बच निकला। इस घटना के बाद भी पाकिस्तान के मदरसों में बच्चों का यौन शोषण बदस्तूर जारी है।
यह केवल पाकिस्तान की ही हकीकत नहीं है। कहीं धर्म तो कहीं तुष्टिकरण के नाम पर ऐसे ही आरोपी मौलवियों के कुकर्म धुलते रहते हैं।(एजेंसीज इनपुट्स सहित)

No comments: