यूरोपियन यूनियन संसद प्रतिनिधिमंडल के जम्मू-कश्मीर जाने पर, सुब्रमण्यन स्वामी ने कहा अनैतिक, कांग्रेस नेता बोले- लोकतंत्र का बना मजाक

European Union mp jammu kashmir visitअक्टूबर 28 को यूरोपियन संसद के सदस्यों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजित डोभाल से मुलाकात की। इस मुलाकात में जम्मू-कश्मीर के मौजूदा हालात पर खुलकर बात हुई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और एनएसए अजित डोभाल से ये चर्चा कर यूरोपियन यूनियन का प्रतिनिधिमंडल संतुष्ट नजर आया। यूरोपियन संसद का प्रतिनिधिमंडल अक्टूबर 29 को जम्मू-कश्मीर का भी दौरा करेगा। 5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद पहली बार किसी विदेशी प्रतिनिधिमंडल का ये कश्मीर दौरा होगा। ये यूरोपीय सांसद में ज्यादातर अपने-अपने देश की दक्षिणपंथी पार्टियों के नेता हैं और सरकार इन्हें निजी हैसियत में कश्मीर ले जा रही है ना कि उनके देश के प्रतिनिधि के तौर पर
विदेशी प्रतिनिधिमंडल के कश्मीर दौरे को लेकर बीजेपी के ही सीनियर नेता सुब्रमण्यण स्वामी ने मोदी सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि ईयू डेलिगेशन को जम्मू-कश्मीर भेजने का विदेश मंत्रालय का फैसला अनैतिक है और मैं हैरान हूं. यह विदेश नीति के साथ खिलवाड़ है. मैं सरकार से कहता हूं कि वह इस प्रतिनिधिमंडल के कश्मीर दौरे को रद्द करे. वहीं कांग्रेस के सीनियर नेता जयराम रमेश ने सरकार के इस फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि यह भारतीय लोकतांत्रिक व्यवस्था के साथ मजाक है. उन्होंने कहा कि भारतीय नेताओं को जम्मू-कश्मीर के नेताओं और लोगों से मिलने से रोका जाता है और विदेशी प्रतिनिधिमंडल को जम्मू-कश्मीर भेजा जा रहा है.
जम्मू कश्मीर से धारा 370 के प्रावधानों को खत्म करने के बाद से ही दुनियाभर में जम्मू-कश्मीर का मसला छाया हुआ था. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की तरफ से हर वैश्विक मंच पर इस मसले को उठाया जा रहा था. ऐसे में इस चर्चा के बीच यूरोपियन प्रतिनिधिमंडल का ये दौरा काफी अहम है. जम्मू-कश्मीर जाने वाले यूरोपियन संसद के प्रतिनिधिमंडल में कुल 28 सदस्य होंगे. अभी तक भारत की ओर से किसी भी विदेशी प्रतिनिधिमंडल को जम्मू-कश्मीर जाने की इजाजत नहीं दी गई थी.




मुलाकात के बाद प्रधानमंत्री कार्यालय से बयान भी जारी किया गया. पीएमओ की ओर से कहा गया कि यूरोपीय सांसदों का भारत के कल्चर को जानना काफी खुशी का विषय है. PM मोदी ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि जम्मू-कश्मीर समेत भारत के कई हिस्सों में दल का दौरा काफी सफल होगा, इस दौरान उन्हें भारत के कल्चर, यहां चल रहे विकास कार्यों के बारे में जानने का मौका मिलेगा.
PMO की तरफ से जारी किया गया बयान
प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा बयान जारी कर कहा गया- यूरोपियन संसद के सदस्यों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से 7, लोक कल्याण मार्ग पर आज मुलाकात की. प्रधानमंत्री ने यूरोपियन यूनियन के सांसदों के भारत आने पर खुशी जताई.


 
प्रधानमंत्री कार्यालय ने कहा- प्रधानमंत्री ने उम्मीद जताई है कि सांसदों की भारत यात्रा जिसमें जम्मू कश्मीर की यात्रा भी शामिल है सफल होगी. पीएम ने कहा कि इससे सांसदों को भारत को नजदीक से जानने समझने का मौैका मिलेगा. 
इन सदस्यों को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल को न्योता दिया गया था. इस पूरी विजिट को एक यूरोपियन NGO द्वारा आयोजित किया जा रहा है. इसमें अधिकतर इटालियन मेंबर हैं. अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद भारत ने दुनिया के बड़े देशों को अपना पक्ष रखा था, जिसमें सभी नियमों, पाकिस्तान के द्वारा उठाए जा रहे मुद्दों को समझाया गया था. इस दौरान कई देशों को इस बारे में प्रेजेंटेशन दी गई, जिसमें पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद को भी उजागर किया गया.
हालांकि, यूरोपियन संसद के सदस्यों का जम्मू-कश्मीर आना इस स्टेज का अगला हिस्सा है जो खुद कश्मीर जाकर वहां के हालात को देखना चाहते हैं. पाकिस्तान की ओर से संयुक्त राष्ट्र, यूरोपियन संसद में इस मसले को उठाया गया था, जहां भारत ने दो टूक जवाब दिया था. गौरतलब है कि यूरोपियन यूनियन (EU) में कुल 28 देश हैं, इन्हीं देशों के सदस्यों को मिलाकर एक संसद बनाई गई है जो कि यूरोपियन संसद है. इसी संसद का एक प्रतिनिधिमंडल मंगलवार को जम्मू-कश्मीर का दौरा करेगा.
भारत सरकार ने जम्मू-कश्मीर से 5 अगस्त को अनुच्छेद 370 को पंगु कर दिया था. इसके बाद से जम्मू-कश्मीर को मिलने वाले सभी विशेषाधिकार वापस ले लिए गए थे. अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से ही जम्मू-कश्मीर में कई तरह की पाबंदियां लगाई गई थीं, जैसे कि हजारों की संख्या में सुरक्षाबलों की तैनाती, स्थानीय नेताओं को नज़रबंद रखना, फोन-इंटरनेट की सुविधा को बंद कर देना.
इन्हीं कारणों को लेकर अंतरराष्ट्रीय मीडिया और स्तर पर कई बार जम्मू-कश्मीर को लेकर सवाल खड़े किए गए. पाकिस्तान की ओर से भी भारत पर मानवाधिकार उल्लंघन के आरोप लगाए गए. हालांकि, भारत की ओर से हर अंतरराष्ट्रीय मंच, विदेशी राष्ट्रप्रमुखों को जम्मू-कश्मीर के बारे में ब्रीफ किया गया. भारत ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाए जाने को आंतरिक मसला बताया और साथ ही पाबंदियों को सिर्फ एहतियात के तौर पर बताया गया.

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