ओवैसी साहब किस मुगालते में कह रहे हो "भारत न कभी हिंदू राष्ट्र था, ना है और न ही कभी बनेगा"?

 
आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार 
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत के बयान से भड़के ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि भारत न कभी हिन्दू राष्ट्र था, ना है और न ही कभी बनेगा
आरएसएस सरसंघचालक मोहन भागवत पर निशाना साधते हुए ओवैसी ने कहा कि मोहन भागवत भारत को हिन्दू राष्ट्र बताकर मेरे इतिहास को मिटा नहीं सकते हैं। आरएसएस सरसंघचालक भागवत यह नहीं कह सकते हैं कि हमारी संस्कृति, आस्था, पंथ और व्यक्तिगत पहचान समेत सब कुछ हिन्दू संस्कृति में शामिल है
ओवैसी साहब यह तो बताइए की भारत में मुग़ल युग से पूर्व किसका राज था? मुग़ल युग से पूर्व एक से बढ़कर एक हिन्दू सम्राट हुए, लेकिन वोट के भूखे ओवैसी जैसे तुष्टिकरण पुजारियों ने उस स्वर्णमयी इतिहास को धूमिल कर आतताइयों को महान बताया। अयोध्या, काशी और मथुरा आदि हज़ारों ऐसे स्थल हैं, जहाँ इन आतताइयों ने हिन्दू मन्दिरों और महलों का इस्लामीकरण कर दिया। 
2012 में आर्गेनाइजर साप्ताहिक से सेवानिर्वित होने उपरान्त एक हिन्दी पाक्षिक का संपादन करते अपने स्तम्भ में लिखा था कि "लाल किला किसने और कब  बनवाया?", जिसका मुस्लिम पाठकों ने अपशब्दों में आलोचना भी की थी, लेकिन सच्चाई को स्वीकारने से इंकार करते रहे। फिर आये 2014 लोकसभा चुनाव। एक चुनावी रैली को सम्बोधित करते तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह भाजपा पर ने इतिहास और भूगोल को भ्रमित किये जाने बयान पर अपने स्तम्भ "झोंक आँखों में धूल-चित्रगुप्त" में शीर्षक प्रधानमंत्री राष्ट्र को बताएँ ! में लाल किला से लेकर क़ुतुब मीनार और ताज महल आदि की वास्तविकता से जनता को अवगत करवाने का आग्रह किया था। सबको लाल किले पर झंडा फहराने का शौक एवं अरमान है, लेकिन लाल किला की सच्चाई बताने का नहीं, क्यों? 
कल तक सत्ता में रहने वाले जिस राम को एक काल्पनिक कहते थे, लेकिन हर वर्ष राम लीला मंचन में दशहरा पर राम का तिलक कर जनता को भ्रमित करने पहुँच जाते हैं। जब राम एक काल्पनिक थे, फिर राम का तिलक कर किस झूठ को प्रमाणित कर रहे हैं? इतना ही नहीं, कई रामलीला कमेटी के ये ही लोग संस्थापक सदस्य भी हैं, इसके बावजूद तुष्टिकरण के पुजारी अयोध्या में राममन्दिर में अवरोध ही नहीं कर रहे, मुस्लिम समाज को भी उकसा रहे हैं। 
ओवैसी साहब देश में साम्प्रदायिक जहर फ़ैलाने से बेहतर होगा, देश की जनता को बताएं दिल्ली में लाल किला कौन से सन में बना था, इसको बनवाने वाला कौन है? और उस समय किस नाम से चर्चित था? दूसरे, क़ुतुब मीनार किस सन में किसने बनवाई थी और यह किस नाम से प्रसिद्ध थी?
ओवैसी साहब भारत तो हिन्दू राष्ट्र आरएसएस के बजूद से पहले ही था, समस्या यह है कि हम भारतीय शिक्षित होते हुए भी अपने ही देश के वास्तविक इतिहास से अज्ञान हैं। और वास्तविकता की बात करने वाले को फिरकापरस्त, साम्प्रदायिक, गंगा-यमुना तहजीब का दुश्मन और देश में अशांति फ़ैलाने वाले न जाने कितने नामों से अलंकृत कर दिया जाता है। क्यों नहीं उल्टी-सीधी बातें से जनता को भ्रमित करने की बजाए वास्तविकता से अवगत करवाने का प्रयास किया जाता? आखिर कब तक देश को हिन्दू-मुसलमान की आग में झोंका जाएगा? ओवैसी साहब इन साम्प्रदायिक दंगों में किसी नेता के घर के परिन्दे तक को ठेस नहीं पहुँचती, मरता आम नागरिक है। फिर उनकी मौतों पर सियासत कर मालपुए खाने वाले भी नेता ही होते हैं। देश को चाहिए कि इन लोगों को पहचाने और इनसे दूरी बनाये रखने का प्रयास करें, इनका कुछ नहीं होगा, नुकसान जनजीवन का ही होगा। देश को ऐसे नेताओं के साथ-साथ #metoo, #not in my name, #mob lynching, #intolerance, #award vapsi आदि प्रायोजित गैंगों से भी सतर्क रहना होगा।     
आरएसएस सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा था कि भारत हिन्दुओं का देश हैं। हम हिन्दू राष्ट्र हैं। हिन्दू  किसी पूजा का नाम नहीं, किसी भाषा का नाम नहीं और किसी प्रांत या प्रदेश का नाम नहीं है। हिन्दू एक संस्कृति का नाम है, जो भारत में रहने वाली सबकी सांस्कृतिक विरासत है
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ओवैसी साहब जिस दिन भारत का वास्तविक इतिहास उजागर होगा, अपने आप दूध का दूध और पानी का पानी सामने आ जाएगा। 

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