भारतीय बैडमिंटन की 'गोल्डन गर्ल' बनीं पीवी सिंधू, विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतकर रचा इतिहास

बासेल: भारत की 24 वर्षीय पीवी सिंधू ने रविवार को भारतीय बैडमिंटन इतिहास का सबसे स्वर्णिम अध्याय लिखा। स्विटजरलैंड के बासेल में आयोजित बैडमिंटन विश्व चैंपियनशिप 2019 के फाइनल मुकाबले में उन्होंने जापान की निजोमी ओकुहारा को 21-7, 21- 7 से मात देकर स्वर्ण पदक पर कब्जा कर लिया। लगातार तीसरी बार विश्व चैंपियनशिप के फाइनल में जगह बनाने वाली पीवी सिंधू ने ओकुहारा से दो साल पहले 2017 के विश्व चैंपियनशिप फाइनल में मिली हार का हिसाब भी चुकता कर लिया। इस खिताबी जीत के साथ सिंधू वर्ल्ड चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय शटलर बन गईं। उनसे पहले और कोई भारतीय ऐसा नहीं कर सका था।
पहले गेम की शुरुआत 22 शॉट्स की रैली के साथ हुई लेकिन पहली सर्विस में ही सिंधू ने प्वाइंट गंवा दिया। इसके बाद शानदार वापसी करते हुए सिंधू ने लगातार 8 अंक बटोरे और 8-2 की बढ़त हासिल कर ली। ओकुहारा के पास सिंधू के आक्रामक खेल का कोई जवाब नहीं था। ब्रेक तक सिंधू ने 11-2 की बढ़त हासिल कर ली। इसके बाद भारतीय स्टार ने अपना शानदार खेल जारी रखा और लगातार अंक बटोरती गईं और 16-2 से बढ़त हासिल कर ली। इसके बाद ओकुहारा ने वापसी की कोशिश की लेकिन नाकाम रहीं और पहला गेम सिंधू ने 16 मिनट में 21-7 से अपने नाम कर लिया। 
PV Sindhu दूसरे गेम में भी सिंधू ने शानदार शुरुआत करते हुए 2 अंक बटोरे। इसके बाद ओकुहारा ने उन्हें चुनौती देने और वापसी की कोशिश की लेकिन सिंधू के शानदार शॉट्स का उनके पास कोई जवाब नहीं था। सिंधू ने जापानी खिलाड़ी पर लगातार दबाव बनाए रखा और मिड गेम ब्रेक में 11-4 के साथ 7 अंक की बढ़त हासिल कर ली। यहां से ओकुहारा का वापसी कर पाना मुश्किल नजर आ रहा था। टूर्नामेंट में तीसरी वरीयता प्राप्त 24 वर्षीय ओकुहारा सिंधू को चुनौती दे पाने में नाकाम रहीं। अंत में सिंधू ने 21-7 से दूसरा गेम जीतकर विश्व चैंपियन का खिताब अपने नाम कर लिया। 
साल 1983 में प्रकाश पादुकोण ने विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता था। वो विश्व चैंपियनशिप में पदक जीतने वाले पहले भारतीय बने थे। इसके 30 साल बाद सिंधू ने विश्व चैंपियनशिप में भारत के पदक से सूखे को ग्वांग्जू में साल 2013 में खत्म किया था। सिंधू विश्व चैंपियनशिप में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला भी बनीं थीं। इसके बाद 2014 में उन्होंने एक बार फिर कांस्य पदक जीता और वर्ल्ड चैंपियनशिप में दो पदक जीतने वाली पहली भारतीय बनीं। इसके बाद  साल 2016 में जकार्ता में आयोजित वर्ल्ड चैंपियनशिप में साइना नेहवाल ने रजत पदक हासिल किया। वो वर्ल्ड चैंपियनशिप के फाइनल में पहुंचने और रजत पदक जीतने वाली पहली भारतीय खिलाड़ी बनीं।
सिंधू और ओकुहारा के बीच इस मुकाबले से पहले कांटे की टक्कर देखने को मिली थी। दोनों के बीच फाइनल मुकाबले से पहले 15 बार भिड़ंत हुई थी। जिसमें 8 बार बाजी सिंधू के और 7 बार जापानी खिलाड़ी के हाथ लगी थी। 
ऐसा रहा फाइनल का सफर 
सिंधू का फाइनल तक का सफर अच्छा रहा है। पांच मैचों में उन्होंने केवल एक गेम गंवाया। उन्हें क्वार्टरफाइनल मुकाबले में चीनी ताईपे की खिलाड़ी ताई जू यिंग के खिलाफ जीत के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ी। 1 घंटा 11 मिनट तक चले मुकाबले को सिंधू ने 12-21, 23-21, 21-19 के अंतर से जीत हासिल की। इस मुकाबले के अलावा अन्य सभी में जीत 45 मिनट से भी कम समय में मिली। पहले दौर में सिंधू को बाई मिला था। 
2017 में ओकुहारा और 2018 में मरीन ने तोड़ा था सपना  
साल 2016 में रियो ओलंपिक में रजत पदक अपने नाम करने के बाद पीवी सिंधू के खेल में जबरदस्त सुधार आया और वो 2017 और 2018 में विश्व चैंपियनशिप के फाइनल में पहुंचीं। 2017 में जापान की निजोमी ओकुहारा ने उनका विश्व चैंपियन बनने का सपना तोड़ दिया। इसके बाद 2018 में रियो ओलंपिक के फाइनल में सिंधू को मात देने वाली स्पेनिश खिलाड़ी कैरोलीन मरीन से पार नहीं पा सकीं।
तीसरी बार में मिली सफलता 
लगातार तीसरी बार फाइनल में पहुंचकर सिंधू सिल्वर लाइन पार कर स्वर्ण पदक जीतने में कामयाब हो ही गईं। विश्व चैंपियनशिप में सिंधू के नाम एक स्वर्ण, दो रजत और 2 कांस्य सहित कुल पांच पदक हो गए हैं। इससे पहले सिंधू ने अपने करियर में कई बड़ी उपलब्धि हासिल की थीं। लेकिन रियो ओलंपिक से लेकर अब तक वो बड़ी स्पर्धाओं में रजत पदक ही अपने नाम कर सकी थीं। विश्व चैंपियनशिप को छोड़ दिया जाए तो साल 2018 में आयोजित राष्ट्रमंडल और एशियाई खेलों के खिताबी मुकाबलों में भी उन्हें हार का सामना करना पड़ा। गोल्डकोस्ट राष्ट्रमंडल खेलों के फाइनल में हमवतन साइना नेहवाल के खिलाफ हार का सामना करना पड़ा। वहीं जकार्ता पालेमबांग एशियाई खेलों चीनी ताईपेई की तीई जू यिंग ने उन्हें स्वर्ण पदक नहीं जीतने दिया। (एजेंसीज इनपुट्स)

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