आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
अयोध्या मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में 40 दिन तक चलने के बाद खत्म हो गई है। सुप्रीम कोर्ट नवंबर में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद फैसला सुनाएगा। सूत्रों के मुताबिक मध्यस्थता पैनल ने भी अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंप दी है। इसमें एक बड़ी ख़बर सामने आ रही है कि सुन्नी वक्फ़ बोर्ड (Sunni Waqf Board) सरकार को जमीन देने को तैयार हो गया है। साथ ही वक्फ बोर्ड दूसरी जगह मस्जिद बनाने के लिए भी तैयार है। बता दें कि इससे पहले CJI रंजन गोगोई की अगुवाई वाली पांच जजों की बेंच ने इस मामले में 40 दिन तक सुनवाई करने के बाद दलीलें पूरी कर लीं।
बेंच ने अयोध्या भूमि विवाद मामले में संबंधित पक्षों को ‘मोल्डिंग ऑफ रिलीफ' (राहत में बदलाव) के मुद्दे पर लिखित दलील दाखिल करने के लिए तीन दिन का समय दिया है। इस पीठ में न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर भी शामिल हैं। बता दें कि कोर्ट ने पहले ही कहा था कि सुनवाई 17 अक्टूबर को पूरी हो जाएगी। बाद में इस समय सीमा को एक दिन पहले कर दिया गया।
पांच जजों की बेंच ने अयोध्या में 2.77 एकड़ विवादित भूमि को तीन पक्षकारों-सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला-के बीच बराबर-बराबर बांटने का आदेश देने संबंधी इलाहाबाद हाईकोर्ट के सितंबर, 2010 के फैसले के खिलाफ दायर 14 अपीलों पर सुनवाई की है।
अवलोकन करें:-
सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड के इस निर्णय ने हिन्दू-मुस्लिम सभी को चकित कर दिया है। चर्चा यह है भी है कि "जब यह कदम लेना था, फिर किस कारण इसे इतने वर्षों तक लंबित कर, हिन्दू-मुसलमानों के बीच नफरत फ़ैलाने का काम करता रहा। इस विवाद में जो लाखों जानें गयीं, उनका कौन जिम्मेदार है? अब से पहले भाईचारा और गंगा-यमुना तहजीब कहाँ थी? क्या इस मुद्दे को विवादित बनाने के लिए इनको कहीं से फंडिंग हो रही थी, जो मोदी सरकार की कूटनीति के कारण बंद होने के कगार पर थी?
रामजन्म स्थान को विवादित बनाकर राम विरोधियों ने मक्का पर भी ऊँगली उठवा दी है। अक्टूबर 16 को रिपब्लिक भारत चैनल पर अयोध्या और फैज़ाबाद से जनता की लाइव कवरेज में जनता ने मक्का मदीना में हज के दौरान बंद कमरे के आगे सजदा किया जाने पर सवाल खड़ा कर दिया है।
सूत्रों का यह भी कहना है कि योगी सरकार द्वारा वक़्फ़ बोर्ड सम्पत्तियों में धांधली और मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की सीबीआई से जाँच के आदेश ने अपने आपको इस बचाने रखने के दबाव में यह कदम उठाया है। क्योकि सीबीआई जाँच में समस्त धांधलियों के उजागर होते ही मुस्लिम समाज में इनका दबदबा समाप्त होते ही कोई इनको टके के लिए भी नहीं पूछेगा। योगी-मोदी सरकारों द्वारा साम, दाम, दण्ड और भेद नीति ने इनको घुटनों के बल आने को मजबूर किया है कि जिस तरह मुस्लिम एनजीओस की जाँच होने प्रारम्भ हुई है, इन मुस्लिम एनजीओस के पदाधिकारियों को अपनी इज्जत बचाने की खातिर सबकी नींद हराम हो चुकी है। इतना बड़ा कदम उठाने के पीछे कोई न कोई राज जरूर है।
अयोध्या मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में 40 दिन तक चलने के बाद खत्म हो गई है। सुप्रीम कोर्ट नवंबर में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद फैसला सुनाएगा। सूत्रों के मुताबिक मध्यस्थता पैनल ने भी अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंप दी है। इसमें एक बड़ी ख़बर सामने आ रही है कि सुन्नी वक्फ़ बोर्ड (Sunni Waqf Board) सरकार को जमीन देने को तैयार हो गया है। साथ ही वक्फ बोर्ड दूसरी जगह मस्जिद बनाने के लिए भी तैयार है। बता दें कि इससे पहले CJI रंजन गोगोई की अगुवाई वाली पांच जजों की बेंच ने इस मामले में 40 दिन तक सुनवाई करने के बाद दलीलें पूरी कर लीं।
बेंच ने अयोध्या भूमि विवाद मामले में संबंधित पक्षों को ‘मोल्डिंग ऑफ रिलीफ' (राहत में बदलाव) के मुद्दे पर लिखित दलील दाखिल करने के लिए तीन दिन का समय दिया है। इस पीठ में न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर भी शामिल हैं। बता दें कि कोर्ट ने पहले ही कहा था कि सुनवाई 17 अक्टूबर को पूरी हो जाएगी। बाद में इस समय सीमा को एक दिन पहले कर दिया गया।
पांच जजों की बेंच ने अयोध्या में 2.77 एकड़ विवादित भूमि को तीन पक्षकारों-सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला-के बीच बराबर-बराबर बांटने का आदेश देने संबंधी इलाहाबाद हाईकोर्ट के सितंबर, 2010 के फैसले के खिलाफ दायर 14 अपीलों पर सुनवाई की है।
अवलोकन करें:-
रामजन्म स्थान को विवादित बनाकर राम विरोधियों ने मक्का पर भी ऊँगली उठवा दी है। अक्टूबर 16 को रिपब्लिक भारत चैनल पर अयोध्या और फैज़ाबाद से जनता की लाइव कवरेज में जनता ने मक्का मदीना में हज के दौरान बंद कमरे के आगे सजदा किया जाने पर सवाल खड़ा कर दिया है।
सूत्रों का यह भी कहना है कि योगी सरकार द्वारा वक़्फ़ बोर्ड सम्पत्तियों में धांधली और मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की सीबीआई से जाँच के आदेश ने अपने आपको इस बचाने रखने के दबाव में यह कदम उठाया है। क्योकि सीबीआई जाँच में समस्त धांधलियों के उजागर होते ही मुस्लिम समाज में इनका दबदबा समाप्त होते ही कोई इनको टके के लिए भी नहीं पूछेगा। योगी-मोदी सरकारों द्वारा साम, दाम, दण्ड और भेद नीति ने इनको घुटनों के बल आने को मजबूर किया है कि जिस तरह मुस्लिम एनजीओस की जाँच होने प्रारम्भ हुई है, इन मुस्लिम एनजीओस के पदाधिकारियों को अपनी इज्जत बचाने की खातिर सबकी नींद हराम हो चुकी है। इतना बड़ा कदम उठाने के पीछे कोई न कोई राज जरूर है।
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