
विदेशी प्रतिनिधिमंडल के कश्मीर दौरे को लेकर बीजेपी के ही सीनियर नेता सुब्रमण्यण स्वामी ने मोदी सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि ईयू डेलिगेशन को जम्मू-कश्मीर भेजने का विदेश मंत्रालय का फैसला अनैतिक है और मैं हैरान हूं. यह विदेश नीति के साथ खिलवाड़ है. मैं सरकार से कहता हूं कि वह इस प्रतिनिधिमंडल के कश्मीर दौरे को रद्द करे. वहीं कांग्रेस के सीनियर नेता जयराम रमेश ने सरकार के इस फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि यह भारतीय लोकतांत्रिक व्यवस्था के साथ मजाक है. उन्होंने कहा कि भारतीय नेताओं को जम्मू-कश्मीर के नेताओं और लोगों से मिलने से रोका जाता है और विदेशी प्रतिनिधिमंडल को जम्मू-कश्मीर भेजा जा रहा है.
जम्मू कश्मीर से धारा 370 के प्रावधानों को खत्म करने के बाद से ही दुनियाभर में जम्मू-कश्मीर का मसला छाया हुआ था. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की तरफ से हर वैश्विक मंच पर इस मसले को उठाया जा रहा था. ऐसे में इस चर्चा के बीच यूरोपियन प्रतिनिधिमंडल का ये दौरा काफी अहम है. जम्मू-कश्मीर जाने वाले यूरोपियन संसद के प्रतिनिधिमंडल में कुल 28 सदस्य होंगे. अभी तक भारत की ओर से किसी भी विदेशी प्रतिनिधिमंडल को जम्मू-कश्मीर जाने की इजाजत नहीं दी गई थी.
I am surprised that the MEA has arranged for European Union MPs, in their private capacity [Not EU's official delegation],to visit Kashmir area of J&K. This is a perversion of our national policy. I urge the Government cancel this visit because it is immoral.— Subramanian Swamy (@Swamy39) October 28, 2019
When Indian political leaders have been prevented from meeting the people of J&K, what possessed the great chest-beating champion of nationalism to allow European politicians to visit J&K. This is an outright insult to India's own Parliament and our democracy! https://t.co/D48dnctRqE— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) October 28, 2019


मुलाकात के बाद प्रधानमंत्री कार्यालय से बयान भी जारी किया गया. पीएमओ की ओर से कहा गया कि यूरोपीय सांसदों का भारत के कल्चर को जानना काफी खुशी का विषय है. PM मोदी ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि जम्मू-कश्मीर समेत भारत के कई हिस्सों में दल का दौरा काफी सफल होगा, इस दौरान उन्हें भारत के कल्चर, यहां चल रहे विकास कार्यों के बारे में जानने का मौका मिलेगा.
PMO की तरफ से जारी किया गया बयान
प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा बयान जारी कर कहा गया- यूरोपियन संसद के सदस्यों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से 7, लोक कल्याण मार्ग पर आज मुलाकात की. प्रधानमंत्री ने यूरोपियन यूनियन के सांसदों के भारत आने पर खुशी जताई.
PMO: Members of European Parliament called on Prime Minister Narendra Modi at 7, Lok Kalyan Marg today. Prime Minister appreciated the importance the Parliamentarians attach to their relationship with India by visiting right at the beginning of their term. pic.twitter.com/iPuRnRqszy— ANI (@ANI) October 28, 2019
PMO: PM expressed hope they have fruitful visit to various parts of country, including to J&K.Their visit to J&K should give delegation better understanding of cultural&religious diversity of region; apart from giving a clear view of development&governance priorities of region https://t.co/8ga7FkaNB1— ANI (@ANI) October 28, 2019
Delhi: Members of European Parliament called on Prime Minister Narendra Modi at 7, Lok Kalyan Marg today. The delegation would be visiting Jammu and Kashmir tomorrow. pic.twitter.com/JQKq5xifkk— ANI (@ANI) October 28, 2019
#WATCH Delhi: Members of European Parliament called on Prime Minister Narendra Modi at 7, Lok Kalyan Marg today. The delegation would be visiting Jammu and Kashmir tomorrow. pic.twitter.com/X4YQEjerLs— ANI (@ANI) October 28, 2019
प्रधानमंत्री कार्यालय ने कहा- प्रधानमंत्री ने उम्मीद जताई है कि सांसदों की भारत यात्रा जिसमें जम्मू कश्मीर की यात्रा भी शामिल है सफल होगी. पीएम ने कहा कि इससे सांसदों को भारत को नजदीक से जानने समझने का मौैका मिलेगा.
इन सदस्यों को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल को न्योता दिया गया था. इस पूरी विजिट को एक यूरोपियन NGO द्वारा आयोजित किया जा रहा है. इसमें अधिकतर इटालियन मेंबर हैं. अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद भारत ने दुनिया के बड़े देशों को अपना पक्ष रखा था, जिसमें सभी नियमों, पाकिस्तान के द्वारा उठाए जा रहे मुद्दों को समझाया गया था. इस दौरान कई देशों को इस बारे में प्रेजेंटेशन दी गई, जिसमें पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद को भी उजागर किया गया.
भारत सरकार ने जम्मू-कश्मीर से 5 अगस्त को अनुच्छेद 370 को पंगु कर दिया था. इसके बाद से जम्मू-कश्मीर को मिलने वाले सभी विशेषाधिकार वापस ले लिए गए थे. अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से ही जम्मू-कश्मीर में कई तरह की पाबंदियां लगाई गई थीं, जैसे कि हजारों की संख्या में सुरक्षाबलों की तैनाती, स्थानीय नेताओं को नज़रबंद रखना, फोन-इंटरनेट की सुविधा को बंद कर देना.
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