धारा-370 और 35 A के हटने से बेचैनी क्यों?

कश्मीर में सुरक्षा इंतजामों को लेकर न्यूज चैनलों पर बहस क्यों?
आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार 
सुरक्षा की दृष्टि से सरकार ने कश्मीर में जो इंतजाम किए हैं उन पर न्यूज चैनलों पर लगातार बहस हो रही है।

इन चर्चाओं में आतंकियों के समर्थक भी भाग ले रहे हैं जो हमारे सुरक्षा बलों की तैनाती पर एतराज कर रहे हैं। ऐसी चर्चाओं से आतंकियों के समर्थकों को सरकार के खिलाफ जहर उगलने का अवसर मिल रहा है। सब जानते हैं कि कश्मीर में पाकिस्तान की दखलंदाजी है। हाल ही में जो घातक हथियार बरामद किए है उनसे पता चलता है कि आतंकी बड़ी कार्यवाही करने वाले हैं। ऐसे में यदि सुरक्षा इंतजाम किए जाते हैं तो एतराज क्यों? क्या विदेशी आतंकियों से कश्मीर को बचाने का हक सरकार और सुरक्षा बलों को नहीं है? यदि इन सुरक्षा इंतजाम पर भी चैनलों पर बहस होगी तो किसी सरकार का काम करना मुश्किल हो जाएगा। वैसे भी आतंक से ग्रस्त कश्मीर के सुरक्षा इंतजाम गुप्त ही रहने चाहिए। सरकार कितने सुरक्षा बल तैनात कर रही है इससे कोई सरोकार नहीं होना चाहिए। न्यूज चैनल वालों को कम से कम कश्मीर से लाइव प्रसारण नहीं करना चाहिए।
महबूबा की घबराहट:
कश्मीर की पूर्व सीएम और पीडीपी की नेता महबूबा मुफ्ती इन दिनों कुछ ज्यादा ही घबराई हुई हैं। दो अगस्त को भी अलगाववादी नेता सज्जाद लोन को साथ लेकर राज्यपाल सत्यपाल मलिक से मुलाकात की। यह वो ही महबूबा है जिन्होंने कहा था कि अनुच्छेद 370 और 35-ए के साथ छेड़छाड़ की गई तो कश्मीर में तिरंग को कांधा देने वाला कोई नहीं मिलेगा। सवाल उठता है कि महबूबा की वो दबंगता कहां गई? अब अतिरिक्त सुरक्षा बलों की तैनाती से ही महबूबा इतनी घबराह गई हैं? असल में अब महबूबा जैसे नेताओं की दुकान कश्मीर से उखड़ चुकी है। महबूबा हों या फारुख अब्दुल्ला। ऐसे नेताओं की पोल कश्मीर के लोगों के सामने खुल चुकी है। रोज रोज के आतंक से कश्मीर के आम लोग भी परेशान हो गए हैं। कश्मीर के लोग अब अमन और सुकून चाहते हैं। विदेशी पैसा बंद हो जाने से पत्थरबाज भी खामोश है।

अब्दुल्ला परिवार और महबूबा मुफ़्ती याद करों हिन्दुओं के पलायन और उनकी माँ-बहनों के होते बलात्कार का दर्द 
कश्मीर में ऐसा डर का माहौल मैने पहले कभी नही देखा ..कहना है पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती का..
30-31 साल की उम्र रही होगी महबूबा मुफ्ती की
जब 1989/90 में घाटी की सभी मस्जिदों से मूल निवासी हिन्दुओं को कश्मीर छोड़कर जाने के ऐलान हो रहे थे।
किसके कहने पर मस्जिदों से ऐलान हो रहे थे? कौन करवा रहा था, मस्जिदों से ऐलान? किसके इशारे पर मस्जिदों का दुरूपयोग हो रहा था? 
जब रातोंरात हिन्दुओं के घरों पर क्रास के निशान लगा दिए गये थे । 
जब हिन्दुओं को अपनी जवान बेटियाँ वहीं छोड़कर जाने के फरमान सुनाये गये थे।   
मैडम मेहबूबा जी ... 30 साल की उम्र इतनी कम नही होती की आज 60 की उम्र में आपको याद भी नही कि किस डर के माहौल में हिन्दुओं ने अपना घर छोड़ा होगा या अपनो का कत्लोग़ारत होते या अपनी आँखों के सामने अपनी माँ और बहनों का बलात्कार होते देखा होगा ! ! ये खौफ का नंगा नाच आपकी उस कश्मीरियत ने ही किया था जिसे बचाने की दुहाई देते हुए आप हाथ जोड़ रहीं हैं।  
हो सकता है उस समय आप अपनी बहन का फर्जी अपहरण करवाकर.. भारत के केन्द्रीय गृहमंत्री रहे अपने पिता मुफ़्ती मोहम्मद सईद के साथ मिलकर अपने खास आतंकवादियों को छुड़वाने के ड्रामे में व्यस्त हो इसलिये आपको घाटी के हिन्दुओं का खौफ नही दिखा होगा। कंधार विमान अपहरण में तो निर्दोषों को बचाने सभी पार्टियों के समर्थन उपरांत आतंकवादियों को छोड़ा गया था, जिसका आज तक समस्त भाजपा विरोधी रोना-रोते हैं, लेकिन डॉ रुबैया मुफ़्ती के फर्जी अपहरण के कारण छोड़े गए आतंकवादियों पर सब चुप्पी साधे हुए हैं। 
आज इन्हीं पीड़ित परिवारों को अब्दुल्ला खानदान और महबूबा मुफ्ती के चेहरे पर पसरा खौफ उतना ही आकर्षक लग रहा है जितनी आकर्षक मोदीजी की कुटिल मुस्कान लगती है।  
2 अगस्त को जम्मू कश्मीर सरकार ने अमरनाथ यात्रियों और कश्मीर घूमने आए पर्यटकों को कश्मीर छोडऩे का फरमान जारी किया तो तनाव पूर्ण हालात हो गए लेकिन तीन अगस्त को घाटी और जम्मू में हालात सामान्य दिखे। राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने एक बार फिर दोहराया है कि सुरक्षा की दृष्टि से अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया है। उन्होंने अफवाहों पर ध्यान न देने की अपील की। राज्यपाल ने साफ कहा कि कश्मीर में कोई बड़ी घटना नहीं होने जा रही। हालांकि तीन अगस्त को पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला ने भी राज्यपाल से मुलाकात की। उमर भी जानना चाहते थे, कि आखिर कश्मीर में क्या हो रहा है? राजपाल ने उमर से भी कहा कि किसी को भी बघराने की जरुरत नहीं है। सारे कदम सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उठाए गए हैं।
कश्मीर का जिक्र आए और धारा 370 और 35 ए की बात ना हो ऐसा हो नहीं सकता, इसको लेकर अक्सर ही विरोध के सुर उठते रहे हैं, दरअसल भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेष स्वायत्तता दी गई है। भारतीय संविधान का अनुच्छेद 370 एक ऐसा लेख है जो जम्मू और कश्मीर राज्य को स्वायत्तता का दर्जा देता है।
वहीं 35 A की बात करें तो भारतीय संविधान का 35 ए अनुच्छेद एक अनुच्छेद है जो जम्मू और कश्मीर राज्य विधानमण्डल को 'स्थायी निवासी' परिभाषित करने तथा उन नागरिकों को विशेषाधिकार प्रदान करने का अधिकार देता है। यह भारतीय संविधान में जम्मू और कश्मीर सरकार की सहमति से राष्ट्रपति के आदेश पर जोड़ा गया, जो कि भारत के राष्ट्रपति द्वारा 14 मई 1954 को जारी किया गया था। यह अनुच्छेद 370 के खण्ड (1) में उल्लेखित है।

Article 370 अक्सर ही जम्मू-कश्मीर से धारा 370 को हटाये जाने की मांग की जाती रही है जबकि कश्मीर के नेता और स्थानीय निवासी ऐसी किसी भी संभावना मात्र का पुरजोर विरोध करते आ रहे हैं।
धारा 370 के प्रावधानों पर एक नजर-
धारा 370 के प्रावधानों के अनुसार, संसद को जम्मू-कश्मीर के बारे में रक्षा, विदेश मामले और संचार के विषय में कानून बनाने का अधिकार है लेकिन किसी अन्य विषय से सम्बन्धित क़ानून को लागू करवाने के लिये केन्द्र को राज्य सरकार का अनुमोदन चाहिये।

इसी विशेष दर्ज़े के कारण जम्मू-कश्मीर राज्य पर संविधान की धारा 356 लागू नहीं होती।
इस कारण राष्ट्रपति के पास राज्य के संविधान को बर्ख़ास्त करने का अधिकार नहीं है।
1976 का शहरी भूमि क़ानून जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होता।
इसके तहत भारतीय नागरिक को विशेष अधिकार प्राप्त राज्यों के अलावा भारत में कहीं भी भूमि ख़रीदने का अधिकार है। यानी भारत के दूसरे राज्यों के लोग जम्मू-कश्मीर में ज़मीन नहीं ख़रीद सकते।
भारतीय संविधान की धारा 360 जिसके अन्तर्गत देश में वित्तीय आपातकाल लगाने का प्रावधान है, वह भी जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होती।
धारा 370 के तहत कुछ विशेष अधिकार कश्मीर की जनता को मिले हुए हैं-
कश्मीर में पंचायत को अधिकार प्राप्त नहीं है।
कश्मीर में अल्पसंख्यकों [हिन्दू-सिख] को 16% आरक्षण नहीं मिलता।
धारा 370 की वजह से कश्मीर में बाहर के लोग जमीन नहीं खरीद सकते हैं।
धारा 370 की वजह से ही कश्मीर में रहने वाले पाकिस्तानियों को भी भारतीय नागरिकता मिल जाती है।
धारा 370 की वजह से कश्मीर में आरटीआई (RTI) और सीएजी (CAG) जैसे कानून लागू नहीं होते है।
जम्मू-कश्मीर के नागरिकों के पास दोहरी नागरिकता होती है।
जम्मू-कश्मीर का राष्ट्रध्वज अलग होता है।
जम्मू - कश्मीर की विधानसभा का कार्यकाल 6 वर्षों का होता है जबकि भारत के अन्य राज्यों की विधानसभाओं का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है।
जम्मू-कश्मीर के अन्दर भारत के राष्ट्रध्वज या राष्ट्रीय प्रतीकों का अपमान अपराध नहीं होता है।
भारत के उच्चतम न्यायालय के आदेश जम्मू-कश्मीर के अन्दर मान्य नहीं होते हैं।
भारत की संसद को जम्मू-कश्मीर के सम्बन्ध में अत्यन्त सीमित क्षेत्र में कानून बना सकती है।
जम्मू-कश्मीर की कोई महिला यदि भारत के किसी अन्य राज्य के व्यक्ति से विवाह कर ले तो उस महिला की नागरिकता समाप्त हो जायेगी। इसके विपरीत यदि वह पकिस्तान के किसी व्यक्ति से विवाह कर ले तो उसे भी जम्मू-कश्मीर की नागरिकता मिल जायेगी।

अनुच्छेद 35A  के क्या हैं मायने
35A से जम्मू-कश्मीर राज्य के लिए स्थायी नागरिकता के नियम और नागरिकों के अधिकार तय होते हैं
14 मई 1954 के पहले जो कश्मीर में बस गए थे वही स्थायी निवासी माना जाएगा
वह व्यक्ति जो जम्मू और कश्मीर का स्थायी निवासी नहीं है, राज्य में सम्पत्ति नहीं खरीद सकता।
वह व्यक्ति जो जम्मू और कश्मीर का स्थायी निवासी नहीं है, जम्मू और कश्मीर सरकार की नौकरियों के लिये आवेदन नहीं कर सकता।

वह व्यक्ति जो जम्मू और कश्मीर का स्थायी निवासी नहीं है, जम्मू और कश्मीर सरकार के विश्विद्यालयों में दाखिला नहीं ले सकता, न ही राज्य सरकार द्वारा कोई वित्तीय सहायता प्राप्त कर सकता है।
हालांकि धारा 370 में समय के साथ-साथ कई बदलाव भी किए गए हैं। 1965 तक वहां राज्यपाल और मुख्यमंत्री नहीं होता था। उनकी जगह सदर-ए-रियासत और प्रधानमंत्री हुआ करता था, जिसे बाद में बदला गया।
इसके अलावा पहले जम्मू-कश्मीर में भारतीय नागरिक के जाने पर उसे अपने साथ पहचान-पत्र रखना जरूरी होता था, लेकिन बाद में विरोध के बाद इस प्रावधान को हटा दिया गया था।
श्यामा प्रसाद मुखर्जी इस संवैधानिक प्रावधान के पूरी तरह ख़िलाफ़ थे। उन्होंने कहा था कि इससे भारत छोटे-छोटे टुकड़ों में बंट रहा है। हाल ही में घाटी में इस आशंका की खबरें गरमा रही हैं कि शायद सरकार राज्य से इसे हटा सकती है और इसको लेकर पीडीपी नेता और राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फ़ारूक़ और उमर अब्दुल्ला सभी एकजुट होकर इस हालात पर चिंता जताते दिख रहे हैं।
जम्मू कश्मीर को लेकर सरगर्मियां तेज हैं और सरकार ने राज्य में जारी अमरनाथ यात्रा को लेकर अगस्त 2 को अमरनाथ यात्रियों को यहां से जाने संबधी एक एडवायजरी जारी की थी, बताया जा रहा है कि यात्रियों की सुरक्षा को देखते हुए ये कदम उठाया गया है।
इस मसले पर राज्य की सभी राजनैतिक पार्टियों में खासी हलचल है और सबको लग रहा है कि घाटी में कुछ बड़ा होने वाला है, इसके मद्देनजर पीडीपी और नेशनल कांफ्रेस के नेताओं ने गवर्नर से मुलाकात की।
वहीं पीडीपी की मुखिया महबूबा मुफ्ती ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में अतिरिक्त सुरक्षाकर्मियों के भेजे जाने से लोगों को लगता है कि केंद्र सरकार राज्य को मिले विशेषाथिकारों पर हमला करने जा रही है।
अवलोकन करें:-

NIGAMRAJENDRA28.BLOGSPOT.COM
भूली बिसरी यादें : इतिहास के धूमिल पृष्ठों से भारतीय जन संघ के संस्थापक सदस्यों में से एक, डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी...

About this website

NIGAMRAJENDRA.BLOGSPOT.COM
आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार सेवा निर्वित उपरान्त एक हिन्दी पाक्षिक को सम्पादित करते सितम्बर 2014 में आमुख लेख शीर्.....

About this website

NIGAMRAJENDRA.BLOGSPOT.COM
आर.बी.एल.निगम,वरिष्ठ पत्रकार 80 के दशक में स्वतन्त्र पत्रकारिता करते दिल्ली के मुस्लिम बहुत क्षेत्र के एक जाने-माने ...

About this website

NIGAMRAJENDRA.BLOGSPOT.COM
आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार एक तरफ मोदी सरकार कश्मीर से आतंकवाद का जनाज़ा निकालने के लिए कमर कस, आतंकवादियों को चुन...


About this website

NIGAMRAJENDRA.BLOGSPOT.COM
पीडीपी प्रमुख और जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने आर्टिकल 35 A को लेकर एक ऐसा बयान दिया है जिससे व..... 
About this website

NIGAMRAJENDRA.BLOGSPOT.COM
लोकसभा चुनाव 2019 के संकल्प पत्र (घोषणा पत्र) में भारतीय जनता पार्टी ने कश्मीर में धारा 370 हटाने की बात कही है। इस पर जम्...

महबूबा मुफ्ती ने कहा कि वैसे तो इस्लाम में हाथ जोड़ने की मनाही है। लेकिन वो पीएम मोदी से हाथ जोड़कर अपील करती हैं कि जम्मू-कश्मीर को जो संवैधानिक आजादी मिली है उसमें वो किसी तरह की छेड़छाड़ न करें। उन्होंने कहा कि मोदी जी आप बहुत बड़ा जनमत लेकर आए हैं। आप से अपील है कि आप हमारी खास पहचान को बरकरार रखें। जम्मू-कश्मीर सरकार द्वारा एडवाइजरी जारी किये जाने के बाद अफरातफरी का माहौल है। 
सैलानियों को कश्मीर से निकालने के लिए अतिरिक्त उड़ान​

No comments: